मोरबी
दुर्घटना के लिए पटेल नहीं तो फिर यूनियन कार्बाइड के लिए एंडरसन और उपहार सिनेमा कांड के लिए अंसल कैसे अपराधी बने ?
135 मौतों के लिए
जिम्मेदार मोरबी कांड के लिए अजंता , औरपेट ब्रांड की घड़ी और कैलकुलेटर बनाने वाली कंपनी के मालिक ने
अगर कोई “गुनाह “ नहीं किया तो देश का कानून एंडरसन और अंसल को किस कानून और न्याय व्यवस्था ने
“अपराधी “ करार दिया और सज़ा दी ?? यह सवाल गुजरात , जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का राज्य है और जिसके प्रशासन का “माडल “” वे देश में आदर्श “प्रचार करते
देश में “ सालो से घूम रहे हैं ! यह इतिफाक ही हैं की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हर
“गैर बीजेपी शासित प्रदेश की सरकार और प्रशासन को “”भ्रष्ट और बेईमान का
तमगा देते रहते हैं “” पर इस बार उनकी बोलती इस मामले में बंद हैं ! यह तब हैं -जबकि सम्पूर्ण भारत में अपराधो को परिभाषित करने और कारवाई करने के लिए
100 साल पुराने कानुन है | लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए “”कानून और स्थापित परम्पराओ की अनदेखी या कहे अवहेलना करना भारतीय जनता
पार्टी के नेताओ का स्वभाव बन गया हैं |
इनका उद्देश्य है -हम सही ,तुम गलत ,क्यूंकी हम पार्टी विथ डिफफ्रेंस है , यह कथन अथवा कहे जुमला दो मुद्दो पर इनके पाखंड को उजागर करता है , पहला इनका हिन्दी प्रेम तथा देश के संविधान और शासन -सरकार की परंपरा के
सम्मान की दुहाई देना ! राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के तथाकथित “”हिन्दू राष्ट्र “”में अगर वही होना हैं जो
विगत सात सालो में मोदी जी और उनके लोगो ने किया है ,तो सरदार पटेल के अनूसार “”यह पागलपन हैं “”|
तभी तो आज़ादी के बाद के
वर्षो में कानून और अदालतों के प्रति जो सम्मान सरकार द्वरा किया जाता था –उन सबका अंत नरेंद्र मोदी सरकार
में हुआ हैं | उस का ही परिणाम हैं मोरबी और पटेल तथा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जुगलबंदी
में कानून की अवहेलना तथा मित्रो को गैर पारंपरिक और कभी -कभी नियमो को तोड़ मरोड़
कर उनके मुनाफे और उनकी रक्षा करना |
तत्कालीन प्रधान
मंत्री राजीव गांधी ने अमेरिकी सरकार के दबाव के बावजूद कंपनी पर आपराधिक कानूनों
की कारवाई की गयी, और कार्बाइड के देशी निदेशको केसब महिंद्रा [महिंद्रा अँड महिंद्रा के मालिको में एक
] तक को हवाई जहाज से उतरते ही बंदी बना लिया | यह काम तत्कालीन भोपाल के पुलिस अधीक्षक
स्वराज पूरी ने अंजाम दिया था !
मोरबी कांड
के लिए किसे बंदी बनाया गया ---- चौकीदार -टिकट क्लेर्क और मैनेजर को
– यह है मोदी जी का गुजरात माडल का न्याय ! ना पुल के रख – रखाव के जिम्मेदार फ़र्म के
मालिको और ना ही नियम वीरुध करार करने वाले
नगर निगम के अधिकारियों को !
यह अंतर है मोदी सरकार
की कानून व्ययस्था को पालन करने के तरीके में |
जनहा पहले की सरकारो ने गुनहगारों की शकल देख
कर -कानून नहीं दिखाया , वरन उनकी हैसियत और संबंधो
की निकटता के आधार पर कानून को तोड़ा मरोड़ा गया |
टीवी चैनलो में बीजेपी के प्रवक्ताओ से जब सवाल पूछे जाते है – तब वे बस मोदी
जी का नाम और सरकार के कुप्रसिद्ध जुमले “
कोई भी अपराधी नहीं छोड़ा जाएगा , चाहे कितना ही बड़ा क्यू ना हो
!
अभी विगत माह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक होटल में अग्नि कांड हो गया , जिसमे चार 4 लोगो की मौत हो गयी ,और 12 लोग घायल हो गए | योगी सरकार ने ना केवल मालिको को बंदी बनाया वरन अग्नि कांड और संबन्धित निर्माण अनुमतियों को देने वाले 10 अफसरो को तुरंत निलंबित कर दिया | मुख्य अग्निशामन अधिकारी ने अपने निलंबन को उच्च न्यायालाय में चुनौती दी | परंतु अदालत ने उनकी प्रार्थना को नामंज़ूर
करते हुए राजय शासन को निर्देश दिया की वे इस घटना की जांच के लिए कमेटी बनाये | उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी
की सरकार
है , पर वनहा “गुजरात माडल “ का प्रशासन नहीं
है !
जनहा 4 लोगो की मौत पर मालिक पर
मुकदमा दर्ज़ हो जाये वनही 135 लोगो की मौत
पर अजंता घड़ी निर्माताओ पर इसलिए मुकदमा दर्ज़
नहीं किया जाये ----चूंकि वे प्रधान मंत्री के निकटस्थ हैं | यह न केवल राज्य सरकार वरन प्रधान मंत्री की छवि को दूषित करता हैं | अभी भी समय है की दुर्घटना के लिए जिम्मेदार और घड़ी कंपनी के मालिक को गिरफ्तार क्या जाए ,वरन उन्हे जमानत भी नहीं मिले ऐसा प्रविधान
हो , जैसा भोपाल
गॅस त्रासदी और दिल्ली के उप हार सिनेमा कांड के
जिम्मेदारों
के मामलो में हुआ था |