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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 20, 2019


नागरिकता संशोधन विधि और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर


सड़के जब सूनी हो -तो संसद आवारा हो जाया करती हैं --राम मनोहर लोहिया




2019 के वर्ष ने जाते -जाते संसद में प्रचंड बहुमत वाली सरकार को कड़ाके की सर्दी में भी पसीने छुडा दिये --- अब संसद आवारा होने से बच गयी ----क्योंकि सड़के अब आंदोलनकारी छात्र और छात्राओ तथा बेरोजगार नौजवानो से गतिमान हैं ! सात दिसंबर को पूर्वोतर से उठी चिंगारी ने मोदी - शाह की ज़िद्द को की नागरिकता रजिस्टर भी बनाएँगे और नागरिकता संशोधन विधि भी लागू करेंगे !! संसद में बहुमत से "”सही और गलत "” का फैसला कानूनी तौर पर भले ही हो ---पारा देश के भले के लिए हैं यह तो सड्को पर ही तय होगा , सो हो रहा हैं ! भारतीय जनता पार्टी शासित छह राज्यो के साथ 11 राज्यो में जनता इन मुद्दो पर सड़क पर विरोध कर रही हैं | समाचार पत्रो के अनुसार अभी तक 5000 से अधिक लोगो को पुलिस ने हिरासत में लिया हैं | दिल्ली की और अलीगढ में छात्रों के साथ जो हुआ उसका कुछ हिस्से का सच तो देश की पालतू टीवी मीडिया ने भी दिखाया हैं |

मोदी जी के प्यारे दोस्त '’डोनाल्ड '’ भी उधर अमेरिका में महाभियोग के आरोपी हो गए हैं | {जन} प्रतिनिधि सभा ने तो उन्हे "” राजनीतिक लाभ के लिए पद के दुरुपयोग "” का आरोपी पाया हैं | “” हालांकि सीनेट में ट्रम्प की भक्त "”रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हैं ------और यह पक्का हैं की ट्रम्प का बहुमत प्रतिनिधि सभा के आरोपो की जांच करने से इंकार कर सकता हैं | एवं उन्हे दोष मुक्त कर सकता हैं ! जैसे भारत में भी अनेक मंत्रियो को न्यायिक आयोग और अदालत "”क्लीन चिट'’ पा चुके हैं | लोकसभा चुनाव के दौरान भी सत्तासीन नेताओ को निर्वाचन आयोग की ओर से क्लीन चिट मिल चुकी हैं !
पर भारत और अमेरिका में एक समानता तो दिखाई ही दे रही है ----वह हैं की क्रिष्मास और नव वर्ष के बावजूद लोग सड्को पर आंदोलन कर रहे हैं ----- राम मनोहर लोहिया को सच साबित करने के लिए |

2019 का आखिरी माह लगता हैं की देश का नौजवान , केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को उनकी हैसियत दिखा रहा हैं ! उन्होने जब जम्मू -काश्मीर के त्रि -भाग किए ,उसका विशेस दर्जा छीना तब -हिंदुस्तान नामक देश में कोई विरोध नहीं हुआ ! क्योंकि सरकार मुसलमानो के खिलाफ कारवाई कर रही थी ! उनको घेरने के लिए सेना तैनात की गयी थी | जे एन यू में और दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा संस्थानो की भी फीस में व्रद्धि की तब कुछ छात्र संगठनो ने विरोध किया | दिल्ली - खड़गपुर आदि में पुलिस ने छात्र प्रदर्शन को रोका थोड़ी लाठी भी लहराई | परंतु नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन विधि के पारित होते ही पूर्वोतर "”जल उठा "” | हालांकि इन दोनों कानूनों का निशाना इस्लाम के बंदो पर था , परंतु भाषा - संसक्राति की रक्षा के लिए पूर्वोतर के जन जातीय और सामान्य निवासी सड्कों पर उतर आए | झारखंड में विधान सभा चुनावो में प्रचार कर रहे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा "” आन्दोलंकारियों के पहनावे से उन्हे पहचाना जा सकता हैं ! यह भाषा है विश्व के दूसरे सबसे बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र की !! जो सदैव राष्ट्रवाद और इंडिया फ़र्स्ट कहता हैं ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी तथा गोवा के सनातन आदि समान विचार धारा के संगठनो के लोग "”” इसे भारत जो की इंडिया के नरेटिव को हिन्दी -हिन्दू और हिंदुस्तान ने बदलना चाहते हैं | इनके अनुसार जो मुसलमान नहीं वह हिन्दू !! क्योंकि नागरिक संशोधन विधि की भाषा तो यही बता रही हैं !! काश्मीर से कन्या कुमारी के मध्य पंजाबी - डोगरी - मारवाड़ी - भोजपुरी - अवधि -बुन्देली -बघेली – तेलगु- तमिल - कडिगा और मलयालम के अलावा सैकड़ो जन जातीय भाषये अथवा बोलिया भी हैं ! इसलिए सिर्फ हिन्दी को जबरिया देश की पहचान नहीं बताया जा सकता | उसी प्रकार हिन्दू के अलावा इस देश में मुसलमान -ईसाई – सिख और जैन तथा बौद्ध पारसी भी रहते हैं | उनके अपने धर्म है जिनमे उनकी आस्था हैं | इसलिए भारत कभी भी सिर्फ तथा कथित '’’हिन्दुओ का अकेला नहीं हो सकता "” | इसमे यानहा के सभी जाति या धरम के निवासियों का हक़ हैं ! सनातन धरम के समर्थक अगर हैं तो उन्हे समझना चाहिए की – किस प्रकार आर्य और द्रविड़ संसक्राति हजारो साल से कुछ नरम होकर कुछ गरम होकर साथ साथ रहते आए हैं | भाषा – खान पान और रहन -सहन में भिन्नता ने वैमनस्या नहीं पैदा किया | परंतु 21 वी सदी के हिन्दू महासभा और संघ द्वरा जिस प्रकार दो धर्मो के लोगो के बीच नफरत फैलाने की कोशिस भारत को बहुत नुकसान पहुंचाएगी | धर्म आधारीत एक विभाजन देश भुगत चुका हैं , अब यह नफरत देश को अनेकों भागो में विभाजित कर देगी |








भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व में 2014 में सहयोगी राजनीतिक दलो की जो सरकार बनी थी --- उसके शासन में अनेकों परंपराए टूटी हैं , खास कर मर्यादा और विनम्रता की | मोदी और अमित शाह की जोड़ी को यह यश जरूर मिलेगा की उन्होने ऐसी सरकार चलायी – जैसे आज़ादी के बाद ना तो नेहरू और ना ही अटल जी ने चलायी थी ! परंतु संसदीय बहुमत के चलते उन्होने जीएसटी जैसे वित्त विधेयक को '’’’सामन्य विधेयक की भाति ही पारित कराया और अदालत ने इसमे दखल नहीं दिया | जम्मू - काश्मीर के संविधान में विशेस स्थिति को को संविधान में बिना संशोधन किए ही खतम किया , और उसके तीन "”” टुकड़े - टुकड़े "”कर दिये |तब तक देश के कुछ बुद्धिजीवियों { जिनहे मोदी भक्त राष्ट्र द्रोही कहते है } को छोड़कर मीडिया और लेखक भी चुपचाप बैठे थे !! परंतु जैसे ही महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार के गठन के लिए सारी स्थापित और मान्य परंपराए तोड़ी, और शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को छोड़ा और एनसीपी तथा काँग्रेस से मिलकर सरकार बनाई | तबसे यह साफ हो गया की "”खरीद फरोख़्त के विधायकों से सरकार बनाने के लिए राज्यपालों को जिस प्रकार "”झुकाया गया "” { कर्नाटका - महाराष्ट्र } उसके बाद आम नागरिक का भी "””प्रताड़णा का भय "”” समाप्त हो गया !
क्योंकि तब सरकार चलाने वाले जुनटा का अंतिम शस्त्र को लोगो ने देख और समझ लिया था !!
इसीलिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन विधि के संसद से पास हो जाने के बाद जनता को समझ में आ गया था की उसे अपनी लड़ाई खुद ही करनी होगी , क्योंकि सरकार विरोधी दलो के नेताओ पर तो सीबीआई और ईडी तथा एंटी करापप्शन विंग को लगा दिया जाता है | फलस्वरूप वे लोग अपनी '’जान और इज्ज़त बचाने में लग जाते है |
हमेशा की तरह ही इस बार ही देश के छात्रों ने सरकार के दोनों के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतर आए |
बस फिर क्या था --- चीन और बंगला देश भूटान और नेपाल से सटे पूर्वोतर के आठ राज्यो में सात दिसंबर से छात्रों ने जो मोर्चा निकालना शुरू किया तो विरोध किया चिंगारी सारे देश में व्याप्त हो गयी !! इसके पहले जे एन यू के छात्रों ने सरकार द्वरा फीस बढाये जाने को लेकर भी राजधानी में प्रदर्शन किया था | पुलिस ने छात्रों के जुलूस को रोकने के लिए "”थोड़ा लाठी चार्ज किया "” जिसमें एक दिव्याङ्ग { नेत्रहीन } को भी दिल्ली पुलिस के बहादुर जवानो ने घायल करने से नहीं छोड़ा | इसके बाद दिल्ली विस्वविद्यालय के अतिथि शिक्षको के प्रदर्शन को भी पुलिस की "”क्रूरता "” का सामना करना पड़ा | तब तक सारे देश में नागरिकता संशोधन विधि और एनआरसी के खिलाफ उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक प्रदर्शनो का दौर लग गया | कुछ स्थानो पर हिनशा भी हुई - पूर्वोतर में युवको
ने सेना और पुलिस के अत्याचारो से बचाव के लिए --- दिन में ही आंदोलन करने का फैसला लिया |
परंतु जब दिल्ली के जामिया मिलिया के छात्रो ने सरकार के फैसलो के वीरुध मार्च निकाला तब "”” तो दिल्ली पुलिस का घिनौना सांप्रदायिक चेहरा सामने आया "” – जिस प्रकार पुलिस ने बर्बरता पूर्वक पुस्तकालय में बैठे छात्र और छात्राओ को लाठी से पीटा उसके वीडियो उजागर हैं | पुलिस के डीआईजी कहते हैं की गोली नहीं चली __ परंतु गोली से घायल छात्र और एक नागरिक के इलाज़ में डाक्टरों ने पहले तो गोली के होने की तसदीक़ की --- और दूसरे दिन पता नहीं किस के दबाव में होली फैमिली और सफदारगंज अस्पताल के डाक्टर कहने लगे हाँ चोट तो लगी थी प्रोसिजर भी किया था !!!! डाक्टरों के व्यवहार और वचन में बदलाव के कारण को समझने में ज़्यदा दिक़्क़त नहीं आएगी ---आखिर ये हिंदुस्तान हैं प्यारे यानहा सरकार का हो सर पर हाथ तो बड़ी से बड़ी इमारत भी गिराई जा सकती हैं !! बड़ी मासूमियत से इसे समझा जा सकता हैं !! की निज़ाम कैसा हैं --आर हुक्काम कैसा हैं ??



बॉक्स
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी झारखंड में बड़े ज़ोर -शोर से पहले कह रहे थे की "”देखो काँग्रेस ने मंदिर निर्माण को रोक रखा था -हमने आते ही सुलझा दिया और सीएचआर माह में मंदिर बनना शुरू हो जाएगा ! “”” एनआरसी सारे देश में लागू करूंगा | “” जब देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संसोधन विधि के विरोध में लाखो - लाखो लोग सड्कों पर निकल आए तब , उनकी भाषा बदल गयी | कहने लगे जो इस देश के नागरिक हैं उन्हे कोई हानी नहीं होगी !! अब इसका मतलब की ----क्या सिर्फ धरम विशेस के लोगो को ही अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा ?? दूसरे धर्मो के लोगो को क्यो नहीं ? क्या दो हज़ार साल पहले की पराजय का बदला अब लिया जाएगा !

हक़ीक़त तो यह हैं की अमित शाह अगर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिन्दू और सिखो को नागरिकता देना चाहते हैं तो उसके लिए इतना बड़ा "”आपरेशन करने की ज़रूरत नहीं थी !
आंकड़े बताते हैं की --- 2016 ---18 की अवधि में कुल 1988 लोगो को नागरिकता प्रदान की गयी | इनमे 1595 लोग पाकिस्तान के थे 381 अफगानिस्तान के थे | 2019 में अभी तक 712 पाकिस्तानी और 40 अफगान शरणार्थियो को भारतीय नागरिकता प्रदान की गयी |
नागरिकता संशोधन विधि ने सिर्फ इतना ही किया है की – जनहा पहले इन लोगो को भारत में निवास की मियाद 11 वर्ष थी , जिसे अब 5 वर्ष कर दिया गया हैं | इस कानून से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसे हुए हिन्दू और सिखो पर स्थानीय कट्टर पंथियो ने अब दबाव बनाना शुरू कर दिया --तो उनके जीवन में और कठिनाइया आ जाएंगी \