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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 24, 2019


सेना देश की -उसका शौर्य -शहादत देश के लिए -फिर श्रेय सरकारी पार्टी का कैसा

सभी देशो की सेनाये अपने देश के प्रति निष्ठा और बलिदान की शपथ की लेती हैं - संसदीय लोकतन्त्र में वे अपने राष्ट्रपति के प्रति बलिदान होने का वादा करते हैं | फिर कैसे कोई राजनीतिक पार्टी भले ही उसकी सरकार हो -कैसे सेना की कुर्बानी को अपने नाम कर सकता हैं ? भारतीय सेना के इतिहास में प्रत्येक पलटन में पुजारी -ग्रंथी और इमाम एवं पादरी होते हैं --जो एक ही स्थान पर धार्मिक आराधना कराते हैं | जिन रेजीमेंट का गठन सिर्फ एक जाती अथवा समुदाय विशेष के लिए हैं उन मैं भी यह परंपरा होती हैं | काश्मीर मैं एक शहीद सिख सनिक को मरणोपरांत आज भी पलटन मैं हाज़िरी होती हैं --वे सिख पलटन मैं थे और युद्ध मैं शहीद हुए थे --जिनकी आत्मा कहते हैं आज भी सैनिको को पहरे पर सचेत और खतरो से बचाती हैं , ऐसा विश्वास हैं | उन्हे आज भी वार्षिक छुट्टी मिलती हैं | उनकी हाज़िरी होती हैं ---- क्या वे यह सब किसी सरकार के प्रधान मंत्री या उसकी पार्टी के लिए करते हैं ? बिलकुल नहीं | तब किस आधार पर मोदी जी की सरकार पाक सीमा पर हुए शहीदो की कुर्बानी पर अपना लेबल चस्पा कर सकते हैं ? क्या यह उन रणबांकुरों की भावनाओ से खिलवाड़ नहीं हैं ?
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आज तक देश मैं हुए निर्वाचनों मैं कभी भी सेना की शहादत को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया गया ---पर इस बार पुलवामा मैं हुए आतंकी हमले मैं मारे गए और सरकार की हवाई स्ट्राइक को लेकर सरकार उनकी कुर्बानी को अपनी उपलब्धि बता रही हैं ! पर वह यह नहीं बता रही की केन्द्रीय सुरक्षा बल की चार पलटनों के एक साथ "” मूवमेंट " को किस अफसर ने और किसके कहने से मंजूरी दी ? क्योंकि शांति के इलाको मैं भी इतनी बड़ी संख्या मैं पलटन नहीं कूच करती हैं | क्योंकि उनके "”आने - जाने "” के रास्ते और संख्या को गोपनीय माना जाता हैं | पर क्या वह गोपनियता पुलवामा शहीदो के मूवमेंट के बारे मैं बरती गयी ? आज तक सरकार जो कुर्बानी को तो अपने नाम कर रही हैं --परंतु दोषी जिम्मेदार अफसरो की लापरवाही पर कोई कारवाई नहीं की ? आखिर क्यूँ |
इसके उलट हवाई सर्जिकल स्ट्राइक के बारे मैं ऐसे दावे देश के सामने रख रही है ---जिनको अतराष्ट्रीय मीडिया सत्य नहीं बता रहा हैं | क्यूँ नहीं सरकार ऐसे चैनलो को हक़ीक़त बता कर अपना दावा सत्य साबित कर रही ? आखिर क्या है ऐसा जो उसे हवाई हमले का सच उजागर करने से रोक रहा हैं ? क्योंकि यह भारत सरकार की ही नहीं वरन सम्पूर्ण देश की प्रतिष्ठा का सवाल हैं --- मात्र सरकार मैं बैठी एक दल विशेष की उपलब्धि नहीं हैं |

जब - जब सत्तासीनों ने सेना को मुद्दा बनाया हैं तब - तब लोकतन्त्र की हत्या हुई हैं | दक्षिण अमेरिका के देशो वेनेजुयाला - पेरु -कोलम्बिया आदि अनेक देश इस रास्ते से चल कर अराज्क्ता मैं उलझ गए हैं | वनहा नागरिक अधिकारो का उल्ल्ङ्घन की वरदातों से से संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक़्छेप करना पड़ा हैं | भारत मैं भी संयुक्त राष्ट्र संघ के "”पर्यवेछाक "” जम्मू - काश्मीर की विवादित सीमा रेखा पर आज भी तैनाती दो देशो के विवाद के कारण ही हुई हैं | वे सीमा के दोनों तरफ तैनात हैं | जो अपनी रिपोर्ट सीधे यूएनओ को भेजते हैं यनहा की सरकार को नहीं ! पाकिस्तान हवाई स्ट्राइक के हमले के स्थान पर अन्तराष्ट्रिय मीडिया को ले जाकर भारत सरकार के दावे को झूठा सीधा कर रहा हैं | यह हमारी सेना के लिए बहुत हितकारी नहीं हैं | केवल यह कह देने मात्र से बात साफ नहीं होगी की "””ऊपर से ऑर्डर आया था "” अब ऑर्डर जिसने भी दिया हो -परंतु वायु सेना प्रमुख ने कहा की "” हमारा काम टार्गेट को बर्बाद करना था ---हमले से हुए नुकसान और जनधन हानि का हिसाब सरकार बताए "”” परंतु सरकार देशी मीडिया पर दबाव बना कर हमले के कुछ शॉट दिखाने पर मजबूर कर रही हैं – और आम नागरिकों को उन पर विश्वास करने पर मजबूर कर रही हैं ! सच्चाई के लिए किए गए सवालो को देशद्रोह - गद्दारी जैसे विशेषणों से परिभाषित कर रही हैं | जनता द्वारा सरकार से सवाल पूछने के अधिकारो को भी नियनत्रित कर रही हैं | जबकि लोकतन्त्र मैं नागरिक को सवाल पूछने का अक्षुण अधिकार ही इसकी कसौटी हैं |

मोदी सरकार की बहू प्रचारित पाकिस्तान पर "”कूटनीतिक सफलता "” के प्रमाण मैं अमेरिका -ब्रिटेन और फ्रांस के आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव का समर्थन बताते हैं | परंतु वे चीन का विरोध भूल जाते हैं - जबकि पहले राष्ट्रपति जी सी पिंग को अहमदाबाद मैं मोदी जी ने काफी झूला झुलाया था | अब उसी तरह चीन भी भारत के मोदी जी की सरकार को झूला रहा हैं |
जैसे इज़राइल के प्रधान मंत्री नेत्न्याहू को संसदीय चुनवो मैं राष्ट्रवाद की लहर के लिए "”गोलन पहाड़ी " पर उसके अधिकार को मान्यता दी हैं --- जबकि वह इलाका अरबों से छिना हुआ हैं ----जैसे की पाकिस्तान ने काश्मीर के इलाके पर कब्ज़ा किया हुआ हैं | अगर चीन गिलगित के इलाके पर पाकिस्तान की संप्रभुता मंजूर कर लेने की घोसना कर देता हैं ,तब राष्ट्रवाद की लहर का क्या होगा ?

न्युजीलैंड मैं दो मस्जिदों पर गोरी क़ौम की संप्रभुता के हिमायती ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 50 से अधिक इस्लाम के बंदो की हत्या कर दी | प्रधानमंत्री जेसीन्डा ने इस हमले के लिए ना केवल निंदा की वरन हताहतो के परिवारों को धीरज बढाने पंजाबी सलवार सुट में उनके उनके घरो पर गयी | हमारे प्रधान मंत्री कभी भी पुलवामा के शहीदो के घरवालो के परिवारों को यह बताने नहीं गए की आपके परिवार के सदस्य की शहादात देश के लिए बहुमूल्य हैं | वे घटना के बाद भी जिम कार्बेट पार्क मैं फोटो शूट करते रहे | पटना मैं चुनावी रैली मैं भाषण करते रहे जबकि शहीद के शव पर फूल चड़ाने की भी फुर्सत नहीं रही ! आईपीएल क्रिकेट मैच के पहले दिन चेन्नई मैं मैच के शुरू होने के पहले ही लगभग 20 करोड़ की की धन राशि पौलवामा में शहीद हुए लोगो के परिवारों को लिए दी गयी थी ! परंतु सरकार ने ऐसी दरियादिली नहीं दिखाई !
सेना मैं प्रयोग मैं लाये जाने वाले सामानो को भी निजी छेत्र से निर्मित करवाने की पहल मोदी सरकार ने कर दी हैं | अभी तक राफेल -बोफोर्स जैसे बड़े हथियार निजी कंपनी से खरीदे थे – लेकिन अब कारतूस और ग्रेनेड आदि भी निजी कंपनी से कहरीदे जा रहे हैं | इससे देश की सेना कितनी सुरक्षित रह सकेगी -यह सोचने की बात हैं | क्या मोदी सरकार इन मुद्दो को भी ज़िम्मेदारी लेगी या – सिर्फ अच्छा अच्छा खा और कड़ुवा कड़ुवा थू थू की कहावत ही चरितार्थ करेगी |