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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 20, 2023

 

न्याय का मज़ाक उड़ाता – बुलडोजर  कारवाई !!

आरोपी को अपराधी बनाने  की कारवाई है  प्रशासन द्वरा   आरोपियों  के घरो को गिराना , भले ही वह घर या मकान  किसी और की मिल्कियत हो !  अब ऐसे मे   अगर परिवार के कोई लड़का  कोई  अप्र्ध करता है , तब सज़ा उसके परिवार को प्रशासन  देता है ! अब  ऐसी कारवाई पर इलाहाबाद  हाइ कोर्ट  का यह कथन की “ हम  इस कारवाई को नहीं रोक सकते है ! “ न्याय के सिधान्त “ का मखौल  ही उड़ना ही तो है |  यह  

मधयुगीन  काल के सुल्तानों  की कारवाई की याद दिलाता  है –जब  हुकुमरान की  नाराजगी  परिवार को नेस्तनाबूद  कर देती थी | आज कल हम संविधान  के प्रदत्त  अधिकारो  के तहत  “नागरिक “ है कोई “ प्रजा “” नहीं | फिर किस कारण  देश की जिला या ऊंची अदालते  अफसरो की इस कारवाई पर कोई दंड नहीं सुनती | अभी हाल मे केवल  गुरुग्राम में  अफसरो की इमारतों को गिराने  की कारवाई पर हरियाणा पंजाब  हाइ कोर्ट की डबल बेंच ने  अफसरो से यूएनआई कारवाई पर सवाल उठाए थे और  गिराई गयी इमारतों  के

मालिकाना हक़  और उनकी तामीर कराये जाने की तारीख के बाबत  जानकारी बुलाई थी | परंतु इस फैसले के बाद यह मामला  उनकी बेंच  से मुख्य न्यायाधिपति  ने हटा दिया था !! अब इस फैसले को क्या कहा जाये !

         बुलडोजर कारवाई कुछ वैसे ही  “” न्याय “ के बजाय  अन्याय कर रहा है ---जैसे घरेलू हिंशा या दहेज प्रताड़ना  के मामले मे पहले आरोपी को  अपराधी मानकर कारवाइकी जाती थी | ह्त्या  और –बलात्कार के मामले मे  भी पुलिस जांच के बाद चार्जशीट अदालत मे दाखिल करती है ---तब अदालत  न्याय करती है |  बाद में सुप्रीम कोर्ट और अनेक हाइ कोर्ट  भी  दहेज प्रताड़ना  के मामलो में “निर्दोष “ रिश्तेदारों को आरोपी बनाने  की मामलो मे पुलिस को  निर्देश दिया की ऐसे मामलो की जांच उप पुलिस अधीक्षक  द्वरा की जाये | फिर भी पुलिस कई बार  अपने पुराने ढर्रे  पर ही कारवाई कर रही है |

         न्याय का सूत्र वाक्य है की “ किसी को तब तक अपराधी नहीं माना जाये –जब तक  उसका अपराध बिला शक  सिद्ध नहीं हो जाए “ , अब इस सूत्र वाक्य को देश की अदालतों  को  एक बार फिर से  याद दिलाने की जरूरत हैं |  वैसे  देश के प्रधान न्यायाधीश  चंद्रचूड़  का कहना है की  प्रत्येक प्र्शसनिक फैसले की न्यायिक  जांच  संभव नहीं है ! परंतु जिस प्रकार  आईएएस  और उनके पुलिस बंधु  मनमानी कारवाई करते है  -----उसका प्रतीकार  एक नागरिक किस प्रकार करे ? क्यूंकी अव्वल तो ये नौकरशाह  नागरिक  की शिकायत को अपनी हैसियत  पर उंगली उठाना मानते है , इसलिए वे  बदले की भावना से  “”सबक “ सिखाने  के लिए कानुन के प्रविधानों  का आसरा लेते हैं |   

               ऐसे कई मामले अफस्रान  अपने राजनीतिक मालिको को खुश करने के लिए भी करते है | अभी प्रदेश में चुनवी हिंसा  में कई मौते भी हुई , राजनगर  विधान सभा छेत्र  में कांग्रेस  के एक कार्यकर्ता को मोटर से दबा कर मार दिया गया |  पुलिस से शिकायत  की गयी तो उन्होने रिपोर्ट लिखने पहले जांच करने  की बात की | जब पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने पुलिस थाने के सामने  रात भर धरना  दिया तब पुलिस अधीक्षक  ने कारवाई का भरोसा दिलाया | वनही शिवपुरी के पोहरी  विधान सभा  छेत्र मे बीजेपी समर्थको  पर हमला हुआ और तीन लोगो की मौत हो गयी ----पुलिस ने  आरोपियों के घरो को  ढहा दिया !  अब एक जैसी चुनावी हिंशा  में पुलिस का दोहरा  व्यवहार  , उनकी कर्तव्य परायणता  पर तो सवालिया निशान लगाता ही है |

         रीवा में  बीजेपी विधायक के प्रतिनिधि  द्वरा  एक आदिवासी पर पेशाब करने की घटना  ने काफी तूल पकड़ा तब ज़िला अधिकारी ने आरोपी के घर को ढहा  दिया |  मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने भी उसको भोपाल बिला कर छमा याचना की और सरकारी सहता भी सुलभ कराई |  इस घटना के कारण उस विधायक को पार्टी ने विधान सभा चुनाव में टिकट नहीं दिया | इस कारवाई की प्रतिकृया स्वरूप इलाके के ब्रांहनों  ने गहर बनवाने के लिए  लाखो रुपये देने की घोसना की | उधर बीजेपी के पूर्व विधायक ने पार्टी से इस्तीफा देकर  आज़ाद उम्मीदवार के रूप मे चुनाव लड़ा है | अब इस कारवाई से सत्तारूद दल को क्या लाभ होगा यह समय बताएगा |

       उज्जैन में एक नाबालिग कन्या से बलात्कार हुआ – वह रात भर रक्त रंजीत  लोगो से “”मदद मांगती रही  पर महाकाल नागरी में वह बेबस  बेहोस पड़ी रही | बाद में  सुबह को पुलिस ने  जब  बालिका  को अस्पताल में भर्ती कराया  तब  मीडिया ने इस घटना को  उजागर किया तब हल्ला  मचा  और इसे उज्जैन का निरभया  कांड बताया तब पुलिस ने आरोपी ऑटो ड्राइवर को गिरफ्तार किया |  जनता के रोष से घबड़ा कर  जिला  प्रशासन  ने ने आरोपी के  पिता के घर को ढहा  दिया | जबकि वह खुद  भी अपने बेटे की करतूत से शर्मिंदा था , और उसे सज़ा देने की मांग कर रहा था !! तब भी अफसरो ने उसका टापरा उजाड़ दिया !   यानि मुकदमे के पहले ही आधी सज़ा सुना दी वह भी बेगुनाह  माँ पिता  को |

   

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