भारत जोड़ो
यात्रा का भविष्य
कोरोना सरकारी बनाम यात्रा
असरकारी
देश में अचानक से जिस प्रकार कोरोना महामारी
नियंत्रण की “” मोक ड्रिल “” सभी परदेशो में की जा रही हैं ----- उतनी तत्परता
मोदी सरकार ने तब नहीं दिखाई थी जब दिल्ली
में और उत्तर प्रदेश में ऑक्सीज़न की कमी से लोग मर रहे थे | एवं दिल्ली के डाक्टर अपने अस्पतालो में ऑक्सीज़न सिलेन्डर के अभाव में तिल – तिल कर मौत के मुंहा में जा रहे मरीजो की जान नहीं बचा पाने के
लिए “ रोते हुए देखा गया था “” ! केंद्र सरकार द्वरा एकदम से जिस प्रकार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दिल्ली में पहुँचने पर जिस प्रकार का जनता – जनार्दन ने स्वगत किया
और लालकिले पर राहुल के भाषण पर लोग एकत्र
हुए , शायद उसे सत्ता ने अपने लिए खतरे का संकेत स्वीकार किया ! संभवतः इसी
कारण से राजनीति के कुछ हालको में यह संभावना
व्यक्त की जा रही हैं की सरकार यात्रा को अब
दिल्ली से श्रीनगर की ओर जाने नहीं देगी !
कारण हैं की अगर राहुल श्रीनगर में झण्डा फहरा देते हैं --- तब देश और विदेशो में मोदी सरकार
की “”साख”” गिर जाएगी | दूसरा
कश्मीर में आतंकवाद की हक़ीक़त भी सामने आ जाएगी |
ऐसा शायद
इसलिए हुआ होगा ,क्यूंकी यात्रा में राहुल के साथ
चलने वालो में 90% लोग काँग्रेस के सदस्य नहीं थे | वे लोग इन्दिरा
गांधी के पोते को , जिसे बीजेपी और आरएसएस की प्रचार मंडली ने “”पप्पू
“” बता रखा था ---- उस छवि को सर्दी
में भी टी शर्ट पहन कर रोज 30 किलोमीटर
पैदल चलता हुआ देख कर -- कुप्रचार को नकार दिया | अब सड़क पर चाय की दुकानों पान के ठेलो पर
चर्चा यह हो रही थी की “ यार यानहा हम ठंडा
में सिकुड़े जा रहे हैं और यह बंदा ते शर्ट में चलता ही जा रहा है ! “ इतना ही नहीं लोगो को यह जान कर भी आश्चर्य हो रहा था की जिसे
“ बड़े घर की बिगड़ी संतान “ बताया जा रहा था – वह तो सुबह सादे चार बजे जाग
कर छ बजे से पैदल यात्रा शुरू कर देता हैं , वह बिगड़ी संतान किस तरह से हो सकता हैं ? जबकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता जो अपने को बहुत कर्मठ और त्यागी
बताते हैं , उन्होने तो कभी पद यात्रा नहीं की ! वास्तव अगर हम इतिहास देखे तो पाएंगे की किसी सद उद्देश्य के लिए पद यात्रा की शुरुआत महात्मा गांधी से शुरू हुई थी | और आज़ादी के आंदोलन में अनेकों बार चाहे वह नामक सत्याग्रह रहा हो अथवा
चंपारण सत्याग्रह रहा हो सभी पदयात्रा से शुरू
हुए , जिसमे
लोगो की भागीदारी थी |
बाद में विनोबा भावे जी ने भूमिहीनों के लिए जमीन सुलभ कराने के लिए “”भूदान “” यात्रा शुरू किया था |
इसी कड़ी में काँग्रेस सांसद
और ख्यात अभिनेता सुनील दत्त की बंबई से पंजाब
की यात्रा , जो वनहा पर आतंकवाद
के विरोध का प्रतीक थी | पूर्व प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर जी ने भी पद यात्रा की थी | परंतु देश के किसी अन्य राजनैतिक दल ने कभी
भी कोई पद यात्रा नहीं की , जनहा तक मेरी जानकारी हैं |
हाँ बीजेपी नेता लाल क्रष्ण आडवाणी ने राम
मंदिर को लेकर रथ यात्रा निकाली थी ,पद यात्रा नहीं ! उस यात्रा ने देश को हिन्दू – मुसलमानो में बाँट
दिया था | आज राहुल
गांधी की यात्रा उसी संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है जिसका घोषित उद्देश्य है की “”भारत जोड़ो यात्रा
“” | जो बीजेपी
की सरकार के उद्देश्यों और विचारो से 180 फीसदी
विपरीत हैं |
इस यात्रा को लेकर जब कोई बहाना सत्ता
सीन लोगो को नहीं मिला , तब उन्होने यात्रा में आ रहे
छोटे बच्चो को लेकर नोटिस दिया की , बच्चो का दुरुपयोग किया जा रहा हैं | चाइल्ड
वेलफ़ैर आयोग द्वरा यात्रा आयोजको को नोटिस भी दिया गया | परंतु इस सरकारी संस्था को कोई ऐसा नहीं मिला “जो यह कहता की उन्हे
भय या प्रलोभन देकर यानहा लाया गया हैं | इस यात्रा में शताधिक सह यात्रियो के सोने और आराम करने के लिए जो कंटेनर चल रहे हैं ----- उनकी भी अवैध रूप से
तलाशी लेने की कोशिस हुई | ज़िला प्रशासनों द्वरा भी अनेक कारणो से बीजेपी की राज्य सरकारो के अधिकारियों ने पत्र और
नोटिस दिये हैं | परंतु केरल से राजधानी तक राहुल गांधी की यात्रा तो सम्पन्न हो गयी |
हाँ अब केंद्र
सरकार और उसकी एजेंसियो द्वरा कोरोना को ढाल
बना कर – एक दूसरे से दूरी और मास्क को लेकर
कारवाई किए जाने की आशंका हैं | लेकिन संसद जयराम रमेश और कनहिया कुमार द्वरा इन नोटिसो का जवाब दिया जा रहा है ---जिसका ब्यौरा
रोज होने वाली प्रैस कोन्फ्रेंस में भी दिया जाता हैं |
बॉक्स
बीजेपी
और उसके प्रचार तंत्र द्वरा राहुल गांधी को
पप्पू बताए जाने पर ,उनका कहना था की जनता जनार्दन में मेरी छवि खराब करने के लिए
हजारो करोड़ खर्च कर दिये गए ,
पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता |
उन्होने कहा की मेरी दादी इन्दिरा गांधी
जी को भी उनके विरोधी “”गूंगी गुड़िया “” कहते
थे | परंतु
देश और दुनिया ने देखा की उनकी छमता क्या थी
|सत्या है
की श्रीमति गांधी के समय में हुए काँग्रेस
के विभाजन के नेता मोरार जी और अतुल्य घोष
ने इन्दिरा जी को गूंगी गुड़िया कहा था | परंतु उन्होने वीवी गिरि को राष्ट्रपति चुनवा कर
अपनी ताकत सीध कर दी थी | अपने विरोधियो की आलोचना का मुंह उन्होने बंगला देश युद्ध के परिणाम से बंदा कर दिया था | ना केवल देश के वरन अमेरिका के नेत्रत्व को भी उन्होने करारा जवाब दिया था |
आखिर में
बस एक ही सवाल हैं की इन्दिरा जी का पोता क्या
अपनि इस यात्रा से सोयी हुई काँग्रेस को कर्मठता
की राह पर ला सकेगी ?