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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jul 10, 2021

 

सु की और नेवलनी की भांति क्या तेलटुंडे और अन्य भी ??

फादर स्टेंस्वामी की हिरासत में मौत के बाद अब यह सवाल उठने लगा हैं की क्या भीमा कोरे गाव के अन्य अभियुक्त भी हिरासत में ही जीवन काटेंगे ? यह सवाल इसलिए उठा रहा हैं क्यूंकी दिल्ली हाइ कोर्ट द्वारा दिल्ली के दंगो में एन आई ए द्वरा यू आ पी ए के तहत बंदी बनये गए जे एन यू के छात्रो को " जमानत दे दी गयी "” न्यायमूर्ति ने 250 पन्नो के फैसले में साफ किया की जिन अपराधो को क्रिमिनल प्रोसिजर कोड के तहत मुकदमा चलाया जा सकता हैं । उनके लिए यह विशिस्त कानुन का उपयोग गलत हैं | लगता हैं राज्य नागरिक के मौलिक अधिकारो और उनकी सुरक्षा के बारे में अनदेखी की गयी हैं !

हालांकि दिल्ली पुलिस ने 15000 पेज की अपनी चार्ज शीट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के वीरुध अपील की , जिनहोने जमानत को तो बरकरार रखा ,परंतु यह कह दिया की इस फैसले {हाइ कोर्ट } को नजीर न बनाए | इसका अर्थ यह हुआ की यू अ पी ए के अंतर्गत बंदी बनाए गए लोगो को जमानत इस फैसले के आधार पर नहीं दी जाए ! सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ने फैसले पर टिप्पणी की 250 पेज के फैसले को पद कर ही इस पर अंतिम रॉय दी जा सकती हैं | अब देखना होगा की सुप्रीम कोर्ट प्रधान न्यायाधीश रमन्ना के विचार की "” रूल ऑफ ला हना चाइए नाकी रूल बाई ला , विचारो के अनुसार क्या राज्य के बनाए कानून नागरिकों के संवैधानिक अधिकारो की अवहेलना "”विधि " बनाकर करने की छुट सरकार को दी जाएगी ? यद्यपि नागरिकों के सरकार के वीरुध श्ंतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार को दबाया गया तब विधि के शासन की बजाय कानून द्वारा शासन ही होगा , जो लोकतन्त्र के लिए दुर्भाग्य पूर्ण होगा |

म्यांमार और रूस में नागरिक निरीह प्रजा बनकर रह गए

सैनिक शासन में और एकतंत्र जैसे रूस और चीन में "”नागरिकों को उतना ही अधिकार हैं जितना सरकार दे "” भले ही वनहा के संविधानों में नागरिक के अधिकार कितने ही लिखे हो | यूरोपीय देशो में ही {रूस -लिथुवानिया - यूक्रेन - तथा कुछ अन्य देशो को छोड़ कर } आज भी चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी है - राजनीतिक विचारधारा के आधार पर राजनीतिक दल हैं जो नागरिकों की आवाज सरकार के सामने उठाते हैं | परंतु अफ्रीका और लातीं अमेरिका के कुछ देशो में चुनावो में हिनशा और हत्या तथा सत्ता के दुरुपयोग की खबरे आती हैं | भले ही न मामलो पर सयुक्त राष्ट्र संघ में विचार हो परंतु नागरिक तो वनहा भी कष्ट भोगते हैं | उन सभी लोकतांत्रिक देशो में जनहा सत्ता परिवर्तन चुनावो के माधायम से होता हैं , वनहा पर राष्ट्रपति अथवा मंत्री गण शपथ तो लेते हैं की वे "”विधि द्वरा स्थापित राज्य की संप्रभुता को अक्षुण रखूँगा "” परंतु वे नागरिकों के अधिकारो की रक्षा की बात नहीं करते हैं !! ऐसा होता हैं |

उत्तर प्रदेश में पंचायतीराज के चुनाव में हिंसा :-

मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के राज में जिस प्रकार ज़िला अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में केवल सत्तारूद पार्टी के प्रत्याशियों को ही पुलिस और प्रशासन का संरक्षण मिला ,और वे अपना नामजदगी का पर्चा निर्वाचन अधिकारी के पास दाखिल कर पाये | दुसर दलो के उम्मीदवारों को और उनके प्रस्तावको को अदालत के परिसरो में प्रवेश ही नहीं करने दिया गया | प्र्त्यशियों के नामजदगी के पर्चे पुलिस द्वारा लेकर रख लिए गए | राज्यव्यापी चुनावो में हिंसा के द्राशयों में , जब लोग दूसरे दलो के लोगो को मार पीट रहे थे तब बंदूकधारी पुलिस एक मूक दर्शक की भांति खड़ी थी | लखीमपुर खीरी में नामजदगी के समय जब कुछ गुंडे एक राजनाइटिक महिला की धोती खिच रहे थे तब भी --पुलिस उपस्थित थी ! पर उसे बचाने का कोई उपाय नहीं किया | इस घटना का वीडियो जब लाखो लोगो के पास पहुँच गया तब राज्य सरकार ने छ पुलिस जनो को निलंबित किया | पारा कब तक यह निलंबन रहेगा यह भी एक सावला हैं , क्यूंकी जन आक्रोश को शांत करने के लिए किए गए इस फैसले से राज्य व्यापी हिनशा का प्रतीकार तो नहीं होता |

हालांकि इन चुनावो पर राज्य निर्वाचन आयोग की चुप्पी भी शंका को जनम देती हैं | भले ही समाजवादी पार्टी के नेता इन घटनाओ के लिए मुख्यमंत्री को दोषी बताए , पर होगा क्या ? क्या इन राज्य व्यापी चुनावो में जिस प्रकार सरकारी अमले और पुलिस की बदौलत बीजेपी ने विजय श्री हासिल की – क्या उसे लेकर कोई न्यायपालिका में अर्जी लगाएगा ? जिससे की अगले वर्ष होने वाले विधान सभा चुनावो में ऐसी ही घटनाए ना दुहराई जाये ! अगर वक़्त रहते सरकार ने इन घटनाओ पर "”न्यायपूर्ण " कारवाई नहीं की , तब आशंतोष का लावा फूटेगा | जो लोकतान्त्रिक प्रक्रिया के लिए घातक होगा |

अगर हालत नहीं सुधरे और चुनावो में पारदर्शिता नहीं हुई सभी दलो को ईमानदारी से भाग नहीं लेने दिये गया और पुलिस के सहारे संवैधानिक अधिकारो का अप हरण होता रहा तब निश्चित ही यह पुलिस स्टेट बन जाएगी !