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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 7, 2013

सोम और सोमरस का रहस्य

सोम  और सोमरस का रहस्य ?
                                            ऋग्वेद  से लेकर  अनेक उप  वेदो और  और यज्ञ के कर्मकांडो  के संदर्भ मे ''सोम''  एवं सोमरस का ''' वर्णन आया हैं | परंतु संभवतः वेदो मे लिखे संकेतो को पर्याप्त रूप से समझ न सक्ने के कारण इसे  अनेक रूपो मे   परिभाषित  किया गया हैं |ऋग्वेद  की रिचाओ मे  भी अनेकानेक स्थानो मे ""सोम"" की महिमा  गायी गयी हैं | उसे  बल - बुद्धि प्रदान करने वाला  कहा गया हैं | यज्ञ  मे   बलि देने के अवसर पर विशेस रूप से इसका वर्णन किया गया हैं | जंहा आवाहन  किए गए देवता को प्राषण्ण करने के लिए  यह उन्हे  आरपीत की जाती थी , वंही    ''होता''उदगता'' एवं यज्ञ मे लगे हुए सभी  ब्रांहणों द्वारा सेवन किए जाने का वर्णन हैं | 

ऋग्वेद  के प्रथम मण्डल के 15 वे  सूक्त मे  ऋषि मेघा तिथि  ने ग्यारह  देवताओ की अभ्यर्थना  करते हुए सोमरस  प्रस्तुत किए जाने वरनाना किया हैं | इसमे कह गया हैं की "" इंद्र सोमरस का पान करे और उनकी सतुष्टि से जो बुँदे  प्राप्त हो वे आराधक की मनोकामना पूरी करे । इस के आगे 22वे सूक्त मे भी ऐसी ही कामना की गयी हैं 

                     यज्ञ मे ॐ सोमाय नमः  संभवतः ईश्वर  की परिकल्पना थी , जिनको आहुती दी  जाती थी |  शास्त्रो के अनुसार  ''धर्म  मेघ  समाधि मे  प्राप्त  दैविक् अनुभूति  को भी ''सोम '' कहा गया हैं | यह समाधि  वेदो और शास्त्रो के गहन अध्ययन  और ''अषटागिक् योग दर्शन   के उपरांत ही योगी को प्राप्त होती थी |  जो सोमरस  का पान करता था | 
                                           वैसे कुछ पश्चिमी विद्वानो ने  सोमरस को  ''सोमलता '' के अर्क़ के रूप मे माना हैं | जिसका वानस्पतिक नाम संभवतः ईपीएचईडीआरए  इपेधर | इसे विज्ञान ने माना हैं की  यह एक बलवर्धक  औषधि  हैं  ,जो मानव के सभी अंगो की  छमता को    बढा| देता हैं | इसे पेट संबंधी  एवं श्वसन  संबंधी  बीमारियो मे  दवा  के रूप मे इस्तेमाल किया जाता हैं |  इन तथ्यो कए बावजूद  अभी यह बात आधिकारिक रूप से नहीं काही जा सकती की """सोम''' कौन सी वनस्पति हैं ? जैसे सिंधु घाटी  की सभयता की लिपि पर विद्वान एक मत नहीं हैं उसी प्रकार ''सोम'' पर भी अभी विवाद हैं