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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 30, 2022

 

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी --धरम संसद -कट्टर हिन्दुत्व चुनावी मुद्दा ?

उतराखंड और उत्तर प्रदेश में भगवा धारियो द्वरा धरम संसद आहूत कर अलपसंख्यकों के वीरुध नफरत का माहौल बनाने की कोशिस सर्वोच्च न्यायालय की एक चेतावनी से भरभरा गयी ! इसके पीछे कारण था की न्यायालय ने निर्देशों की अवहेलना पर इन राज्यो के मुख्य सचिव को अदालत में हाजिर होने और कोपभागी होने की चेतावनी दी थी | अदालती निर्देशों की अनदेखी करने पर हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अनेकों बार राज्यो की सरकारो को फटकार लगा चुके हैं | पर वे बहरे कानो द्वरा अनसुनी कर दी जाती थी / है | अभी देश के प्रधान न्यायाधीश रमन्ना द्वरा हाल ही में एक बार फिर सरकारो की नौकरशाही को "” लक्ष्मण रेखा "” का उल्लंघन नहीं करने की समझाइश दी है |

फिलहाल मुद्दा धरम संसद को रोकने का था , जिस पर अदालत ने कहा की अगर ये धार्मिक संसद आहूत हुई तब "” राज्यो के मुख्य सचिव जिम्मेदार होंगे ,और उन्हे अदालत में उपस्थित होकर जवाब देना होगा | प्रदेश की नौकरशाही अपने राजनीतिक आकाओ की मर्जी का पालन करती है | फिर वह कानून और नियमो की अवहेलना ही क्यू ना हो | नौकरशाही के अफसरो को इस बार लगा की गड़बड़ी जिलोमें हो -और सज़ा के लिए मुख्य सचिव अदालत के कटघरे खड़े हो , यह उन्हे मंजूर नहीं था | इसीलिए उत्तराखंड में धरम संसद के आयोजको को पुलिस और प्रशासन ने साफ कह दिया की सरकार में बैठे लोग भले ही आप की चरण वंदना करे ,परंतु हमे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना हैं | इस सिलसिले में कुछ गिरफ्तारिया भी हुई और बाकी साधुओ को समझा दिया गया की "”नफरत फैलाने वाले भासनों को "” नहीं होने दिया जाएगा !!! इसी तारतम्य में उत्तर प्रदेश में मस्जिद और मंदिरो पर लगे लाउड स्पीकरो को उतरवाना भी शामिल हैं | जिस ईमानदारी से जिला प्रशासन ने दोनों ही धर्मो के उपासना स्थलो से इन ध्वनि विस्तारक यंत्रो को उतरवाया वह लाखो लोगो की मांग और संदेशो से भी इन राज्यो की सरकारे नहीं सुन रही थी | जो सुप्रीम कोर्ट की एक चेतावनी से संभव हुआ |

पहली बार शायद अफसर अपने मंत्रियो को समझाने में सफल हुए की "” कानून और व्यव्स्था के नाम पर "” अब बुलडोजर जैसी कारवाई हमसे नहीं होगी | क्यूंकी अब इस कारवाई को करने या अदालती आदेश की नाफरमानी करने के लिए सरकार नहीं वरन वनहा तैनात अफसर जिम्मेदार होगा | जो मैदानी अफसरो को जवाबदेह बनती हैं | अदालत के कोप का भाजन बनने को अब कलेकटर तैयार नहीं | क्यूंकी कानुनन मंत्री या सांसद आदि शांति -व्यव्स्था के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं | भले ही उनही के कार्यकर्ता इन जुलूसो और कारवाइयों में हो | जिस तरह से मस्जिद की अजान और मंदिरो से हनुमान चालीसा अथवा अन्य धार्मिक उपासनाओ का पाठ किया जाता हो , उसमें लाउड स्पीकरो का इस्तेमाल अन्य नागरिकों के लिए असहज करते हैं |

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वरा जिस प्रकार अयोध्या में जिस प्रकार कुछ सनातनी युवको द्वरा मस्जिदों में फटी कुरान और निसिद्ध मांस फेक कर माहौल को अशांत बनाने की कोशिस को " नाकाम " किया हैं , वह "”अद्भुत "” लगता हैं | क्यूंकी बुलंदशहर में हिन्दू और बजरंगसेना के कार्यकर्ताओ द्वरा एक पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या के दोषियो को अभी सज़ा नहीं मिली | गोरखपुर के मुसलमान डाक्टर कतिल और पत्रकारो को सरकार को कष्ट देने वाले समाचारो पर जेल में दाल दिया जाता है | बलिया के तीन पत्रकारो की गिरफ्तारी और जमानत एक उदहरण है -की किस प्रकार सत्ता अपने आलोचको का मुंह बंद करती हैं | हाल ही में गुजरात के काँग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी को आसाम पुलिस ने एक ट्वीट के कारण गिरफ्तार किया , क्यूंकी वह नरेंद्र मोदी जी की आलोचना में था ! ऐसे माहौल में अयोध्या की गिरफ्तारी मन को शंकालु बनती हैं |

                  संघ और भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली में हुई कोर बैठक में , आगामी लोकसभा और विधान सभा के चुनावो में कट्टर हिन्दुत्व को मुख्य बिन्दु बनाने :- अप्रैल के अंतिम सप्ताह में दोनों संगठनो के शीर्ष नेताओ ने आगामी चुनावो में हिन्दुत्व को एजेंडा बनाने का निश्चय किया हैं | सुप्रीम कोर्ट द्वरा जिस प्रकार देश में फैलते धार्मिक जहर पर नियंत्रण करने सफल कोशिस की हैं , वह आगामी चुनाव में एक बार पुनः कसौटी पर पारखी जाएगी | क्यूंकी देश के सौ से अधिक अवकाश प्रापत नौकरशाहों प्रधान मंत्री नरेंडर मोदी को एक खुले पत्र में मांग की है की वे देश में फैलते धार्मिक उन्माद के जहर के बारे में प्रयास करे |

अवकाश प्रापत रक्षा कर्मियों ने भी एक खुले पत्र में प्रधान मंत्री से देश के दूषित होते सामाजिक सौहार्द को को रोकने का यत्न करे |पर अभी तक सत्तरूद दल द्वरा इस ओर कोई प्रयास नहीं किया गया हैं | लेकिन यह तथ्य साफ हैं की अफ़सर उसी समय तक मंत्रियो की बजाता है , जब तक उस पर कोई आंच नहीं आए | अन्यथा वह

सेफ खेलता हैं | जब तक आंच ना आए |