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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 25, 2019


यह इमारत नहीं ऐतिहासिक विरासत है यह गवाह हैं सरकारो के आने -जाने की


मोदी सरकार का ऐलान संसद भवन ऊपर से ज्यो का त्यो पर अंदर तो .....???


केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने धनतेरस के दिन ऐलान किया की संसद भवन और इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक में बदलाव का निर्माण कार्य 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा , जिससे की उस वर्ष का संसद का सत्र नए "” रूप "” में हो ! इस योजना पर 12 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हैं !! आज जब सरकार को अपना खर्च चलाने में कठिनाई हो रही है , सार्वजनिक बैंको का विलय करना पद रहा हो ----इस भय से कनही इनकी हालत भी निजी या सहकारी बैंको जैसे "”पंजाब महाराष्ट्र बैंक " की हुई ! ऐसे में देश की जनता का ख्याल छोडकर "” संसद सदस्यो के '’’आराम '’ के लिए संसद भवन के ऐतिहासिक "”गुंबद "” के नीचे आधुनिक पाँच सितारा सुविधा सुलभ करने के लिए जनता का पैसा खर्च करना अर्थात पैसा फूँकना ही होगा !! यह वैसा ही होगा की जैसा खड़ी के देशो में महिलाए "” नकाब या बुर्का के नीचे पेरिस के फैशन के कपड़े पहना दिये जाये ! अब उन्हे क्या कहेंगे ? प्रगतिशील अथवा परंपरावादी कठमुला पैन ??? कुछ ऐसा ही मोदी सरकार का प्रयास हैं की बाहर से वह परंपरावादी अतिहासिक रूप बनाए रहे ---- भले ही चेहरे के नीचे भाग में आपरेशन कर के सारे अंग - प्र्तयांग बदल दे !!!

इसी दिन महाराष्ट्र और हरियाणा विधान सभा के चुनाव परिणाम घोषित हुए थे जिसमे भारतीय जनता पार्टी को भारी शिकष्त मिली थी | 2014 के विधान सभा चुनावो में जनता ने नरेंद्र मोदी जी के चेहरे पर बीजेपी को "”पूर्ण बहुमत "” दे कर फड्नविस और खट्टर की सरकार बनवाई थी | परंतु 2019 में जनता ने इनके "””बहुमत "”” को खतम कर दिया ! मजबूरन मोदी औरशाह की जोड़ी को घुटने टेक कर शिवसेना और चौटाला की दस माह पुरानी पार्टी से मिल कर सरकार बनानी पड़ी !!
वैसे सरदार हरदीप सिंह पूरी के लिए निजी तौर पर बेहद खुशी का कारण हो सकता हैं , क्योंकि इसी दिन कनाडा में एक सिख जगमीत सिंह वनहा का "”उप प्रधान मंत्री "”” बना !! वनहा पर प्रधान मंत्री त्रुदो की पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिला --------- परिणाम स्वरूप त्रुदो को भी जग्मीत सिंह के साथ साझा सरकार बनानी पड़ी !!

इसी पराजय की बेला में हमेशा की तरह मोदी सरकार ने जनता के सामने एक नया "” झुनझुना "”” रख दिया | वैसे इस झुनझुने को लेकर बहुत विवाद होने की संभावना हैं | विश्व के लोकतान्त्रिक देशो की संसद "” ऐतिहासिक इमारतों में हैं | उनका अपना एक इतिहास हैं | चाहे वह ब्रिटेन हो अथवा अमेरिका या फ्रांस सभी की विधायिका और कार्यपालिका सैकड़ो साल पुरानी इमारतों में स्थित हैं | भारतीय संसद भी "”सौ साल पुरानी -अतिहासिक विरासत की इमारत में स्थित हैं "”” | एक पौराणिक आख्यान हैं की --- पहचान तो "”सर से होती हैं कबंध {गले के नीचे का भाग } से नहीं ! कुछ वैसा ही नरेंद्र मोदी की सरकार कर रही हैं | परंतु अतिहासिकता उसकी मौलिकता में है "” गांधी -की विरासत उनके साबरमती आश्रम को उसी स्वरूपमें बनाए रखने की हैं | ना की किसी बड़े बिल्डर द्वरा पाँच सितारा काँच का चमचमाता भवन बनाए में ! इलाहबाद अर्थात प्रयाग स्थित आनद भवन की एतिहासिकता वनहा की कुर्सी मेजों और दरवाजे को बादल कर आधुनिक बनाने में नहीं हैं ----वरन उसे ज्यो का त्यो बनाए रखने में हैं | आज भी लंदन में संसद भवन पर्यटन के नक्शे में एक स्थान हैं ---- महारानी का निवास बकिंघम पैलेस भी लोग देखने जाते हैं | उन्हे वनहा 15 या 16 वी सदी का इतिहास देखने को मिलता हैं | अमेरिका का काँग्रेस भवन और व्हाइट हाउस भी अपनी पुरातनता को "”बरकरार रखे हुए हैं "”” पेरिस में पलेस द एलिसी में भयानक आग लाग्ने से वह खंधर हो गया | परंतु वनहा की सरकार और लोगो ने इसकी एतिहासिकता बरकरार रखने का निश्चय किया | अर्थात उसे पुनः मूल स्वरूप प्रदान करने का निर्णय किया | यद्यपि इस कार्य में अत्यधिक खर्च होने का अनुमान हैं | परंतु फ़्रांसीसियों ने कहा की वे अपनी सभ्यता और परंपरा की निशानी को ज्यो का त्यो रखेंगे |भले ही कितना ही खर्च ना हो जाये ! दूसरी ओर हमारे नरेंद्र मोदी जी है ---- जो विरासत को भौतिक मूल्य और हैसियत से देखते हैं |

दुनिया में पर्यटन का नाम ही हैं पुरातन विरासत ------ अगर कोई भारतीय बिगबेन घड़ी की फोटो वाला पिक्चर कार्ड भेजता है -तब उसका अर्थ हैं की उसने लंदन में इस स्थान की यात्रा की हैं | रोम का स्टेडियम हो या आगरे का ताज महल फ्रांस का एफिल टावर हो या अफ्रीका सफारी सभी एतिहासिक या प्राकर्तिक विरासत है उस छेत्र के निवासियों को | अब पुरातनता को संरक्षित रखने के लिए ना केवल प्रत्येक देश में कानून बने हैं वरन अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इनकी निगरानी होती हैं | अफगानिस्तान में जब आतंकवादियो ने बामीयन स्थित बुद्ध की प्रतिमा को तोड़ा था -तब दुनीय के सभी देशो ने उन जिहादियों से अपील की थी की वे विरासत को हानी नहीं पहुंचाए , क्योंकि वे किसी छेत्र या जाति अथवा धरम विशेस की ही नहीं वरन मानवता के इतिहास के लिए जरूरी हैं |

इन धरोहरों में ही उस छेत्र का इतिहास होता हैं , आज हम चार से पाँच हज़ार साल पुरानी सिंधु घाटी हो या हरियाणा में राखी गड हो ये सब अपने समय की सभ्यता की निशानिया हैं | जो बताती है की यनहा के निवासी कितने सभ्य और विकसित जीवन व्यतीत करते थे |
एक बात और हैं की मोदी जी देश की भुखमरी और बेकारी को दूर करने लिए आप कोई आसफुद्दौला नहीं है ----- जो लोगो को रोटी देने के लिए इमारत तामीर करा रहे हैं !! आप एक निशानी को मिटा रहे हैं | भारत में भावनाओ का बड़ा महत्व हैं | हम गाय को पशु ना मान कर माता मान कर उसको पूजते है सेवा करते हैं | महिलाए अपनी मांग में चुटकी भर सिंदूर को ही सुहाग का चिन्ह मानती हैं , भले ही वह एक रंग हो | यह भावना ही तो हैं जो गेरुआ वस्त्र धारी को झुक कर प्रणाम करती हैं ------ भले ही वह साधु के भेष मैं व्यभिचारी हो | भावना ही हैं जिसके कारण देश में कल्कि महराज या – राम रहीम अथवा आशाराम या रामलाल को परमात्मा का प्रतिनिधि मान लोग पूजते हैं | अतः भारत सरकार को संसद भवन और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के प्रस्तावित निर्माण को रोक दे | क्योंकि यह भगत सिंह के बम फेकने की घटना का गवाह हैं तो संविधान सभा की बैठको और देश की आज़ादी की घोषणा की गवाह इस इमारत के आंतरिक भाग में फेर बादल का मतलब होगा की हम ---अपने राजनीतिक पूर्वजो का सम्मान नहीं करते | मोदी जी आरएसएस को सौ साल होने मैं वक़्त हैं -----और सौ साल बाद ही कुछ इतिहास होता हैं |




होना फर्क जांच एजेंसी का !


चिदम्बरम को जमानत नहीं और आलोक खरे का निलंबन भी नहीं ! जांच है !!!!





बहुचर्चित आइमेक्स कांड में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के विरुद्ध प्रख्यात जांच एजेंसी सी बी आई द्वरा दायर मुकदमे की चार्ज शीट में उन पर उनके बेटे कान्ति पर 9.39 लाख रुपये की गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है !!! दूसरी ओर प्रदेश में इंदोर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त आलोक खरे के पास से लोकयुक्त की विशेस पुलिस टीम ने सौ एकड ज़मीन सवा किलो सोना आदि मिला पर उन्हे सिर्फ इंदौर से भोपाल तबादला कर दिया गया बस ! और एक वारिस्ठ आई ए एस अधिकारी विवेक अगरवाल के खिलाफ एकोनोमिक आफेंस विंग ने 300 करोड़ के टेंडर में सार्वजनिक छेत्र ई बीएसएसएनएल और एल अँड टी ,विप्रो आदि ऐसी कंपनियो को नकार कर सत्यम कांड में बदनाम प्राइस वाटर हाउस कूपर की सहयोगी कंपनी हैवलेट पैकेर्ड एंटरप्राइज़ को स्मार्ट सिटि के 300 करोड़ के प्रोजेक्ट को दिया | जबकि हैवलेट के साथ विवेक अगरवाल के सुपुत्र की फ़र्म का व्यापारिक करार था !! ईओडब्लू द्वारा टेंडर में घपले की शिकायत बीएसएनएल द्वरा किए जाने पर प्रथम सुचना रिपोर्ट दायर किए जाने को आईएएस एसोसिएसन ने आइपीएस अफसरो द्वरा बिरादरी को बदनाम करने के लिए "” हैसियत और अधिकार के बाहर जा कर काम करने का आरोप लगाया है "” !!
अब इन तीनों ही मामलो में "”पद के दुरुपयोग का केस बनाया गया हैं | चिदम्बरम ने आइमेक्स कंपनी को देश में निवेश करने में ---बेईमानी की ! एवज़ में उन्होने और बेटे कारती ने मिल कर 9 लाख लिए , ऐसा सीबीआई ने राउज़ कोर्ट की विशेस सीबीआई अदालत में प्रस्तुत चार्ज शीट में कहा गया है , ! जबकि चिदम्बरम सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमे की पैरवी के लिए 10 से 15 लाख रुपये फीस लेते है | उस पर "”इतनी रकम की रिश्वत लेने का आरोप ----और सीबीआई कोर्ट के पिछले जज ने "” जमानत की अर्ज़ी नामंज़ूर करते हुए "लिखा था की चिदम्बरम इस कांड के किंगपिन है , जिनहे अगर जमानत दी गयी तो वे गवाहो को धमका सकते हैं , इसलिए उनका हिरासत में रहना जरूरी हैं ! रिटायर हने के आखिरी दिन दिये गए इस फैसले के बाद जज साहेबन को केंद्रीय सरकार ने दिल्ली में भ्रसताचार निरोधक अधिकरण के अध्याकाश बना दिये गए !! पक्षपात रहित इंसाफ की मिसाल ! मतलब तिहाड़ जेल में चिदम्बरम हिरासत में है !

अब आइये दूसरा मामला देखते है श्री आलोक खरे सहायक आबकारी आयुक्त का जिनके भोपाल स्थित निवास और ज़िला रोयसेन स्थित दो फार्म हाउस चोपद कलाँ में 70 एकड़ खेत और 3600 पेड़ो का बाग दूसरा इमलिया गाव में | भोपाल स्थित निवास में पाँच सितारा सुविधाए और दर्जनो प्लाट और फ्लैट व मकान में तलाशी हुई ---लाखो रुपये नकद बरामद ---लाखो की गहने और सोने चाँदी के बर्तन बरामद हुआ | खरे साहब का कुत्ता भी 10 लाखा की कीमत का हैं !!! 4 ट्रैक्टर तो तीन आलीशान कारे मौके पर ज़ब्त की गयी | 15 अक्तूबर 2019 को हुई इस छापेमारी के बाद मुहकमा ए आबकारी ने आलोक खरे को मात्र इंदोर से भोपाल तबादला कर दिया ! उनकी जगह इंदोर में उनकी जगह दूसरे अफसर की तैनाती कर दी गयी ! अभी तक उन्हे निलंबित नहीं किया जा सका हैं ! उनकी दिवाली जरूर लोकयुक्त के छापे ने खराब कर दी हो पर उनकी 80 हज़ार की कुर्सी बरकरार हैं ! अब यानहा भी जांच भ्रस्टाचार की ही हो रही है ------पर हालत कितने बदले बदले ,!! आलोक खरे घर का खाना दोनों वक़्त का खा रहे हैं , दवादारू भी नियमित ले रहे होंगे | भले ही बीस साल की नौकरी में इतना एकत्र कर लिया हो जो उनकी तीन पीड़ी तक चले | यह सब सार्वजनिक हैं | उनके बागो में कहते हैं सोना उगता था , जिसे वे अपने आयकर में दिखाते रहे हैं !!! राज्य के एक बड़े नेता के बारे में भी कहा जाता हैं की उनके भी बागो में "”” फल"” ही करोड़ो की आय देते थे !

अब मामला पद के अधिकारो का प्रयोग //दुरुपयोग कर के संतान को आर्थिक लाभ पहुचाने का | राज काज में अथवा न्याया करते वक़्त हमेशा एक "””सूत्र वाक्य का ध्यान और अमूमन पालन भी किया जाता रहा हैं , की ना केवल न्याया हो वरन लोगो को लगे की वास्तव में न्याया किया गया है | इसको समझने के लिए दूसरा सूत्र वाक्य है ----- सीजर की पत्नी को सभी प्रकार के संदेहो से परे / ऊपर होना चाहिए | इसका अर्थ यह हैं की अगर आपका फैसला लोगो के मन संदेह उत्पन्न कर सकता है ----तब ऐसी स्थिति से आप दूर रहे |
मध्य प्रदेश की सात "” प्रस्तावित स्मार्ट सिटी के लिए डाटा और डिजास्तर रिकवारी केंद्र और संयुक्त कमांड और कंट्रोल सेंटर की स्थापना के लिए भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने 300 करोड़ का टेंडर 18 अप्रैल 2017 को निकाला | बीएसएनएल ने इस काम के लिए 275 करोड़ का प्रस्ताव दिया | परंतु तकनीकी कारण बता कर सर्वजंक छेत्र की इस निकाय की बोली को नकार दिया गया ! और तकनीकी आधार पर ही यह टेंडर पी डब्लू सी और एच पी ई को आवंटित किया गया ! अब टेंडर के कुह दिन ही पहले विवेक अगरवाल के चिरंजीव वैभव अगरवाल की फ़र्म प्राइस वॉटर हाउस कुपर्स के साथ सलाहकार के रू1प में अनुबंध करती हैं | सूत्रो के अनुसार टेंडर समिति में सबसे सीनियर अधिकारी विवेक अगरवाल ही थे !

आर्थिक अपराध विंग के महानिदेशक सुशोभन बनरजी ने कहा की 300 करोड़ के टेंडर की शिकायत पंजीबद्ध की गयी | टेंडर कमेटी के सभी सदस्यो जिनमे विवेक अगरवाल भी उनकी जांच की जा रही हैं | तथ्य सामने आने के बाद कारवाई की जाएगी " |
वर्तमान में विवेक अगरवाल केंद्र में प्रति नियुक्ति पर हैं | जैसे ही आर्थिक अपराध विंग द्वारा इस मामले की जांच की खबर बाहर आयी , वैसे ही आईएएस एसोसिएसन ने श्री अगरवाल के पक्ष में विज्ञप्ति जारी करते हुए बिला वजह अफसर को बदनाम करने की कोशिस बताया | जिस पर लोकयुक्त ने उनके संदेहो को निर्मूल बताया |

अब इन तीनों मामलो में जांच देश के मौजूदा कानूनों के अनुसार ही की जा रही होगी ------ऐसा मानने के अलावा कोई और चारा नहीं हैं हमारे पास ! क्योंकि "” चार्ज शीट "” भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अधीन एवं अनुरूप ही की जाती होगी ! अगर ऐसा हैं तो तीनों मामलो में "””” कानून के सामने सभी बराबर है "” वह सिधान्त तो गायब हैं ? अब इसके लिए जांच एजेंसियो के तौर - तरीके जिम्मेदार है अथवा उनके आक़ाओ की नजर ????
चिदम्बरम के मामले में अफवाह है की उनके गृह मंत्री के काल में ही गुजरात में हुए प्रसिद्ध "” जंहा हत्याकांड की जांच सीबीआई से हुई थी ---जिसमे मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था ! उनके सरकारी {{ तब गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार थी } प्रभाव को देखते हुए इस मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी | जंहा से उन्हे कड़ी सज़ा सुनाई गयी थी | बाद में गुजरात हाइ कोर्ट में अपील में उन्हे "”निर्दोश "” पाया गया और वे अपराध मुक्त किए गए | यानहा भी एक संयोग हैं की शाह साहब के मुकदमे को जिन वकील साहब ने लड़ा था --- वे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए !!!

2----- 9 लाख की गड़बड़ी या रिश्वत की जांच के लिए "” मुलजिम "” की गिरफ्तारी {{ तकनीकी रूप से हिरासत }} पूछ ताछ के लिए ज़रूरी हैं और बाकी के मामलो में जांच एजेंसियो ने बरामदगी और सबूतो -तथ्यो को काफी मानते हुए "” आरोपियों "” को हिरासत में नहीं लिया !!! क्यो ?

3 ----- क्या सिर्फ सीबीआई की जांच में आरोपी "”जांच "” में सहयोग नहीं करते --- इसलिए उन्हे हिरासत में लेकर बंदी बना लिया जाता हैं ? अथवा जांच के नाम पर "”नामचीन "” लोगो को सार्वजनिक रूप से बदनाम करने और तकलीफ देते हुए सरकार के इशारे पर कारवाई की जाती हैं ??

4--- क्या इन जांच एजेंसियो के मामलो को अदालत के भिन्न रवैये का कारण कानून की किताब और नियमो के बाहर का प्रभाव काम करता हैं ?
बस यही सवाल हैं जो परेशान करता हैं की ---- क्या वाक़ई लोग कानून {अदालत} के सामने बराबर हैं अथवा यह भी इस समय एक जुमला बन कर रह गया हैं !!!!!!!!!



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