Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 25, 2021

 

किसान आंदोलन -दिशा रवि पर राजद्रोह और अदालत का न्याय !

-------------------------------------------------------------------------------

एक तो मियां बावरे ता पर पी ली भंग की कहावत किसान आंदोलन और दिशा रवि की जमानत पर फिट बैठती हैं |

राजधानी के चौहद्दी को घेर कर बैठे हजारो किसान तो मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब थे ही , ऊपर से दिशा रवि को जमानत देते हुए चीफ मेट्रोपॉलिटन माइजिस्ट्रेट ध्रमेन्द्र राणा का फैसला और चुभन दे गया | अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को परिभासित करते हुए उन्होने कहा की व्हात्सप्प ग्रुप बनाना या टूलकित को एडिट करना कोई अपराध नहीं हैं | जबकि पुलिस ने इसी आधार पर पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था | उसने ग्रेटा थोन्बेर्ग से किसान आंदोलन के लिए समर्थन मांगा था | जज ने कहा की 22 साल की लड़की जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं -उसे इसलिए जेल में डाल दिया जाये की वह सरकार की नीतियो से असहमति रखती हैं | सरकार का विरोध करने का नागरिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुछेद 19 में दिया गया हैं |

गत मंगलवार 23 फरवरी को दिये इस फैसले के बाद केंद्र सरकार का हर पुर्जा हरकत में आ गया | क्योंकि दिशा की राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तारी की हक़ीक़त सार्वजनिक हो गयी थी |साथ ही वे कारण भी और पुलिस की कारवाई की वैधता भी सामने आ गयी थी | अदालत के कथन की"” सरकार के ज़ख्मी गुरूर पर मरहम लगाने के लिए देशद्रोह के केस नहीं थोपे जा सकते "”| इससे यह साबित हो गया की केंद्र सरकार के इशारे पर पुलिस किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति को जेल में रखना चाहती हैं < भले ही इसके लिए छल या झूठ का सहारा लेना पड़े !


विधान सभा चुनाव और किसान आंदोलन :- हालांकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह उत्तर पूर्व के उन राज्यो में फिर वही फार्मूला अपना रहे हैं की -----””-हम तुम्हें अच्छे दिन देंगे -बस तुम हमारी सरकार बनवाने लायक एमएलए चुनवा दो ! “” वैसे बीजेपी चुनाव जीत कर ही नहीं -----वरन दल बादल कराकर सरकार बनाने में "”माहिर "” हैं | फिर इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सीबीआई --इन्कम टैक्स -ईडी आदि का भी स्टेमल किया जाता हैं | अभी हाल में हरियाणा में इस्तीफा देने वाले विधायक कुंडु के घर - दुकान पर छापा ताज़ा उदाहरण हैं | बंगाल में जिन लोगो ने त्राणमूल काँग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए है ----वे सब भी किसी न किसी "””घोटाले "” {बक़ौल बीजेपी नेताओ के } में फंसे थे | बस गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होने बीजेपी रूपी राजनीतिक वाशिंग मशीन में अपने को डाल दिया | और वाह वे गंगा के समान साफ होकर निकाल आए , जिन एजेंसियो ने उन्हे आरोपी बनाया था वे सभी ----उन्हे वादा माफ गवाह बनाने के लिए कहने लगी !

दिशा रवि के जमानत आदेश से केंद्र सरकार को यह पता चल गया की --अब पुलिसिया हथकंडे से अपने विरोधियो और आलोचको के मुंह नहीं बंद किए जा सकते हैं | इसके लिए ---मंगलवार की रात23 फरवरी को ही तैयारी शुरू हो गयी | यह कोशिस तीन मंत्रालययो के स्तर पर हुई --- 1- गृह मंत्रालय 2- संचार मंत्रालय और 3- विदेश मंत्रालय | गृह मंत्रालय द्वरा जारी "”निर्देशों "” में कहा गया की किसी भी वेबिनोर में अगर शासकीय अधिकारी शामिल होते हैं ----तो उन्हे अपने कथन और सबुतो की '’पूर्व जांच '’ करानी होगी | विशेश कर अगर चर्चा का विषय भारत की रक्षा या सार्वभौमिकता से जुड़ा हो ---तब सम्पूर्ण विषय वस्तु पर रछा और विदेश मंत्रालय की सहमति आवश्यक हैं | अगर कोई शोध भी इस विषय पर हैं जिस पर विदेशी विद्वानो से चर्चा की जानी है , तब भी इन मंत्रालयोकी पूर्व सहमति जरूरी हैं |

मतलब यह की अब अगर कोई अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को भारत में नागरिकों के अधिकारो की स्थिति के बारे में बताना या लिखना चाहता है तो उसे भी --- भारत सरकार से पूर्व सहमति लेनी होगी ! क्योंकि इस कदम से मोदी सरकार की बदनामी जुड़ी हुई हैं ! मतलब यह हुआ की भले ही घटना या बात सत्य औरतथ्य परक हो वह तब तक दुनिया को नहीं बताई जाएगी -----जब तक मोदी सरकार उसको बताने की मंजूरी नहीं दे देती !


गृह मंत्रालय की वेब साइट पर इस संबंध में विस्तरत जानकारी उपलब्ध हैं |


इन दिशा निर्देशों में यानहा तक है की अगर कोई सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करता ---तो उसकी सूचना भेजने वाले से संबन्धित कोई भी व्यक्ति शासन को इस बारे में बता सकता हैं | अर्थात अब आप को सिर्फ सतर्क ही नहीं वरन अपने को सुरक्शित रखने पर भी विचार करना होगा , अन्यथा हो सकता है आप भी संकट में पड जाये |