देसी बहू राष्ट्रिय कंपनिया --जंहा बीमार पड़ना मना हैं !
बीमा और बैंकिंग के व्यवसाय मे लगे देसी संस्थान का ताम-झाम तो किसी शो रूम जैसा ही होता हैं , जो कॉस्मेटिक समान बेचने वालो जैसा ही होता हैं | यंहा पर काली पैंट और सफ़ेद कमीज़ पहने तथा टाई लगाए लड़के और लड़कियां आपको दिखाई पड़ेंगे , जिनको अँग्रेजी मे बात करने की ताकीद उनके ''बॉस''या सुपर बॉस की होती हैं | देखने मे तो लगेगा की ये लोग काफी चुस्त - दुरुस्त होंगे | पर प्रबंधन की डिग्री या डिप्लोमा लेकर बड़ी - बड़ी उम्मीदों से आए ये बच्चे मोटे - मोटे पैकेज की लालच मे इस नौकरी मैं आ तो जाते हैं पर , धीरे - धीरे उन्हे पता चलता हैं की यंहा आदमी को आम तरीके से ज़ीने भी नहीं दिया जाता हैं |सुबह आठ बजे से जो ड्यूटि पर आते हैं तो न तो लंच का वक़्त मिलता हैं ना ही घर जाने का टाइम नियत होता हैं |
बस एक बात का ही इस दूकान मे ख्याल रखा जाता हैं , वह हैं ''' टार गेट'''' मतलब नए अकाउंट लाओ वह भी बड़े - बड़े मोटे -मोटे ,भले ही वह काला धन हो या सफ़ेद इस से कोई फर्क नहीं पड़ता | यंहा तक की अगर जरूरत पड़े तो उस आदमी की पहचान भी बदल दो या गलत डीटेल दे कर के वाई सी की खानपुरी कर दो | हालांकि यह सब इन नए लड़के -लड़कियो से कराया जाता हैं , जिस से की अगर कोई कानूनी कारवाई हो तो इन्हे आगे कर के ''सुपर बॉस ''' बच सके |
इन बड़ी - बड़ी कंपनियो मैं न तो किसी श्रम कानून का पालन किया जाता हैं न ही कार्य स्थल के लिए ज़रूरी सुविधाए होती हैं | आप को जान कर आश्चर्य होगा की यंहा के सभी काम करने वालों को हिदायत रहती हैं की अपना - अपना पीने का पानी ले कर आए | ग्राहको के लिए रखे वॉटर डिस्पेंसर से पानी न ले | वाश रूम मैं ताला पड़ा होता हैं , जिस से अगर किसी को ज़रूरत लगे तो वह अपने अधिकारी से इजाजत और चाभी ले कर नेचर कॉल अटेण्ड करे , साथ मैं अफसर का उलाहना भी सुनना पड़ता है की मल्टी नेशनल मैं काम करते हो और दो - तीन बार वाश रूम जाते हो | यानि की काम करने वाले से उम्मीद की जाती हैं की वह सिर्फ और सिर्फ टारगेट को पूरा करने के लिए लगा रहे , पखना - पेशाब और पानी पीना भूल जाये |
अब बात करे की यंहा कामगारों को कहते तो अफसर हैं ,मतलब ''मैनेजर '' पद नाम तो आम हैं , हाँ चपरासी की सेवाए किसी ठेकेदार की मार्फत ली जाती हैं |क्योंकि ये देसी अंग्रेज़ ऑफिस बॉय तो रख नहीं सकते , क्योंकि बैलेन्स शीट मैं वह मद इनकी हैसियत गिरा देगी | यंहा न तो नियुक्ति का ना ही पददोन्नति के नियम हैं , सब कुछ कोंपिटेंट अथॉरिटी नाम की किसी हैसियत के पास होते हैं , जो भगवान की तरह रहता तो आस - पास हैं पर कौन हैं यह किसी अनुशासनात्मक कारवाई होने पर ही पता चलता हैं , यानि सिर्फ शॉप देने के लिए ही उनका वजूद हैं ,| न्याय या अन्याय देखने के लिए नहीं |
वैसे अभी कुछ समय पहले ही कोबरा पोस्ट ने इन देसी कंपनियो का खुलासा किया हैं , जिस मे चार बैंक को गदबड़ियों का जिम्मेदार पाया गया हैं |ये हैं आई सी आई सी आई तथा एच दी एफ सी और एक्सिस बैंक द्वारा बिना ग्राहको की पूरी पहचान बताए ही उनके खाते खोले गए | सारी बाते एक स्टिंग आपरेसन के जरिये फिल्मायी गयी | इस बात की खबर उजागर होने पर रिजर्व बैंक ने नोटिस दिया , पर जब इन गड्बड़ियों पर हो - हल्ला मचा तब रिजर्व बैंक को कारवाई करने पर मजबूर होना पड़ा | वैसे ये सभी बैंक जमा और मुनाफे के ''हिसाब''से ही काम करते हैं | इनके लिए सिर्फ और सिर्फ मोटे अकाउंट और बीमा की मोटी- मोटी पॉलिसी बेचने मे ही लगी रहते हैं | इनकी इस गलत और गैर कानूनी हरकतों से ही रिजर्व बैंक ने इन्हे नोटिस दिया हैं | इन पर आरोप हैं की इनहोने और इनके अफसरो ने बिना वेरीफाये किए हुए लोगो से झूठे पैन नंबर दे कर अपना धंधा बड़ाने मे किया हैं , इसलिए गैर बैंकिंग नियमो का सहारा लेने के आरोप मैं आईसीआईसीआई बैंक को नोटिस देकर जवाब मांगा हैं | लेकिन बैंक ने इन ''गैर बैंकिंग ''हरकतों ''' के लिए अपने चौदह अफसरो को बलि का बकरा बनाया हैं | अब इन लोगोकी नौकरी जाना पक्का हैं और जो कुछ भी कानूनी कारवाई होगी वह भी इन्हे खुद ही झेलनी पड़ेगी |
बीमा और बैंकिंग के व्यवसाय मे लगे देसी संस्थान का ताम-झाम तो किसी शो रूम जैसा ही होता हैं , जो कॉस्मेटिक समान बेचने वालो जैसा ही होता हैं | यंहा पर काली पैंट और सफ़ेद कमीज़ पहने तथा टाई लगाए लड़के और लड़कियां आपको दिखाई पड़ेंगे , जिनको अँग्रेजी मे बात करने की ताकीद उनके ''बॉस''या सुपर बॉस की होती हैं | देखने मे तो लगेगा की ये लोग काफी चुस्त - दुरुस्त होंगे | पर प्रबंधन की डिग्री या डिप्लोमा लेकर बड़ी - बड़ी उम्मीदों से आए ये बच्चे मोटे - मोटे पैकेज की लालच मे इस नौकरी मैं आ तो जाते हैं पर , धीरे - धीरे उन्हे पता चलता हैं की यंहा आदमी को आम तरीके से ज़ीने भी नहीं दिया जाता हैं |सुबह आठ बजे से जो ड्यूटि पर आते हैं तो न तो लंच का वक़्त मिलता हैं ना ही घर जाने का टाइम नियत होता हैं |
बस एक बात का ही इस दूकान मे ख्याल रखा जाता हैं , वह हैं ''' टार गेट'''' मतलब नए अकाउंट लाओ वह भी बड़े - बड़े मोटे -मोटे ,भले ही वह काला धन हो या सफ़ेद इस से कोई फर्क नहीं पड़ता | यंहा तक की अगर जरूरत पड़े तो उस आदमी की पहचान भी बदल दो या गलत डीटेल दे कर के वाई सी की खानपुरी कर दो | हालांकि यह सब इन नए लड़के -लड़कियो से कराया जाता हैं , जिस से की अगर कोई कानूनी कारवाई हो तो इन्हे आगे कर के ''सुपर बॉस ''' बच सके |
इन बड़ी - बड़ी कंपनियो मैं न तो किसी श्रम कानून का पालन किया जाता हैं न ही कार्य स्थल के लिए ज़रूरी सुविधाए होती हैं | आप को जान कर आश्चर्य होगा की यंहा के सभी काम करने वालों को हिदायत रहती हैं की अपना - अपना पीने का पानी ले कर आए | ग्राहको के लिए रखे वॉटर डिस्पेंसर से पानी न ले | वाश रूम मैं ताला पड़ा होता हैं , जिस से अगर किसी को ज़रूरत लगे तो वह अपने अधिकारी से इजाजत और चाभी ले कर नेचर कॉल अटेण्ड करे , साथ मैं अफसर का उलाहना भी सुनना पड़ता है की मल्टी नेशनल मैं काम करते हो और दो - तीन बार वाश रूम जाते हो | यानि की काम करने वाले से उम्मीद की जाती हैं की वह सिर्फ और सिर्फ टारगेट को पूरा करने के लिए लगा रहे , पखना - पेशाब और पानी पीना भूल जाये |
अब बात करे की यंहा कामगारों को कहते तो अफसर हैं ,मतलब ''मैनेजर '' पद नाम तो आम हैं , हाँ चपरासी की सेवाए किसी ठेकेदार की मार्फत ली जाती हैं |क्योंकि ये देसी अंग्रेज़ ऑफिस बॉय तो रख नहीं सकते , क्योंकि बैलेन्स शीट मैं वह मद इनकी हैसियत गिरा देगी | यंहा न तो नियुक्ति का ना ही पददोन्नति के नियम हैं , सब कुछ कोंपिटेंट अथॉरिटी नाम की किसी हैसियत के पास होते हैं , जो भगवान की तरह रहता तो आस - पास हैं पर कौन हैं यह किसी अनुशासनात्मक कारवाई होने पर ही पता चलता हैं , यानि सिर्फ शॉप देने के लिए ही उनका वजूद हैं ,| न्याय या अन्याय देखने के लिए नहीं |
वैसे अभी कुछ समय पहले ही कोबरा पोस्ट ने इन देसी कंपनियो का खुलासा किया हैं , जिस मे चार बैंक को गदबड़ियों का जिम्मेदार पाया गया हैं |ये हैं आई सी आई सी आई तथा एच दी एफ सी और एक्सिस बैंक द्वारा बिना ग्राहको की पूरी पहचान बताए ही उनके खाते खोले गए | सारी बाते एक स्टिंग आपरेसन के जरिये फिल्मायी गयी | इस बात की खबर उजागर होने पर रिजर्व बैंक ने नोटिस दिया , पर जब इन गड्बड़ियों पर हो - हल्ला मचा तब रिजर्व बैंक को कारवाई करने पर मजबूर होना पड़ा | वैसे ये सभी बैंक जमा और मुनाफे के ''हिसाब''से ही काम करते हैं | इनके लिए सिर्फ और सिर्फ मोटे अकाउंट और बीमा की मोटी- मोटी पॉलिसी बेचने मे ही लगी रहते हैं | इनकी इस गलत और गैर कानूनी हरकतों से ही रिजर्व बैंक ने इन्हे नोटिस दिया हैं | इन पर आरोप हैं की इनहोने और इनके अफसरो ने बिना वेरीफाये किए हुए लोगो से झूठे पैन नंबर दे कर अपना धंधा बड़ाने मे किया हैं , इसलिए गैर बैंकिंग नियमो का सहारा लेने के आरोप मैं आईसीआईसीआई बैंक को नोटिस देकर जवाब मांगा हैं | लेकिन बैंक ने इन ''गैर बैंकिंग ''हरकतों ''' के लिए अपने चौदह अफसरो को बलि का बकरा बनाया हैं | अब इन लोगोकी नौकरी जाना पक्का हैं और जो कुछ भी कानूनी कारवाई होगी वह भी इन्हे खुद ही झेलनी पड़ेगी |