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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 21, 2017

जीएसटी ना तो गुड है जनता के लिए और ना सेफ है सरकार के लिए – इसीलिए महालेखाकर को शुरू करनी पद रही जांच पूरी प्रक्रिया की और इसके तंत्र की भी ! शायद पहली बार हो रहा है की किसी कराधान के लागू होने के तीन माह मे ही केन्द्रीय आडिटर को जांच करनी पद रही है !




सामान्य तौर पर महालेखा परीक्षक किसी भी आय या -व्यय की जांच -परख बारह माह बाद करता है | परंतु मोदी सरकार के इस कदम से व्यापारी वर्ग की परेशानी और सरकार के फेल होते अनुमानित आय के आंकड़ो से ''देश की अर्थ व्यवस्था "” के संकट को देखते हुए लागू होने के तीन माह बाद ही इस "” उपाय या कराधान "” की वास्तविकता की जांच शुरू करने का फैसला किया है वस्तुतः महालेखा कार्यालय को मिलने वाली शिकायतों के अंबार को देखते हुए यह अप्रत्याशित निर्णय लह पड़ा है |

आम तौर पर साल के अंत मे खर्च -और व्यय की वैधानिकता की जांच करता है | परंतु मोदी सरकार के के वितता मंत्री जेटली जी के "”नवाचर"” से व्यापार और उद्योग जगत मे "”अनिवर्चनीय '' स्थिति उत्पन्न हो गयी है | इसी कारण यह जांच शुरू की गयी है |प्राथमिक तौर पर इस कराधान की प्रणाली के तकनीकी पहलू की "”सक्षमता "”को परखा जाएगा | जिसमे नेटवर्क की उपलब्धता और सुलभता दोनों को ही परखा जाएगा | जिसमे सर्वप्रथम कर की वसूली के लिए गठित ""सेट अप "" की सार्थकता के अलावा अन्य मुद्दो को भी जांच होगी | जैसे की बैंड विथ की छमता क्या प्रतिदिन आने वाले लाखो तख़मीनो को सम्हाल सक्ने लायक है -अथवा नहीं | दूसरा इसके लिए जो "”साफ्टवेयर '' है क्या वह इतने बोझ को सम्हाल सक्ने मे सक्षम है ?? साथ ही साथ डाटा की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दो की भी जांच की जाएगी | एक रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर की ''तकनीकी विशेषज्ञ"” तो माहालेखाकर के पास नहीं है ---तो सूत्रो ने बताया की बाहर से एक्सपर्ट को लिया जाएगा | जिससे यह निर्धारित किया जा सके की करदाताओ की शिकायत कितनी वास्तविक है और कितनी प्रक्रिया सम्मत तकलीफ़े है | चूंकि इस प्रणाली मे समस्त करी "”डिजिटल प्रक्रिया से है "”अतः सिस्टम की छमता और नेटवर्क की उपलब्धता अत्यंत ज़रूरी है | जिनकी जांच की जाएगी |

उधर पहली जुलाई से लागू इस टैक्स की पहली तिमाही के आंकड़े काफी "”निराशाजनक है "” केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सूत्रो के अनुसार क्रेडिट इन पुट की वापसी के लिए 65000 करोड़ के दावे व्यापारियो द्वरा लगाए जा चुके है | जबकि सरकार को इस तिमाही मे कूल प्राप्ति [इस मद से ] 95000करोड़ की होनी है | केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने भी इस मद मे 80000 करोड़ रुपये की कमी की आशंका व्यक्त की है |

जनहा तक नेटवर्क की छमता की बात करे तो टेलीकॉम रेगुलेटरी औथारिटी ऑफ इंडिया {{ट्राई }} द्वार संचार माध्यमों की कंपनियो से एक अक्तूबर से "” अच्छी गुणवत्ता ,,यानि बेहतर सिग्नल और कनेक्टिविटी मे सुधार "” के निर्देश दिये है | जीएसटी के रिटर्न दाखिल करने वालो की शिकायत है की "”ऑन लाइन "” काम करना मुश्किल हो रहा है | क्योंकि काल ड्राप और कनेकसन ना मिलने के कारण घंटो ''लगे रहना पड़ता है |

उधर सेलुलर ऑपरेटर एसोसियासन के राजन मैथ्यू ने ट्राई से छह माह का समय दिये जाने का आग्रह किया है | उन्के पत्र के अनुसार नए दिशा निर्देश के अनुसार काफी तकनीकी बदलाव करना होगा | जिसके लिए काफी श्रोतों की ज़रूरत पड़ेगी | साथ ही सभी संबन्धित लोगो से भी सलाह मशविरा करना होगा | हक़ीक़त मे ट्राई के नए निर्देशों के अनुसार '''काल ड्राप की गणना अब टावर से की जाएगी ''' अभी तक यह गणना सर्किल स्टार पर होती थी | जिसका छेत्र बहुत बड़ा होता था | टावर से काल ड्राप का आकडा सभी कंपनियो का कमजोर है | मेट्रो मे मोबाइल सेवा भले ही बेहतर हो परंतु नगरो और छोटे कस्बो मे उपभोक्ता सिर्फ "” चार्ज और रिचार्ज '' कर कर परेशान होते है है --और उपलब्ध डाटा का नियत समय मे उपयोग नहीं हो पता है |

Sep 18, 2017

बिट क्वाईन यानि की अनियंत्रित मुद्रा अर्थात सटटा और कालाबाजारी की क्रिप्टो करेंसी – आरबीआई की लक्ष्मी करेंसी !!

विश्व भर मे साइबर हमलो मे फिरौति के रूप मे मांगी जाने वाली मुद्रा -जिसके भुगतान को किसी भी प्रकार से पता नहीं लगे जा सकता की --यह किसके खाते मे पहुंची है ! आज जबकि चीन ऐसे महादेश ने इस मुद्रा के चलन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है | ऐसे मे रेज़र्व बैंक ऑफ इंडिया का यह निश्चय की भारत मे भी क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत की जाये ---- आश्चर्य जनक ही लगता है !

अभी हाल मे ही यूरोप के अनेक देशो मे सरकार और व्यापारिक संस्थानो के कार्यालयो के सिस्टम को '''बेकार '' कर देने वाले वाइरस के हमले की फिरौती इसी मुद्रा मे मांगी और भुगतान की गयी थी | अमेरिका और रूस समेत ब्रिटेन - जर्मनी मे कई डीनो तक लाखो कम्प्युटर का डाटा को "” इसटेमाल करने लायक नहीं रहने दिया गया था | इन सभी देशो की खुफिया एजेंसियो की लाख कोशिसों के बाद भी यह नहीं पता चल सका की "”ये हैकर कौन है "” | न्यूयार्क के स्टाक मार्केट मे संबन्धित संस्थानो के शेयर की खरीद--बिक्री स्थगित कर दी गयी थी |

अमेरिका की ख्यात वित्तिय संस्थान और बैंक जे पी मॉर्गन और कई अन्य संस्थानो ने इस मुद्रा को स्वीकार नहीं करने का फैसला विगत सप्ताह ही किया | उनके विश्लेषण के अनुसार यह मुद्रा उन धंधो मे निवेश का काम करती है जिनहे वित्तीय बाज़ार से क़र्ज़ नहीं मिल सकता है | उनके अनुसार इस मुद्रा का चलन जल्दी ही समाप्त हो जाएगा | उनके मतानुसार जिस मुद्रा का नियंत्रण किसी ''सेंट्रल बैंक '' द्वरा नहीं हो उसके चलन की संख्या और मूल्य का अनुमान नहीं लगे ज़ सकता है | उन्होने इसकी बढती या घटती का पता नहीं लगे जा सकता है |

आज जब भारतीय अर्थ व्यवस्था कमजोर है ऐसे मे क्रिप्टो करेंसी को बाज़ार मे उतारना --नोटबंदी के बाद उसके परिणामो की उम्मीद की असफलताओ को देखते हुए ''दुस्साहस '' ही कहा जाएगा '' | वैसे ही मोदी सरकार जीएसटी के दूसरे वित्तीय कदम को लेकर अनिश्चित काहल रही है | सूत्रो के अनुसार अगस्त से अब तक केंद्र को इस मद मे 85 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई है | परंतु उत्पादको और व्यवापारियो ने 65 करोड़ की राशि के "”वापसी भुगतान '''के दावे सरकार को दिये है | जिनको लेकर मंत्रालय के अधिकारी राजस्व की किल्लत का अनुमान लगा रहे है | जीडीपी मे विगत तीन सालो मे सर्वाधिक निचले स्तर पर यानि 5% पर पहुँच गयी है | जो अब तक के दस वर्षो का न्यूनतम है | ऐसे मे आरबीआई का यह नया प्रयोग कनही हमारी मुद्रा को अवमूल्यन के निचले धरातल पर ना पहुंचा दे --ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है |
बिट क्वाईन यानि की अनियंत्रित मुद्रा अर्थात सटटा और कालाबाजारी की क्रिप्टो करेंसी – आरबीआई की लक्ष्मी करेंसी !!

विश्व भर मे साइबर हमलो मे फिरौति के रूप मे मांगी जाने वाली मुद्रा -जिसके भुगतान को किसी भी प्रकार से पता नहीं लगे जा सकता की --यह किसके खाते मे पहुंची है ! आज जबकि चीन ऐसे महादेश ने इस मुद्रा के चलन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है | ऐसे मे रेज़र्व बैंक ऑफ इंडिया का यह निश्चय की भारत मे भी क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत की जाये ---- आश्चर्य जनक ही लगता है !

अभी हाल मे ही यूरोप के अनेक देशो मे सरकार और व्यापारिक संस्थानो के कार्यालयो के सिस्टम को '''बेकार '' कर देने वाले वाइरस के हमले की फिरौती इसी मुद्रा मे मांगी और भुगतान की गयी थी | अमेरिका और रूस समेत ब्रिटेन - जर्मनी मे कई डीनो तक लाखो कम्प्युटर का डाटा को "” इसटेमाल करने लायक नहीं रहने दिया गया था | इन सभी देशो की खुफिया एजेंसियो की लाख कोशिसों के बाद भी यह नहीं पता चल सका की "”ये हैकर कौन है "” | न्यूयार्क के स्टाक मार्केट मे संबन्धित संस्थानो के शेयर की खरीद--बिक्री स्थगित कर दी गयी थी |

अमेरिका की ख्यात वित्तिय संस्थान और बैंक जे पी मॉर्गन और कई अन्य संस्थानो ने इस मुद्रा को स्वीकार नहीं करने का फैसला विगत सप्ताह ही किया | उनके विश्लेषण के अनुसार यह मुद्रा उन धंधो मे निवेश का काम करती है जिनहे वित्तीय बाज़ार से क़र्ज़ नहीं मिल सकता है | उनके अनुसार इस मुद्रा का चलन जल्दी ही समाप्त हो जाएगा | उनके मतानुसार जिस मुद्रा का नियंत्रण किसी ''सेंट्रल बैंक '' द्वरा नहीं हो उसके चलन की संख्या और मूल्य का अनुमान नहीं लगे ज़ सकता है | उन्होने इसकी बढती या घटती का पता नहीं लगे जा सकता है |

आज जब भारतीय अर्थ व्यवस्था कमजोर है ऐसे मे क्रिप्टो करेंसी को बाज़ार मे उतारना --नोटबंदी के बाद उसके परिणामो की उम्मीद की असफलताओ को देखते हुए ''दुस्साहस '' ही कहा जाएगा '' | वैसे ही मोदी सरकार जीएसटी के दूसरे वित्तीय कदम को लेकर अनिश्चित काहल रही है | सूत्रो के अनुसार अगस्त से अब तक केंद्र को इस मद मे 85 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई है | परंतु उत्पादको और व्यवापारियो ने 65 करोड़ की राशि के "”वापसी भुगतान '''के दावे सरकार को दिये है | जिनको लेकर मंत्रालय के अधिकारी राजस्व की किल्लत का अनुमान लगा रहे है | जीडीपी मे विगत तीन सालो मे सर्वाधिक निचले स्तर पर यानि 5% पर पहुँच गयी है | जो अब तक के दस वर्षो का न्यूनतम है | ऐसे मे आरबीआई का यह नया प्रयोग कनही हमारी मुद्रा को अवमूल्यन के निचले धरातल पर ना पहुंचा दे --ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है |
बिट क्वाईन यानि की अनियंत्रित मुद्रा अर्थात सटटा और कालाबाजारी की क्रिप्टो करेंसी – आरबीआई की लक्ष्मी करेंसी !!

विश्व भर मे साइबर हमलो मे फिरौति के रूप मे मांगी जाने वाली मुद्रा -जिसके भुगतान को किसी भी प्रकार से पता नहीं लगे जा सकता की --यह किसके खाते मे पहुंची है ! आज जबकि चीन ऐसे महादेश ने इस मुद्रा के चलन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है | ऐसे मे रेज़र्व बैंक ऑफ इंडिया का यह निश्चय की भारत मे भी क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत की जाये ---- आश्चर्य जनक ही लगता है !

अभी हाल मे ही यूरोप के अनेक देशो मे सरकार और व्यापारिक संस्थानो के कार्यालयो के सिस्टम को '''बेकार '' कर देने वाले वाइरस के हमले की फिरौती इसी मुद्रा मे मांगी और भुगतान की गयी थी | अमेरिका और रूस समेत ब्रिटेन - जर्मनी मे कई डीनो तक लाखो कम्प्युटर का डाटा को "” इसटेमाल करने लायक नहीं रहने दिया गया था | इन सभी देशो की खुफिया एजेंसियो की लाख कोशिसों के बाद भी यह नहीं पता चल सका की "”ये हैकर कौन है "” | न्यूयार्क के स्टाक मार्केट मे संबन्धित संस्थानो के शेयर की खरीद--बिक्री स्थगित कर दी गयी थी |

अमेरिका की ख्यात वित्तिय संस्थान और बैंक जे पी मॉर्गन और कई अन्य संस्थानो ने इस मुद्रा को स्वीकार नहीं करने का फैसला विगत सप्ताह ही किया | उनके विश्लेषण के अनुसार यह मुद्रा उन धंधो मे निवेश का काम करती है जिनहे वित्तीय बाज़ार से क़र्ज़ नहीं मिल सकता है | उनके अनुसार इस मुद्रा का चलन जल्दी ही समाप्त हो जाएगा | उनके मतानुसार जिस मुद्रा का नियंत्रण किसी ''सेंट्रल बैंक '' द्वरा नहीं हो उसके चलन की संख्या और मूल्य का अनुमान नहीं लगे ज़ सकता है | उन्होने इसकी बढती या घटती का पता नहीं लगे जा सकता है |

आज जब भारतीय अर्थ व्यवस्था कमजोर है ऐसे मे क्रिप्टो करेंसी को बाज़ार मे उतारना --नोटबंदी के बाद उसके परिणामो की उम्मीद की असफलताओ को देखते हुए ''दुस्साहस '' ही कहा जाएगा '' | वैसे ही मोदी सरकार जीएसटी के दूसरे वित्तीय कदम को लेकर अनिश्चित काहल रही है | सूत्रो के अनुसार अगस्त से अब तक केंद्र को इस मद मे 85 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई है | परंतु उत्पादको और व्यवापारियो ने 65 करोड़ की राशि के "”वापसी भुगतान '''के दावे सरकार को दिये है | जिनको लेकर मंत्रालय के अधिकारी राजस्व की किल्लत का अनुमान लगा रहे है | जीडीपी मे विगत तीन सालो मे सर्वाधिक निचले स्तर पर यानि 5% पर पहुँच गयी है | जो अब तक के दस वर्षो का न्यूनतम है | ऐसे मे आरबीआई का यह नया प्रयोग कनही हमारी मुद्रा को अवमूल्यन के निचले धरातल पर ना पहुंचा दे --ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है |

Sep 16, 2017

महाराष्ट्र सरकार की "”बेगारी "”करते प्राथमिक और माध्यमिक शालाओ के शिक्षक !! शिवाजी की मूर्ति के लिए अरबों खर्च पर शिक्षको के वेतन के लिए आवंटन नहीं ??

26 जनवरी 1950 से देश मे संविधान लागू होने के पश्चात बिना "”पारिश्रमिक का भुगतान किए किसी भी स्त्री या पुरुष से काम लेना ''प्रतिबंधित'' हो गया है | बिना पारिश्रमिक के भुगतान के काम लेने की प्रथा आज़ादी के पूर्व राजे - रजवादो मे और जमींदारो या तालुकेदारों के इलाके मे प्रचलित थी ----”””इसे बेगार "” कहा जाता था | अर्थात बिना मूल्य की सेवा ! परंतु क्या सत्तर साल बाद भी कोई व्यक्ति --- संस्था या संगठन किसी से बेगार ले सकता है ?? अधिकतर लोगो का उत्तर होगा नहीं | परंतु महाराष्ट्र सरकार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयो के हजारो शिक्षको से ''वर्षो से बेगार मे अध्यापन  करा रही है ! “ यश कोई नया फैसला नहीं है | वरन वनहा के शासन की अंधेरगर्दी और राज़ नेताओ की अनदेखी का ही परिणाम है की ----ऐसे हजारो शिक्षक वर्षो से जी हा दासियो साल से शोषण के इस सरकारी तरीके मे पिस्ते चले आ रहे है | आश्चर्य की बात तो यह है की "””जागरूक कहा जाने वाला मीडिया भी इस शोषण की की या तो अनदेखी करता रहा अथवा इन गावों के स्कूल मे अध्यापन करने वाले इन हजारो स्त्री --पुरुषो की व्यथा को आँख मूँद कर देखता रहा !! जन कल्याण की बड़ी - बड़ी योजनाओ की बात करने वाले काँग्रेस – भारतीय जनता पार्टी --शिव सेना और नेश्नल काँग्रेस पार्टी उदासीन बनी रही ??


देश के विकसित राज्यो मे एक ---जिसकी प्रति व्यक्ति आय भी सर्वाधिक है ----परंतु वह अपने शिक्षको को सालो -साल यानहा तक दस साल तक बिना वेतन के काम करने पर मजबूर कर रहा है | कौन बनेगा करोड़पति के टीवी कार्यक्रम मे लातूर से आई शिक्षिका ने अमिताभ बच्चन द्वरा पूछे जाने पर बताया की वह प्रतिदिन 45 किलो मीटर दूर विद्यालय मे पदाने के लिए जाती है | एवं वह यह कारी विगत चार वर्षो से कर रही है | परंतु उसे आजतक उसके अध्यापन करी के लिए कोई भी पारिश्रमिक नहीं मिला !! वेतन भुगतान अधिनियम के अनुसार महाराष्ट्र सरकार विदर्भ छेत्र के ज़िलो मे प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयो मे अध्यापन कर रहे हजारो अध्यापको को बिना वेतन काम करने पर मजबूर होना पद रहा है |

गौर तलब है की वेतन भुगतान अधिनियम के अनुसार "””किसी भी अप्रशिक्षित या अकुशल कामगार का न्यूनतम वेतन 15000/- प्रतिमाह है | परंतु "”अवैतनिक रूप से "” काम करने पर मजबूर करने के लिए क्या श्रम विभाग महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग को नोटिस देगा ?? अथवा इन हजारो "”बेगार "” कर रहे अध्यापको को उनका पारिश्रमिक का भुग तन हो सकेगा ??
लातूर ज़िले के एक तालुका मे अध्यापन कर रही श्रीमति जाधव ने बताया की "””सरकार द्वरा अनुदान मिलने पर भी शिक्षको को प्रथम वर्ष "”वेतन का मात्र 20 प्रतिशत ''ही दिया जाता है | जो अगले चार वर्षो मे क्रमशः शत प्रतिशत भुगतान के लायक होते है !!! उनके कथन के अनुसार स्कूल के दीगर खर्चो के लिए तो अनुदाम मिलता है ------परंतु शिक्षको के वेतन के लिए धन का आवंटन नहीं किया जाता है !! श्रीमति जाधव ने बताया की बिना वेतन के काम करने के लिए भी उन्हे प्रतिदिन 45 किलो मीटर जाने और वापस आने के लिए 140 रुपये ख़रच करने पड़ते है !! एक तो वेतन नहीं दूसरे अपना धन व्यय करके प्रतिदिन "””ड्यूटी "” करो !!

क्या इसी व्यवस्था से महाराष्ट्र सरकार"”” बेटी बचाओ और बेटी पदाओ ''' कार्यक्रम को पूरा करेगी ?? अचरज इस बात का है की छोटी - छोटी बाटो और मसलो पर हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर करने वाली संस्थाये भी इस "”बेगार ''' की प्रथा पर मौन है सो गयी है ? क्यो ? क्या सरकार इस घोर विसंगति की ओर ध्यान देकर इसमे सुधार करेगी ? दस दस साल गा ? से शिक्षा दे रहे इन अध्यापको के वेतन का भुगतान किया जाए

Sep 12, 2017

व्हाट्स अप्प पर आने वाले कुछ सवाल और उनमे कुछ तो स्वयं ही प्रश्न और उत्तर दोनों ही हल करके "” मनचाहा निष्कर्ष भी निकाल देते है _--वस्तुतः या तो हमारी राजनीति तथ्य और तर्क विहीन हो रही है अन्यथा चैनलो पर बहस की जगह चिलल पो नहीं होती |कुछ ऐसे ही उदाहरणो पर एक नज़र


अभी हाल ही मे एक सज्जन की पोस्ट पढी जिसमे उन्होने स्वतन्त्रता संग्राम मे काँग्रेस के योगदान और गांधी परिवार की लूट तथा उनकी कुर्बानी को नकारते हुए निष्कर्ष दिया था की गांधी परिवार ने कुछ नहीं किया |

सवाल था की आरएसएस या बीजेपी को हिन्दुओ का नेता बन्ने का हक़ किसने दिया ? इस पर कोई मेंजी सज्जन है उनकी तरफ से पोस्ट लिखी गयी थी ----- अब यह अकाउंट वास्तविक व्यक्ति का है अथवा फर्जी इस बारे मई कुछ नहीं कह सकता हूँ | बहरहाल जो भी हो कोई ना कोई तो प्रश्नकर्ता होगा | अब वह साहस करके सामने नहीं आ सकते तो यह उनकी समस्या है | या उनका नकाब पहन कर बोलने का इरादा है | यह वे ही जाने |

फिलहाल बात यह है की आज़ादी की लड़ाई मे मे काँग्रेस के योगदान को कौन सावल कर सकता है ?? वैसे तो सभी भारतीय इस हक़ के अधिकारी है | अब जिनहोने उस इतिहास को देखा या पड़ा नहीं उनको इस श्रेणी से बाहर जाना होगा | क्योंकि सावल पूछने से पहले "””””प्रारंम्भिक ज्ञान या जानकारी होना ज़रूरी है | देश की आज़ादी की पहली लड़ाई 1857 मे हुई जो मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के नेत्रत्व मे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुई | उस लड़ाई का परिणाम भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया | काँग्रेस ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्वतन्त्रता की मुहिम शुरू किया -----और अंततः 15 अगस्त 1947 को देश ब्रिटिश उपनिवेश से ''एक राष्ट्र '' के रूप मे उदित हुआ |परंतु हाउस ऑफ कामन्स से पारित विधि ने इस देश को दो भागो मे विभाजित कर दिया | जिनमे एक भारत बना और दूसरा पाकिस्तान | लार्ड माउन्टबैटन ने 14 अगस्त को कराची मे और 15 अगस्त को दिल्ली मे आज़ादी का घोसना पत्र पड़ा |

इस आज़ादी की लड़ाई मे काँग्रेस प्रधान भागीदार थी | कुछ संगठन हिंसा के बल पर देश को आज़ादी दिलाने के पक्षधर थे | इनमे भगत सिंह और चंद्र शेखर आज़ाद बटुकेस्वर दत्त असफक़ुल्लह खान आदि सैकड़ो नाम और दासियो क्रांतिकारी संगठन थे | परंतु महात्मा गांधी केवल अहिंसा के मार्ग से आज़ादी चाहते थे | हिन्दू महा सभा और ऐसे कुछ संगठन महात्मा के खिलाफ थे | वस्तुतः वे देश और समाज मे बदते उनके प्रभाव से चिंतित थे | क्योंकि महात्मा छुआछूत उन्मूलन - नारी को शिक्षा तथा समान अधिकार के पक्षधर थे | मुख्यतः समाज मे सभी धर्म और ज़ाति तथा वर्ग के लोग बराबर है उनका यह मानना था | विरोध करने वालो मे हिन्दू महा सभा – और वाराणसी के साधु स्वामी करपात्री जी महराज़ तथा कुछ संगठन गाय को वेदिक [[[[जिसे साधारण ज़न हिन्दू कहते है ]]] धर्म की परम्पराओ को लेकर उनके विरोधी थे | परंतु देश के हिन्दू और मुसलमान तथा सिख-- ईसाई सभी समुदाय का बहुसंख्यक उनका अनुयाई था |

क्या आज यह अधिकार आरएसएस या बीजेपी के पास है ? जिनहोने आज़ादी की लड़ाई मे एक बूंद लहू भी नहीं बहाया और उल्टे अंग्रेज़ो की मदद की | सामाजिक संगठन के रूप मे अपनी पहचान बताने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संगठन के राजनीतिक सरोकार कितने गहरे और व्यापक है इस बारे मे भी बहस हो सकती है परंतु अभी नहीं | संघ ने सत्ता पर कब्जा करने के लिए श्यामा प्रसाद के नेत्रत्व मे जनसंघ पार्टी का गठन किया | यह साम्यवादियों की भांति काड़र आधारित पार्टी थी | जिसमे संघ के लोगो का ही वर्चस्व है |
अब बात करे आज़ादी की लड़ाई मे कुर्बानी की --- क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कोई नेता इस सघर्ष मे "””बलिदान हुआ ???
इसके उत्तर मे काँग्रेस के दो प्रधान मंत्रियो की हत्या देशद्रोहियों द्वरा की गयी --- इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी !! क्या यह कुर्बानी नहीं है ?? क्या सोशाल मीडिया मे सवाल करने वाले बताएँगे की उन्होने कितना देश के लिए प्राण उत्सर्ग किया ??
60 साल की लूट का आरोप लगाने वाले सज्जन बताए की क्या अब तक मोदी सरकार क्यो नहीं पकड़ सकी ?? अगर लूट हुई थी |
गांधी और गांधी ---- महात्मा गांधी गुजराती -वैश्य समुदाय से थे ---- जिस से सौभाग्य से या दुर्भाग्य से बीजेपी के मुखिया अमित शाह आते है | फिरोज गांधी पारसी -अब यह कैसे हुआ यह कहना मुश्किल है | वैसे संयुक्त प्रांत {{ उत्तर प्रदेश का नाम ]] के प्रथम भारतीय राज्यपाल का नाम भी होमी मोदी था | उनके पुत्र पिलु मोदी संसद सदस्य थे स्वतंत्र पार्टी से ----- वे पारसी थे !! अब नकली कौन है जो 1947 मे राज्यपाल था या जो 2017 मे प्रधान मंत्री ??
एक स्थान मे अमित शाह जी ने तो महात्मा को '''चतुर बनिया '' कह कर अपने संस्कार का परिचय दे दिया था | मुझे नहीं यास आता की की किसी बड़े नेता ने डॉ हेड़गेवार या गोलवलकर जी को '''इस तरह अपमानित '''किया हो ??
हक़ीक़त यह है की स्वतन्त्रता संग्राम मे एक खरोंच भी नहीं खाने वाले आज गांधी परिवार को वंशवाद का आरोप लगा रहे है | क्या बीजेपी के केंद्रीय नेताओ के पुत्रो की पार्टी और राज्य सरकारो मे स्थिति का भी खुलाषा करना होगा ??

अनुमान है की जिन सज्जन ने सोश्ल मीडिया मे ये सवाल उठाए थे उनमे काफी हद तक जवाब देने की कोशिस की है -------उन्हे संतुष्ट करना ना तो मेरा मक़सद है ना ही इरादा

Sep 9, 2017

गौरी को सुरक्षा क्यो नहीं दी गयी -रविशंकर केन्द्रीय मंत्री |||||| यह कैसे संभव है --जब तक निगरानी मे ना रखा जाये ??

माननीय विधि मंत्री भारत सरकार रविशंकर जी का यह बयान कुछ अटपटा लगा | सरकार मे रहने का अनुभव है उन्हे संजीदा व्यक्ति है ---उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी | सिर्फ बोलने के लिए कुछ भी बोल देंगे | व्यक्तियों की सुरक्षा के मौज़ुदा नियमो के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को ''परिसहाय '' मिलते है जिनका चयन सेना और पुलिस के अधिकारियों से किया जाता है | इन्हे आम लोग बाडीगार्ड कहते है | NSG Act के अनुसार देश के प्रधान मंत्री को सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी --अर्थात तीन घेरे का चक्र सुलभ कराया जाता है | वे जनहा भी जाते है उस जगह को ''पूरी तरह से '''निरापद'' किया जाता है | शेस मंत्रियो को ब्लू बूक के अनुसार सुरक्षा सुविधा दी जाती है |सांसद और विधायको को भी निशुल्क सुरक्षा के तहत शैडो दिये जाते है | इस श्रेणी के लोगो को सिर्फ सूचित किया जाता है की उन्हे यह सुरक्षा चक्र उपलब्ध है

रविशंकर जी का यह कथन की प्रदेश सरकार ने गौरी को क्यो नहीं सुरक्षा सुलभ कराई ?? ब माननीय मंत्री जी बता दे की "”बिंन मांगे किसी को सुरक्षा सुलभ कराई जा सकति है ?? मेरे अनुमान से सुरक्षा तो नहीं लेकिन पुलिस को "”” उसका पीछा करने को कहा जा सकता है | जैसा की ''संदिग्ध लोगो के साथ किया जाता है "” सबूत एकत्र करने के लिए उनके क्रिया -कलापों पर नज़र रक्खी जाती है | अब गौरी लंकेश शासन [[कर्नाटक सरकार की नजरों मे तो ये ऐसी नहीं थी की उनकी गतिविधियो पर 24 घंटे नज़र रखी जाती | अब सरकार अपनी ओर से किसी को निगरानी तो करा सकती है | पर शैडो को लेकर चलने पर मजबूर नहीं कर सकती | तब केन्द्रीय विधि मंत्री का बयान सरकार की ओर से नहीं वरन पार्टी संगठन की ओर से दिया गया बयान अधिक लगता है |


अन्य लोगो को शान के लिए भी "” शैडो '' या परछाई के रूप मे पुलिस जन को सुरक्षा चाहिए | सांसद और विधायक के अलावा भी बहुत से लोग राज्य से सुरक्षा की '''मांग '' करते है | ज़िलो मे नेता चाहे वे सहकारिता के छेत्र के हो अथवा जिलपरिषद या नगर निकायो के हो वे भी ठसक के लिए पुलिस वाले को साथ रखना चाहते है | उन्हे सरकार उपलब्ध भी करती है | इधर सरकार ने सुरक्षा के नाम पर पुलिस के लोगो की सेवाए देने के लिए कुछ भुगतान किए जाने की शर्त बना दी है | वारिस्थ अधिकारियों का कहना है की ''बेवजह लोगो मे अपने को महत्वपूर्ण सिद्ध करने के लिए ''परछाई "” लेकर चलते है | ऐसे लोग राजनीतिक पहुँच के कारण अफसरो के लिए सरदर्द बन जाते है | इस आदत को नियंत्रित करने के लिए ही भुगतान पर सुरक्षा का नियम ईज़ाद किया है |

Sep 6, 2017

गौरी तुम्हारी तो हत्या होनी ही थी -क्योंकि तुम्हारे नाम मे लंकेश
था


क्योकि यह बहादुर लोग [जिनहोने आपकी हत्या की } अपने को
मर्यादा पुरुषोतम की संसक्राति का रखवाला मानते है | एवं रावण का वाढ तो राम ने किया था --यह तो रामचरित मानस और बाल्मीकी की रामायण बताती है | फिर राम के भक्त ----तो ''लंकेश '' की हत्या का पुण्य तो बटोरेंगे ही ! क्योंकि रावण का एक संबोधन तो ''लंकेश '' भी था !!
सोलह पन्नो की साप्ताहिक पत्रिका "” लंकेश पत्रिके "” की संपादक की बर्बर हत्या – ने यह तो इंगित कर ही दिया की आज देश मे '' अभिव्यक्ति "” की आज़ादी खतरे मे है | जो नेता और लोग निव्र्त्मान उप राष्ट्रपति हमीद अंसारी के बयान "” मुस्लिम देश मे सहमा हुआ है "” को बकवास बता रहे थे उनमे केंद्र के मंत्री भी थे __- आज उनसे पूछा जाना चाहिए की "' मुस्लिम तो छोड़ो अब तो "” राम '' के रखवालों को ''लंकेश नाम से भी नफरत थी ---इसलिए '''कायरना हरकत करते हुए निहथे पर गोली चला दी "”! \ यह उन लोगो की भावना और कामना हो सकती है जो भारत देश मे एक भगवान और -एक ही विचार चाहते है !! जैसा की हिटलर ने नाजी जर्मनी मे सभी को फौजी वर्दी पहना कर एक करने की कोशिस की थी |

इन लोगो का ज्ञान कितना अधूरा है अपने देश की सभ्यता की विविधता का | मौजूदा वेदिक धर्म {{ जिसे कुछ ज्यादा ज्ञानवन और समझदार हिन्दू धर्म कहते है --हालांकि वे एक भी ऐसा ग्रंथ दिखा सक्ने मे समर्थ नहीं है जो 500 साल पूर्व का हो }}}} को वर्तमान स्वरूप देमे वाले आदिगुरु शंकराचार्य ने आज से 1400 साल पूर्व हमारे धर्म की विविधता का स्वीकार करते हुए वैष्णव और शाक्त दोनों को धर्म पारायण माना || परंतु वर्तमान मे "”धर्म के रक्षक "” सिर्फ राम और वैष्णव तथा शाकाहार "” को देश का एकमात्र मार्ग नियत करने की ज़िद्द कर रहे है | शास्त्रार्थ और बहस से विरत रहने वाले इन महान विद्वानो से प्रश्न नहीं पूछा जा सकता ---क्योंकि वह अवज्ञा होता है और सवालो के जवाब देने मे इनकी कोई रुचि नहीं क्योंकि वे उत्तर देने मे असमर्थ है | इसलिए अहिंसक शास्त्रार्थ का जवाब हिंशा अथवा भीड़ होती है |

विगत कुछ समय से समाज को असहज करने के लिए उल- जलूल कथन को सोशल मीडिया पर "””प्र्माणित तथ्य'' के रूप मे पेश किया जा रहा है | उदाहरण के लिए ''इस्लाम '' को ये मजहब नहीं मानते है वरन उसे ''दिनचर्या "” बताते है !! अब इनहि के नेता सार्वजनिक अवसरो पर कह चुके है की हिन्दू कोई धर्म नहीं है "” वरन जीवन व्यतीत करने का तरीका है "” अब दोनों मे क्या अंतर है !! इसका जवाब ये ''विद्वान'' नहीं देंगे !

6 सितम्बर की रात्रि को जिस कायरना तरीके से बंगलोर मे गतरी लंकेश की "”अज्ञात हत्यारो द्वरा गोली मारी गयी - वह पहला वाकया नही था | कर्नाटक मे दो वर्ष पूर्व कलिबुर्गी जैसे लेखक और तर्कशास्त्री की भी गोली मारकर हत्या की गयी थी | गौरी का मामला उसिकी पुनरावरती है | हालांकि कलिबुर्गी के हत्यारे आज भी पकड़े नहीं जा सके है --और एक और व्यक्ति की बालि उनही शक्तियों द्वरा ले लि गयी है |

पूना मे भी धाभोलकर की हत्या भी ऐसे ही तत्वो द्वरा की गयी थी जो लोकतान्त्रिक तरीको मे विश्वास नहीं रखते है |

भारतीयम आपको सलाम करता है गौरी और आप के विचारो को हिंशा से दबाया नहीं जा सकता है |