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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 18, 2020


जन्म स्थान और कर्मस्थली का विवाद अब शिर्डी के साई तक


महाराष्ट्र में अब एक नए जन्म स्थान का विवाद --शिर्डी या पाथरी !!

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद – धरम भीरु सनातनी लोगो की आशाए किस सीमा तक पूर्ण हुई ---या उन्हे अपनी श्रद्धा का प्रसाद कितनी संतुष्टि दे पाया --यह बताना तो विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समेत बीजेपी के लिए भी कठिन होगा | परंतु मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में शामिल होने के लिए भगवा ब्रिगेड में उसी तरह के क्रिया -कलाप हो रहे हैं , जैसे राजनीतिक पार्टी के टिकट के लिए होता हैं ! इतना तो अब साफ हो गया हैं की राम मंदिर आम सनातनी की श्रद्धा का उतना पर्याय नहीं है ----जितना भगवा धारियो के लिए यह अश्वमेघ का घोडा साबित हो रहा हैं ! अयोध्या में महंतो के करो गुटो में बेहतरीन तरीके का घमासान मचा हुआ हैं | आरोप - प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं | वस्तुतः वनहा के लोगो का अनुमान हैं हैं की मंदिर निर्माण में अरबों रुपये खर्च होंगे , उसमें से अलग - अलग आश्रम का निर्माण कराया जा सकता हैं | जिसको मठ बना कर मौरूसी जायदाद बना लिया जाएगा | क्योंकि राम मंदिर तो केंद्र सरकार के नियमन में होगा | जिसका इंतेजाम तिरुपति बाला जी और त्रिवेन्द्र्म स्थित स्वामी पद्मनाभ अथवा उज्जैन के महाकाल और बद्रीविशाल के मंदिरो की तर्ज़ पर होगा | इसलिए अनेक भगवधारी सन्यासी स्वतंत्र मठ बनाने की जुगाड़ में बताए जाते हैं |
3----- राम के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने शिर्डी के साई बाबा के जन्म स्थान परभणी जिले के पाथरी में 100 करोड़ रुपए से छेत्र का विकास करने की घोसना की हैं | इस घोसणा के बाद बीजेपी सांसद सूजय विखे पाटील ने शिव सेना सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा की उद्धव ठाकरे की सरकार ने आते ही जन्म स्थान को लेकर क्यू उठाया जा रहा हैं !!
उन्होने धम्की भी दी हैं की वे सरकार की घोसना के खिलाफ अदालत की मदद लेंगे ! शायद सत्तरूद बीजेपी पार्टी के सांसद द्वरा किसी श्र्स्धा के स्थल के विकास का विरोध इसलिए करे ----क्योंकि इससे उनके इलाके के तीर्थ स्थान में छड़ने वाली भेंट कम हो जाएगी ---और भक्त लोगो की संख्या भी घाट जाएगी !!! यह धरम की राजनीति करने वालो की नियत को बताता हैं ! इन जन प्रतिनिधियों को धार्मिक -श्रद्धा भी धन से तौलिए जाने वाली वस्तु हैं ? कल को राम मंदिर के निर्माण का पैसा विश्व हिन्दू परिषद द्वरा एकत्रित धन से किया जाएगा अथवा ----उन्हे जनता से वसूली गयी धन राशि को अपने पास रखने की अनुमति दी जाएगी ? यह शंका बेज़ा तो नहीं क्योकि परिषद ने आज बीस साल तक अपने आय - व्यय का हिसाब सार्वजनिक नहीं किया हैं ? कम से कम ठाकरे सरकार ने शासकीय धन से साई बाबा के जन्म स्थान पाथरी का विकास करने की घोसना की हैं | उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ ने यू तो अरबों रुपए की घोसनाए की हैं ---- पर वे आधारभूत सनरचना और अयोध्या नगर के विकास की नहीं हैं | सोचे मंदिर इतना भव्य बनेगा और --पहुँच रास्ते में वही हाल हो जैसा महाकाल और विश्वनाथ मंदिर अथवा द्व्रका मंदिर में जाने पर होती हैं | विंध्यवासिनी देवी अथवा कामाख्या मंदिर के पहुंच मार्ग --- सिर्फ सनातनी लोगो की श्रद्धा के कारण पार किए जाते हैं |



भारतीय जनता पार्टी के सांसद द्वरा साई बाबा के जन्म स्थान के विकास के लिए प्रदेश सरकार की योजना का "””विरोध "” समझ में नहीं आने वाली बात हैं ! जो पार्टी और उसके 72 आनुषंगिक संगठन ने राम जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण को लेकर चार - चार चुनाव लड़े और अरबों रुपया विश्व हिन्दू परिषद ने भोली -भली सनातनी जनता से वसूला --- एक ईंट और एक रुपया की वसूली तो जग जाहीर है ------उसका सांसद करोड़ो भक्तो की आस्था के केंद्र बिन्दु साई बाबा के जन्म स्थान के विकास पर राजनीति करे --- तो यह स्पष्ट हो जाता हैं की धर्म के नाम पर क्या भगवा धारी और क्या संसद -विधायक सिर्फ अपना हित साधन ही करते हैं ! वे लोगो की श्र्स्धा का राजनीतिक इस्तेमाल करते हैं !!!
असल शिर्डी के मंदिर में सालाना 500 करोड़ रुपए का चड़ावा आता हैं | इसके अलावा शिर्डी ट्रस्ट के पास लगभग 2000 करोड़ की संपति भी हैं | हालांकि मंदिर का प्र्बःन्धन महा राष्ट्र के कानून से किया जाता हैं ---- इसमे बोर्ड का सदस्य नामित होने के लिए राजनीतिक दरबार में बड़ी बोली लगाए जाने की भी बात काही जाती हैं |
अब पाथरी के लिए 100 करोड़ से जब वनहा सुविधाए सुलभ होंगी तब "”भक्त "” लोग संभवतः बाबा के करम छेत्र शिर्डी के बजाय जन्म स्थान पाथरी दर्शन के लिए जाये ! यह इसलिए भी संभव होगा क्योंकि शिर्डी की व्यसथा 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं | और आजकल के भक्त -दर्शनार्थी सुविधा भोगी हो गाये हैं | पाथरी में सड़क - पेयजल और आवास की व्यवस्था निश्चित ही शिर्डी से बेहतर होने की आशा हैं |
जो सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जैसे कठिन मामले को निपटा पाता हैं --वही सबरीमाला के आयप्पा मंदिर में सभी महिलाओ के प्रवेश को 9 जजो की बेंच के सामने भेज देता हैं --आखिर क्यो ? क्या प्रवेश का मामला अयोध्या से ज्यादा कठिन हैं ? अथवा यह सनातनी समाज के भीतर की एक गैर बराबरी की परंपरा में दखल देने से भयभीत हैं , की एक समूह न्यायपालिका के वीरुध हो जाएगा ?