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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari
Jul 31, 2014
जब कलेक्टरों के आंकड़ो को सरकार भी नहीं मान सकी !
प्रदेश के ज़िलो से सरकार ने बंधुआ मजदूरो की संख्या और स्थिति के बारे मे रिपोर्ट मांगी थी , क्योंकि
समाचार पत्रो मे लगातार बंधुआ मजदूरो की दयनीय स्थिति पर बड़े -बड़े समाचार लिखे जा रहे थे | इसलिएराजधानी
मे वारिस्ठ अधिकारियों ने वस्तु स्थिति की जानकारी के लिए ज़िलो से रिपोर्ट म्ंगाई थी | परंतु उन्हे तब आश्चर्य
हुआ जब प्रदेश के सभी जिलो के अधिकारियों ने रिपोर्ट भेजी की उनके छेत्र मे ""कोई भी बंधुआ मजदूर नहीं है """|
इस रिपोर्ट से सरकार के अफसरो के होश ही उद गए , क्योंकि दो दिन पूर्व ही मंडला जिले के एक आदिवासी ने
अपने पुत्र को बंधक इसलिए बनाया की उसे भोजन के लिए रुपये की जरूरत थी | यह समाचार राजधानी के एक पत्र
मे छपा था , फिर भी राज्य के 51 ज़िलो से यही रिपोर्ट आई की ""उनके यहा कोई भी बंधुआ मजदूर नहीं है "|
इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश स्तर पर मंत्रालय मे निगरानी समिति गठित की गयी |
गृह सचिव की अध्यक्षता मे यह समिति ने सम्भागीय स्तर पर समितीय गठित की है जो अपने छेत्र मे बंधुआ
मजदूरो के लिए सर्वे करेंगे | यह एक उदाहरण है की हमारी अफसरशाही कैसे और कितनी ""ईमानदारी"""से काम
करती है | इस बारे मे शर्म कीबात यह है की सचिव लीग जिलो के अधिकारियों की लापरवाही से हतप्रभ है |
परंतु अफसरो के """अनलिखे "" नियम के अनुसार सब एक -दूसरे को बचते ही है |
एक ऐसा ही मामला शिक्षा विभाग का है जिसकी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की बीस हज़ार छात्राओ
को मार्शल आर्ट मे प्रशिक्षित किया गया है | अब इस आंकड़े को सही माने तो स्कूल मे छेदखानी की घटनाओ
मे लड़कियो को बेइज़्ज़त और शर्मशार नहीं होना पड़ता | बलात्कार का शिकार नहीं बनना पड़ता , तो यह आंकड़े
कितने सच है प्रश्न है ?
भाई साहब नहीं कहिए भाई जान कहे
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज्य ने नेपाल मे जा कर कूटनीतिक भाषा मे एक नए शब्द को जन्म दिया
जिसका प्रयोग वाकई तारीफ के काबिल है ---वह है भाई जान | दरअसल उन्होने पड़ोसी देशो को आश्वस्त
करते हुए कहा की वे भारत को अपना बड़ा भाई समझे , अङ्ग्रेज़ी मे दो शब्द है बिग ब्रदर और एल्डर ब्रदर एक का
अर्थ है ""दादा"" और दूसरे से अग्रज का आशय होता है | लखनऊ विश्वविद्यालय मे अध्ययन के दौरान मुझे
इन शब्दो के अर्थ का वास्तविक रूप का भान हुआ | छात्र संघ के चुनाव मे एक उम्मीदवार दे अविनाश दादा
उनके सरनेम के बारे मे मुझे पता नहीं था | उनके वीरुध विज्ञान संकाय के ताङणी जी थे वे पर्वतीय थे | चुनाव
प्रचार के दौरान अविनाश दादा के आतंक के कारण तीन -चार सौ छात्रो का हुजूम चलता था , गगन भेदी नारे
लगते थे "" अविनाश का टेम्पो हाइ है --दादा हमारा भाई है """ उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार इस प्रचार से थोड़ा
हतप्रभ थे | उस समय टांगड़ी की दो बहने भी विश्वविद्यालय मे ही अध्ययनरत थी ,वे भी अपने भाई का प्रचार कर रही थी
दो -तीन दिन बाद यकायक देखा की की दादा के जुलूस के पिछले हिस्से के दस - बारह च्चाटरों को रोक कर
उन दोनों से सवाल किया की "भैया आपके दादा कान्हा के दादा है , बॉम्बे के या कलकत्ता के ? अब इस सावल से सभी थोड़ा चकराये फिर हिम्मत कर के सवाल किया की आपका क्या मतलब है बॉम्बे और कलकत्ता से ? उन्होने कहा की बॉम्बे मे दादा का
मतलब गुंडे - मावली से होता है और कलकत्ता मे बड़े भाई को इस सम्बोधन से बुलाया जाता है ,अब बताओ ?
अविनाश दादा की गुंडई के डर से ही लड़के उन के साथ थे ,परंतु इस व्याख्या ने उनके दिमाग खोल दिये |
परिणाम स्वरूप जीतने लड़को का जुलूस चलता था उतने भी वोट दादा को नहीं मिले | तब मेरी भी समझ मे आया
की दादा का अर्थ कैसे स्थान परिवर्तन से बदल जाता है |
सुषमा जी ने भी पड़ोसी देशो नेपाल - भूटान आदि को भारत को बड़ा भाई यानि की
कलकत्ता दादा समझने का आग्रह किया है ना की बॉम्बे का दादा | इसीलिए उन्होने नया सम्बोधन दिया भाई जान ,
हालांकि हिन्दी और हिन्दू तथा राष्ट्रवाद की पार्टी से संबंध रखने के कारण इसके लिए लोग उन्हे उर्दूपरस्त या
सर्व धर्म समभाव का हिमायती न समझ लिया जाये , क्योंकि उनकी राजनीतिक प्रष्टभूमि समाजवादी दल की
है स्वयं सेवक संघ की नहीं , इसीलिए वे ज्यादा सहज है अन्योय की तुलना मे
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