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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 6, 2013

गेंहू भले ही सड जाए पर गरीबो को न बंट पाये ?

  गेंहू भले ही सड  जाए पर गरीबो को न बंट पाये  ? 
                                                                   गेंहू की पैदावार  अच्छी  होने की आशा जंहा  लोगो के मन में खुशियों का संचार भले  ही हो , पर यह जान कर की हजारो -लाखो टन अनाज सरकारी गोदामों में पड़ा सड  जाता हैं , हमलोगों के मन में कडुआ हट भर देता हैं । एक सवाल कौंधता  हैं की आख़िर  किसान की मेहनत  क्यों बर्बाद हुयी ? जबकि करोडो लोगो के लिए भूख के खिलाफ लडने की मुहीम का यह ज़बरदस्त  हथियार हैं , फिर किसकी  गलती से  लाखो  लोगो   के  मुंह का निवाला ऐसे ख़राब होने दिया गया ? क्या यह लापरवाही  नहीं हैं ? 
                    एक  जानकारी  के अनुसार  फ़ूड कारपोरेशन  ऑफ़ इंडिया  के गोदामों  में  विगत तीन सालो में सड़े  गेंहू  की मात्र  साड़े  सोलह हज़ार टन थी ,  यह  दुर्भाग्यपूर्ण घटना पांच राज्यों के गोदामें  में हुआ । अचरज की बात हैं की   सबसे ज्यादा अनाज  ख़राब हुआ  बिहार में , जंहा  भुखमरी की समस्या सबसे ज्यादा विकराल हैं । जिन अन्य राज्यों में बर्बादी हुई वे हैं कर्नाटक - राजस्थान असाम । इन सभी राज्यों  में अनाज की  काफी कामी रहती हैं  । जबकि  पंजाब - हरियाणा  जैसे राज्यों में , जंहा  लोगो की ज़रुरत से ज्यादा अनाज पैदा होता वंहा बर्बादी नहीं होती । फिर वही  बात की बर्बादी अक्सर वंहा होती जंहा वास्तु की बहुतायत होती हो , लेकिन यंहा तो गरीबी में भी आटा {गेंहू} गीला  {बर्बादी} हो रहा हैं ।  अब यह बाद इन्तजामी हैं या लापरवाही  ?