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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 5, 2025

 

शाही स्नान --बंदिशों और आस्था का पाखंड !

संगम में प्रधान मंत्री के संग भूटान नरेश का स्नान


प्रयागराज के संगम मे कुम्भ के अवसर को राजनीतिक रूप से भुनाने के चक्कर में सत्ता के वादे और धार्मिक आस्था का मखौल उड़ाने के लिए पहले योगी आदित्यनाथ ने चार तारीख को और पाँच फरवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संग भूटान नरेश का दुबारा संगम में डुबकी लगाने का योग हकीकत मे जान्ह , वीआईपी लोगों को कुम्भ में आने से रोकने का मुख्यमंत्री का बयान पाखंड ही सिद्ध हुआ ! सबसे आश्चर्यजनक बात थी की भूटान नरेश जिंगमे खेसर नामांगयाल वांगचुक का कुम्भ मे स्नान --- कारण है की भूटान का राजधर्म बौद्ध है , जो की मूर्ति पूजा का और सनातनी कर्मकांड का विरोधी है | बौद्ध जन सनतानियों के ऐसे आयोजन मे शामिल नहीं होते | परंतु कुम्भ मे हुई "”भगदड़ "” में मारे गए सैकड़ों लोग और लापता तीर्थ यात्रियों के घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी को अपनी "”साख "” बचाने के लिए बड़े - बड़े नामों को कुम्भ में पहुचने की जरूरत पड़ी ! अब कोई साधु या सन्यासी अथवा मठाधीश ऐसा नहीं बच जो विवादित नया हो गया हो - एक ओर शंकराचार्य है तो दूसरी ओर मठों और संप्रदायों के साधु है | जिनकी जाती या वर्ग विशेष मे ही पँहुच -परख हैं | ऐसे में बीजेपी के थिंक टंक ने ऐसे व्यक्ति को लाने की सलाह दी जो विवादित नया हो और जिसकी ईमानदारी पर भी आम लोगों को विश्वास हो ! इसी कारण भूटान नरेश का चयन किया गया | परंतु वे भूल गये की बौद्ध भी जैन धरम की भांति मूर्ति पूजा के विरोधी है और सनातनी कर्मकांडों को तो वे ब्राम्हनों का बने हुआ कायदा बताते हैं | जो काफी हद तक सही भी हैं | परंतु सत्ता के मद मे चूर बीजेपी का सत्ता शीर्ष ने कूटनीतिक संबंधों को भी भुनाने से भी गुरेज नहीं किया |

कुम्भ के भगदड़ मे हुई मौतों को लेकर अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी बचत के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग बनाया हैं | हमारा अनुभव बताता है की ऐसे आयोगों की सिफ़ारिसे हमेशा ही ठंडे बस्ते मे डाल दी जाती हैं | ना तो उनकी सिफारिशों पर ध्यान दिया जाता है और नया ही उनकी सलाह पर कोई कारवाई होती हैं | पिछला इतिहास इस तथ्य की गवाही हैं | विगत मे अनेकों भगदड़ की घटनाए हुई , जिनमे सैकड़ों लोगों की जान गई हैं | पर राज्य सरकारों ने इंत जाम कर्ताओ को "””कभी भी "” दंडित नहीं किया |

अब इन हालत में आम आदमी को भी इन जाँचों पर कोई भरोसा नहीं हैं | हालत यह है की जिन परिवारों के लोग कुम्भ स्नान के संगम आए थे वे लोग अब उन्हे खोजते हुए संगम एरिया मे पहुँच रहे हैं | उन्हे नया तो मारे गए लोगों की फ़ोटो दिखाई जा राही है और नया ही वे कोई संतोसजनक उत्तर दे रहे हैं | कुम्भ प्राधिकरण के अफसर भी उतने ही लोगों के नाम और फ़ोटो दिखा रहे जिनकी घोसना योगी आदित्यनाथ ने टीवी के सामने की थी ! अब ऐसे में लोग अपने सगे - संबंधियों के बारे मे जानकारी चाह रहे है --- मीडिया के कैमरे के सामने रोते बिलखते हुए परिजनों का सवाल यही है की "””आखिर हमारे परिजन ,आए तो थे संगम स्नान के लिए परंतु अब वे गायब हैं ?”” इसका जवाब योगी सरकार नहीं देना चाहती है | क्यूंकी अगर सरकार यह स्वीकार कर ले की भगदड़ की घटना एक नहीं हुई थी वर्ण टीनसे चार जगह हुई थी | जैसा की मीडिया का एक वर्ग दावा कर रहा हैं |

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