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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 7, 2018


केंद्र और केजरीवाल के दंगल के बाद "” भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली काँग्रेस के स्वर एक जैसे क्यो !-

सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के "””फैसले "” के बावजूद केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल से दंगल मे हार मानने के मूड मे नहीं है | अब उपराज्यपाल बैजल ने कहा की सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों के तबादले और सेवा संबंधी अधिकारो के बारे मे --अपने निर्णय मे "”साफ -साफ कुछ निर्देश नहीं दिया है | इसलिए वे केंद्र की अधिसूचना के तहत राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप मे ----इस अधिकार को अपने ही पास रखेंगे ?? उनकी मंशा है की सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के पुलिस - शांति व्यवस्था तथा भूमि के मामले को अलावा भी साफ -साफ बताए की "” मुख्या मंत्री अपने माथात //अधीन अधिकारियों पर कोई निर्णय ले सकते है | अब यह सवाल एक बार फिर अदालती कारवाई के बिना नहीं सुलझेगा | क्योंकि प्रधान मंत्री मोदी के सीने मे दिल्ली विधान सभा चुनावो ने जिस प्रकार "””उनकी अपराजेय छवि को भस्मीभूत किया वह उनको आज भी कष्ट देती है | यह उनकी छवि और उनके सामर्थ्य के साथ उनके अपरिमित साधनो {{ धन - प्रचार -संगठन }} की "”निस्सारता अर्थात व्यर्थता या की बेकार "” सीध कर दिया | सत्तर सदस्यो वाली विधान सभा मे भारतीय जनता पार्टी मात्र 3 जी तीन स्थान ही पा सकी @@ लेकिन देश की पहली राजनीतिक पार्टी और सत्तर सालो तक शासन मे रही "”भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी "”” का तो सुपड़ा ही साफ हो गया


जनहा केंद्र सरकार अपने द्वारा नियुक्त अफसर "”उप राज्यपाल "” के माध्यम से अभी तक जिस प्रकार केजरीवाल सरकार को "””पंगु "” बनाए रखने की राजनीतिक और प्रशासनिक कारवाई कर रही है , वनही दिल्ली प्रदेश काँग्रेस के नेता भी अपने को जनता का प्रतिनिधि होने का दंभ रखते हुए ---- राज्यपाल के साथ खड़े दिखाईदे रहे है |

वैसे राजनीतिक रूप से ठीक भी है और गलत भी है ! क्यो यह सही है -पहले इस पर बात करते है ----राजनीति मे दुश्मन के दुश्मन को दोष्ट बना चाहिए ! इस समय काँग्रेस तो केजरीवाल के हमले मे बर्बाद हो कर भूमि भूसरित हो गयी है {{{ केवल दिल्ली के संदर्भों मे |}} और भारतीय जनता पार्टी का भी क़द "” तीन इंच "” का रह गया है !! सत्तरूद पार्टी के लिए यह अत्यधिक लज्जित होने का कारण है की :: ‘’ जनहा उनके दफ्तर और निवास है वनहा की सफाई और रख रखाव भी उनके हाथ मे नहीं है ,वरन उनके दुश्मन के पास है !!

काँग्रेस और भाजपा का केजरीवाल के वीरुध एक स्वर मे शंखनाद ॥उस समय अजीब से विरोधाभास सा लगता है -----जब पूरे देश मे काँग्रेस भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के वीरुध लाम बंद हो रही है | तब दिल्ली सरकार की ताक़त और हैसियत के अदालती फैसले के बाद भी केजरीवाल के खिलाफ मुहिम चलाना -- इसके नेताओ की राजनीतिक समझ पर सवालिया निशान लगाता है | शनिवार को दिल्ली प्रदेश काँग्रेस के नेताओ ने केंद्र और केजरीवाल की "”अधिकारों की लड़ाई मे "” अरविंद केजरीवाल पर ही निशाना साधा है | दिल्ली की पूर्व मुख्य मंत्री शीला दीक्षित हो या प्रदेश काँग्रेस आद्यकश ललित माकन और उनके दो - तीन नेता | विधान सभा के विगत दो चुनावो मे दिल्ली मे कोंग्रेसी नेताओ की "”कितनी पकड़ है "”यह चुनाव परिणामो से स्पष्ट हो गया है | इसके बावजूद भी .........|

अगर नरेंद्र मोदी की ज़िद्द है की केजरीवाल को काम नहीं करने देंगे ----क्योंकि उसकी राजनीति मौजूदा राजनीतिक दलो के "”रस्मो -रिवाजो "”से बिलकुल अलग है |हालांकि जिस प्रकार अरविंद ने राज्यसभा के टिकट दिये ---उससे तो लगता है की ,, उसे भी अपने विरोधियो को पटकनी देना आता है !! लेकिन इस संदर्भ मे काँग्रेस का शीर्ष नेत्रत्व अगर अपने "” इलाकाई सूबेदारों "” की हैसियत से ज्यादा महत्व देता है तब उसको राष्ट्रीय स्टार पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ "”” सभी दलो की एकता को काफी नुकसान पहुँच सकता है | क्योंकि जिन प्र्देशों मे गैर बीजेपी और गैर काँग्रेस सरकारे है , वनहा के लिए कोई स्पष्ट रोड मैप बनान होगा | अन्यथा 2019 के लोकसभा चुनावो मे नरेंद्र मोदी को हटाने का "”” लक्ष्य सिर्फ अफीम की पीनक ही बन के रह जाएगी |
इस संदर्भ मे दिल्ली प्रदेश काँग्रेस के नेताओ को विधान सभा चुनावो के दौरान उनके अहम का जो "” भर्ता बना"” उस घाव को चुपचाप मरहम पट्टी करके भर्ना होगा | चीखने --चिल्लाने से पब्लिक मे सूरमा होने का जो भरम बनाए रखा था ---वह उजागर हो जाएगा | वैसे ही ज़ीरो बटा सत्तर का रिजल्ट दो चुनावो से चला आ रहा है !! काँग्रेस आद्यक्ष राहुल गांधी को इस समय दिल्ली की अपनी अधेड़ और प्रौढ हो चुकी बटालियन मे आप की मानिंद कुछ अच्छे युवको को लाये जो | जो भाजपाई "”अपप्रचार "” का प्रचार और प्रसार माध्यमों से जवाब दे सके | जिनहे देश के इतिहास का ज्ञान हो {{{जो प्रधान मंत्री जी भांति इतिहास का बंटाढार न करे }} साथ ही जिनहे अपने पार्टी के पुरखो के बारे मे और उनके काम और उपलब्धियों के बारे सही -सही जानकारी हो || तभी दिल्ली काँग्रेस की हो सकेगी , वरना अरविंद के बाद धन और साधन से सम्पन्न भारतीय जनता पार्टी तो गीध की भांति कुर्सी पर नजरे गड़ाये बैठी है | अपना तो यही समझना है बाकी ऊपर वाले के हाथ ..........