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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 8, 2024

 

लोकतंत्र -की चुनावी व्यवस्था क्या वास्तव में जनता के {हित् }का शासन हैं ?


सभी शासन व्यवस्थाओ मे शासक , चाहे वह वंशानुगत हो अथवा निर्वाचित हो , गद्दी सम्हालते वक्त उसे एक शपथ यानि की कसम लेनी होती है की वह " प्रजा के हितों का ध्यान रखेगा , और सभी फैसले -”वह बिना बिना किसी भय या पक्षपात के करेगा "” ! यह शपथ लेने के तुरंत बाद ही इसको "”भुला दिया जाता है "” ! यही लोकतंत्र का सबसे बड़ा झूठ है जो सत्ता अपने नागरिकों से बोलती है ! और आदमी है की वह बात - बात पर न्याय और सत्य प्रतिज्ञान के लिए सत्ता को दोष देता रहता है , यही अब्राहम लिकन के लोकतंत्र की परिभाषा की अन्त्येष्टि है !

इसका ताज़ा उदाहरण दक्षिणी कोरिया के राष्ट्रपति नऊ द्वरा मार्शल ला घोषित किए जाने की थी | घोषणा के तत्काल बाद ही वनहा के सभी सांसदों ने बल्कि आम जनता ने त्वरित विरोध करते हुए सड़कों पर उतार आई | सभी को उम्मीद थी की अब राष्ट्रपति को महाभियोग का सामना करना पड़ेगा , और उन्हे गद्दी छोड़नी पड़ेगी | संसद में महाभियोग प्रस्ताव को समूचे सदन का समर्थन था | परंतु प्रस्तव को अमली जामा देने के लिए " जरूरी सदस्यों का बहुमत नहीं मिल सका "” ! क्यूंकी राष्ट्रपति की पार्टी के जिन सांसदों ने महाभियोग का समर्थन किया था ---- वे ही 48घंटे बाद शांत पड़ गए , उनका कहना था की , राष्ट्रपति के पद त्याग से "”बात बन जाएगी "” | फिर राष्ट्रपति को महबहियोग से हटाना नया केवल देश वरन पार्टी और प्रजातन्त्र को बदनाम करेगा !!!! तो आपने देखा की सत्य और न्याय का जज्बा कितने घंटा जीवित रहा !!!


इसलिए जन अशनतोष या सत्ता के भ्रस्टाचार को लेकर लोकतंत्र की दुहाई देना व्यर्थ है | अब दक्षिणी कोरिया के राष्ट्रपति यूनु अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन और क्लिंटन की भांति अपने सभी कु कर्मों {अपराधों} के उल्लेख के बिना पदत्याग कर देंगे | अब इसमे विधि के शासन --- कानून के सामने सभी को समानता का अधिकार , आदि सिद्धांत भी नीरो के रोम मे भष्म हो गए !! जिन लोगों ने सत्ता के अन्याय के विरुद्ध लड़ाई छेड़ी ----वे तबही सफल हुए जब वे "” जमीन के आदमी रहे "” जैसे महात्मा गांधी और अमेरिका में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग जूनियर " ----परंतु दोनोंकी ही सत्ता के "”दलालों"” द्वारा हत्या करवा दी गई "

यह थी लोकतंत्र की हकीकत का एक पक्ष , अब दूसरा पक्ष देखते है अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों मे | जन्हा बात सिद्धांतों और वाद - विवाद की भी होती है | भाषण भी दिए जाते है ----चुनावी चन्दा भी बटोर जाता है | उम्मीद तो यह थी की सब कुछ शांत और सामान्य वातावरण मे होगा ! परंतु शायद ट्रम्प को हमारे मोदी जी कुछ ज्यादा ही बहाने लगे -----फलस्वरूप जो - जो हथकंडे भारत में विगत 14 सालों में "”सत्ता"” द्वरा अपने विरोधी को दबाने -- भगाने और यंहा तक दलबदल करने की कोशिस भी हुई | अब देखिए हैं अपना भारत कितना महान !! की अमेरिका को पिछलग्गू बना दिया ! linkdiin नामक वेबसाइट के मालिक रीड हाफ मैन ने ने ट्रम्प के खिलाफ उम्मीदवार कमला हैरिस को लाखों डालर चुनवी फंड में चंद दिया था , अब उन्होंने एक बयान में कहा है की वे ट्रम्प के "””बदले की भावना "” से बचने के लिए वे देश { अमेरिका} छोड़ने का फैसला कर रहे हैं !! अब इसकी तुलना हम "” चुनावी बांड "” स्कीम में काँग्रेस को चन्दा देने वालों की दुर्गति से कर सकते हैं | वैसे देश छोड़ कर जाने वालों में सबसे अधिक संख्या गुजरात के उद्योगपतियों को है --- और उन पर भारतीय बैंक से कार्डों नहीं वर्ण अरबों रुपये का "”गबन"” करने का आरोप हैं | इन सभी गुजराती सेठों के विरुद्ध अपराध दर्ज है , इंटरपोल को खबर भी कर दी गई है ----परंतु चौदह साल में एक भी उद्योगपति को विदेश से भारत नहीं लाया जा सका | अब यह बिना सरकार की मर्जी के तो हो नहीं सकता !!! रही बात दल बदल की तो ट्रम्प साहब ने तो केवल एक भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक सांसद को संघीय नियुक्ति दी है | नरेंद्र मोदी जी के काल में तो देश के हर राज्य में ऐसे लोग मिल जाएंगे ---- जो भ्रष्ट नेता माने गए कानून ने भी उनके विरुद्ध आपराधिक मामले चलाए | परंतु जैसे ही उन लोगों ने सत्तारूद दल बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की ----- वे बिल्कुल टिनोपाल से ससफ़ होकर बिल्कुल श्वेत बन कर निकले |

तो यह है लोकतंत्र की हकीकत , आज सभी लोकतान्त्रिक देशों मे सत्ता उस देश के पूँजीपतियों की "”जेब "” मे हैं | किसानों का हजार रुपये का बकाया माफ नहीं होगा - जानवरों -घर की कुर्की हो जाएगी , पर दिवालिया पूंजीपति को बैंक से कर्ज मिल जाएगा ! सत्ता के सहयोगी सेठ बैंक से कर्ज लेंगे फिर उसी से सरकार की संपाती खरीद लेंगे | सस्ता कोयला सरकारी खानों से लेकर "” अच्छी क्वालिटी "” का बात कर उसे दसियों गुण दाम पर सरकार को हो बेच देंगे | सरकार की कानूनी एजेंसिया भी उन्ही के खिलाफ "”कारवाई करती है जो सत्ता के विरोधी है |”” अभी महाराष्ट्र में अजित पँवार की 1000 करोड़ की जायदाद आयकर विभाग ने "” मुक्त "” कर दिया , उनके द्वरा बीजेपी सरकार को समर्थन देने के 48 घंटे बाद !!! है ना सत्ता कमाल ,बाद कुछ और |