Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 27, 2014

स्कूल किए बंद और पंचायत चुनाव के लिए दस्वी पास होना ज़रूरी

                                 
                                    राजस्थान प्रदेश सरकार का तुगलकी फरमान वाकई आश्चर्य  चकित करनेवाला है |
  वसुंधरा राजे सिंधिया  की सरकार बिलकुल """महारानी """ वाली स्टाइल मे चलायी जा रही है | उन्होने पहले
  तो 17000  स्कूल को बंद कर दिया ----क्योंकि  इस फैसले से  उन्हे """""राजकोष""" की बचत करनी थी |
  इसके पहले उन्होने केंद्र सरकार से सहयाता  प्राप्त  ""मनरेगा"" योजना को बंद करने की सिफ़ारिश की
   क्योंकि  प्रदेश की मिलो  मे '''सस्ते मजदूर """"नहीं मिलते थे | क्योंकि लीग अपने गाव मे रह कर मजदूरी
  करके उससे मिलने वाली कमाई से ''संतुष्ट''' थे |  फिर ग्रामीण छेत्रों  मे शिक्षा के प्रसार  से राजस्थानी  सामंती  '''' संस्क्रती''''  के अनाचार  का खुलासा  मीडिया  मे हो रहा था || इसलिए """प्रजा""" का  """अनपद """"बना रहना  एक ज़रूरी शर्त है | इस लिए स्कूल बंद किए गए |  लेकिन  चकित रह जाना पड़ता है जब  वही सरकार
  जिसने 17000 स्कूल बंद किए ---वही शासन  पंचायत के चुनावो के लिए  उम्मीदवार का ''' दसवी'''  कछा पास होना ज़रूरी  कर दिया | !!!! है न अचंभे की बात

                                       यह फरमान तब और गैर जायज हो जाता है -जब यह तथ्य  पता चले की राज्य की विधान सभा मे सत्ता धारी भारतीय जनता पार्टी के 23 विधायक भी दसवी पास नहीं है ---मतलब यह की इस
  शर्त को वे लोग ""तय "" कर रहे है जो खुद उस ""परीक्षा ''' को पास नहीं कर सके !! है न  टाजूब की बात \ इतना ही नहीं  बीजेपी के दो संसद भी दसवी पास नहीं है ,,परंतु वे नरेंद्र मोदी जी की सरकार की नीव है |  इस फरमान से लगता है की  आदिवासी छेत्रों  मे जो लोफ़ '''लोकप्रिय'' है वे दसवी पास भले ही न हो परंतु  अपने
 लोगो -और इललके मे पकड़ अच्छी रखते है | इस हथियार  से ऐसे लोग चुनाव  से बाहर हो जाएँगे \ कोई
 आदिवासी ठिकानेदार  का छोरा जो कॉलेज फ़ेल भले होगा लेकिन  चुनाव लड़ेगा ---तो लोग पुराने संबंधो
का ख्याल करके  उसे जीता देंगे | एक बार चुनाव '''जीत'''भर जाये -फिर तो वही होगा --जो पूरे देश मे हो रहा है |
 अर्थात  पाँच साल तक तो कोई रोक-टॉक नहीं होगी | यह सब इसलिए हो रहा है की राजस्थान  के लोग  आज भी  ''महारानी''' की नज़र मे प्रजा है ------नागरिक नहीं |  वे बहुमत का नहीं ---अपनी मन मर्ज़ी का शासन चाहती है | लेकिन यह घटना वनहा  पर लोकतन्त्र के नाम हो रहे नाटक का सबूत है |