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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 27, 2017

भाग दो
आखिरकार इन्फोसिस को मिल ही गया आधार

विशाल सिक्का के इन्फोसिस छोड़ने के बाद व्यवसायिक जगत की पत्र -पत्रिकाओ मे और गलियारो मे इसे कंपनी के लिए घटक बताया जा रहा था | यानहा तक कहा गया था की सह संस्थापक कृष्णमूर्ति की दखलंदाज़ी के कारण कोई भी "””सफल मैनेजर ''' नहीं आएगा | परंतु इस अटकलो को तब पूर्ण विरमा लग गया -जब इन्फोसिस के ही पूर्व अधिकारी और ''आधार कार्ड '' के खोजी नीलकेनी ने इस दायित्व को सम्हाल लिया |

नीलकेनी कृष्णमूर्ति के पुराने सहयोगी रह चुके है | दोनों ने मिल कर इस संस्थान को आज की ऊंचाइयों तक पहुंचाया | सिक्का मात्र एक कारोबारी व्यक्ति थे उन्हे इन्फोसिस के कल्चर और उसमे काम करने के वातावरण को ही बदल कर एक बहू राष्ट्रीय कंपनी की "” जानलेवा प्रतिस्पर्धा "” को लागू किया था | कम करने वालो को "” किसी भी प्रकार टार्गेट को पूरा करने ''' की ज़िम्मेदारी थी | जैसी की बीजेपी मे अमित शाह चुनाव के बारे मे कहते है की ''कुछ करो जीत के आओ '' | | नियम और नैतिकता के इस अभाव से इन्फोसिस के कर्मी मात्र "”मुलजिम "” बन के रह गए थे |

अब नीलकेनी के आने से अब इन्फोसिस मे पुनः संस्थान के वातावरन की वापसी होगी | काम को टार्गेट से नहीं नापा जाएगा | वरन काम मे सुधार और नयी तरक़ीबों को खोजने का अवसर मिलेगा | खास कर अमेरिका द्वरा वीसा नियमो मे बदलाव से कंपनी का वनहा का व्यापार प्रभावित हो रहा था | अब उस कठिनाई को पार पाया जा सकेगा |
भारतीय जनता पार्टी कभी गलत नहीं - अमित शाह ने अशांति का
जिम्मेदार जज को बताया

राम रहीम को यौन अपराध का दोषी सिद्ध होने के फैसले के निर्णय देने वाले जज को अब भारतीय जनता पार्टी के आद्यक्ष अमित शाह ने "”सारे हंगामे का दोषी बतया है -उन्होने कहा की झटटर सरकार ने बहुत कुछ किया "” | उनका कहना था की जब प्रशासन ने जज को बता दिया था की उनके भक्तो की बहुत भीड़ आएगी | इसलिए फैसले को ताल दिया जाये | परंतु जज ने सलाह की अनसुनी करते हुए ना तो फैसले की तिथि को ताला और ना ही स्थान बदला | अगर जगह और दिन बदला जाता तब भक्तो को रोका जा सकता था |

दिल्ली के अखबार मे छपी खबरों के अनुसार अमित शाह ने खत्तर सरकार का बचाव करते हुए अदालतों पर --सारी गड़बड़ की ज़िम्मेदारी बताई

उनके बयान को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश एसएस सेरू और जज सूर्यकांत तथा ज़ज़ अवनीश झींगन की फुल बेंच का फैसला और निर्देश भी हंगामे के कारण समझे जा सकते है | उन्होने "”स्पष्ट रूप से खत्तर सरकार पर राजनितिक स्वार्थ के लिए सरकार को गिरवी रख देने का एवं धारा 144 के बाद भी राम रहीम के समर्थको द्वारा पंचकूला को जलने के लिए छोड़ देने की निंदा किया | डीसीपी को निलंबित किए जाने से उस पर सारी ज़िम्मेदारी डालने के फैसले की भी भर्त्स्ना की | रविवार को फूल बेंच के सामने सुनवाई के समय देश के अतिरिक्त सॉलिसीटर सत्या पल जैन ने "””कहा की शांति व्यसथा राजी का विषय है -केंद्र इसमे क्या करे !! इस पर रुष्ट न्यायधीशों ने कहा की ''' मोदी जी सिर्फ बीजेपी के प्रधान मंत्री नहीं है -वे देश के प्रधान मंत्री है !! “”
केंद्र की बीजेपी सरकार की नीयत इससे स्पष्ट हो जाती है | की सत्तारूद पार्टी के नेताओ ने "” कह दिया है की खत्तर को नहीं हटे जाएगा ! अब ऐसी घटना जिसमे अरबों रुपयो लो संपत्ति नष्ट हो गयी हो – सैकड़ो वहाँ फूँक दिये गए हो --- चार प्र्देशों मे तोड़ - फोड़ का नंगा नाच हुआ हो --वह घटना केंद्र के ध्यान देने योगी नहीं है | हालांकि सरकारी मीडिया ने खबरों मे बाते की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा सलहकार अजित डोवाल समेत देर रात तक अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे !
सरकार का पाखंड निजता की याचिका की सुनवाई के समय अटार्नी जनरल की इस दलील से साफ हो जाता है जब उन्होने कहा "” की नागरिक का अपने शरीर पर भी पूरा हक़ नहीं है | फिर उसकी निजता कैसी ?? वह राज्य के अधीन है -राज्य ही उसका सम्पूर्ण रूप से मालिक है | उनकी दलील एक बार उन काले दिनो की याद दिला देते है जब सुलतानो और बादशाह केआर रहमो - करम पर उनकी प्रजा ज़िंदा रहती थी ! परंतु समय बदल गया - पर सोच अभी भी वही दक़ियानूसी - रासपुतिन की भांति ! वकते हुकूमत को अभी भी प्रजा -और नागरिक तथा शासन करने और राज़ करने का अंतर नहीं मालूम --इसी लिए भोपाल मे शाह जी ने अपने पार्टी सदस्यो को आश्वासन दिया था की हम अगले 5ओ साल तक राज़ करेंगे ! अब या तो उन्हे किसी भविष्य वक्ता ने कहा अथवा उन्हे चुनाव मशीन पर भरोसा है !
एक पोस्ट सोशल मीडिया पर आई है जिसमे व्यंग्य लिखा गया है की भारतीय जनता पार्टी कभी "”गलत नहीं होती "” या तो सरकार अथवा देश के लोग गलत होते है "! केंद्र की सरकार और सत्तारूद दलो द्वरा अब किस मुंह से कर्नाटका और बंगाल मे छुटपुट हिंसा पर सरकार का इस्तीफा मांगेगे ? वैसे बीजेपी मे तो कुछ भी हो जाये मंत्री इस्तीफा देता नहीं है – पूर्व शिवसेना के सदस्य रेल मंत्री प्रभु ने खतौली की घटना की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा प्रेसित तो कर दिया ! परंतु प्रधान मंत्री न्रे उनसे "” इंतज़ार करने को कहा "”
कुछ कुछ वैसा ही हरियाणा के मामले भी हो रहा
इंतज़ार करो और देखो ---कुछ मत करो