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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 14, 2015

डी मैट – भर्ती और उसकी जांच उलझन मे अदालत

डी मैट – भर्ती और  उसकी जांच उलझन मे अदालत

                 डी मैट यानि की निजी मेडिकल कालेजो मे भर्ती और भ्रष्टाचार - चूंकि इन संस्थानो मे छात्रो की चयन की अंतिम तारीख आज़ादी की वर्ष गांठ के पहले की है -और यह कारवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है | हालांकि बाज़ार की सुने तो कहा जा रहा है की ऐसे सभी संस्थानो ने  '''अपनी -अपनी सीटे '''आरक्षित कर ली है """ | मतलब आशंका ही नहीं पूर्ण विश्वास है की विगत वर्षो की ही भांति इस वर्ष भी एमबीबीएस की सीटे नीलाम होंगी |
        व्यापम घोटाले की दुनिया मे भले ही गूंज हो पर उससे  आम आदमी कोई राहत नहीं -- पैसे के योग्यता डैम तोड़ेगी ,फिर एक बार | क्योंकि  भर्ती की प्रक्रिया मे जो धांधली  व्यापम मे हुई थी उस से कही  ज्यादा  गड़बड़िया तो डी मैट मे हुई है | लेकिन इन लोगो की गड़बड़ी मे प्रदेश सरकार की भी ज़िम्मेदारी है | चिकित्सा शिक्षा संचालक द्वारा उच्च न्यायालया मे यह जवाब देना की """सरकार डी मैट मे भर्ती के लिए होने वाली प्रतियोगिता के लिए पर्यवेशक देने मे असमर्थ है """""??
       उधर उच्च न्यायालय बार - बार निजी मेडिकल कालेजो को ""यह बताने का निर्देश दे रहा है की वे अदालत द्वारा निर्धारित मानदंडो  के आधार पर  भर्ती की प्रतियोगिता /कारवाई करने के लिए सक्षम एजेंसी  बताए | दो तारीखों मे यह कारवाई ""पूरी नहीं सो सकी है """ | एवं अकादमिक सत्र  भी विलंब से ही प्रारम्भ होगा , ऐसे मे इन कालेजो मे क्या ''योग्यता''' के सहारे छात्र प्रवेश पा सकेंगे ? इस प्रश्न का उत्तर  अब कौन खोजेगा ?
            ऐसी स्थिति मे क्या उच्च न्यायालय  इन संस्थानो को यह आदेश नहीं दे सकता की वे आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट के अभ्यर्थियो मे सफल परिक्षारथियों  मे से  प्राप्त अंको के क्रम से भर्ती करे || आखिर अखिल भारत स्टार पर होने वाली इस प्रतियोगिता मे अभी तक इतना बड़ा घोटाला तो नहीं हुआ जितना की डी मैट मे हुआ | सुप्रीम कोर्ट ने माना है की डी मैट 'व्यापम ''से कई गुना बड़ा घोटाला है | सीबीआई ने भी जबलपुर मे उच्च न्यायालय मे कहा है की डी मैट तो व्यापम से कई गुना बड़ा कांड है | परंतु उन्होने अदालत को बा व्यापम की ही जांच के लिए स्टाफ  की बहुत कमी है | लगभग दो सौ मिडिल लेवल अधिकारियों की ज़रूरत है | ऐसे मे डी मैट की जांच के लिए और अधिक समय तथा संसाधन की आयश्यकता होगी |

     अब इन हालातो मे समय से सत्र की शुरुआत और योग्यता आधारित भर्ती कराना  तथा ''सीटो की नीलामी'''' को रोकने के लिए  पारदर्शिता से इन संस्थानो को विद्यारथी सुलभ कराना ही उद्देस्य बचा है | ऐसे मे क्या उच्च न्यायालय आल इंडिया प्रे मेडिकल टेस्ट के मधायम से भर्ती करना ही सुलभ अवसर है | इस से यह आरोप खतम हो जाएगा की इन संस्थानो मे तो """पैसे दो और सीट लो """चलता है | वैसे ही इन कलेजो के बारे मे यह आम धारणा है की '''यहा के पड़े डाक्टरों को सिवाय सरकारी अस्पताल की कोई नर्सिंग  होम या अस्पताल इन डाक्टरों को नहीं रखता है | इस संदर्भ मे  मेदनता के प्रख्यात ह्रदय रोग डाक्टर डॉ त्रेहन ने तो  व्यापम  कांड के पर कहा थी की हमारे अस्पताल मे निजी संस्थानो के पढे  डाक्टरों को नहीं रखते है | क्योंकि उनकी शिक्षा और अनुभव परिपक्व नहीं होता | अब यह रॉय देश के बड़े अस्पतालो मे एक के प्रबन्धक की है | जो महत्व पूर्ण है | जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता | ऐसे मे यदि मेडिकल छेत्र  को हिप्पोक्रेटिक कसम की लाज रखनी है -और लोगो को विश्वास दिलाना है की  डाक्टर जान बचाते है -पैसे बनाने के  लिए इलाज़ नहीं करते | तो उन्हे ऑल इंडिया प्रे मेडिकल टेस्ट से चुने छात्रो को ही उनके प्राप्त नंबर के अनुसार प्रवेश देना चाहिए | अन्यथा डाक्टर भगवान है इस विश्वास खंडित होना अवश्यंभावी है | अब गेंद निजी मेडिकल कालेजो के पाले मे है  की वे जनता के नज़र मे खरे उतरते है या फिर ..................|