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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jun 2, 2023

 

मंदिर राजनीतिक लाभ के लिए नहीं  – श्रद्धा के लिए है

 

          28 मई को जब सेंट्रल विस्टा स्थित नए संसद भवन का उदघाटन समारोह हो रहा था –उसी शाम उज्जैन स्थित “”महाकाल लोक “” में सप्त ऋषियों की मूर्ति खंडित हो रही थी ! अब इसे क्या कहे –अपशकुन ! पर किसके लिए ! प्रदेश सरकार के लिए जो इसके निर्माण की जिम्मेदार –अथवा  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ,जिनके निर्देश पर यह “लोक” बनाया गया !  इतना ही नहीं – राज्य सरकार ने इसे निर्माण की गलती बताते हुए , संबन्धित गुजरात के ठेकेदार से पुनः  ठीक  करवाने की घोषणा की |  मंत्री के सार्वजनिक बयान के बाद फिर  

1 जून को  नंदी हाल के द्वार  पर लगा  एक कलश भी  धराशायी  हो गया !  अब आम श्र्धलुओ  में तो इसे अपशकुन ही माना जा रहा है |

       सवाल यह हैं की जिस प्रकार से केंद्र और बीजेपी शासित प्रदेशों में मंदिर बनवाने की होड लगी हैं  ,उससे ना तो सनातन धरम का कोई हित हो रहा है , ना ही जनता को |   फिलहाल तो मध्य प्रदेश सरकार  ओंकारेस्वर  में आदि गुरु शंकराचार्य  की मूर्ति और वनहा मंदिर को भी सुंदर बनाने की कारवाई हो रही है |  भोपाल के समीप  सलकनपुर में भी मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने “देविलोक “ बनाने की घोसना की है | अब इन घोसनाओ से  उनके  समर्थक और वीएचपी और आरएसएस तथा बीजेपी के लोग   इसे अपनी उपलब्धि मान रहे है -----परंतु इन मंदिरो  से कौन सा जन कल्याण होगा ?

              हाँ इस लोक में भूख  –बेरोजगारी से त्रस्त जनता  को परलोक सुधारने की व्यवस्था जरूर कर रहे हैं – अब उस लोक को किसने देखा है , बात तो सिर्फ विश्वास और आस्था की ही हैं | कुछ ऐसा ही नयी संसद की इमारत के उदघाटन पर हुआ हैं |  जनहा व्पक्ष की गैर हाजिरी में देश की सबसे बड़ी विधि निर्माता सदन  का उदघाटन हुआ |  जिसको लेकर काफी विवाद हुआ , पर  मोदी जी ने किसी की नहीं सुनी |

           मंदिरो और मूर्तियो के निर्माण को जिस प्रथा को उन्होने शुरू किया उसे अब उनके राजनीतिक विरोधी भी ---कर रहे है | तेलंगाना  में बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति हो अथवा  छतीसगढ़  में राम वन गमन पथ का निर्माण हो , और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तो हो ही रहा हैं |  क्या इन मंदिरो और मूर्तियो का निर्माण उसी प्रकार की श्रद्धा  से हो रहा है ---जैसा की इतिहास  में हुआ था ? शायद नहीं । क्यूंकी इन मंदिर के निर्माण कर्ताओ के बारे में हम सिर्फ आर्कियलोजी के पत्र  , जो वनहा लगा होता है , जान पाते हैं |

              परंतु 21वी सदी में यह चुनाव के लिए किया जा रहा है | इस उम्मीद में की “” हिन्दू”” जरुर बीजेपी का समर्थन करेंगे ! क्या ऐसा होगा ?

 बॉक्स

         पुराणो  में एक कथा हैं की एक समय राजा नहुष  अपने सद कर्मो से इन्द्र बन गए , उन्होने इंद्राणी  शची  देवी को बुलाया की वे सिंहासन में उनके बगल में आ कर बैठे | इंद्राणी  ने आने से मना कर दिया , और कहलाया की वे स्वयं  आकार उन्हे ले जाये | साथ ही उन्होने शर्त रखी  की  नहुष पालकी में आए , और उसे  सप्त ऋषि ही उठा कर लाये !  काम से पीड़ित नहुष  ने यह शर्त मान ली ,और सप्त ऋषियों को बुलावा भेजा | जब वे आए ,तो उन्हे पालकी उठाने को कहा ! अचकचाये  ऋषियो ने पालकी सहित नहुष को उठाया | आदत नहीं होने से वे लोग  धीरे –धीरे डगमगाते हुए चल रहे थे | नहुष  को  शची  के पास पाहुचने की जल्दी थी –उन्होने  ऋषियों को “”सर्प “” सर्प”” कह कर जल्दी चलने को कहा --- इस पर क्रोधित सप्त ऋषियों ने नहुष को श्राप दिया की वह “सर्प” योनि में जाये | तब  नहुष को अपनी गलती का भान हुआ की , उन्होने  तीनों लोक में पूजनीय सप्त ऋषियों से पालकी उठवा कर  अधम पाप किया हैं | पर जो होना था वह तो हो गया |  बाद में उन्होने ऋषियों से  शाप के मोचन की प्रार्थना की ---तब उन्होने कहा की जब श्री हरि अवतार लेंगे तब आपका वे ही उद्धार करेंगे |

                    तो यह कथा थी नहुष की सप्त ऋषियों की अवमानना की | बाकी पाठक गण जाने |

     तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र में यह तो सभी को मालूम होगा | परंतु अब पता चला की इस मंदिर के प्र्बंधकर्ताओ  ने अब अन्य प्रांतो भी मंदिर की शाखाये खोल दी है | सबसे नयी –जम्मू में , जनहा सैकड़ो करोड़ खर्च कर के मंदिर बनाया जा रहा है | इसके अलावा दिल्ली –छेन्नई –में भी  डी डी टी  ने मंदिर का निर्माण कराया हैं | अब सवाल यह हैं की की क्या यह उचित और परंपरानुसार है ?