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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 2, 2017

चीन के बने सामानो के बहिष्कार की संघ समर्थित संगठनो की पोल
खुली मोदी सरकार ने संसद मे किया खुलासा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े 56 संगठनो की मुहिम की जनता चीन मे बने सामानो की खरीद नहीं करे के आंदोलन को सरकार के लोकसभा मे भाजपा के सदस्य उदितराज द्वरा पूछे गए प्रश्न के उत्तर मे मंत्री निर्मला सीतारामन ने बताया की सरकार चीन से आयात होने वाले सामानो पर प्रतिबंध नहीं लगाया है और ना ही ऐसा कोई इरादा है | गौर तलब है की विगत कुछ समय से संघ के पूर्व स्वयंसेवक रहे गोविंदाचार्य जी के नेत्रत्व मे संघ के 56 संगठनो ने अगस्त माह से चीन के बने सामानो के बहिष्कार की मांग को लेकर देशव्यापी आंदोलन करने की मुहिम छेड़ने की घोषणा की थी | परंतु मुहिम प्रारम्भ होने के पूर्व ही सरकार के निर्णय ने उनकी आशाओ पर तुषारपात कर दिया |

संघ का स्वदेशी का मिथ्या प्रचार ! विश्व व्यापार संगठन के सदस्य होने के नाते भारत किसी अन्य देश जो संगठन का सदस्य है उसके यानहा निर्मित सामानो पर प्रतिबंध लगाने मे समर्थ नहीं है | इस हक़ीक़त को जानने के बाद भी आरएसएस संगठनो का चीन मे बनी राखी - मूर्तिया - बिजली सजावटी झालरे के बहिष्कार का आवाहन करते हुए "”छुटपुट नारे बाज़ी और भाषण बाज़ी "” करके जबरिया देशप्रेम और देशभक्त होने का रूपक रच रहे थे , उसका सच अब सामने आ गया है | क्योंकि अब संघ समर्थित सरकार ने ही उनकी मांग के समर्थन से पल्ला झाड लिया है |
  • गुड खाये और गुलगुले से परहेज बताए _--- इन देशप्रेमी संगठनो द्वारा अनावश्यक रूप से देशभक्त होने का दंभ भरने का ढोंग रचने का यह प्रयास पहले दिन से संभव नहीं था | परंतु जनता मे झूठा प्रचार कर के "” भारतीय बने और भरतूय वस्तुये ही खरीदे '' का नारा देकर जबरन उत्तेजना फैलाने का प्रयास कर रहे थे | राष्ट्रवाद के ठेकेदार बनने के लिए नए - नए तरीको से "”उग्रता "”भरे नारे बाजी और जीप मे भरकर बाज़ारो मे दूकान्दारों को भयभीत कर भयदोहन का प्रयास कर रहे | नगरो के छोटे -छोटे व्यापारियो को डराया जा रहा था की सरकार चीन से बने सामानो की बिक्री पर रोक लगाएगी | इस मिथ्या प्रचार से व्यापारियो मे माल के "”फंस '' जाने का भय होगया | इस स्थिति मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के "”साप्ताहिक कार्यक्रम "” मन की बात ने राष्ट्रवाद मे उग्रता भर दी – उन्होने देशवासियों से अपील की थी वे चीन मे बनी मूर्तिया मत ले --उनका इशारा चीन से आने वाली चीनी मिट्टी की बनी देवी – देवताओ की मूर्तियो की ओर था | वास्तविकता यह है की चीन की बनी मूर्तिया ना केवल सस्ती होती है वरन देश मे बनी मिट्टी की मूर्तियो से अधिक सुंदर और भी होती है | यही हाल आँय सजावटी सामानो का भी है |
  • उग्र राष्ट्रवाद की आड़ मे हिंदुत्व की हुंकार – ऐसा माना जा रहा की चीन द्वारा डोकलहम सीमा विवाद से उपजे गुस्से को भुनाने के लिए अनावश्यक रूप से स्वदेशी की आड़ मे देशभक्ति के "”प्रदर्शन '' से संघ से जुड़े 56 संगठनो के युवक जीप मे लाउड स्पीकर लगा करके बाज़ारो मे घूम = घूम कर नारा लगा कर यह जताने का सफल प्रयास कर रहे है की वे ना केवल राष्ट्र की सेवा कर रहे है वरन देश की संसक्राति और उद्योग और व्यापार का संरक्षण भी कर रहे है ||एवं इस प्रयास मे सत्ताधारी पार्टी और सरकार का "”समर्थन "” भी है | ऐसे देशभक्त छोटे -छोटे व्यापारियो से ''झूमा - झटकी '' भी करने से बाज़ नहीं आते | और पुलिस भी इन उग्र राष्टभक्तो को छूने से बचती है क्योंकि उन्हे सत्ता का संरक्षण प्राप्त है |
  • अब सरकार के फैसले के बाद भी इन बावनवीरों का अभियान बंद होगा अथवा नहीं यह यक्ष प्रश्न अभी भी बना हुआ है --क्योंकि इस मुहिम से जुड़े लोगो को अपनी नेतागिरी चमकाने का अवसर खतम हो गया है | परंतु जबरन समाज मे "”माहौल को गरमाने '' की मुहिम पर रोक लगेगी -यह भी देखने का विषय है |

सरकार को जनकल्याण की नहीं ज़रूरत है संकटमोचनों की

सरदार सरोवर बांध से विस्थापित होने वाले नौ हज़ार से अधिक परिवारों के "पुनर्वास "”से अधिक प्रदेश सरकार के लिए महत्वपूर्ण है --उंसके संकटमोचन --यानि सरकारी वकील और उसकी पैरवी करने वाले एडवोकेट ! शिवराज मंत्रिमंडल ने एक झटके मे महधिवक्ता और उनके अधिनस्थों के वेतन -भत्ते एक् झटके मे बढा कर ''हजारपतियों को -लखपति बना दिया है "” | मंत्रिमंडल के निर्णय के फलस्वरूप महधिवक्ता का वेतन 80500/- प्रतिमाह से बढाकर 1 लाख 80 हज़ार कर दिया गया है ! इसी प्रकार अतिरिक्त महधिवक्ता का वेतन 63,250/- से बढकर अब 1 लाख 75 हज़ार हो गयी है !उप महधिवक्ता का वेतब जो अब तक 57,500/- प्रति माह था वह अब 1 लाख 60 हज़ार हो गया है ! इसी प्रकार शासकीय अधिवक्ता जो अभी तक 40,250/- प्रति माह पाते थे उन्हे अब 1 लाख 25 हज़ार मिला करेगा | उप शासकीय अधिवक्ताओ को भी अगले माह से 34,500/- प्रति माह के स्थान पर 1 लाख रुपये प्रति माह मिला करेगा |
शायद विधि विभाग के प्रशासन के इतिहास मे कभी भी 100प्रतिशत की बढोतरी कभी भी नहीं हुई | इस प्रकार शिवराज सरकार ने अपने "”संकटमोचनों "”” को भरपूर रूप से उपक्रत किया है | सरकार ज्के गलियारो मे भी यह बहस चल रही है की अब मंत्रियो और विभिन्न आरोपो के मुकदमो की "”पैरवी"” मे "” मुक्ति " के लिए प्रयास करेंगे | पिछले तीन - चार वर्षो मे उच्च न्यायालय मे सचिव और मंत्रियो के लिए कई बार फटकार लग चुकी है | व्यापम का मामला हो अथवा अदालती फैसलो के लागू करने मे अफसरशाही की "”नाफरमानी " ही न्यायालय के कोप का कारण रहा है | अदालतों ने शासन द्वारा न्यायिक फैसलो को ''ठंडे बस्ते '' मे डाले जाने की ''आदत '' को बहुत समय से "”एहसास "” किया है | इसीलिए अनेक बार सचिवो और -विभाग प्रमुख भी अदालतों ,मे तलब हो चुके है | जिसको लेकर आईएएस अफसरो और नेताओ ने सरकार से अपनी खिन्नता व्यक्त की थी | ऐसे मामले संबन्धित की प्रतिष्ठा पर तो सवालिया निशान लगता ही है वनही जग हँसाई भी होती है | लोग सवाल पूछते है | हालांकि अब अफसर ऐसे "अदालती तानो और झिडकियों ''के आदि हो चुके है | उनके अनुसार माफी मांग कर आगे से ऐसी गलती नहीं होगी ---कहने से मुक्ति मिल जाती है | परंतु इधर कुछ अदालतों ने प्रशासनिक अधिकारियों से अपने फैसले के अनुपालन की जानकारी मागणी शुरू कर दी है | जो इनकी परेशानी का कारण बन गया है |
इनहि सब "”कष्टो "” से मुक्ति पाने के लिए "”अदालतों के दोस्तो "” को प्राषण्ण कर ने की कोशिस की है | हालांकि इस वेतनमानों से आईएएस अधिकारियों ''मे दिल जलने की बदबु '''आएगी " क्योंकि अफसरशाही मे स्वागत -सत्कार और हैसियत "”वेतन -भत्तो ''' से तय होती है | इस लिहाज से अब महाधिवक्ता प्रदेश के मुख्य सचिव के बराबर हो जाएंगे | देखना है की सरकार की यह कोशिस उसके संकटों मे किस हद तक "” हनुमान '' की भूमिका निभा सकती है |