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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 14, 2023

 

सनातन –सन्यासी और  मोदी सरकार !

अब भगवा धारी सनातन  से ज्यादा  भाजपा के प्रचारक !

 

                   आज के अखबार में  रामकथा वाचक  सन्यासी राम भद्राचर्या जी ने सिवनी में एक सार्वजनिक घोसना की --  यह चुनाव भाजपा  और काँग्रेस के बीच नहीं वरन सनातन वा अधर्मियों के बीच  है !   उनका दूसरा  वचन था  कथा के श्रोताओ से की वे , “” मुनमुन रॉय  को जिताओ , उन्हे मंत्री बनवाने की ज़िम्मेदारी मेरी “! !!!  मुनमुन रॉय उनके यजमान है जो रामकथा करवा रहे है !!!  उधर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  ने बीना रिफायनरी  में उद्घाटन  के समय कहा  “” सनातन को    इंडिया गठबंधन  समाप्त करना चाहता है  , वह सनातन जिसे  गांधी जी  जीवन भर अपनाया , और अंत समय हे राम कहा “  पर ऐसा हमला किया जैसे  मानो  सनातन  कोई भौतिक वस्तु हो ---जिसे उनके राजनीतिक विरोधी  समापत करना छ्ते चाहते है !!!  गांधीजी का जिक्र परंतु उनकी जैसी नैतिकता  नरेंद्र मोदी जी में कान्हा !! बिना का कार्यक्रम भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय का था --- परंतु नरेंद्र मोदी जी ने  वनहा भी बीजेपी नेता  की भांति  ही  व्यवहार किया और --- देश और उद्योग  के बारे में बात ना करके  अपने “ भय “” को ही उजागर कर रहे थे !   उनके अनुसार महातमा  गांधी  के राजनीतिक वारिस काँग्रेस  पार्टी से ज्यादा  --- नरेंद्र मोदी को फिक्र है उनकी वैचारिक विरासत की | ईतना बड़ा असत्य _--  अब राष्ट्र  स्वीकार नहीं करेगा , क्यूंकी देश की जनता उनके पिछले वादो और घोसनाओ को  सुन चुकी है और भुगत भी चुकी है |  जिस प्रकार नरेंद्र मोदी जी ने 2024 में होने  वाले चुनावो  पर निगाह बना कर  मध्य प्रदेश  को अपना कुरुछेत्र  बना रखा है --- उसे देखते हुए इंडिया गठबंधन  ने भी अक्तूबर माह में  पहली रैली  भोपाल में करने को घोसना की है !!! यानि मोदी  जी अगर डाल डाल तो गठबंधन पात पात चल रहा है |

           आइये बात करते है प्रज्ञा चछु राम  भद्राचर्या  और उनके “” उवाच की “”   ! जिस प्रकार उन्होने  बीजेपी के समर्थन और काँग्रेस के विरोध  मे  बयान दिया ,और अपने यजमान की कामना पूर्ति  के लिए जनता का आवाहन किया है , वह घटना  महर्षि  विश्वामित्र  द्वरा  त्रिशंकु  को शशरीर स्वर्ग भेजने  का प्रयास था | अब  मुममुन रॉय जी  विधान सभा चुनाव  जीतेगे  या नहीं --- यह राम भ्द्राचार्य  जी के कथन से तो संभव नहीं होगा !! वह तो जनता के मतपत्र  से ही होगा !

            लेकिन  जिस प्रकार उन्होने  बीजेपी को सनातन  का रखवाला  बताया  है ---- उसस एक सवाल उठता है की – जब बीजेपी नहीं थी तब  “” सनातन धरम  “ का रखवाला कौन था ????   अब न जैसे  सन्यासी को यह तो मालूम ही होगा की , आज जिस रूप में हम सनातन धर्म  को पाते है – वह

आदिगुरु  शंकराचार्य  की देन है ,,  | बौद्ध और जैन धर्म  का आविर्भाव  वेदिक धर्म  के भ्रष्ट  रूप से , जब  ब्रांहनों  द्वरा समाज के अन्य वर्गो को  धर्म के कर्म काँडॉ  का भय दिखा कर शोषण  हो रहा था –तब शक्य मुनि जिनहे बाद में महात्मा बुद्ध कहा गया , तब उन्होने “” अष्टांगिक  मार्ग “”  का मंत्र  दे कर उपासना  की नयी पध्ति  प्रदान की |  उधर  जैन धरम  मे स्वामी महावीर  ने भी  त्याग और वैराग्य  के जरिये  आत्मा की शुद्धि  का उपाय बताया |    इन धर्मो  के आविर्भाव  की सहजता से समाज के बहू संख्यक समुदाय ने  वेदिक धर्म के  कर्म काँडो  से दूरी बना ली | यज्ञ और अन्य ध्रमिक कार्यो  के आयोजन में  धन   के साथ ही ब्रामहन वर्ग   की मांगो  से जनता त्रस्त थी | उसे इन धर्मो की सहजता  पसंद आई | फलस्वरूप  सनातन धर्म  मंदिरो तक सीमित हो गया |   परंतु समय के साथ बौद्ध  संघाराम  में  अनैतिक कार्य कलापों से उनका भी पतन  हुआ | जिस मूर्ति पुजा का विरोध  इन दोनों धर्मो   का मूल था ---- उनमे  मूर्ति पुजा शुरू हो गयी |

                 जिस प्रकार बीजेपी के नेता  और  भगवा धारी   डीएमके  को रावण और कंस  जैसा सनातन विरोधी निरूपित करते है - --- और श्राप  देते है की  उनका भी नाश  रावण  और कंस की भांति होगा !! हंसी लगती है की रावण जैसा  शिव भक्त  जिसने  शिव तांडव स्त्रोत की रचना की  उसे  सनातन  धर्म विरोधी बताना इन सन्यासियों के ज्ञान पर   सवाल खड़ा करता है | कंस   सनातन विरोधी होने  का की द्र्श्तांत  आख्यनाओ  में नहीं है ---- सिवाय इसके की वह अपनी भगिनी के आठवे पुत्र  को अपनी म्र्त्यु  का कारण मान कर --- समाप्त कर  अमर होना चाहता था |  अब इन दोनों   उदाहरणो  में धर्म  का विरोध कान्हा है !!! हाँ   मानवीय मूल्यो  की उपेक्ष ही दिखाई पड़ती है |

 

                 अयोध्या में बन रहे राम मंदिर  के उदघाटन के अवसर  पर  “” संत”” लोगो ने राम भद्रा चार्य जी का सम्मान करने की घोषणा की है |  देश के 127 सम्प्रदायो  के मुखिया  साथ आ गए हैं |  भारतीय संत समिति और  आखाडा परिषद  ने निश्चय किया है की ---  देश के  9 नौ लाख मंदिरो  में “ हर मंदिर राम मंदिर “” की अलख जगाई जाएगी !!  अब इन स्वायभू  धरमाधिकारियों  को कौन बताए की देश में सबसे अधिक मंदिर  --- शिव के है फिर शक्ति के विभिन्न रूपो के है !  राम और कृष्ण के मंदिर  की संख्या  काफी कम है |  खासकर दक्षिण भारत में  तो राम के मंदिर इक्के – दुक्के ही है |  अब इस जमीनी सच को  अनदेखा कर के   भगवा धारी समाज क्या सिद्ध करना चाहता है !

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              सिवनी में राम भ्द्राचार्य  उवाच  और बीना में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  के भाषण  ने आगामी  विधान सभा  2023 और लोकसभा  के 2024  के  चुनावों में भगवा ब्रिगेड  की भूमिका साफ कर दी है |  जन प्रतिनिधित्व  कानून में साफ लिखा है की चुनावो  में धार्मिक  कथन चिन्ह अथवा  कथाओ का उपयोग “ अपराध “” है | इस संदर्भ में अगर हम प्रदेश के विधान सभा चुनावो  2023  को देखे तो --- पाएंगे की  सन्यासी  अब धर्म के बाना में बीजेपी का प्रचार  करेंगे | सिवनी में  राम कथा में राम भ्द्रचार्य  जी ने जिस ठसके से  अपने “” यजमान  मुनमुन रॉय “” को मंत्री बनवाने की ज़िम्मेदारी ली ---- वह उनकी  राजनितिक  पहुँच  का ही प्रमाण है | अन्यथा  जगत त्याग करने वाले  सन्यासी   को किसी के मंत्री बनने या ना बनने से क्या मतलब ! इच्छा  और महत्वाकांच्छा   को त्याग करने के बाद  , खुद का तर्पण करने और  संसार से संबंध खतम करने के लिए ही  सन्यासी को प्रथम भिक्षा अपने परिवार  से ही लेने का विधान है | जैसा की आदिगुरु  ने सन्यास आश्रम  के लिए विधान बताया है !!  महात्मा बुद्ध ने भी पत्नी से भिक्ष्ह  ग्रहण की थी | महावीर के बारे में ऐसा ही कहा जाता है |  सन्यासी को दंड  लेकर ही चलने का विधान है | परंतु देश में शंकराचार्य  पीठ  के सन्यासीओ के अलावा  बिरले ही सन्यासी इस “” कोड “” या नियम का पालन करते है |  भगवा धारी  बड़े –बड़े रथो और  गाड़ियो  में विदेशी सुंदरियों के च्वर  हिलाते हुए  तथा  सोने की मालाओ से लड़े भगवा धारी  “” त्याग  और वैराग्य  को “” मुंह चिड़ाते  लगते है |  परंतु कुम्भ ऐसे अवसरो पर  सरकारे  ऐसे ही “””  सोना और सुंदरियों से घिरे सन्यासियों को  जमीन देती है – जनहा वे स्विस काटेज़ बना कर रहते है | त्याग और वैराग्य  का उपदेश  ऐसे लोगो से  बहुत  छोटा लगता है |