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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 22, 2017

स्वछता अभियान-- जल की उपलब्धता -- और दीपाली का पत्र


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्वछ्ता अभियान मे दो छह वस्तुए अनिवार्य है --- झाड़ू और पानी | झाड़ू तो देश के कोने - कोने मे सुलभ हो जाएगी परंतु पानी मुश्किल से मिलेगा | जिस समय उन्होने दिल्ली और काशी की सदको को साफ किया था ---उस समय शौच के लिए ग्रामीण छेत्रों मे पानी की किल्लत की कल्पना षड नहीं की गयी होगी | वरना आज भी देश के अनेक स्थानो मे "”पीने की पानी के लिए महिलाए तीन से पाँच मील पैदल चलना पड़ता है | “” राजस्थान मे ऊंट गाड़ियो मे पानी का परिवहन देखा जा सकता है | इस साल की गर्मी भी 50 के पारे के आस -पास घूम रही है | शहरो मे लोग पीने से ज्यादा कूलर मे डाले जाने वाले पानी की चिंता मे पड़े है |
परंतु भारत की कुल आबादी 125 करोड़ मे से कितने को साफ और निरोगी पानी मिलता है ?? आप जान और सुन कर हैरान रह जाएंगे की यह समस्या सिर्फ गाव तक ही नहीं सीमित है | महाराष्ट्र मे लातूर उत्तर प्रदेश मे बांदा और मध्य प्रदेश मे झाबुआ और सागर मे रेल से पीने का पानी सुलभ कराया गया था | इन नगरो के अलावा मई से जून तक और कुछ जघो पर तो भारी बारिश होने तक पानी की "””राश्निंग ''' होती है |

अब इन हालातो मे जब की केंद्र द्वारा राज्य सरकारको 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति र्सुलाभ कराने का लछ्य दिया गया है -----परंतु अभी तक प्रदेश सिर्फ 27हज़ार 273 बसाहटों मे ही इसे पूरा कर पाया है | वैसे मई और जून के माह मे इस लछ्य को भी पूरा कर पाना संभव नहीं होगा |
राज्य की 22 हज़ार 309 बसाहटों मे आज भी पानी का संकट है , और कोढ मे खाज की स्थिति तो यह है की केंद्र सरकार ने 55 लीटर प्रति व्यक्ति के लक्ष्य को बदा कर 77 लीटर कर दिया है |

इस स्थिति का विद्रूप पहलू यह है की जनहा 55 लीटर नहीं मील पा रहा हो वनहा 77 लीटर का ;लछ्य देना कितना "””न्यायपूर्ण और संगत है "” ??उस पर दिल्ली की नौकरशाही का तुर्रा यह की केंद्र ने नल - जल योजना जिसके अंतर्गत हैंड पम्प लगते है उसकी सहता आधी कर दी है |

अब इन परिस्थितियो मे हम देपाली रस्तोगी के लेख को समझने की कोशिस करे तो ज्यादा उचित होगा | अर्थात पीने के पानी के अभाव के दौर मे धोने और --बहाने के लिए जल कान्हा से लाये ?? परंतु बल्लभ भवन ले कुछ नौकरशाह नियम और कायदे की दुहाई देकर अपनी सर्वोच्च्ता सीध करना चाहते है |

अब जन प्रतिनिधि जनता के प्रति संवेदन शील और उत्तर दायी होता है ----परंतु नियम कायदे बनाने वाले और उनको परिभासित करने वाले नौकरशाह के लिए तो मुख्य मंत्री ही सब कुछ है ,,जिसको वे भरमाते रहते है | बस यानही लोकतन्त्र ---भ्रष्ट तंत्र मे परिवर्तित हो जाता है | दीपाली रस्तोगी ने जमीनी हक़ीक़त को उजागर करने की ईमानदार कोशिस की | जो की अखिल भारतीय सेवाओ के अफसरो का उद्देस्य नहीं होता | वे तो बस "”” हुकुमते -- वक़्त "” के पाएदार होते है | फिर वह आम जनता के लिए फायदे मंद हो या नहीं |