अब
इतिहास घटनाओ या परिवर्तनों
का नहीं---
भारतीय
द्र्श्ति कोण का होगा !!
अब
पता नहीं किसने यह जुमला बनाया
"”मोदी
हैं तो मुमकिन हैं "”
, लगता
है अब इस सरकारी ताकत का इस्तेमाल
----
देश
के नागरिकों के पुनरोदधार
के लिए "
सारे
देश में राष्ट्रीय नागरिक
रजिस्टर बनेगा ----इतना
ही नहीं जिन लोगो की "””
नागरिकता
पर सरकार को संदेह होगा
----उन्हे
डिटेनसन सेंटर में रखा जाएगा
!!
जिसके
लिए राज्यो में जेल नुमा
इमारतों की तामीर होगी !
अब
जब देश की अर्थ व्यवस्था गर्त
में जा रही हैं ----उस
समय नया संसद भवन -दिल्ली
में और बाकी प्रदेशो में मोदी
सरकार की खौफनाक नुमाईंदगी
-----
इन
केन्द्रो द्वरा की जाएगी !
उधर
वाराणसी में बनारस हिन्दू
विश्व विद्यालय में आयोजित
संगोष्ठी में देश के गृह मंत्री
अमित शाह न उपरोक्त फैसला
सुनाया !!
वे
एक अंतराष्ट्रीय सेमिनार
में ,
जिसका
विषय था "””गुप्त
वंश के वीर स्कंदगुप्त
विक्रमादित्य का ऐतिहासिक
स्मरण ----एवं
भारत राष्ट्र का राजनीतिक
भविष्य "””
| दो
दिवसीय सेमिनार में आठ देशो
के 200””लोग
"”
भाग
ले रहे हे !!
उन्होने
अतिता के 200
महा
पुरुषो के व्यक्तिव और 25
साम्र्ज्यो
का "”गौरव्व्शली
"”
इतिहास
लिखे !
उन्होने
कहा की इससे कोई फर्क नहीं
पड़ता की पहले क्या लिखा जा
चुका ह
अब
जो सच आप लिखेंगे – वह लंबा
चलेगा और "”
चिरंजीवी
"”
होगा
!!
अब
वक़्त आ गया है की भारतीय द्र्श्ति
कोण से इतिहास लिखा जाये |
अंग्रेज़
और वामपंथी इतिहासकारो के
लिखे को दोष देना बंद करे और
सच पर आधारित इतिहास का "”पुनरलेखन
करे "”
विश्व
में अभी तक परंपरा रही है की
---
किसी
भी स्थान अथवा समय का इतिहास
-----तत्कालीन
साहित्य या लेखन होता हैं |
वेदो
का लेखन जिन ऋषियों द्वरा
किया गया -उन
में "”ब्रह्म
ऋषिकाए भी हैं "”
| जो
कुछ भी आज हमारे पास पुस्तकों
में संकलन हैं ------वह
राजनीतिक
--भौगोलिक
सीमा ऐ बंधा ज्ञान नहीं हैं
|
वरन
जैसा उन्होने "”
समझा
-
परखा
और विचार -विमर्श
यानहा तक की जरूरत हुई तो
"”शास्त्रार्थ
"”
द्वरा
उपलब्ध परिणामो को ऋचाओ के
रूप में लिपिबद्ध किया |
इसीलिए
"”उसे
ज्ञान माना जाता हैं |
उससे
हम तत्कालीन इतिहास का पता
लगाते हे |
खंडहरो
की खुदाई भी तत्कालीन "”सत्य"
को
उजागर करती है |
पौराणिक
काल की जानकारी वेदिक धरम के
विभिन्न पुराणो से मिलती है
|
कम
से कम राजाओ की वंशावली |
महाभारत
में सेना के गठन और उसके व्भिन्न
स्तरो की और विभिन्न टुकड़ियों
जैसे अश्व -
हाथी
और सैन्य सामान के लिए बैल
गाड़ियो का प्रयोग |
पशुओ
के लिए चारे की खरीद और उसके
मूल्य निर्धारण और किस्म का
भी जिक्र हैं |
अब
अमित शाह जी को तो यह भि नही
मालूम होगा की बटैलियन और
रेजीमेंट का अंतर क्या होता
है !
अब
ऐसे में "”
भारतीय
द्र्श्तिकोन से इतिहास लेखन---
किसी
उपन्यास की भांति होगा ,
जिसके
तथ्यो की प्र्मनिकता का ना
तो कोई तथ्य होगा नाही तर्क
पूर्ण विवरण |
इतिहास
वह होता हैं जो तत्कालीन समय
के विद्वानो द्वरा परखा और
जांचा जाता हैं |
फिर
उसके बारे में "”पक्ष
और विपक्ष "”
में
शास्त्रार्थ जैसा होता हैं
|
सवालो
के टाठी पूर्ण उत्तर देने होते
हैं |
प्रधान
मंत्री बनने के बाद नरेंद्र
मोदी जी ने जब विज्ञान काँग्रेस
को संभोधित किया था -””तब
भी उन्होने वेदिक काल में
विमानो काजिक्र करते हुए
---लंका
से आयोहया जाने के लिए इस्तेमाल
किए गए "””पुष्पक
विमान "”
का
ज़िक्र किया था |
प्लास्टिक
सर्जरी का उदाहरण देते हुए
उन्होने गणेश जी का उदाहरण
दिया !!!
हालांकि
जिन "”””विद्वानो
और वैज्ञानिको "”””ने
इन अवधारनाओ पर कान्फ्रेंस
में पेपर प्रस्तुत किए -----वे
जांच कमिटी द्वरा पूछे गए
सवालो का जवाब देने में असफल
रहे थे |
इस
घटना का देश और दुनिया में
बहुत मखौल उड़ा |
तथा
विश्व गुरु बनने का दावा भी
अहंकार की श्रेणी में आ गया
!!
अब
उनके और उनकी --
संगठन
और "”संस्था
"”
के
सावरकर प्रेम की जिस "”अतिरंजना
"”
अलंकार
से की गयी उसका कोई भी तर्कपूर्ण
और तथ्य परक सबूत नहीं हैं :--
1- सावरकर
ना होते तो देश 1857
के
स्वतन्त्रता संग्राम को – एक
विद्रोह के रूप में जानता |
सावरकर
जैसे कट्टर हिंदुवादी और घोर
मुस्लिम विरोधी व्यक्ति द्वरा
यह कैसा किया गया इस बात का
जवाब ना तो मोदी ना शाह और ना
ही राष्ट्रिय स्वयं सेवक
संघ के विचारको ने अभी तक
सार्वजनिक नहीं किया हैं ,
उन्होने
तंत्र विद्या के मंत्रो की
भांति इसे आई गोपनीय रखा हैं
----यानि
गणेश की मूर्ति दूध पीती है
तो पीती हैं |
ऐसा
क्यो और किस कारण होता हैं उस
वैज्ञानिक कारणो को बजरंगी
-
हिन्दू
महा सभा और विद्यारथी परिषद
आदि 72
आनुसंगिक
संगठन हल्ला मचा ने लगे ,
जिससे
की उ
सही उत्तर जनता के सामने ना
आ जाए और हमारा जादू मूर्खता
साबित हो !
मध्य
के महान व्यक्तित्व हैं
अमित
शाह द्वरा चयनित जिन 200
व्यक्तित्वों
पर इतिहास लिखना हैं -----वे
आदि कालीन हैं -
वेदिक
कालीन हैं ---
पौराणिक
काल के हैं अथवा ,
सिकंदर
के बाद के समय से अथवा अब तक
के समय के हैं |
अथवा
मुहम्मद गजनावी -
मीर
काशिम के बाद मुहम्मद शाह जफर
तक के समय के व्यक्तित्व हैं
<
अथवा
आज़ादी की अहिंसक लड़ाई में से
"”
नरेंद्र
मोदी के राज्यरूद होने तक ?
इतना
तो निश्चित है की भले ही महतमा
गांधी दुनिया में पूजे जाये
-
उनकी
मूर्तिया 180
देशो
में लगे या उनके नाम पर सार्वजनिक
स्थानो और इमारतों का नामकरण
भले ही हो -------परंतु
संघ और अमित शाह के लिए "””वह
एक चतुर बनिया था "”
इसलिए
जिन महापुरुषों को विगत सत्तर
वर्षो में "जाना
गया वे सब कोङ्ग्रेस्सी थे
|
अतः
अमित शाह जी देश की आज़ादी के
नए पाहुरूओ को खोजा जाएगा |
जिन
लोगो ने "””आज़ादी
की अहिंसक लड़ाई "”””
में
भाग लेकर अंग्रेज़ो को परेशान
किया ---उनके
नाम शायद नहीं हों !
अमित
शाह कहते हैं की अंग्रेज़ो ने
देश का उतना नुकसान नहीं किया
जितना मुसलमानो ने किया !!
इस
संदर्भ में 1857
के
आज़ादी के संग्राम की तैयारी
के लिए अङ्ग्रेज़ी फौज के देशी
सैनिको की छावनीयो में जो
संदेश भेजा गया था वह ____
था
कमल
और रोटी ,
जो
हिन्दू और मुसलमान दोनों के
लिए थी |
कमल
सनातनी हिन्दुओ के ईईए पावुतर
था तो रोटी को मुसलमान और ईसाई
"”ईश्वरीय
कृपा मानते हैं
अब सावरकर जी जैसे क्रांतिकारी
हिंसा के पुजारी यह स्वीकार
करेंगे की क्या 1857
के
युद्ध में मुसलमानो का बराबरी
का हाथ था????
फिलहाल
इंतज़ार रहेगा की की वह कौन यह
200
महान
विभूतिया है और किस युग के 25
सामराज्यों
का इतिहास का पुनरलेखन होगा
?
यानहा
एक सवाल यह भी है की इतिहास का
पुनरलेखन – गुप्त काल का होना
प्रस्तावित हैं ,
परंतु
आहरहाल उसमे विदेशो के विद्वान
किस प्रकार मदद कर सकेंगे ?
हा
यदि वे मानव विज्ञान या भूतत्व
शास्त्री हो जो उत्खनन में
मददा कर सरस्वती नदी और विलुप्त
नगरो का इतिहास खोज सके ,
बहरहाल
तो समय बताएगा की यह भी एक
निश्चय है ---सरकारी
फैसला है ---अथवा
एक जुमला भर है !!!!