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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Oct 30, 2017

उदण्ड होता शासन और उछ्रंखल होते समर्थक और पिसती निरीह
जनता

उज्जैयनी के सम्राट के बारे मे किंवदंती या कहा जाता है की उनके सिंहासन मे बत्तीस पुतलिया थी {{पुतली का अर्थ जादुई वस्तु जो मानव की भांति व्यवहार करे }} | इस कथा को बैताल पच्चीसी मे विस्तार से समझ्या गया है | जिनहोने इसे पड़ा है अथवा सुना है -----उन्हे मालूम होगा की वास्तव मे कथा लेखक शासक को विभिन्न परिस्थितियो मे "”””क्या करे --कैसे करे और क्यो करे "” के उत्तर खोजने पड़ते थे | इन पाँच लाइनों को लिखने का तात्पर्य यह है की शासक से साधारण व्यक्ति की भांति व्यवहार करने की अपेछा नहीं की ज़ाती थी ----अर्थात भय - निरुपाय और क्रोध के वशीभूत अभद्र भाषा और व्यवहार पूरी तरह से वर्जित थे | मनु से लेकर अर्थशास्त्र {{कौटिल्य} मे भी इनहि गुणो को आवश्यक बताया गया है |

इन संदर्भों और विक्रमादित्य के सिंहासन के बारे जानने वालो के लिए ----वर्तमान राजनीति 100प्रतिशत दूषित है और शासक उपरोक्त गुणो से वंचित है | माना की चुनावो मे थोड़ी तुर्शी प्रचार के दौरान हो ज़ाती है | शायद इसका कारण अपने कार्यकर्ता को यह "”भरोसा दिलाना रहता है की ---हम ज़ी जान से लड़ रहे है "”” | अब यह विश्वास पार्टी के सिद्धांतों से ज़्यादा --स्थानीय नेता और प्रादेशिक नेता की करीबी मानी ज़ाती है | इसका कारण दलो का सिद्धांतों से ज्यादा "”” चुनाव जीतने और सरकार बनाने की जोड़ - तोड़ करने का हो गया है "” | व्यक्तिगत दल बदल को रोकने के कानून को "”समूहिक रूप दे दिया "” जिस से की वह विधि सम्मत बन जाता है | इस संदर्भ मे मई अक्सर एक उदाहरण दिया करता हूँ की --- एक व्यक्ति द्वरा दूसरे की हत्या जघन्य अपराध है ,,जिसकी सज़ा मौत है | परंतु यदि यही अपराध पाँच लोगो ने किया तब यह हत्या -दौराने डकैती होगी जिसकी सज़ा कम होती है | परंतु भीड़ द्वरा दस - पाँच लोगो की हत्या किए जाने पर "”” पुलिस नामालूम मुजरिमों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ करती है | “” ज़ो अदालती जांच का मुद्दा बनता है | और सालो जांच की कारवाई {{का नाटक चलने के बाद }} सरकार जांच करने वाले न्यायमूर्ति का धन्यवाद ज्ञापन करती है | परंतु उनके फैसले को "”अमान्य "”” कर देती है | परिणाम आप समझ सकते है क्या होता है | अपराधी बच जाते है मरने वाले भगवान के पास चले जाते है उनके आश्रितों को हज़ार या लाख देकर शांत करा दिया जाता है | पर दुर्घटना या अपराध सिर्फ सरकारी दस्तावेज़ो मे दर्ज़ होकर एक आकडा भर रह ज़ाती है |

देश या प्रदेश की जनता को पीने को पानी {{{जो अब दूषित हो चुका है }}} खाने को अन्न {{घुन्न लग हुआ }}} बीमारी मे इलाज़ {{ जो बिना पैसे के नहीं मिलता }}} और शिक्षा को सरकारो ने "”बिकाऊ माल बना दिया है "| सभी राज्यो मे डाक्टर हो इंजीनियर हो कंपाउंडर हो या टेक्निसियन का सर्टिफिकेट हो – धन {{काला हो या सफ़ेद इससे कोई मतलब नहीं }} की बदौलत सब हासिल हो जाएगा | फर्जी डिग्री पर दासियो साल नौकरी करने के बाद "”जांच "” होगी | पर परिणाम फिर भी कुछ नहीं निकलेगा |


क्योंकि शासन मे लिए गए फैसलो की ज़िम्मेदारी नियत करना "”नामुमकिन है "” और जब तक दारोगा को बंद करने का अधिकार रहेगा --और अभियुक्त के वीरुध मामला सिद्ध करने और ऐसा न करने पर --जुर्माना और विभागीय दंड का प्रविधान नहीं होगा तब तक हर स्तर पर "” अधिकारी बचते रहेंगे "” | फिर सरकार चाहे किसी की भी क्यो न हो | तब तक भारत मे ---- हिंदुस्तान मे नहीं सरकार और शासन ऐसे ही चलेगा भासनों मे --बस अब माँ -बहन की गलिया देना ही बचा है | वह भी होने लगेगा --- बस इंतज़ार कीजिये |