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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 15, 2021

 

नफरत और टकराव की राजनीति का दूसरा खंबा गिरा !! नेत्न्याहु


इसराइल में नेत्न्याहू सरकार का पतन और बेनेट का प्रधानमंत्री बनना , दुनिया की मौजूदा राजनीति में अत्यंत महत्वपूर्ण बदलाव हैं | मध्य एशिया में इस्राइल अपने पड़ोसी अरब मुल्को के निशाने पर हमेशा रहता आया हैं | वैसे सीरिया हो या ईरान अथवा यमन सभी स्थानो पर रहने वाले मुसलमान आपस में कबीले या स्थान की पहचान को लेकर खूनी लड़ाई में मशगुल हैं | यमन में आपस में जुझे है तो कुर्द और यजिदी आबादी भी सरकारी फौजों के दमन को दशको से सहते आ रहे हैं |

पर इस्राइल जैसे ताकतवर राष्ट्र , जो इस्लामी आतंक का एक जवाब जैसा बन गया था , और जिससे उसके सभी पड़ोसी "नफरत " करते रहे हैं | क्यूंकी वह फिलिस्तीनी और अरब लोगो का एक नंबर का दुश्मन बन गया था | वास्तव में वालफोर संधि , जो की दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहूदियो को उनके "”स्थान " को मित्र राष्ट्रो का वादा था | उसी के परिणाम स्वरूप जेरूसलम के आस पास का इलाका दुनिया के सभी यहूदियो का "”वतन " बन गया था | निर्माण से लेकर मिश्र और सीरिया तथा अन्य अरब राष्ट्रो के सामूहिक हमले में "””अपराजेय"” बन के निकलने के बाद सभी अरब देश इस्राइल से नफरत तो करते थे , पर उसकी जीत के बाद वे उससे नफरत करने लगे थे | जो पराजित पक्ष की मानसिकता होती हैं | पर अब लगता है की यह जातीय संघर्ष थम जाएगा | क्यूकी इस बार इस्राइल की सरकार में अरब भी भागीदारी कर रहे हैं |

नव निर्वाचित इस्राइली प्रधान मंत्री बेनेट के मंत्रिमंडल में चार सदस्यो वाली अरब लोगो की राजनीतिक पार्टी के शामिल होने से , आए दिन गाज़ा पट्टी में "”हमाश" जो की अरब सैनिक संगठन हैं , जो यहूदी राष्ट्र के वीरुध सतत लड़ाई लड़ रहा हैं | उसके रुख में अब परिवर्तन आने की आशा हैं | क्यूंकी अब नयी सरकार ने देश में शांति की कोशिस का एलान किया हैं | अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने , दुनिया के बड़े लोकतन्त्र राष्ट्र संयुक्त राज्य अमेरिका में गोरे और काले के भेद को और गहरा किया था | राष्ट्रपति लिंकन द्वरा काले लोगो को गुलाम बनाने पर हुए गृह युद्ध के बाद नीग्रो लोगो को दक्षिण के राज्यो ने इंसान तो माना पर सामाजिक और शासकीय स्तर पर उन्हे "”नागरिक नहीं माना "” मतदाता भी मानने में बहुत आनाकानी की | ट्रम्प ने --- मार्टिन लूथर किंग जूनियर के लाँग मार्च के बाद गोरे और काले लोगो के लिए अलग -अलग इंतेजाम को खतम किया | फिर भी क़ौम और रंग के आधार पर ट्रम्प के समर्थक – कहते रहे की "”” भगवान का रंग गोरा हैं "”! ट्रम्प को इस नफरत और टकराव की राजनीति का फाइदा भी मिला |

भारत में भी धरम के आधार पर इस्लाम के बंदो को सामाजिक और राजनैतिक तत्वो द्वारा उत्पीड़ित किया जाता रहा | यानहा तक की सरकारी स्तर पर भी उन्हे "”अलग - थलग "” किए जाने की कोशिस हुई हैं | हालत इतने खराब हैं की उनकी रिपब्लिकन पार्टी ने पता लगाया हैं की काले लोगो द्वरा वर्तमान राष्ट्रपति को वोट दिये जाने से ही ट्रम्प की पराजय हुई | अब उनकी पार्टी उन राज्यो में जनहा वह "”सत्तासीन है " वनहा संघीय पदो के लिए मतदान की प्रक्रिया को गरीब अफरो अमेरीकन लोगो के लिए इतना "”दुरूह "” बनाया जा रहा हैं की उनकी आबादी कम से कम वोट दाल सके ! जैसे भारत में भारतीय जनता पार्टी मुसलमानो को अपना निशाना इसलिए बनाती है की ----क्यूंकी वे बीजेपी को वोट नहीं देते | जैसा की बंगाल में हुए विधान सभा चुनावो में साफ हो गया , की 200 सीट जीतने का अमित शाह का दावा जब घट कर 70 पर अटक गया | अभी भी राम मंदिर के नाम पर संसद में 2 सीट वाली पार्टी से आज 300 से अधिक सांसदो वाली सरकारी पार्टी बन गयी |

दुनिया के देश आज ट्रम्प के फैसलो के कारण आज यू एस ए को "” लोकतंत्र "” राष्ट्र मानने से हिचक रहे हैं | जैसा की ब्रिटेन में हुए जी 7 राष्ट्रो की बैठक के दौरान लोगो ने प्रतिकृया दी थी | ऐसा ही विचार नाटो राष्ट्रो की बैठक में भी निकला | हालांकि रूस और चीन जैसे "”अधिनायकवादी राष्ट्रो "” द्वरा अल्प संख्यकों पर अत्याचार और मानव अधिकारो की अवहेलना तथा "” सरकारो द्वरा "” दूषित चुनाव प्रक्रिया "” से नागरिक अधिकारो की "”अवहेलना --- दुनिया के लोकतन्त्र और मानव अधिकारो के लिए चिंता का विषय हैं | आज अधिकतर देशो में चुनाव "” सत्ता "” के दुरुपयोग के आरोप से घिरे रहते हैं | एशिया हो या अफ्रीका इन महाद्वीपो के राष्ट्र --में सत्ता को पाने के लिए कनही चुनावो में गड़बड़ी तो कनही प्र्त्यशियों की हत्या अथवा अप हरण अक्सर देखने को मिलती हैं |


नफरत और जातीय अथवा रंग या धरम के आधार पर चुनाव जीतने वाले कभी भी अपने नागरिकों को "” समान नज़र "” से नहीं देखते | जब लोक तंत्र में विरोधी ---को दुश्मन मान लिया जाये तब गृह युद्ध अथवा खून खराबे ही परिणाम होता हैं | आजकल अमेरिका में जिस प्रकार ट्रम्प समर्थक दक्षिण पंथी लोग सिर्फ "”खुद को ही सर्व श्रेष्ठ मानते हैं "” जब जब यह धारणा किसी छेत्र में होगी तो लोकतन्त्र होते हुए भी वनहा हिनशा होगी |