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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 31, 2017

धर्म का बाना पहन कर व्यापार करते बाबा - संत या स्वामी अधिकतर इन गुरुओ के भाषण या प्रवचन अथवा भक्तो की भाषा उपदेश – छपे साहित्य - आडियो और विडियो कैसेट तथा अगरबत्ती -सुगंधी आदि "” उन लोगो को बेची जाती है जो सत्संग मे आते है "””
पर क्या इन लोगो के पास इस फुटकर व्यापार का लाइसेन्स भी है ?? अथवा खाने -पीने के उत्पादो का बिक्रय क्या कानून के नियमो के तहत हो रहा है या ----- आस्था और विश्वास पर ही हो रहा है ??
योग शिक्षक रामदेव द्वरा अपनी संस्था // ट्रस्ट या संगठन द्वरा पतंजलि के माध्यम से दूसरों के बनाए उत्पादनों की मार्केटिंग करके 50,000 करोड़ रुपये का धंधा क्या नियमो के तहत ही हो रहा है ? यह सवाल पूछा जाना ज़रूरी है | क्योनी 28 अगस्त को उन्होने अपने विज्ञापान मे दावा किया की उनके द्वरा बेचे सामानो को उपयोग करने वाले ''' ना केवल देशभक्त होंगे वरन वे धर्म और परोपकार मे सहयोग के भागी होंगे "” कितना बड़ा लालच है औसत भारतीय व्यक्ति के लिए ??

आजतक खाद्य वस्तुओ की जांच के लिए कोई नमूना राजी मे नहीं लिया गया || ना ही नाप तौल विभाग ने इनकी जांच की ? आखिर क्यो ?? बाज़ार के अन्य सामाग्री उत्पादन कर्ताओ के यनहा '''छापा - नमूनो लिए जाना एक वार्षिक कारवाई है जो दीपावली के पूर्व अक्सर विनहगीय अफसरो द्वरा की जाती है | परंतु अभी तक पतंजलि उत्पादो की जांच की खबर कभी नहीं आई आखिर क्यो ??? क्या इसलिए की इनके करता - धर्ता रामदेव जी को सरकार व्यापारी नहीं धर्म प्रचारक मानती है ? या प्रधान मंत्री द्वरा शुरू '''योग ''की मुहिम चलाते है ?

छपी हुई खबरों के अनुसार पतंजलि की एजन्सि की संख्या 5000 के करीब है -----क्योंकि संगठन द्वरा कभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया की --किन -किन नगरो मे कौन -कौन उनके अधिकरत डीलर है ?? कुछ ऐसा ही दूसरे '''संत'' श्री श्री का भी है | यमुना के किनारे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करके ''राष्ट्रीय ग्रीन ट्राबुनल '''' से दोषी करार दिये गए और दासियो लाखो का जुर्माना भी भरा | उनकी भी अब बाज़ार मे दूकाने खुलने की सूचना है | बताया जाता है की उन्होने देश भर मे 3000 स्थानो पर बिक्रय केंद्र खोलने की योजना बनाई है !!

सिरसा का डेरा जनहा कल तक बाबा राम -रहीम था और आज गुरमीत सिंह का सच्चा सौदा के भी हरियाणा - पंजाब और राजस्थान मे 300 से अधिक दूकाने है | जनहा से उसके शिष्य अनेकों सामान खरीदते थे | इन दूकानों मे उन कंपनियो के उत्पाद बिकते थे जिनहे ''गुरु'' का आशीर्वाद होता था |

सरकार क्यो इन बाबाओ के व्यापार को छूट देती है ??? क्या इसलिए डरती है '''वोट बैंक '' खिसक जाएगा ?? तब फिर लाखो का चंदा देने वाले सेठोके यानहा कैसे छापा पद जाता है ?? क्या यह रेट बदने के लिए होता है अथवा धमकाने के लिए ?

अगर इस मामले को पूरी तरह से धार्मिक कसौटी पर देखा जाये तो यह इन भगवा वस्त्र धारियो के लिए "”पातक'' के समान है | अर्थात इन्हे कड़े प्रायश्चित का अपराध है | परंतु ये विभूतिया तो वेदिक धर्म की "””अपनी व्यवख्या लिखने वाली है "”” |
अपरिग्रह के स्थान पर "”येन-केन प्रकारेण''''' धन और मुद्रा संचयन करने वाले किस मुख से ''''त्याग ''' की अपील कर सकते है "” ???
अब भी अगर हमारे भाई और बहने इन भगवा धारी व्यापारियो के प्रवचन == योग == वस्तु व्यापार को नहीं छोड़ेंगी तब तक उनका शोषण जारी रहेगा