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Apr 29, 2018
bhartiyamin.blogspot.in/: मोदीजी का स्वच्क्ष भारत अभियान अब एक सुझाव...
bhartiyamin.blogspot.in/:
मोदीजी का स्वच्क्ष भारत अभियान अब एक सुझाव...: मोदी जी का स्वच्क्ष भारत अभियान अब एक सुझाव नहीं रहा -- ना ही सरकारी योजना , वरन अब इसे पालन कराने के लिए धमकी भी देना शुरू !! ...
मोदी
जी का स्वच्क्ष भारत अभियान
अब एक सुझाव नहीं रहा --ना
ही सरकारी योजना ,वरन
अब इसे पालन कराने के लिए धमकी
भी देना शुरू !!
पुडुचेरी
की उप राज्यपाल किरण बेदी तो
कम से कम ऐसा ही कर रही है
2-
मध्य
प्रदेश मे साढे तीन लाख शौचालय
बनाए जाने की रिपोर्ट गलत
पायी
गयी !
हालांकि
जांच चल रही है ,
निर्माण
कार्यो को रद्द भी किया जा रहा
है परंतु यंहा राज्यपाल ने
सरकार को कोई धमकी नहीं दी !!
सिर्फ
इसलिए क्या की पुडुचेरी मे
काँग्रेस की सरकार है और मध्य
प्रदेश मे भारतीय जनता पार्टी
की !!!
केंद्र
शासित पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेश
पुडुचेरी की उप राज्यपाल किरण
बेदी ने वंहा के नागरिकों और
सरकार को धमकी दी है की
अगर इलाके मे खुले मे शौच करते
लोग पाये गए तो वे गरीबी की
रेखा के नीचे रहने वालो को
मिलने वाला सस्ता चावल "”बंद
करवादेंगी "
! अब
राज्यपाल केंद्र का एजेंट
होता है -----यह
कानूनी रूप से सीध है |
परंतु
वह इस प्रकार की धमकी भी दे
सकेगा यह कभी किसी ने नहीं
सोचा होगा !
मोदी
सरकार के राज मे उप राज्यपाल
कुछ "ज्यादा
"
ही
अपने राजनीतिक आक़ाओ की हुकुंबरदारी
कर रहे है "!
दिल्ली
मे जिस प्रकार अरविंद केजरीवाल
की सरकार की शिक्षा और स्वास्थ्य
की जन हितकारी योजनाओ को उप
राज्यपाल चलते रोक देते है
की ---
इसकी
अनुमति सरकार से नहीं प्राप्त
की गयी वह काफी हंसी का सबब
होता है |
एक
सवाल किरण बेदी जी के बयान से
यह भी उठता है की क्या गरीबी
की रेखा के नीचे जीवन यापन
करने वालो को यह शर्त बताई गयी
है की ---अगर
वे बाहर शौच करते पाये जाएँगे
तो जुर्माना स्वरूप उनका राशन
-
पानी
बंद कर दिया जाएगा ??
अब
स्वछता अभियान मे स्थानीय
हालत को जाने बिना जिस प्रकार
कागजो मे "””
सफल
"”
दिखाया
जा रहा है ,
उसकी
तो अब जांच भी शुरू हो गयी है
|
परंतु
इस गड़बड़ी के दोषियो को कोई दंड
भी मिलेगा – इसका भरोसा नहीं
है |
भारत
के ग्रामीण छेत्रों मे पानी
की किल्लत का पता सभी को है
---
परंतु
अगर किसी को नहीं है तो वे है
इस योजना के कर्णधार !
उत्तर
भारत के पर्वतीय छेत्र हो अथवा
मैदानी सभी इलाको मे भू जल का
स्तर काफी नीचे चला गया है |
उत्तर
प्रदेश के बुंदेल खंड मध्य
प्रदेश के बघेल और बुंदेल खंड
के अलावा मालवा के नगरो मे दो
दर्जन ऐसे है जिनमे सप्ताह
मे प्रतिदिन पेय जल सुलभ नहीं
होता !
प्रदेश
के बुंदेल खंड के सांसद प्रह्लाद
पटेल जो की भारतीय जनता पार्टी
के पूर्व केन्द्रीय मंत्री
भी रहे है ---उन्होने
बातचीत मे कहा की मैंने लोकसभा
मे इस योजना पर बहस के दौरान
कहा था की – हमारे इलाको मे
चार से छह महीने पीने का पानी
लाने के लिए महिलाए मीलो जाती
है !
जब
पीने का पनि नहीं मिल रहा तब
ऐसे छेत्रों मे शौचालय के लिए
पानी कैसे सुलभ होगा ?
खैर
जन प्रतिनिधि की बात अनसुनी
करना सरकारो के लिए कोई नयी
बात नहीं है |
परंतु
यही जमीनी हकीकत है |
आज
जब उत्तराखंड हो या हिमांचल
अथवा उत्तर पूर्व के राज्य
हो ---उनके
ग्रामीण इलाको मे पेय जल “”
आसानी से सुलभ नहीं है “” |
चेरापुंजी
आज से कुछ सालो पहले तक
दुनिया के सर्वाधिक वर्षा
वाले स्थान के रूप मे भूगोल
मे बाते जाता है |
परंतु
अंधाधुंध जंगलो की कटाई से
अब वंहा भी पानी का अकाल पड़ने
लगा है !
महाराष्ट्र
मे कई जगह ऐसी
भी है जंहा गरमियो मे लोगो को
पानी सुलभ कराने के लिए सरकारो
को रेल से पानी भेजना पड़ता है
|
कुछ
समय पहले तक उत्तर प्रदेश के
बांदा और अतर्रा मे भी रेल से
पानी न्हेजना पड़ा |
अब
ऐसे स्थानो मे क्या कभी यह
अभियान सफल हो पाएगा ?
एक
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश
के मंत्रियो के इलाको मे निर्मित
शौचालयों को हजारो की तादाद
मे "”रद्द
करने लायक "”
बताया
गया है |
योजना
के अंतर्गत प्रत्येक आवास
मे शौचालय बनाने के लिए शासन
की ओर से बारह हज़ार रुपये की
राशि अनुदान के रूप मे दी जाती
है |
जमीनी
अधिकारी और ठेकेदार मिल कर
लोगो के नाम शौचालय निर्माण
की मंजूरी करा लेते है |
परन्तू
ज़मीन पर उनका या तो निर्माण
ही नहीं होता अथवा आधा अधूरा
होता है |
मसलन
दरवाजे न होना --या
पानी की टंकी न होना और दूषित
जल के लिए ज़रूरी "सोकपिट
''
ना
होना |
अब
इनहि शिकायतों की जांच चल रही
है |
सोशल
मीडिया मे ऐसे शौचालयों की
फोटो की भरमार है जंहा ऐसे आधे
अधूरे निर्माण हुए है |
आश्चर्य
की बात है की सरकारी विज्ञापनो
मे प्रदेश को स्वछ भारत अभियान
मे सारे देश मे "”अव्वल
बताया जा रहा है "”
| इस
संदर्भ मे एक घटना याद आ रही
है --की
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय
अध्यक्ष अमित शाह भोपाल के
समीप एक आदिवासी के घर पर भोजन
के लिए आने वाले थे |
ताबड़तोड़
ढंग से अफसरो ने उस आदिवासी
के पड़ोसी के घर मे सारा इंटेजम
किया ---
परंतु
उसके घर मे शौचालय नहीं था
तुरन ही गद्दा खोद कर बंदोबस्त
किया गया – बैठने के लिए दरी
से लेकर खाने के सामान और बर्तन
तक सुलभ करा दिये गए |
जब
वे चले गए तब संवदाताओ को वंहा
जाने दिया गया |
खोजबीन
से पता चला की मेहमान के जाते
ही अफसारान शौचालय तक निकाल
ले गए !!
परंतु
अखबारो मे खूब फोटो छपे लंबे
लंबे समाचार भी थे |
परंतु
चैनल द्वारा दूसरे दिन हकीकत
बया हो गयी !!
इन
संदर्भों मे अगर हम उप राज्यपाल
किरण बेदी के बयान या यूं कहे
धमकी को देखे तो लगेगा की
वास्तविकता से दूर सपने ही
बुने जा रहे है |
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