Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 26, 2021

 

किसानो के अलावा अपने दल के लोगो को भी नहीं समझा पाये मोदी जी ?------------------------------------------------------------------------------

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र के नाम संदेश में स्वीकार किया था की वे क्रशि कानूनों के फायदे किसानो को नहीं समझा पाये | परंतु उनके मंत्री और साथी भी नहीं समझ सके ! क्यूंकी चाहे राज्यपाल कालराज मिश्रा हो या प्रदेशों के मंत्री भी बयान दे रहे हैं की "”” उचित समय "” पर ये कानुन वापस लाये जाएँगे ? अब सत्तारूद पार्टी के मंत्री और संवैधानिक पदो पर बैठे व्यक्ति भी इस बारे में भ्रम फैला रहे है | जिससे आंदोलन कारी किसान प्रधान मंत्री के वचनो को "”सत्या "” नहीं मान रहे | अगर साल भर तक चले किसान आंदोलन के लोग सार्वजनिक रूप से अविश्वासनीय बता रहे हैं | उनके अनुसार राज्यो में होने वाले विधान सभा के चुनावो के मद्दे नज़र किसान वर्ग को "” संतुष्ट "” करना चाह रहे हैं | उनका कहना हैं की फसलों के न्यूनतम मूल्य का कानूनी निर्धारण और आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 किसानो को मुआवजा और आंदोलन करियों के खिलाफ पुलिस द्वरा दर्ज़ मुकदमे भी वापस करना उनकी मांगो में हैं | जिसे केंद्र सरकार को राज्यो में अपनी सरकारो से मानने का निर्देश देना पड़ेगा | तभी शायद किसान अपने घरो को वापस जाएँ |

2- प्रधान मंत्री के वादे पर भरोसा न करने का एक कारण और है ------वह हैं की जिस ताबड़तोड़ तरीके से इसे पारित करवाने में स्वर्गीय अरुण जेटली ने काम किया था , उसी से सरकार की नीयत पर संदेह हुआ था | विपक्ष की बारंबार मांग पर की इसे सिलैक्ट कमेटी में विचार करने भेजा जाये , को सरकार ने ठुकरा दिया | इसे वित्त विधेयक की तरह नहीं वरन साधारण विधेयक की भांति पारित कराया था | जो की संसदीय नियमो के विपरीत था | लोकसभा में बीजेपी के नेत्रत्व वाले बहुमत ने "”””नियमो को तोड़ कर "”इस विधेयक को संकरी गली से पारित कर दिया था ! राज्य सभा में भी बहुमत नहीं होते हुए सरकारी पार्टी ने "””तिकड़म :: लगा कर वनहा से पारित कराया ! आखिर क्यू इतनी जल्दबाज़ी ? बाद में यह तथ्य सामने आया की गौतम अदानी की कंपनियो को अधिकार और सुविधा देने के लिए ही यह सब प्रपंच सरकार ने किया , क्यूंकी मोदी जी की और अदानी जी के गहरे संबंधो की जानकारी समस्त देश को हैं | मोदी समर्थक इसे देश के लिए वरदान मानते हैं जबकि मोदी विरोधी इसे सत्तारूद दल की दुधारु गाय मानते हैं |

3----- इसीलिए जब हरियाणा में किसानो को इस विध्यक की शक्तियों के बारे में बताया गया , तब किसान चेते | उन्होने जमीन जाने के भय से इस कानून का विरोध करना शुरू किया | बड़ी संख्या में पंजाब - हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानो ने भारतीय किसान यूनियन सहित तेरह से भी ज्यादा किसान संगठनो ने दिल्ली में डेरा डाला | उसके बाद उनकी जद्दोजहद चलती रही ----और साल भर से कुछ कम दिनो तक तक यह आंदोलन चला | तब प्रधान मंत्री जी को किसान आंदोलन की सुध आई | इस दौरान 700 से अधिक इंसान अपने घरो से दूर अंतिम साँस लेने पर मजबूर हुए | इस दौरान मोदी जी के शोक संदेश सैकड़ो लोगो की प्र्क्रतिक मौत पर शोक संदेश भेजते रहे , परंतु इन किसानो की मौत पर केंद्र सरकार अथवा उसके मंत्रियो ने शोक व्यक्त करने की ज़हमत नहीं उठाई | फिर कौन सी ऐसी घटना घाटी जिसने सीधे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र के नाम माफीनामा देना पड़ा ! परंतु न तो किसान और ना ही जनता समझ पायी की इतना बड़ा "”अबाउट टर्न "” किस कारण हुआ ?? यह कहना की मोदी जी सदाशयता हैं ? जो की उनके व्यक्तित्व से नहीं झलकती | फिर लोगो को समझ में आया की उप चुनावो में बीजेपी की पराजय और उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावो के मद्दे नज़र ही यह फैसले हैं ! पेट्रोल की कीमतों में कमी – और खेती से जुड़े "”तीनों कानून "” को वापस लिया गया हैं | इसलिए यह वक़्त की मांग ही थी जिसने मोदी जी को झुकने पर मजबूर कर दिया |

4----- किसानो की मांग के बाद ताबड़तोड़ तरीके से श्रम कानूनों में संशोधन अथवा यह कहे की प्रस्तावित विधेयक काम की घंटे में व्रधी – नौकरी पर रखने और निकालने की मालिक को "””अबाध"” शक्ति देना एवं मुआवजा निर्धारण के आधार में नियोक्ता को खुली छूट देना आदि | मोदी जी और उनकी पार्टी को अब यह एहसास हो गया की साड़े सात साल में उनकी "” तोडफोड की और दल बादल की राजनीति से ज्यदा लोक कल्याण करना होता हैं | परंतु अम्रीका के विवादास्पद राष्ट्रपति ट्रम्प की भांति , इनके समर्थक भी रिटायर अफसर और बेरोजगार युवक ही हैं | जिनहे राजनीति के नाम पर या तो हिन्दू और मुसलमान का विवाद करना और मुसलमानो को नफरत का शिकार करना | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो 32 संगठनो की आत्मा हैं , जिसमें भारतीय जनता पार्टी भी एक हैं । जो विगत के इतिहास से टुकड़े - टुकड़े में निकाल कर उन्हे अपनी तरह से "””परिभाषित "” करते हैं | और मूल उद्देश्य होता है देश की वर्तमान समस्याओ से जनता का ध्यान भटकाना |

5--- उपरोक्त कारणो से आंदोलनकारी किसान अभी भी दिल्ली मे जमे रहेंगे ,ऐसी उम्मीद हैं | यह भी सुना जा रहा हैं की श्रमिक यूनियन से हाथ मिलकर किसान आंदोलन अब आम आदमी की समस्याओ के हल निकालने की कोशिस कर सकते हैं |

जिस प्रकार मोदी जी ने पेट्रोल की कीमतों में कमी की फिर सरकार केआर रिजेर्व कोटा से तेल निकाल कर बाजार में डालने की भी घोसना की हैं | उससे यह पक्का हो चला हैं की विधान सभा चुनावो की घंटी सत्तारूद दल को परेशान किए हैं | लेकिन केंद्र सरकार को "”लोक कल्याण "” के लिए अभी कई फैसले लेने होंगे अन्यथा मोदी जी की कुर्सी भी हिल सकती हैं |