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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 17, 2022

 

भारतीय  सेना  एक सान्स्क्रतिक  और धार्मिक एकता की निशानी है  , कोई सशस्त्र बल नहीं !

                                                              अग्निपथ योजना सरकार ने देश के करोड़ो बेरोजगार युवाओ को नौकरी देने के लिए  लिए शुरू करने के उद्देश्य से  घोसणा की , परंतु देश के नौजवानो का आक्रोश  पूरे उत्तर भारत और कर्नाटक में उनके आक्रोश का शिकार रेलगाड़ी और बस हुई हैं |  मोदी सरकार का किसी भी वर्ग को “”तथाकथित”” लाभकारी योजना हमेशा  आनदिलन और -आक्रोश को जन्म देती हैं | क्यूंकी ये सभी योजनाए चंद लोगो के सुझावो पर निर्मित होती हैं , जिसे एक व्यक्ति अपनी “”मर्ज़ी और सनक “ से लागू करने का हुकुम देता हैं | आज जैसा अशांति का माहौल  राजस्थान -हरियाणा – बिहार – मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के नगरो  में दिखाई पड़ रहा है , कुछ वैसा ही हाल  खेती किसानी कानुन के लागू किए जाने के समय  भी हुआ था |  आखिर ऐसा क्यू होता हैं ? क्यूंकी सरकार में बैठे हुए अफसर और -नेता  अपनी “”सोच “” और मर्जी से समाज के वर्गो के “”लाभ को “” रेखनकित करते हैं | उन्हे  देश की बहुसंख्यक लोगो की जरूरतों और जज़बातो से कोई मतलब नहीं हैं |  फलस्वरूप शासक के उद्देश्यों और जन आकांचाओ में मेल नहीं होता !

                        आइये पहले भारतीय सेना के गठन के आधार को समझते हैं | हमारी सेना “”मात्र सशस्त्र  बल नहीं है वरन यह देश के विभिन्न हिस्सो में बसे जातीय समूहो और उनके “”आस्था और विशवास “” का संगम हैं | जिस प्रकार मोदी सरकार के भारतीय रेलवे को टुकड़ो – टुकड़ो में “”लीज “” पर सेठो को देने के पहले --- रेलवे में भी यह देश की विभिन्न भागो और जातियो और समूहो का संगम देखने को मिलता था | छोले -भटुरे से लेकर -पोहा और इडली -डोशा मिलता था | अब तो यात्री की मर्जी नहीं वरन “”सेठ “” के मैनेजरो  की “”लागत और मुनाफा “ संसक्राति ने निगल लिया हैं |

                    भारतीय सेना के वेतन और भत्तो और पेंशन की बदती राशि को भयावह बताते हुए कुछ आईएएस अफसरो ने सेना को भी “”काटने – छटने “ की कवायद ही अग्निपथ योजना हैं |  राजनीति शास्त्र  और सैन्य शास्त्र  में   सेना को राज्य की प्रथम आवश्यकता  बतया गया हैं | जो वाह्य आक्रमण और आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदार होती हैं | देश में प्रकरतीक आपदाओ में भी सेना का प्रयोग देखा  जाता रहा हैं |

 जब मैं कहता हूँ की भारतीय सेना  किसी अन्य सशस्त्र बल की तर्ज़ पर नहीं है , जनहा बटालियन के नंबर होते हैं | भारतीय सेना में रेजीमेंटों का गठन  विभिन्न छेत्रों की  जुझारू जातियो या समूहो के आधार पर गठित की गयी हैं | हर रेजीमेंट का अपना एक “”कलर”या झण्डा होता हैं | उसकी अपनी पहचान उसकी टोपी और –युद्ध घोष  तथा उस रेजीमेंट के आराध्य  से की जाती हैं | जो सीआरपीएफ़ -बीएसएफ़ – या अन्य केंद्रीय बालो में नहीं होती हैं | एक छेत्र और वर्ग से आने के कारण जवानो में जो आत्मीयता बनती हैं -----वह युद्ध के समय  एक -दूसरे पर अपनी जान को भरोसा बनाती हैं | जिसके फलस्वरूप  सैनिक अपने साहब के लिए जान -जोखिम मे डालता हैं |  उनमे  अपनी “पलटन” का इतिहास और विगत में इसके जवानो और अफसरो  को मिले पदक  उसके हौसले को ज़िंदा रखते है |  पलटन में हिन्दू मुसलमान का भेद नहीं होता है ----सभी अफसर और जवान  “”अरदास – नमाज -और आरती में शामिल होते हैं | यह केंद्रीय बालो में नहीं होता |  वे परेड और मेस  में तो साथ रहते हैं ----परंतु उनमे सीख – राजपूत – महर – जाट- अगर जाती आधारित हैं तो बिहार -कुमायूं -गड़वाल और मद्रास सीपर्स आदि इलाकाई आधार पर रेजीमेंट का गठन हुआ हैं |  इन सबके अपने – अपने आस्था के अवसर हैं , जो इन सभी विभिन्नताओ  को बांध के रखती हैं | जबकि राष्ट्रीय राइफल या अग्निवीरों  में यह भावना नहीं पनपेगी | क्यूंकी इनके पास पलटन के शौर्य और वीरता  के जातीय अभिमान  ---का भाव  गैर हाजिर रहेगी |

इस जातीय और  और इलाकाई गौरव ही – उन छेत्रों के नौजवानो को प्रेरित करता हैं | वे सालो साल भागदौड़ और विभिन्न करतबो को कर के  सेना में भर्ती  के लिए तैयार करते हैं | विगत दो सालो से सेना की भर्ती नहीं होने से बिहार और यू पी में काफी आंदोलन  भी हुए है |  जिसके बाद  सरकार ने सेना में उन लोगो की भर्ती शुरू की “” जिनके रिश्तेदार  फौज में है या थे “” !  साधारण  भर्ती फिर भी नहीं शुरू हुई !!  ईस मध्य सरकार ने  अग्निपथ योजना  की घोसणा की | ऊपर लिखे हुए कारणो से ही अग्निवीर योजना  का सफल होना भारतीय सेना के मनोबल और  एकता और जज़्बे को तोड़ देगा |

इस संदर्भ में देश के प्रथम  सी डीएस  का बयान देखा जाना चाहिए , जिसमें उन्होने कहा था की  सेना “” कोई नौकरी नहीं वरन एक चुनौती हैं “ जिसके लिए सेना में भर्ती होने वालो को  तैयार रहना चाहिए } यह कोई  नौकरी नहीं है “”