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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 13, 2012

                                                           Kalam kay kalam, part two                                     Turning  Point  किताब  मैं पूर्व राष्ट्रपति  कलाम  साहेब ने एक बहुत  बडे मुद्दे पर बेबाकी से अपनी रॉय दी हैं  वह हैं आतंरिक सुरक्षा के मसले पर उनका कहना हैं की इस विषय मैं सारे अधिकार  केंद्र के आधीन होना चहिये क्योंकि यह बहुत संवेदनशील मसला हैं . जिससे देश  की सुरक्षा को संकट हो सकता हैं , अभी यह मसला काफी चर्चा मैं था  ,जब रास्ट्रीय सुरक्षा  सम्बन्धी प्रस्तावित  बिल का सभी गैर कांगेरसी राज्यों के मुख्यमंत्री लोगो ने राजनैतिक आधार पर यह कहते हुए विरोध किया की यह संविधान के संघीय स्वरुप  की भावना के विरुद्ध हैं . क्योंकि प्रस्तावित  बिल के अंतर्गत  संदिग्ध  आरोपियों को बिना राज्यों को बताये बता गिरफ्तारी  की जा सकती हैं , इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश की सरकार  को  यह एतराज था की शांति -व्यवस्था  का विषय राज्य सूचि का विषय हैं फिर केंद्र इस मसले पर कैसे कानून  बना सकता हैं ?राज्यों  ने कहा की केंद्            सरकार  गैर जरूरी कदम राजनातिक   उद्देश्य  से ला रही हैं . आखिरकार यह बिल लाने से  केंद्र सर्कार पीछे हट गयी . हालाँकि लस्कर और अल-कायदा  जैसे आतंकी संगठन  देश मैं  आये दिन धमाके  कर रही हैं .ऐसे मैं  सारी  आवाजे  देश की  सरकार के विरुद्ध विष वामन  कर रही हैं , फिर किस प्रकार  केंद्र सरकार  बिना  कानून के आपराधियो  को गिरफ्तार करे . अभी हाल मैं  ही मध्य प्रदेश मैं सिमी  के सरगना  को पुलिस  सजा दिलाने मैं विफल रही , क्योंकि सभी गवाह  अदालत मैं पुलिस  को दिए गए बयां से पलट गए . अब  अदालत  को तो सबूत चहिये  फिर मामला चाहे देश की सुरक्षा हो या गिरहकटी  का ! फिर भी कलम साहेब ने ऐसे मुद्दे पर अपने विचार स्पस्ट कर दिए . अब कोई कुछ भी कहे , हाँ  यंहा सुब्रमनियम  साहेब ने दावा किया की  कलम ने सोनिया गाँधी के बारे मैं गलत बयानी की हैं ,उनके अनुसार  चूँकि उन्होने सोनिया की नागरिकता पर सवाल उठाया था इसलिए कलम ने उन्हे प्रधान मंत्री पद की शपथ दिलाने से इंकार कर दिया था , अब कोई इस  बेपेंदी के नेता की बात को सच माने   या राष्ट्रपति    पद सम्हाल चुके अ.प.ज.कलम   की बात को माने ?फैसला  पाठको के ऊपर छोड़ता हूँ .                                                                                                               दूसरे  सुझाव मैं उन्होने  कहा की  विकास के कार्यक्रमों  से सम्बंधित सभी योजनाओ के बारे मैं वित्त सम्बन्धी  सभी अधिकार  राज्यों को दिए जाने चहिये . क्योंकि आखिरकार  इन योजनाओ  को लागू करने का काम  राज्य की सरकारे  ही करती हैं . अतः इनकी  फुंडिंग  के बारे मैं केंद्र स्पस्ट फ़ॉर्मूला बनाये . यह भी कहा की एअक केंद्रीय आयोग बने जो केंद्र से गरीबी हटाने और  इस से सम्बंधित कार्यक्रमों  को संसाधन उपलब्ध करने के लिए  जमीनी स्तर पर भौतिक लक्ष्यों की उपलब्धि को आधार बनाये  अपने दस सूत्री सुझावों  मैं आगे उन्होने  केंद्र और राज्यों मैं होने वाली निउक्तियों  के लिए एक विसेस आयोग बनाये जाए  जो  लोकसेवा आयोग की भांति लोगो का चयन करे .