Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 30, 2022

 

कोरोना का भय

बीमारी को महामारी बता कर -नियंत्रण  का तां -झाम

                              2022 के आखिरी सप्ताह में जिस प्रकार अचानक मोदी सरकार  देश की जनता के लिए फिक्रमंद  होने की कोशिस की ,  उससे  लोगो को अपने  अगल -बगल  देखने पर तो मजबूर किया | परंतु किसी के भी गले से यह बात नहीं उतरी  की  “” इतिहास  की भयंकरतम महामारी उर्फ कोरोना का दूसरा हमला होने वाला हैं -----कमर कस लो तैयारी कर लो !! “” कारण यह हैं की  गली – मोहल्लो में  अभी भी  अमूमन  मामूल आमद -रफ्त  हो रही हैं | अस्पतालो में भी लोगो की मारामारी के हालत नहीं दिखाई पड रहे हैं | 

                                 सवाल यह खड़ा होता है की की फिर इतनी भारी – भरकम , देश व्यापी कवायद  किस लिए !  जवाब  के लिए  सिर्फ एक मामला ही सामने आता हैं की  कन्याकुमारी से काश्मीर की राहुल गांधी की यात्रा  24 दिसंबर को दिल्ली पाहुच गयी है | एवं  राहुल ने  राजघाट जाकर  महात्मा गांधी  और  नेहरू जी ,शास्त्री जी और इन्दिरा जी , चरण सिंह तथा  अतलबिहारी वाजपेयी  जी की समाधि पर जा कर शीश नवाया |  हालांकि अटल जी की समाधि पर राहुल के जाने पर  बीजेपी ने अपने पित्र पुरुष  “”अटल जी “” को श्रद्धा सुमन देने  के लिए  काँग्रेस नेता को धन्यवाद करने के बजाय  इस पावन कर्तव्य को  “”नाटक “” बताया | हालांकि 25 दिसंबर  को यानि  भारतीय जनता पार्टी   के पूर्व प्रधान मंत्री  को को  संघ और बीजेपी के इन “” महावीरों”” ने  खुद तो कुछ  नहीं किया -वरन जिस शख्स ने श्रधावश  उन्हे माथा टेका उसे व्हात्सप्प और सत्ता के मीडिया  मिल के लोगो ने नाटक बताया |

                              अब सरकार के  महामारी को रोकने के लिए लंबी चौड़ी कवायद ----- अस्पतालो  में बेड और ऑक्सीज़न  की उपलब्धता  को पक्का करने के लिए की जा रही  हैं , प्रचार माध्यमों से  देश और दुनिया को यह जताने की कोशिस है की ---भारत जोड़ो यात्रा लोगो के सेहत के लिए “”खराब “” हैं !  सवाल यह है की जब  कोरोना महामारी  थी और  लोग सैकड़ो की तादाद  मे मौत की गोद में जा रहे थे | एवं दिल्ली के अस्पतालो  में ऑक्सीज़न के अभाव में दम तोड़ रहे थे  तब डॉ गुलेरिया ही थे जो रोज टीवी चैनलो पर लोगो  हालत बता रहे थे |

 आज वे ही  बता रहे हैं की  जिस बीएफ़  7 वैरियन्ट ने  चीन में कहर  मचा रखा है   वह भारत में विगत सितंबर माह से मौजूद है ! और तब से लगातार  बीमारों की तादाद  कम हो रही हैं | उन्होने कोरोना के दुबारा प्रकोप की संभावना  से इंकार किया | सफदरजंग अस्पताल के डॉ जुगल किशोर ने भी कोरोना के दुबारा आने की संभावना को खारिज किया हैं ! 

                       मध्य प्रदेश की बात करे तो केंद्र  सरकार के   दिशा निर्देशों  के अनुपालन में सभी अस्पतालो में बिस्तरों और ऑक्सीज़न की सुलभता  की जांच की जा रही हैं |   एक ओर राज्य सरकार की बुलेटिन के अनुसार  विगत  सप्ताह {दिसंबर के तीसरे सप्ताह }  में  राज्य में एक भी कोरोना का मामला दर्ज़ नहीं किया गया ! 

        इन तथ्यो और अनुमानो से यह कहा जा सकता हैं की भारत जोड़ो यात्रा को रोकने के लिए  महामारी का हौव्वा  खड़ा किया जा रहा है -------जबकि हक़ीक़त ऐसी नहीं हैं |

बॉक्स ----दो क्लिप्पिंग

Dec 28, 2022

 

भारत जोड़ो यात्रा का भविष्य

                       कोरोना सरकारी  बनाम  यात्रा  असरकारी

                     देश में अचानक से जिस प्रकार कोरोना महामारी नियंत्रण की  “” मोक ड्रिल “”   सभी परदेशो में की जा रही हैं ----- उतनी तत्परता  मोदी सरकार ने तब नहीं दिखाई थी जब दिल्ली में और उत्तर प्रदेश में  ऑक्सीज़न  की कमी से लोग मर रहे थे | एवं  दिल्ली के डाक्टर  अपने अस्पतालो में ऑक्सीज़न  सिलेन्डर  के अभाव में  तिल – तिल कर मौत के मुंहा में जा रहे  मरीजो की जान  नहीं बचा  पाने  के लिए  “ रोते हुए देखा गया था “” !  केंद्र सरकार द्वरा  एकदम से  जिस प्रकार  राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा  के दिल्ली में पहुँचने  पर जिस प्रकार का जनता – जनार्दन  ने स्वगत किया  और  लालकिले  पर राहुल के भाषण  पर लोग एकत्र  हुए , शायद उसे सत्ता ने अपने लिए खतरे का संकेत स्वीकार किया !  संभवतः  इसी कारण से राजनीति के कुछ हालको में  यह संभावना व्यक्त की जा रही हैं की  सरकार यात्रा को अब दिल्ली से  श्रीनगर की ओर जाने नहीं देगी ! कारण हैं की अगर राहुल श्रीनगर में झण्डा फहरा देते हैं --- तब देश और विदेशो में  मोदी सरकार  की “”साख””  गिर जाएगी | दूसरा  कश्मीर में आतंकवाद  की हक़ीक़त  भी सामने आ जाएगी |

                                         ऐसा शायद इसलिए हुआ होगा ,क्यूंकी  यात्रा में राहुल के साथ  चलने वालो में  90% लोग काँग्रेस के सदस्य नहीं थे | वे   लोग  इन्दिरा गांधी के पोते  को , जिसे  बीजेपी और आरएसएस की प्रचार मंडली  ने  “”पप्पू “”  बता रखा था ---- उस  छवि को  सर्दी  में भी टी शर्ट पहन कर  रोज  30 किलोमीटर पैदल चलता हुआ देख कर  -- कुप्रचार को  नकार दिया | अब सड़क पर चाय की दुकानों पान के ठेलो पर  चर्चा यह हो रही थी की “ यार यानहा हम ठंडा में सिकुड़े जा रहे हैं  और यह बंदा  ते शर्ट में चलता ही जा रहा है ! “  इतना ही नहीं  लोगो को यह जान कर भी आश्चर्य हो रहा था की जिसे  “ बड़े घर की बिगड़ी संतान  “ बताया जा रहा था – वह तो सुबह सादे चार बजे जाग कर  छ बजे से पैदल यात्रा  शुरू कर देता  हैं , वह बिगड़ी संतान किस तरह से हो सकता हैं ? जबकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  के कार्यकर्ता  जो अपने को बहुत कर्मठ  और  त्यागी  बताते हैं  , उन्होने तो कभी  पद यात्रा नहीं की !  वास्तव अगर हम इतिहास देखे तो  पाएंगे की  किसी सद उद्देश्य  के लिए पद यात्रा की शुरुआत  महात्मा गांधी  से शुरू हुई थी | और आज़ादी के आंदोलन  में अनेकों बार चाहे वह नामक सत्याग्रह रहा हो अथवा चंपारण  सत्याग्रह रहा हो सभी पदयात्रा से शुरू हुए , जिसमे लोगो की भागीदारी  थी |  बाद में विनोबा भावे जी ने भूमिहीनों के लिए  जमीन सुलभ कराने के लिए  “”भूदान “” यात्रा शुरू किया था |

                     इसी कड़ी में काँग्रेस सांसद और ख्यात अभिनेता सुनील दत्त  की बंबई से पंजाब की यात्रा  , जो वनहा पर  आतंकवाद  के विरोध  का प्रतीक थी | पूर्व प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर  जी ने भी पद यात्रा की थी | परंतु देश के किसी अन्य राजनैतिक  दल ने  कभी भी कोई पद यात्रा नहीं की , जनहा तक मेरी जानकारी हैं |  हाँ  बीजेपी नेता  लाल क्रष्ण आडवाणी  ने  राम मंदिर को लेकर  रथ यात्रा निकाली थी  ,पद यात्रा नहीं !   उस यात्रा ने देश को हिन्दू – मुसलमानो में बाँट दिया था | आज राहुल गांधी की यात्रा  उसी संदर्भ में  बहुत महत्वपूर्ण  है जिसका घोषित उद्देश्य है की “”भारत जोड़ो यात्रा “” | जो बीजेपी की सरकार  के उद्देश्यों और विचारो से  180 फीसदी  विपरीत हैं |

                                                   इस यात्रा को लेकर जब कोई बहाना  सत्ता सीन लोगो को नहीं मिला , तब उन्होने  यात्रा में आ रहे छोटे बच्चो को लेकर  नोटिस दिया की  , बच्चो का दुरुपयोग किया जा रहा हैं | चाइल्ड  वेलफ़ैर  आयोग द्वरा  यात्रा आयोजको को नोटिस भी दिया गया | परंतु इस सरकारी  संस्था को कोई ऐसा नहीं मिला “जो यह कहता की उन्हे भय या प्रलोभन देकर यानहा लाया गया हैं | इस यात्रा  में शताधिक  सह यात्रियो के सोने और आराम करने के लिए  जो कंटेनर चल रहे हैं ----- उनकी भी अवैध रूप से  तलाशी लेने की कोशिस हुई | ज़िला प्रशासनों द्वरा भी अनेक कारणो से  बीजेपी की राज्य सरकारो के अधिकारियों ने पत्र और नोटिस दिये हैं | परंतु  केरल से राजधानी तक  राहुल गांधी की यात्रा  तो सम्पन्न  हो गयी |

                                          हाँ  अब  केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियो द्वरा  कोरोना को ढाल बना कर – एक दूसरे से दूरी   और मास्क को लेकर  कारवाई किए जाने की आशंका हैं | लेकिन संसद जयराम रमेश  और कनहिया कुमार द्वरा  इन नोटिसो का जवाब दिया जा रहा है ---जिसका ब्यौरा  रोज होने वाली  प्रैस कोन्फ्रेंस  में भी दिया जाता हैं |

   

          बॉक्स             

     बीजेपी और उसके प्रचार तंत्र द्वरा  राहुल गांधी को  पप्पू  बताए जाने पर ,उनका कहना था की  जनता जनार्दन में मेरी छवि खराब   करने के लिए  हजारो  करोड़ खर्च कर दिये गए ,  पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता |  उन्होने कहा की मेरी  दादी इन्दिरा गांधी जी को भी उनके विरोधी  “”गूंगी गुड़िया “” कहते थे | परंतु देश और दुनिया ने देखा की  उनकी छमता क्या थी |सत्या है की श्रीमति गांधी के समय में हुए       काँग्रेस के विभाजन के  नेता मोरार जी और अतुल्य घोष ने  इन्दिरा जी को गूंगी गुड़िया कहा था | परंतु उन्होने वीवी गिरि को राष्ट्रपति  चुनवा  कर अपनी ताकत सीध कर दी थी | अपने विरोधियो की आलोचना का मुंह उन्होने  बंगला देश  युद्ध के परिणाम से बंदा कर दिया था | ना केवल देश के वरन अमेरिका  के नेत्रत्व को भी उन्होने  करारा जवाब दिया था |

                                       आखिर में बस एक ही सवाल हैं की इन्दिरा जी का पोता  क्या अपनि इस यात्रा से सोयी हुई काँग्रेस को कर्मठता  की राह पर ला सकेगी ?                    

                

Dec 23, 2022

 

हाकिम का हुकुम  रुतबे से चलता है -जो सच से बनता है

 

 

               काँग्रेस नेता राहुल गांधी  की भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन के ठीक पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री  मंसूख मनडावीया   का  कोरोना  को लेकर  लिखा गया पत्र , की  महामारी के खतरे को देखते हुए वे अपनी यात्रा समपट कर दे , मोदी सरकार के भय को ही रेखांकित करता हैं |  अभी हाल ही में हुए दो विधान सभा चुनावो और दिल्ली म्यूनिसपाल  काउंसिल के चुनावो तक यह खतरा नहीं दिखाई पड़ा था | ठीक उसी प्रकार जैसे बंगाल  के विधान सभा चुनाव

 , कोरोना की विभिषिका के दौरान ही हुए थे | तब तो बीजेपी ने बड़ी – बड़ी चुनावी  रैलिया निकली थी , और कोरोना  लायक प्रतिबंधों का कोई भी पालन नहीं किया था !  इतना ही नहीं  राजस्थान में  बीजेपी खुद  भारत जोड़ो यात्रा  के मुक़ाबले  “जन आक्रोश रैली “ निकाल रही है तो उसको कोई “” एडवाईजरी” नहीं जारी की गयी ! यह  एक उदाहरण ही केंद्र सरकार के कोरोना पाखंड  को उजागर करता हैं |

                        भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे भारी जन समर्थन  के  “ भय के भूत “ ने  सत्ता सीन  कुनबे को परेशान कर रखा हैं |  इस यात्रा ने देश में  सामाजिक और राजनीतिक  रूप से  छाई  “ चुप्पी “ को तोड़ दिया हैं और  जन मानस की रोज मर्रा की समस्याओ  की ओर लोगो का ध्यान  दिलाया हैं | जिसे अभी तक  भक्तो की टोली   हिन्दू – मुसलमान  और राम मंदिर तथा धरम  के नाम  पर दबाती रही हैं | मंहगाई ऐसे व्यापक मुद्दे को इस यात्रा के दौरान  लोगो ने  व्यक्त किया है |

                 बीजेपी के प्रवक्ता  लोग टीवी  चर्चाओ  में बड़े गर्व से कहते थे की उनका संगठन  बारह महीने और चौबीस घंटे  चुनाव  के लिए तैयार रहता हैं | इतना ही नहीं उनकी  यह बात की  हम चुनाव में साम -दाम -दंड -भेद  सभी उपायो का उपयोग करते हैं | यह दंभ  ही लोकतन्त्र  में निर्वाचन को दूषित करने की  उनकी स्वीकरोकती  हैं |  अब चुनावो में  दाम यानि की उम्मीदवारों अथवा  चुने हुए जन प्रतिनिधियों को खरीद कर सरकार बनाने  की नियत को रेखांकित करता हैं |  दंड के नाम पर आज तक  ई डीया एनएसए  अथवा  सीबीआई के छापे  सिर्फ और सिर्फ  गैर बीजेपी लोगो को यानहा डाले गए हैं |  जिसके खिलाफ  इन एजेंसियो  द्वरा कारवाई की जाती हैं , और वह व्यक्ति बीजेपी में शामिल हो जाता हैं  , वह एकदम से  टिनोपाल  से  सफ़ेद हो जाता हैं |  

                               यह आशंका व्यक्त की जा रही थी की शायद हरियाणा की बीजेपी सरकार कोरोना के नाम पर भारत जोड़ो यात्रा  में विघ्न  डालने की कोशिस की जाएगी , परंतु  भरी जन समर्थन  की भीड़ को देखते हुए प्रशासन  ने इसे उचित  समय नहीं माना | क्यूंकी  अगर भीड़  कारवाई के दौरान हिंसक हो गयी तो बहुत बड़ा बवाल हो जाएगा |  किसान आंदोलन के समय भी  केंद्र सरकार ने  कोरोना के नाम पर  सख्ती करने को सोची थी , परंतु फिर खून खराबा  होने की आशंका से  विरत रहे |

                         राहुल गांधी की पद यात्रा  ने बीजेपी और सहयोगी संगठनो  द्वरा  उनके बारे में फैलाई गयी  झूठी बातो को  उन्होने  इस मौके पर  असत्य  साबित कर दिया हैं |  रोज करीब  20 से 30 किलोमीटर  की पद यात्रा  , सौ दिन तक करना  आसान नहीं हैं |  इतना ही नहीं लोगो के मन में  शहीद दादी इन्दिरा गांधी और शहीद पिता राजीव गांधी  के इस पुत्र को देश की एकता और सामाजिक अखंडता  के लिए  कर रहे इस पद यात्री को देखने  और मिलने के लिए हजारो – हजारो  लोग पहुँच रहे हैं | जो जनहा हैं वनही से इस यात्रा में शामिल हो रहा हैं |

                                  फ़िल्मनगरी  मुंबई के एक गायक के चिरंजीव  मनोज मुंतशिर  ने भोपाल में एक कार्यक्रम  में कह दिया की विदेशी माता  के पुत्र से देश भक्ति  की उम्मीद नहीं करनी चाहिए ! इतना घटिया  बयान देने वाले  इस चुट्कुले सुनने वाले  को राहुल की विरासत  , जो की पंडित जवाहर लाल नेहरू से शुरू होकर  इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी से आती है , उनकी कुर्बानियों  को भूल गए  चुटकुलिया  महराज !  वे यह भी भूल गए की वे खुद एक हिंदुस्तानी पिता और नेपाली माँ के पुत्र हैं ! परंतु फिर भी उन्हे भारतीय मान लिया गया हैं | ऐसे – ऐसे कुप्रचारों  के बीच भी राहुल गांधी  को लोग  एक नायक की भांति देखते हैं |

 

Dec 21, 2022

 

 अदालती फैसलो को चुनौती देते संसदीय बयान

 

केंद्र सरकार  संसद के सत्र में चक्र्य्वुह  में उलझी -तो समापन होगा ?

 

                          संसद के  बहू प्रतीक्षित  शीत कालीन सत्र में विपक्ष के मुद्दो  पर  निरुपाय हो कर  मोदी सरकार  संसद  को निश्चित अवधि से पहले ही  सत्रावसान  करने का सोच सकती हैं !  कारण है  चीन का सीमा पर घुसपैठ !   अब इतने महत्वपूर्ण विषय पर  सरकार का कहना हैं की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद  इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत ही नहीं हैं |   आश्चर्य की बात है की सरकार के मंत्री काँग्रेस आद्यक्ष  खरगे के राजस्थान में दिये गए बयान  पर तो  चर्चा  करना छह रही हैं | जिसमें  उन्होने कहा था की देश की आज़ादी और अखंडता  के लिए काँग्रेस के नेता इन्दिरा जी और राजीव जी देश के लिए जान दी | जबकि आज़ादी की लड़ाई में सत्तारुड दल का कोई योगदान  नहीं था ! बात तो सही हैं | परंतु सरकार इसका कोई माकूल जवाब नहीं  दे पायी , तब इस मुद्दे पर माफी और चर्चा मांग रही हैं |   सीमा विवाद  देश का महत्वपूर्ण विषय है , उस मुद्दे पर सरकार  भाग रही हैं , जबकि सदन के बाहर दिये गए बयान  पर  वह काँग्रेस से माफी  चाहती हैं , यह उलटबांसी  की बलिहारी हैं !

 

                  सत्तारुड भारतीय जनता पार्टी  ने अपने हिन्दुत्व के एजेंडे  को आगे करते हुए  एक बार फिर  देश में अनचाही बहस को   चुनावी माहौल गरम करने के लिए  ,राज्य सभा में  अपने सांसद  से  कामन सिविल कोड का मुद्दा   निजी  प्रस्ताव के जरिये  उठाया हैं |  इसके मूल में   विवाह और विरासत  के लिए  सभी समुदायो  और एक धर्मो  के लिए  एक  समान कोड  ही मोदी  सरकार की  नियत हैं |  मूलतः  यह इस्लाम के उस प्रविधान  को खतम करने की कोशिस हैं  -जिसमे कहा गया है  की , इस्लाम का बंदा  एक समय में चार विवाह कर सकता हैं !   हिन्दू ब्रिगेड  का कुप्रचार हैं  की मुसलमान  चार  बीबीयो  से  14 बच्चे पैदा करते हैं | यह प्रचार  किया गया है और  किया जा रहा हैं  की भारत की जनसंख्या  को बढाने  के पीछे  देश का  इस्लामिकरण करना हैं !!

                                  जब की  एक पुरुष द्वरा एक समय में  एक से अधिक पत्नीय्या  देश के आदिवासी समुदाय  में ज्यादा  प्रचलित हैं | इस  समुदाय में अधिक भूमि और धन वाले लोग एक से अधिक बीबिया रखते हैं |   हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जाटो में भी चादर उड़ाने  की रिवाज  हैं |  ऐसा इस समुदाय में इसलिए किया जाता हैं जिससे की खेती की जमीन का विभाजन  नहीं हो | अर्थात  ऐसे विवाह  आर्थिक कारणो से होते हैं |  वे जनसंख्या  व्रधी के लिए नहीं किए जाते हैं |

                                 परंतु हाल के  तीन चुनावो ने  बीजेपी की बारहमासा  चलने वाली  चुनावी मशीन  के दंभ  को चकनाचूर  कर दिया है | इसलिए  आगामी लोक सभा चुनावो के लिए  अब बीजेपी समेत  उनकी हिन्दू ब्रिगेड के समस्त  संगठन  किसी न किसी मुद्दे को लेकर  जन मानस में एक बार फिर  हिन्दू – मुस्लिम  कार्ड खेल रहे हैं | अबकी बार  उनके निशाने पर सुप्रीम कोर्ट भी है , जिसके अनेक फैसले और आदेश  मोदी सरकार को कठघरे में  खड़े कर रहे हैं | 

                            अब की बार सीनियर मोदी यानि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  के बयान  नहीं आ रहे हैं , उसकी जगह  छोटे मोदी यानि बिहार से राज्यसभा  सांसद सुशील मोदी  ने झण्डा उठाया हैं |

1-- सबसे पहले उन्होने  केंद्रीय विधि मंत्री किरण ऋजुजु  से “बैटन” लेकर न्यायपालिका  के   कार्यो पर सवाल उठाए हैं |  यानहा यह बताना  समीचीन होगा की  परंपरा के अनुसार  विधायिका  में न्यायपालिका से संबन्धित सवाल  नहीं उठाए जाते रहे हैं | परंतु मोदी  सरकार में इस परंपरा को उलट कर पिछले सात सालो में  ना केवल  न्यायपालिका  के कार्यो में हस्तकछेप  किया गया हैं , वरन सीधे – सीधे चुनौती भी दी जा रही हैं | 

                                        इस कड़ी में  किरण ऋजुजु द्वरा  सदन में यह कहना की  “ जब तक  सुप्रीम कोर्ट  कोई नयी व्यवास्था  नहीं बनाता  उसके द्वरा हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशो  के नाम लटके ही रहेंगे !  अब सुशील मोदी ने इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए बयान दिया हैं की  हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में  में कार्य करने के दिवस  बड़ाने के लिए  ग्रीशम और शरद कालीन अवकाश के दिन खतम किए जाये !  क्यूंकी अदालतों में लंबित लाखो मुकदमें  न्याया की आशा में लटके हैं |

2--  छोटे मोदी  जी ने  राज्य सभा में एक बयान में मांग की है की  सुप्रीम कोर्ट और हाइ कोर्ट  में  ग्रीशम कालीन 30 दिन की और शीट कालीन 10 दिन के अवकाश को खतम कर अदालते  सरकारी मंत्रालयों की भांति  काम करे !

                                    सुशील मोदी से एक प्रश्न यह भी पूछा  जा सकता हैं --- की न्यायपालिका  उसी प्रकार  “”स्वयंभू “” हैं जिस प्रकार संसद , दोनों को ही अपने नियम बनाने का पूरा अधिकार हैं |  वे केंद्र सरकार के अधीन कोई मन्त्र्लया नहीं हैं ,जिनहे  सरकार निर्देश या सुझाव दे सके !   अब अगर काम का समय न्यायालयों में बड़ाने का सुझाव हैं --- क्यू नहीं संसद  अपने  सत्रो को साल भर चलती हैं |  जैसे अभी शीत कालीन सत्र  को  छोटा करने का विचार किया जा रहा हैं ?   अदालते तो अपने नियत अवधि और समय से  काम करती हैं

 

                     इतना ही नहीं  सुशील मोदी जी ने तो सुप्रीम कोर्ट के खंड पीठ के उस फैसले को विनाशकारी बता दिया ---जिसमे  भारतीय दंड संहिता  की धारा 376 को  अवैधानिक करार दे दिया था ! उन्होने कहा यह आइस मसला हैं -जिसे दो जजो द्वरा  अंतिम निर्णय किया जा सकता हैं |  अब यह फैसला  साल भर से जयदा पुराना हो गया है | परंतु  सुशीलमोदी जी को अब खयाल  आया , प्रतिकृया देने के लिए , शायद बिसर गया हो |

                               बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री रहे मोदी जी गंभीर व्यक्ति के हैं , परंतु उन्होने एक और  गजब का बयान दे दिया हैं  की  देश से “”काला धन समाप्त करने के लिए 2 हज़ार के नोटो की जगह 1 हज़ार के नोट चलाये जाये ! अब  किस्सा यह की दो हजार के नोट वापस ले और एक हजार के नए नोट छापे  , उस पर होने वाला ख़रच  भरे , और क्या गारंटी की पिछली बार की नरेंद्र मोदी जी की घोसना की भांति  दो हजार के नोट काला धन और आतंकवाद समाप्त करने में कामयाब होंगे ! पर हुआ बिलकुल उल्टा ! बाज़ार में नकदी  अनुमान से अधिक आ गयी !

 

 

बॉक्स

 भारत किसका – नेहरू का या मोदी का !

 छोटे केंद्रीय मंत्री बयान देकर  अपने हाथ साफ कर रहे हैं , जैसा की बीजेपी  समर्थित  समूहो का चलन है की वे इतिहास को उतना ही जानते हैं ,जितना  उनके मिशन  { काँग्रेस को कोसो  नीचा दिखाओ }  के माकूल होता हैं | जैसे की चीन का भारत पर 1962  में हमला ! उस मुद्दे पर ना केवल संसद में चर्चा हुई थी वरन  अनेकों बड़े फौजी अफसरो ने बाकायदा  कितबे भी लिखी हैं |  मंत्री राज्यवर्धन सिंह  ने एक बयान में कहा की  नेहरू के समय में चीन ने भारत की भूमि हथिया ल थी | अब मोदी के भारत  में एक इंच भी  जमीन  हम  नहीं लेने देंगे !  उनका बयान महाभारत  के दुर्योधन  की याद दिलाता है , जब उसने कहा था की पांडवो को सुई भर जमीन भी नहीं दूंगा ! हालांकि संदर्भ सिर्फ उनके अहंकार को दर्शाने के लिए हैं |

                           वैसे अगर हम नेहरू और मोदी के भारत की तुलना करे , जो उनके योगदानों को रेखांकित करे , तब हम पाएंगे की नेहरू ने  भाखरा और  हीराकुड जैसी जल योजनाए देश को दी | भिलाई – दुर्गापुर जैसे इस्पात के कारखाने और भाभा अटॉमिक  सेंटर दिया |  जबकि नरेंद्र मोदी का देश को योगदान  सरदात पटेल की मूर्ति और अयोध्या में राम मंदिर  के अलावा गुजरात माडल  में और तो कुछ हैं नहीं ! 

                राज्यवर्धन जी  देश 1962 में चीन से पराजित हुआ , पर 1970 में चीन को पराजित भी किया एक मोर्चे पर | पाकिस्तान  को दो युद्धो में पराजित किया |  इन्दिरा जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये बंगला देश  का अभ्युदय  हुआ | आप की सात साल की सरकार ने  काँग्रेस  के शासन काल में  जीतने सार्वजनिक उपक्रम बनाए  थे , उनको बेच -बेच कर आप  मित्रो का क़र्ज़ा चुका रहे हैं क्या |  अतः राज्यवर्धन जी  नेहरू से और काँग्रेस के देश के प्रति योगदान पर चर्चा तो मत ही कीजिये , यही सलाह हैं |

 

 

?  दर्जनो रेपोर्टों और मंत्रालय के कार्यकलापों  पर सदन में ना तो संसद में और नाही विधान मंडलो में चर्चा  हो पाती हैं | कितनी ही रिपोर्ट  साल दर साल दाखिल दफ्तर होती जाती हैं |  विधायिका का काम अब बस सालाना बजट पास करना  या कोई सरकारी  बिल को पास करना रह गया हैं | सुशील मोदी  नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे पहरुवा  हैं जिनहे न्यायपालिका पर हमले के लिए शायद मुकर्रर  किया गया हैं | 

               हाल ही में उन्होने  सुप्रीम कोर्ट  के एक पुराने फैसले  को विवाद का विषय बने हैं | सुप्रीम कोर्ट ने “सम लैंगिक “”संबंधो को  अवैधानिक  नहीं माना हैं ,और संबन्धित अपराध दंड संहिता  की धारा को निरस्त कर दिया हैं |जिस पर सुशील मोदी जी का कहना हैं की सुप्रीम कोर्ट के दो जज  इतने गंभीर मामले  पर फैसला नहीं कर सकते ! जबकि फैसला हो चुका हैं |