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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 27, 2015

यह है कोटा कोचिंग वाला --बस अब तक इक्कतीस !!

यह है कोटा कोचिंग वाला --बस अब तक इक्कतीस !!
आज कल नौजवानो मे अपने भविष्य को लेकर काफी उत्सुकता रहती है , इसी लिए वे अपने भावी कैरियर के लिए सुबह से शाम तक दौड़ते रहते है | प्राथमिक शिक्षा के उपरांत ही नौकरी की दौड़ मे आगे बने रहने के लिए वह कॉलेज मे अध्ययन के बाद ट्यूसन और फिर कोचिंग जाना | इस सारी दिनचर्या मे खेल अथवा परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिलता ही नहीं | घर के सदस्यो से अधिक उसका साथ अपने मिलने - जुलने वाले साथियो से होता है | जिनके चाल - चरित्र का कोई पता नहीं होता |अब ऐसे वातावरण मे उसके '''सही और ठीक रहने '''' की संभावना कमजोर हो जाती है |

लगातार किताबे और पढाई का दबाव तथा भाग -दौड़ का माहौल , जिसमे सिर्फ "””बहते ही जाने की संभावना होती है ,,उसमे "” स्व विवेक ''के इस्तेमाल का मौका कम ही मिलता है | प्रतिस्पर्धा - मे पिछड़ जाने का अवसाद अक्सर छात्रो को दृग और नशे की ओर ले जाता है | एक कारण तो होता है की उसे लगता है की वह अपने माता--पिता की आशाओ पर खरा नहीं सिद्ध हो प रहा है | फिर उनके द्वारा मिलने वाली प्रताड़ना और अपमान उसे बेचैन कर देते है | ऐसे मे कोई बड़ा – बुजुर्ग उसे सान्त्व्ना देने वाला नहीं होता | टूटन के इस कगार पर वह कुछ ऐसा करना चाहता है जो उसके "””अहम"”” को संतुष्टि दे सके |
परंतु सुनहरे भविष्य और सुखद ज़िंदगी की "”आस '' उसे किसी अन्य विकल्प को चुनने का साहस नहीं दे पाती | असफलता से टूटे हुए को सांत्वना सिर्फ अभिभावक अथवा कोई बड़ा जिसके लिए छात्र के मान मे सम्मान हो ---वही उसे ''बचा सकता है "”' | | ऐसी स्थिति मे भी कोचिंग सेंटर के संचालक उनही छात्रो को छाती से चिपकाए रहते है ---जिनकी सफलता को वो अगले साल विज्ञापन मे फोटो देकर भुना सकते है | यह भी कोचिंग सेंटरो की आपस की प्रतिस्पर्धा का ही कारण होता है | वे नौनिहालों के भविष्य को सवारने का काम नहीं करते है ,,वरन करेंसी नोट कमाने का काम करते है || उन्हे सिर्फ भर्ती के समय ज्यादा से ज्यादा लड़को भरने का काम आता है | यह सेवा नहीं "””व्यवसाय''' है | जिसमे विज्ञापन पर भरोसा कर के लड़का अपने अभिभावकों को इस "” ख़र्चीले और मंहगे "” रास्ते की ओर जाने के लिए दबाव बनाता है | जब उसे पता चलता है की पिता ने ज़मीन --मकान गिरवी रखकर पैसा लिया है---कोचिंग मे उसकी भर्ती के लिए |तब उसे लगता है की की इस क़र्ज़े को उसे उतारने के लिए कुछ बनना होगा |


पर उसी के ऐसे हजारो महत्वाकांछी लोग राजस्थान के रेतीले इलाके मे बसे कोटा नामक इस शहर मे अपना भविष्य स्वरने आते है | पर असफलता का एक झटका लगते ही वे फांसी पर झूल जाते है | अब तक ऐसे लड़को की संख्या इकतीस हो चुकी है अब इन असफल लोगो की जान की कुछ कीमत है ?? उनकी मौत क्या इस "”'कोचिंग फैक्ट्री के शहर "” के इन संचालको को छात्रो की मनः स्थिति को समझने का का प्रयास करेंगे ?? अथवा इकक्तिस की यह संख्या आगे भी बदेगी ???

माधव का अखंड भारत का सपना ? जमीनी और हवाई हक़ीक़त

मोदी की लाहौर यात्रा --माधव का अखंड भारत का सपना ?
जमीनी और हवाई हक़ीक़त
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अचानक लाहौर यात्रा को लेकर चंद लोग ''अति उत्साहित "” दिखाई पड रहे है | संघ के प्रवक्ता रहे और मौजूदा संगठन महा मंत्री राम माधव ने तो "”त्वरित टिप्पणी "” की तरह इसे अखंड भारत का आरंभ ही घोषित कर दिया | वे राजनीतिक प्रष्ठ भूमि के नेता नहीं है ---- संघ से आए है , जनहा एक सीमित विषयो पर ही विमर्श होता है | विदेश नीति के तहत संघ का मानना है की "”हम सर्व श्रेष्ठ है "” विश्व गुरु है , | अब इन अभिलाषाओ से आकांछा तो प्रश्फ़ुटित होती है ,,परंतु वह "” शतायु भाव "”” के आशीर्वाद की भाति है जो संभव होता नहीं है | परंतु हजारो वर्षो से परंपरा का निर्वाह आज भी होता चला आ रहा है |

इस संदर्भ मे पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेई की लाहौर बस यात्रा की विवेचना करना होगा | तभी हम यथार्थ जान पाएंगे अटल जी दोनों देशो के अधिकारियों की विस्तारित चर्चा के बाद बस से 19 फ़रवरी 1999 को लाहौर गए थे | उम्मीद हुई थी की पड़ोसी को | भरोसा होगा --हमारी सदिच्छा पर | परंतु मई मे ही पाकिस्तानी सेना ने कारगिल मे मोर्चा खोला | बात यही तक नहीं थी सन 2001 मे संसद मे आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान से वार्ता भंग हो गयी थी | उस समय लोगो को अटल जी के प्रयास पर संदेह नहीं हुआ था ----क्योंकि तैयारी के बाद वार्ता हुई थी |
परंतु मोदी की इस यात्रा का सारा दारोमदार सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और पाकिस्तान के सलाहकार के मध्य बैगकाक मे हुई '''चर्चा ''' ही आधार बनी है | उस बैठक के बाद ही अचानक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पाकिस्तान यात्रा हुई ,,जिस पर देश मे बहुत असमंजस था | उसके बाद अफगानिस्तान मे ''यारी मेरे यार ''' गाने के बाद अचानक तो नहीं पर अघोषित इस हवाई यात्रा से बहुत ज्यादा उम्मीद करना समझदारी तो नहीं होगी | विगत साठ वर्षो मे जिस काश्मीर के मुद्दे को सभी प्रकार की ''''वार्ताओ '''' से अलग रखा गया --उसे आज की सरकार एजेंडे पर लाना चाहती है |जिस विषय को भारत की संसद ने सार्वभौमिकता से जोड़ दिया है -उसको भी विचारणीय बनाए जाने का अर्थ क्या घुटने टेकना नहीं है ???

अब बात अखंड भारत की ले - राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के नक्शे मे ''अफगानिस्तान से लेकर वर्तमान पाकिस्तान तथा बंगला देश म्यांमार और इन्डोनेशिया द्वीपो तक फैला है | “ अब आज की अंतराष्ट्रीय परिस्थिति मे क्या ऐसी बात कहना या मांग रखना "”खतरनाक "””नहीं होगा | दूसरा महा युद्ध ऐसी ही सान्स्क्रतिक एकता को लेकर आर्क ड्यूक की हत्या हुई थी -बाद मे जिसने सारे विश्व को युद्ध की विभीषिका का कारण बना | जिस आर्य संसक्राति के आधार पर अखंड भारत की कल्पना संघ द्वारा की गयी है ----नाजी संसक्राति भी आर्य समूह को विश्व का शासक बनाने की बात करती थी | परंतु वे एशिया के आर्यों को " शुद्ध आर्य नस्ल"”नहीं मानते थे | अब ईरान के सम्राट की उपाधि भी "” अरियामेहर "” थी | जिसका अर्थ था आर्य श्रेष्ठ - परंतु आज हक़ीक़त क्या है ? खोमइनी का इस्लामिक राज्य ! अफगानिस्तान मे सान्स्क्रतिक रूप से तीन भाग है ,,वहा ताजिक --उज़्बेक और मुगल तथा पठान है , उनमे आपस मे इतना बैर है की ज़ाहिर शाह की बादशाहत खतम करने के बाद से सभी अपने - अपने क़बीलो की "”शुरा"” के फैसलो से चलते है | इन बैठको मे भी जंगजू नेताओ का बोलबाला रहता है | फलस्वरूप पिछले तीस सालो से वंहा बमो के धमाके और बंदूक की गोली ही 'राज़' कर रही है | ये कबीले आपस मे भी लड़ते है और अमरोकी फौजों के खिलाफ भी युद्ध घोषित किए हुए है | पाकिस्तान का फाटा इलाका भी कबयालियों के कानून से चलता है | पाकिस्तानी फौज कभी - कभी हस्तक्षेप करती है | वरना अपनी छावनियों मे क़ैद रहते है |

अखंड भारत का सपना संघ कैसे मंजूर कर रहा है ---जबकि उसका मुस्लिम विरोध जग ज़ाहिर है |
एका ऐतिहासिक तथ्य है की आज की दुनिया मे ''देशो का विभाजन सन्स्क्रातियों के आधार पर हुआ है ----परंतु दो देश का कोई गठबंधन बना हो ऐसा नहीं हुआ | मलाया और सिंगापूर मिलकर मलेशिया बना था --परंतु कुछ समय उपरांत ही अलग हो गया | मिश्र ने नासिर के समय इस तरकीब से अरब एकता को मजबूत करना चाहा था -परंतु वह भी बिखर गया | मार्शल टीटो ने युगोस्लाविया बने और उनके अंत केसाथ ही उनका गठबंधन भी बिखर गया | तीन हिस्सो मे बटे देश आज की हक़ीक़त है | भारतीय जनता पार्टी सपने देखने और उन्हे प्रचारित करने मे जमीनी हक़ीक़त भूल जाति है --यही कारण है की विगत बीस महीनो मे अनेक "”मुद्दो "”” पर उन्हे ''यू टर्न ''लेना पड़ा | वैसा ही इस मामले भी होगा |