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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 19, 2022

 

भारतीय सेना में जीवनदानी  सैनिक होते है भाड़े सैनिक नहीं --- जो मुहिम दर मुहिम बदले जाये !

 

              भारतीय सेना :-  इतिहास बताता है की वर्तमान देश यानि काश्मीर से कन्याकुमारी और आसाम से गुजरात तक  का स्वरूप 1857 के संग्राम के बाद अंग्रेज़ो की शासन व्यवस्था के के फलस्वरूप बना है | अक्षय कुमार जैसे इतिहासकर  इस का विरोध कर सकते हैं | उन्हे हक़ हैं भारत में | हमारा इतिहास बताता है की 1857 में भी देश रियासतों में विभजित था , सबकी अपनी सेना हुआ करती थी | ईस्ट इंडिया कंपनी ने जिन रियासतों को जीता था –उनमें बस सांकेतिक रूप से ही राजाओ को सेना रखने की छूट दी थी |  लेकिन उन्होने उनके इलाके के लोगो को कंपनी सरकार की फौज में भर्ती किया | हाँ उनके अफसर गोरे ही होते थे | विक्टोरिया के शासन के बाद कमोबेश इसी आधार पर सेना का गठन हुआ | राजपूत – जाट- सिख—महार --गडवाली—कुमायु –मद्रास –बिहार –बंगाल आदि कुछ नाम है जो भारतीय पैदल सेना में हैं | इनमे सिर्फ एक रियासत का नाम आज भी उसके रिसाले से जुड़ा है ----- जोधपुर का ऊँटो का रिसाला ,जो दुनिया में अपनी तरह का पहला दस्ता हैं | यद्यपि अब तो सीमा सुरक्षा बल में भी इन ऊँटो का एक दस्ता

होता है |

इन तथ्यो को रखने का तात्पर्य यह हैं की मौजूदा सेना का गठन अंग्रेज़ो द्वरा किया गया था | जो पाकिस्तान -श्री लंका और तबके वर्मा आज के म्यांमार तक में है | ब्रिटेन में सेना एक सम्मान हैं | वनहा राजगद्दी के भावी उतराधिकारी भी सेना में भर्ती हो कर सेवा करते हैं | वनहा “” चार साल “”के लिए भर्ती नहीं होती | हाँ अमेरिकी सेना में में भी उन लोगो को भी भर्ती किया जाता हैं -जो किसी विषय या कोर्स में अध्ययन करना चाहते हैं , उन्हे सेना के खर्च पर यह सुविधा दी जाती हैं | निश्चित अवधि तक सेना में सेवा देने के बाद वे अध्ययन का लाभ उठा सकते हैं |  परंतु वनहा भी इन अल्पकालीन सैनिको का भविष्य अधिकतर सुखद नहीं होता | कारपोरेट  जगत में सेवा के दौरान ये अवैध धंधो में पद जाते हैं |  ब्रिटेन में सेना की भर्ती यानि एक “” कैरियर “” होता हैं | इजरायल का उदाहरन  भारत के संदर्भ उचित नहीं हैं –नाही माकूल हैं |  

 

            अग्निवीर  योजना के फायदे गिनने वाले अनेक लेख और बयान  टीवी और अखबार तथा व्हाट्स आप्प युनिवेर्सिटी  में  भरे पड़े हैं | योजना की तारीफ में चार साल की “”अवधि की ट्रेनिंग अथवा सेवा “”  के बाद 23.50 लाख हाथ में होंगे ! फिर चाहे आप कोई बीजनेस्स करो या कोई कोर्स करे सरकार “””मदद” करेगी !! यानि तेईस लाख रुपये  सामान्य सैनिक चार साल में नहीं  जोड़ पाते है ?? सेना में अभी भी कमीशनड़ अफसर बाहरी कोरस करने के लिए भेजे जाते हैं | हाँ यह सुविधा  जवानो और जूनियर कमिशन  अफसरो को नहीं हैं | कभी कभार विदेश में  पोस्टिंग के लिए  इन लोगो को भी महिना -पंद्रह दिन की ट्रेनिंग कराई जाती हैं |

अग्निवीर योजना क्यू :-  रक्षा मंत्रालय के अफसर और उनकी सलाह पर समझने और चलने वाले “””नेता”” के अनुसार भारत की सेना का बजट का अधिकान्स हिस्सा वेतन – भत्ते की मद में निकाल जाता हैं |पेंशन की भी मद में काफी धन खर्च होता हैं |  अब आप समझे इस योजना का कारण ----- इन अफसरो और नेताओ को सामरिक हथियार चलाने वाले तकनीकी “”लोग”” चाहिए !  जान पर खेलने वाले रन -बांकुरे  सनिक नहीं | यह भी कहा गया योजना के द्वरा  सेना को तकनीकी कौशल युक्त जवान और अफसर मिल सकेंगे | सवाल यह हैं की क्या सिग्नल कोर जो सम्पूर्ण सेना में संवाद बनाए रखने की जिम्मेदार हैं ---उसमें भी अफसरो से ज्यादा  सूबेदार मेजर साहब  और जवान होते हैं | आज के युग में में कंप्यूटर  मोबाइल गाव गाव पहुँच गए हैं | शिक्षा का प्रसार भले ही उत्तर भारत में कम हो पर जामताड़ा जैसे इलाके साइबर दुनिया के बदनाम इलाके हैं | पर यह इस बात के भी गवाह है की  उचित शिक्षा के बाद ये देश निर्माण में काम आ सकते हैं |

 जिन अफसरो और नेताओ ने वित्तीय  बोझ का अतर्क देकर भारतीय सेना को “”सिकोड़ने “” का सुझाव दिया है , वे भूल जाते हैं की   राज्य के लिए जितना एक सरकार का होना जरूरी हैं उससे  ज्यदा  मजबूत सेना का होना जरूरी हैं | क्यूंकी सरकार और राज्य का अस्तित्व  सेना की सुरक्षा  में ही संभव हैं | जनहा छोटी सेनाए हैं ,जैसे प्रशांत महासागर के द्वीपीय  देशो में वनहा आए दिन तख़्ता पलट होता हैं |  बगल में म्यांमार और पाकिस्तान उदहरण  हैं की  --जब सेना का सार्वदेशिक  रूप नहीं होता हैं ,और सन्स्क्रतिक एकता की भावना  नहीं होती --- तब ऐसी फौज  अपने ही देश के नागरिकों की भूखी हो जाती हैं | हमारे भारत वर्ष में ऐसी स्थ्ति विगत 70 वर्षो में कभी नहीं आई | इसका एक कारण सेना में विभिन्न छेत्रों और जातियो का समूह  मौजूद हैं |  जिनको जोड़ने वाली शक्ति हमारा संविधान हैं | सोचिए आपरेशन ब्ल्यू स्टार के समय कितनी सिख पलटनों के जवानो ने  फौज को छोड़ दिया था | वह तो सेना ने इन बागियो को फौजी कानून के तहत दंडित नहीं किया | क्यूंकी उन्हे माफी देकर छोड़ दिया गया | आज भी सिख पलटन हमारी सेना में हैं | क्यूंकी वर्षो की ट्रेनिंग और सेना की आंतरिक अनुशासन ने उन लोगो को अपनी गलती को समझने  का अवसर दिया |

 

सब हेयडिंग

क्या साड़े तीन साल के इन सैनिको जिनहे अग्निवीर कहा जा रहा वह भावना पनपेगी ? शायद नहीं | क्यूंकी एक तो इन्हे अपनी पलटन के संस्कार और अभिमान  और गौरव का भान भी नहीं हो पाएगा !

 फिर हथियार चलाने में ट्रेंड अग्निवीर अगर आगे के जीवन में सफल नहीं हुए ------तो क्या वे पंजाब और मुंबई के  गैंग  के सदस्य नहीं बनेंगे ?

 

  संघके एक पुराने नेता हुए हैं डॉ मुंजे , जो दूसरी बड़ी लड़ाई के समय इटली  गए थे ,जब वनहा फासिस्ट नेता बेनिटो मुसोलिनी का राज था |  मुसोलिनी ने “”ब्लैक शर्ट “” का एक संगठन बनाया था | जो काफी हिंसक और उग्र था , वह विरोधियो और उनकी बात नहीं मानने वालो को मारता पीटता था | इन काली कमीज वालो का इटली में आतंक जैसे  था | वे कुछ फौज से निकाले और उनके द्वरा ट्रैंड लोगो को इसमे भर्ती किया जाता था | जिनहे हथियार चलाने सिखया जाता था |  जैसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  में लाठी लेकर चलने और गाहे -बगाहे  हथियार का प्रदर्शन भी करते हैं | आज जब की देश का माहौल  अत्यंत नफ़रत  तथा हिनशा  से भरा हैं  ऐसे में असफल अग्निवीरों के लिए ऐसा संगठन स्व्भविक  शरण गाह हो सकता हैं | ऐसा नहीं की सभी परंतु इस बात की संभावना को टाला नहीं जा सकता | जो देश के शनि पूर्ण माहौल को भीषण बना देगा | अभी अमेरिका में हथियारो पर पाबंदी लगाने की बात उठ रही हैं ----क्यूंकी वनहा सामूहिक हत्यकाण्डो की संख्या बड़ रही हैं | वैसे भी भर्ता वर्ष में गैर कानूनी  असलाहों की मौजूदगी  तो सबको मालूम ही हैं |

सेना का जवान आज अवकाश प्रापत करने के बाद  समाज विरोधियो से भिड़ने और लड़ने की सोच और ताकत रखता हैं | क्यूंकी वह सेना से सम्मान पूर्वक अच्छी ख़ासी पेंशन के साथ गाव्न  में रहता हैं | परंतु  बिना पेंशन और ग्रेचुटी का अग्निवीर कितने दिनो अपनी रोटी खा सकेगा