गेंहू भले ही सड जाए पर गरीबो को न बंट पाये ?
गेंहू की पैदावार अच्छी होने की आशा जंहा लोगो के मन में खुशियों का संचार भले ही हो , पर यह जान कर की हजारो -लाखो टन अनाज सरकारी गोदामों में पड़ा सड जाता हैं , हमलोगों के मन में कडुआ हट भर देता हैं । एक सवाल कौंधता हैं की आख़िर किसान की मेहनत क्यों बर्बाद हुयी ? जबकि करोडो लोगो के लिए भूख के खिलाफ लडने की मुहीम का यह ज़बरदस्त हथियार हैं , फिर किसकी गलती से लाखो लोगो के मुंह का निवाला ऐसे ख़राब होने दिया गया ? क्या यह लापरवाही नहीं हैं ?
एक जानकारी के अनुसार फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के गोदामों में विगत तीन सालो में सड़े गेंहू की मात्र साड़े सोलह हज़ार टन थी , यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना पांच राज्यों के गोदामें में हुआ । अचरज की बात हैं की सबसे ज्यादा अनाज ख़राब हुआ बिहार में , जंहा भुखमरी की समस्या सबसे ज्यादा विकराल हैं । जिन अन्य राज्यों में बर्बादी हुई वे हैं कर्नाटक - राजस्थान असाम । इन सभी राज्यों में अनाज की काफी कामी रहती हैं । जबकि पंजाब - हरियाणा जैसे राज्यों में , जंहा लोगो की ज़रुरत से ज्यादा अनाज पैदा होता वंहा बर्बादी नहीं होती । फिर वही बात की बर्बादी अक्सर वंहा होती जंहा वास्तु की बहुतायत होती हो , लेकिन यंहा तो गरीबी में भी आटा {गेंहू} गीला {बर्बादी} हो रहा हैं । अब यह बाद इन्तजामी हैं या लापरवाही ?
गेंहू की पैदावार अच्छी होने की आशा जंहा लोगो के मन में खुशियों का संचार भले ही हो , पर यह जान कर की हजारो -लाखो टन अनाज सरकारी गोदामों में पड़ा सड जाता हैं , हमलोगों के मन में कडुआ हट भर देता हैं । एक सवाल कौंधता हैं की आख़िर किसान की मेहनत क्यों बर्बाद हुयी ? जबकि करोडो लोगो के लिए भूख के खिलाफ लडने की मुहीम का यह ज़बरदस्त हथियार हैं , फिर किसकी गलती से लाखो लोगो के मुंह का निवाला ऐसे ख़राब होने दिया गया ? क्या यह लापरवाही नहीं हैं ?
एक जानकारी के अनुसार फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के गोदामों में विगत तीन सालो में सड़े गेंहू की मात्र साड़े सोलह हज़ार टन थी , यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना पांच राज्यों के गोदामें में हुआ । अचरज की बात हैं की सबसे ज्यादा अनाज ख़राब हुआ बिहार में , जंहा भुखमरी की समस्या सबसे ज्यादा विकराल हैं । जिन अन्य राज्यों में बर्बादी हुई वे हैं कर्नाटक - राजस्थान असाम । इन सभी राज्यों में अनाज की काफी कामी रहती हैं । जबकि पंजाब - हरियाणा जैसे राज्यों में , जंहा लोगो की ज़रुरत से ज्यादा अनाज पैदा होता वंहा बर्बादी नहीं होती । फिर वही बात की बर्बादी अक्सर वंहा होती जंहा वास्तु की बहुतायत होती हो , लेकिन यंहा तो गरीबी में भी आटा {गेंहू} गीला {बर्बादी} हो रहा हैं । अब यह बाद इन्तजामी हैं या लापरवाही ?