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Feb 8, 2014

क्या खाप पंचायत भी एन जी ओ की तरह ही हैं या नहीं ?


क्या खाप पंचायत भी एन जी ओ की तरह ही हैं या नहीं ?



हरियाणा के मुख्य मंत्री हुड्डा जी और दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद

केजरीवाल जी की ""निगाह मे """ खाप जाती पंचायत गैर सरकारी संगठन की भांति ही हैं | परंतु यह बयान सत्य से कोसो दूर हैं | यह
सिर्फ वोट कबाड्ने की ही कवायद हैं | क्योंकि हरयाणा -राजस्थान - पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे इन जाति की पंचायतों का बहुत प्रभाव हैं, खास
कर ग्रामीण छेत्रों मे , वनहा राजस्व और पोलिस प्रशासन भी इनके मनमाने फरमानो से किसी को भी बचा नहीं सकता | भले ही वह फरमान
निहायत गैर कानूनी और अमानवीय ही क्यो न हो, लोगो के मनाव आधिकारों और देश के कानूनों को ठेंगा दिखाते इन को चुनौती देना किसी
सरकार के लिए ""राजनीतिक"" रूप से घातक हो सकता हैं | कम से कम लोगो का अनुमान ऐसा ही हैं |कभी बलात्कार के शिकार को उसी
से शादी करने का हुकुम सुनाया जाता हैं जिसने उसकी इज्ज़त को लूटा था | या फिर दो बालिग लोगो की शादी को ''रद्द' करने का हो अथवा
किसी बड़े जमीन वाले का गैर कानूनी कब्जा हो किसी अनुसूचित जाति के आदमी की जमीन पर ---इन सभी मामलो मे पंचायत न्याय नहीं
अन्याय करती हैं | पंच परमेश्वर की भावना को झुठलाते हुए कंगारू कोर्ट बन गए हैं | जहा पंच की मनमानी चलती हैं ,फिर वह
खानदान अथवा गोत्र का मामला हो ,वंश या गाव की """इज्ज़त"" के नाम पर दूसरों की बेइज्जती करने का हक़ हो | अगर कोई बात ऐसी
हुई जो उन्हे ""नागवार "" गुजरे तो सीधे जाति और गाव से निकाला का आदेश निकाल दिया जाता हैं | इन खापों ने एक बार तो एक
आई आए एस महिला अधिकारी को जाति से बाहर शादी करने के लिए गाव मे पुलिस का इंतजाम करने के लिए राज्य सरकार को कहा |
यह हैं खापों की सचचाई |

कहने को इन नेताओ ने कह दिया की गैर सरकारी संगठन और खाप एक जैसे हैं ----पर दोनों मे ज़मीन -
आसमान का अंतर हैं | खाप जनहा जन्मजात मिलती हैं -वनही गैर सरकारी संगठनो का सदस्य बनना पड़ता हैं | फिर संगठन कोई फैसला
दूसरों पर नहीं लाड़ सकता सिवाय अपने सदस्यो के , होने को तो खाप भी अपने ही लोगो पर हुकुम चलती हैं ,परंतु उसमे दोनों पक्षो की
रजामंदी होना ज़रूरी नहीं हैं | वितता मंत्री चिदम्बरम ने सही ही कहा की न्याय करने का अधिकार राज्य और अदालतों का हैं इन पंचायतों
का नहीं | खाप लोगो को वैसी ही मजबूरी हैं जैसा की माता-पिता , वंश जाति या गोत्र | यह सभी व्यक्ति के जन्म के समय ही तय हो
जाते हैं |जबकि एन जी ओ आदमी सदस्यता लेता हैं | उसकी मर्जी नहीं हो तो छोड़ भी सकता हैं | परंतु खापों के मामले मे ऐसा नहीं
है | वह तो गले मे बंधी घंटी के समान हैं , जिसे बस बजवाना ही पड़ता हैं | फिर बात चाहे आनर किललिंग की हो या कुछ और | हक़ीक़त
मे खाप बिलकुल कबीलाई शुरा की तरह हैं , | वनहा भी मनमर्जी चलती हैं कडा -कानून नहीं | वास्तव मे इनमे न तो कोई अपील न
ही कोई दलील न ही कोई बयान बस फरमान , तो यह हैं इन पंचायतों की हक़ीक़त ......||