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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 16, 2023

 

अतीक की हत्या – राजनीतिक या ठसक का परिणाम ?

 

   इलाहाबाद में  पुलिस की गिरफ्त में जिस प्रकार जय श्री राम का नारा लगाते हुए तीन हत्यारो ने आतिक और उसके भाई पर गोली बरसाई --- वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बुल्ल्डोजर  संसक्राति का ही परिणाम है |  बिना कानून के  मकानो को ढहाना और बदले की भावना से पोलिस का इस्तेमाल  भी योगी सरकार की खासियत बन चुकी है |  कितना लुंज –पुंज  है योगी का शासन  की पुलिस की हिरासत में भी हत्या हो जाती हैं | यह घटना उन 17 पुलिस कर्मियों की नालायकी ही है , जिसके लिए उनका निलंबन  कोई इलाज़ नहीं है | बिना पुलिस की मिली भगत के ऐसी वारदात  संभव ही नहीं है | एवं पुलिस  का ऐसा रुख बिना किसी प्र्शसनिक और राजनीतिक दबाव के संभव नहीं होता |

                    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बिरला मंदिर में गोली मारने वाले नाथु राम गोडसे को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गाया था | पर उसे अदालत से ही सज़ा मिली | यह था सत्तर साल का कानून का शासन | उसे किसी ने गोली से नहीं मारा !

   श्रीमति इन्दिरा गांधी की हत्या करने वाले बलबीर सिंह को भी गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया गया फिर फांसी की सज़ा हुई |  यह था काँग्रेस का न्याय ! 

  राजीव गांधी की हत्या  भी तमिल उग्रवादियो ने बम से हत्या की , उस घटना के अपराधियो को सज़ा हुई किस्सी  ने उनलोगों को गोली नहीं मारी !  अदालत में मुकदमा चला और सज़ा हुई | अभी नलिनी एक अभियुक्त को दया याचिका पर रिहाई भी हुई |

   पंजाब के मुख्या मंत्री  प्रताप सिंह कैरो के हत्यारे सुचचा सिंह  को भी नेपाल से गिरफ्तार कर भारत लाया गया , मुकदमा चला और सज़ा हुई |

    दूसरे मुख्य मंत्री बेअंत सिंह की भी हत्या हुई एवं उनके हत्यारे आज भी जेल काट रहे हैं  |

    इन घटनाओ का उल्लेख इसलिए ज़रूरी है की जब ऐसे विशिष्ट लोगो की हत्या हुई तब भी  पुलिस ने अपना “””वैधानिक काम “” किया | उन्होने  अपने – अपने नेताओ के हत्यारो को भी अदालत के द्वरा जेल के सिकचो  में या फांसी के तख्ते तक पहुंचाया |

       परंतु भगवा धारी  मुख्य मंत्री आदित्यनाथ  जी का राजनीतिक बड़बोलापन  और एक वर्ग विशेस के प्रति उनका आक्रोश  कहे या चिड़  जिसके कारण उनका बुलडोजर सिर्फ मुस्लिमो के ही मकान और दुकान पर चलता हैं  |  उत्तर प्रदेश के अवैध  कालोनाइजर जिस प्रकार ज़ामिनो पर अतिक्रमण कर  बिल्डिंग और घर तान देते है ---उनके लिए योगी के बुलडोजर के पास शायद अनुमति ही नहीं होती | जैसा की  अखिल भारतीय सेवाओ के  अफसरो के भ्रस्ताचर की जांच के लिए सरकार द्वरा  मुकदमा चलाने की अनुमति को रोक रखना | वैसे यह बीजेपी शासित राज्यो में आम रिवाज है मध्यप्रदेश में लोकयुक्त ने  23 अफसरो के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की अनुमति सालो से नहीं दी गयी है |

         आतिक  एक सजायाफ्ता  था जिसकी पुलिस की हिरासत में मौत  के जिम्मेदार पुलिस जानो के वीरुध “””हत्या के अपराध में सहयोग “”  देने का मुकदमा कानूनी तौर पर चलना चाहिए | परंतु योगी सरकार का ट्रैक रेकॉर्ड देखते हुए ऐसा होगा ----संभावना कम ही हैं | क्यूंकी गोरखपुर में कानपुर के एक व्यापारी की पुलिस द्वरा गिरफ्तार कर हत्या की गयी , उसके दोषी सब इंस्पेक्टर को निलंबित कर गिरफ्तार तो किया गया | परंतु मामले को इतना कमजोर कर दिया गया की उसके खिलाफ कोई आरोप सीध ही नहीं होगा | उधर बीजेपी के लोगो ने कानपुर  में म्र्तक व्ययपरी के परिवार को आर्थिक सहायता देकर उनको भी  माना लिया |

 

   कानून और पुलिस की कारवाई से वाकिफ लोग इस घटना को मुख्यमंत्री के उस गर्जना से भी जोड़ रहे हैं की “” प्रदेश में माफियाओ को जमीन में गाद दूंगा “” अब आतिक और अशरफ दोनों मुसलमान है ---उन्हे तो जमीन में ही दफनाया जाएगा | पर जिस तरह से उनकी हत्या को अंजाम दिया गया – उसके राजनीतिक संबंधो से  इंकार नहीं किया जा सकता |  क्यूंकी  हत्यारो द्वरा  जय श्री राम का नारा बुलंद करना और फिर सहज रूप से अपने को सरेंडर करना -----काफी अटपटा लगता है | आम तौर पर पुलिस अभिरक्षा में यदि किसी पर हमला होता हैं –तब तैनात पुलिस जन अपने हथियारो का इस्तेमाल करते है | परंतु जिस प्रकार इस हत्यकाण्ड की लाइव  स्ट्रीमिंग  हुई वह मात्र संयोग नहीं हो सकता | दूसरे  एक फोटो में पुलिस वाला जिस प्रकार  हत्यारे को पीठ से पकड़ रहा हैं -----वह साफ करता हैं की उसकी नियत  मुक़ाबला करने अथवा   रोकने की तो नहीं थी |

  सरकार द्वरा जिस प्रकार आरोपियों को अपराधी बता कर एङ्कौंटर  करती हैं ---उसकी बेईमानी हैदराबाद में तीन लोगो का इङ्कौंटर  की न्यायाइक जांच में उजागर हो चुकी है | न्यायालय ने दोषी पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था | जिसका परिणाम अज्ञात हैं !!!

उत्तरप्रदेश पुलिस धरम के आधार पर विष वामन करने वाले गेरुआ धारी कथा वाचको और  स्व्यंभू महात्माओ के वीरुध कानून की कारवाई सुप्रीम कोर्ट के बारंबार निर्देशों के बाद भी नहीं होती – क्यूंकी शायद वह सरकार को माफिक लगता हैं |

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एक खबर यह भी आ रही हैं की काश्मीर के पूर्व गवर्नर  सतपाल मालिक  द्वरा  कारण थापर को दिये गए इंटरव्यू में दावा किया है की --- पुलवामा कांड के लिए आतंकवादियो से ज्यड़ा केंद्र सरकार जिम्मेदार हैं | उन्होने दावा किया की उन्होने गृह मंत्री और प्रधान मंत्री से कहा था की सैनिको को इतनी दूर सड़क मार्ग से ले जाना खतरे से खाली नहीं है | अतः   सैनिको के लिए  वायु सेना के पाँच जहाज  इस काम को सुरक्शित रूप से कर सकते हैं | परंतु उन्हे केंद्र ने इस मसले पर छुपा रहने की हिदायत दी थी |

गौर तलब  है की प्रधान मंत्री  ने  पुलवामा कांड को लेकर पाकिस्तान पर आरोप लगया था –और लोकसभा चुनावो में पहली बार वोट डालने वाले युवको को शहीद सैनिको की कसं भी दिलाई थी | एक खबर यह भी है की मीडिया में कारण थापर और सतपाल मालिक  के साछटकार को जगह नहीं मिले इसकी भी कोशिस किए जाने की बात काही जा रही हैं |

 

 

 

Apr 11, 2023

 

फ़ैक्ट चेक यूनिट –क्या होगा !

हक़ीक़त या जो सरकार के दस्तावेज़ कहे वो सच हो

 

     मोदी सरकार की या पहल , सर्वोच

न्यायालय द्वारा उनके फ़ैक्ट को लिफाफे को लगातार नामंज़ूर किए जाने से उत्पन्न हुई है | वे अपना सच “सिर्फ” अदालत के सामने ही रखना चाहते थे , जिसे प्रधान न्यायधीश चंद्रचूड़ ने न्याय के सिद्धांतों के विपरीत बताते हुए , सॉलिसीटर जनरल को  अपनी दलील दूसरे पक्ष को बताने को कहा | अब इस स्थिति से यह आभास होता है की सरकार राष्ट्रिय सुरक्षा बता कर जिस प्रकार एनएसए  लगा कर लोगो को निरूढ़ कर रही थी उस पर रोक लग गयी है | खासकर केरल के एक चैनल को राष्ट्रिय सुरक्षा का हवाला  देकर बंद करने के केन्द्रीय सरकार के फरमान पर ओरधान न्यायाधीश ने कहा की “” मात्र आप के कह देने से कोई देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हो जाता , उसके लिए आप को ठोस कारण बताने होंगे | इतना ही नहीं आपके कारणो को हम एक एमिकस कुइरी  नियुक्त कर जांच कराएंगे | अब इस स्थिति के बाद मोदी सरकार के पास सरकार की आलोचना को देशद्रोह की श्रेणी में लाना नामुमकिन हो गया हैं | इस स्थिति से निपटने के लिए ही , जजो के खिलाफ विश वामन करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री किरण ऋजुजु  के मंत्रालय ने यह नई चाल चली हैं |

        यानहा सवाल यह पैदा होता हैं की यह यूनिट समाचारो की सच्चाई को किस पैमाने से परखेंगी ?  क्या दस्तवेजी तथ्य ही सबूत होंगे अथवा  सरकार उन दस्तावेज़ो की जो परिभाषा करेगी वही सच होगा -- |  उदाहरन के तौर पर  बड़े – बड़े अखबारो में रोज –रोज फुल फुल पेज के विज्ञापन को सरकार की नियत माने अथवा  फैसले ? अब अगर इनको घोसनाए माने तब इनकी पूर्ति की खोजबीन  जब धरातल पर होगी तब  सरकार के फैसले और उसकी धरातल पर कारवाई को ही फ़ैक्ट  नहा जाएगा अथवा उसे प्र्शसनिक कारवाई कह कर जिम्मेदारों को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 34 के अंतर्गत संरक्षण  मिलेगा ! जब की सरकार की असलियत उजागर करने वाले को  -- फ़ैक्ट चेक यूनिट का नोटिस ! क्यूंकी सरकार के फैसलो की जमीनी हक़ीक़त  तो लोगो से बात कर के और कुछ दस्तावेजी सबूतो से होगी | उदाहरन के तौर पर  आज की ही खबर है की मध्य प्रदेश सरकार ने एक लक लोगो को रोजगार सुलभ यानि नौकरिया देने का “”वादा” किया है |  अब इनमे से  उन लोगो को भी सरकारी नौकरियों में दिखाने की कोशिस है ---जो नौकरी दिलाने वाली कंपनियो के कर्मचारी होते हैं –जिनहे किसी प्रोजेक्ट के तहत काम पर कागे जाता है |  सरकार कांटरैक्ट  पर यानि 90 दिन के संविदा पर काम करने वालो को भी “”सरकारी “” नौकरी बताया जा रहा हैं !  अमूमन  सरकारी नौकरी का अर्थ होता हैं –जनहा उचित रूप से , किसी पेय स्केल मे नियत पद पर नियुक्ति | ना की  नब्बे दिन की अवधि पर भाड़े के लोगो को काम देना ! अब सरकार का पक्ष यह होगा की हमने लोगो को  रोजगार मुहैया करा दिया हैं | तब सवाल यह होगा की क्यू नहीं सरकार ईमानदारी से यह सार्वजनिक रूप से मानती है की  हम एयक लाख लोगो अस्थायी रूप से आजीविका सुलभ करा रहे हैं ! जैसा की किसानो की असल नष्ट हो जाने पर उनकी फसल के नुकसान की सौ प्रतिशत भरपाई नहीं होती है बस  कुल फसल के मुल्य का एक छोटे से भाग का ही मुआवजा मिलता हैं |

  वैसे इस फ़ैक्ट चेक यूनिट  का असली काम केंद्र सरकार से जुड़ी खबरों की ही सच्चाई का पता लगाना है | राजी सरकारो को यह “”संरक्षण “” नहीं है |  मतलब यह की प्रदेश की बीजेपी सरकारो को खबरों की सच्चाई पर भरोसा हैं | क्यूंकी मध्य प्रदेश

में ही  किस खबर पर चाहे दुर्घटना हो अथवा  घोटाला  सरकार के मंत्री प्रवक्ता  का उस पर जवाब मिल जाता है | पत्रकार  अपनी खबर में अपने तथ्य रखने के बाद  खबर लिखता हैं | इसलिए खबर के “””गलत या भ्रामक “” होने की स्थिति नहीं बनती | परंतु दिल्ली में  जिस मंत्रालय की खबर होती है वह  अगर प्रैस इन्फार्मेशन ब्यूएरो को इनपुट देता हैं –तब तो  पत्रकार  इस्तेमाल कर सकता हैं | परंतु सौ में से 90 प्रतिशत मामलो में ना तो मंत्रालय को परवाह होती है की वह सामने आकार हक़ीक़त बताए ना ही वह  पी आई बी  को जानकारी सुलभ करता हैं | तब पत्रकार को अपने सूत्रो के भरोसे ही खबर की सच्चाई पर भरोसा करना पड़ता हैं |

   सच्चाई या हक़ीक़त को जो सरकार के खिलाफ हो उसे राष्ट्रीय खतरा बताने का काम आस्ट्रेलिया की एक सरकार ने किया था | जिस पर वनहा के सभी अखबारो ने एक दिन  समाचार पात्रो का प्रकाशन ही नहीं किया , इस विरोध प्रदर्शन के बाद भी सरकार अड़ी रही तब , पत्रकारो और अखबारो ने मिल कर  हड़ताल जारी रखी | तब सरकार को झुकना पड़ा | हुआ यह था की सरकार द्वरा बहुराष्ट्रिय कंपनियो को रक्षा और खनन  के छेत्र में  ठेके दिये गए थे | जी राष्ट्र के पर्यावरण और सुरक्षा में की जा रही गदबड़ियों के कारण थे | परंतु कतिपय  नेताओ ने अपने आर्थिक लाभ के लिए ये फैसले लिए थे | उनमे से एक फैसला अदानी की एक कंपनी को कोला खनन और विद्युत उत्पादन  का भी था | संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस ठेके को लेकर घोर आपति जताई थी और अपनी रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट को पर्यावरण के लिए “”अति घातक “” बताया था | परंतु जैसा की होता है ---- नेताओ को राष्ट्र और इसके नागरिकों के स्वास्थ्य और हित से अधिक अपनी संपाती का ख्याल रहता हैं | अब इसको फ़ैक्ट चेक कैसे करेंगे की ------नहीं थर्मल विद्युत उत्पादन इकाई से छेत्र का पर्यवरन प्रदूषित नहीं होगा !!!  लेकिन सरकार तो यही कहेगी की बिजली की सुलभता और आर्थिक विकास के लिए औद्यगीकरण जरूर है | फिर उस इलाके के लोग सांस फूलने और  आँय बीमारियो एसआर जूझते रहे | यह है फ़ैक्ट चेक यूनिट का कमाल |

Apr 6, 2023

 

राज्यो को शांति बनाए  रखने की सलाह दी  !

 जुलूसो की राजनीति की आड़ में धर्म के नाम पर हुड़दंग

 

     आज से तीस वर्ष पहले तक  धार्मिक जुलूसो का माहौल नहीं हुआ करता था | हकीकत तो यह है की सत्तर और अस्सी के दशक में  उत्तर भारत में राम बारात निकलती थी और महाराष्ट्र में गणपती की जयंती  में पंडालो में दर्शनार्थियों की भीड़ होती थी | मैसूर में दशहरे की दिन सवारी निकलती थी | बंगाल में तो बस दुर्गा पुजा के दौरान विसर्जन  का जुलूस निकलता था | जिसमे  कुछ इंतजामिया कमेटी के लोग और थोड़े से भक्त ही होते थे | हाल ही में  बंगाल और बिहार तथा महाराष्ट्र में  जुलूसो के दौरान हुई हिंसात्मक घटनाओ को  मोदी सरकार ने गंभीरता से लिया हैं | इसीलिए  राज्यो  सलाह दी गयी है |

       आजकल तो हाल यह हैं की इलाके के कुछ बेरोजगार नौजवानो तो कोई परवा हो  तो मूर्ति बिठाने और -पंडाल निर्माण तथा भंडारे  के इंतजाम के लिए  चंदे की रशीद लेकर निकाल पड़ते हैं | फिर घरो और दुकानों से होती है वसूली | अधिकतर यह देखा गया हैं की  टीन की चादरों  के पंडाल में मूर्ति के अलावा  बड़े उंके आवाज़ में बजता लाउड स्पीकर  ही होता है |  कुछ ऐसा ही धरम के नाम पर निकालने वाले जुलूसो  कोई धार्मिक व्यक्ति दो कार ही होते हैं | बाकी भीड़ उन बेरोजगारो की होती है जीने पैसा देकर लाया जाता हैं |  फिर  शुरू होता है -----नेताओ का खेल | हमारी श्रद्धा  है की हमारे जुलूस को किसी भी रास्ते से न्कलने की आज़ादी दे | अक्सर उन रास्तो पर मस्जिद और गिरिजाघर होते हैं | जिनको   अपमानित करने के लिए नारे और धूम धड़का होता है |

जुलूसो में केवल बीजेपी विश्व ह्ंदु परिषद और बजरंग दल के नेता और कार्यकर्ता ही पाये जाते हैं | जो सक्रिय भूमिका निभाते हैं | फिर होता है हिंसक  मुठभेड़ ! कोई भी समुदाय अपने पूजनीय  लोगो के प्रति अपशब्द  नहीं सुन सकता |

 

    विगत चार – पाँच सालो से शहरो में सड़क के किनारे  शिव और शनि तथा  बजरंगबली के कुटीय नुमा मंदिरो की बाढ सी आ गयी है | नगर निगम की भूमि पर अतिक्रमण कर बने इन उपासना स्थलो में  , मंदिर के कर्मकांड और उपयुक्त पुजारियों का सर्वथा अभाव हैं |   परंपरागत मंदिरो में आज भी भीड़ होती हैं | उनमे ना तो लाउड स्पीकर का कान्फ़ोडु  शोर होता है और बाकायदा  चढावा और प्रसाद की व्यसथा भी होती हैं |   जगह - जगह इन तथाकथित मंदिरो की कानूनी हाईसीयत  और मालिकाना हक़ का कोई सबूत नहीं होता | सिवाय इसके की किसी  नगर निगम या विधायक की शह पर इनका निर्माण हो जाता हैं | फिर सिलसिला शुरू होता है  चंदा उगाही का !

         भोपाल में एक विधायक की  व्यापारियो  से चंदा वसूली के इतने किस्से हैं की उनका नाम ही चंदा  मामा हो गया हैं | वैसे जमीन को कब्जिय कर मूर्ति बिठाने  में नेता जी की दहौंस पट्टी ही काम आती है | अफसर और कर्मचारी भी अपनी नौकरी बचाने के चक्कर  में आँख मूँद लेते हैं | मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालया  ने राज्य सरकार को  निर्देश दिया था कोई तीन साल पहले की "वह राज्य में मंदिरो की संख्या और  उनकी वैधता के बारे में एक रिपोर्ट पेश करे < परंतु आज तक प्रदेश सरकार ने ना तो इन मंदिरो की गिनती कराई है और नाही यह परीक्षण किया हैं की उनका निर्माण नियमानुसार हुआ है अथवा नहीं | अकेले भोपाल में ही ऐसे कुटिया नुमा मंदिरो की संख्या  हज़ार से अधिक की हैं |

      अभी हाल में रामनवमी के दिन  इंदौर  में  एक मंदिर की बावड़ी के धंस जाने से  39 लोगो की मौत हो गयी | मामले के तूल पकड़ने पर  जांच हुई तो  उसका निर्माण "" गैर कानूनी "" पाया गया | कहा जाता हैं की सांसद भी मंदिर के ट्रस्ट में थे | उन्होने सफाई दी की वे किसी भी बैठक में नहीं गए | बाद में मंदिर के निर्माण को बुलडोजर  चला कर बराबर कर दिया गया |  यह तो एक  उदाहरण हैं |

       एक ओर प्रदेश की जनता  को मंहगाई और स्वास्थ्य की सुविधाओ की उपलब्धता नहीं हो रही |  शिशुओ और बालको की शिक्षा के लिए किताब कापियो की कालाबाजारी की जा रही हैं ,| परंतु सरकार चुनावी वर्ष में  4000 करोड़ की विशाल राशि   तीर्थ यात्रा और मंदिरो और पुजारियों के मानदेय पर खर्च  करने वाली हैं |  चुनाव में बाबाओ और साधु -महंतो  से ज्यड़ा  नेता और मंत्री अपने -अपने इलाको में  ""लखटकीय "" कथा वाचको  के सहारे भीड़ इकठा कर रहे हैं | अभी कुछ समय पूर्व रुद्राक्ष बाटने  के आयोजन के चलते भोपाल - इंदौर  राजमार्ग पर ट्राफिक जाम हो गया था , जो अनेकों घंटे तक चला !!!  इसी आयोजन में एक युवती  गायब हो गयी और अनेकों लोग अपने परिवार से बिछड़ गए |  जिला प्रशासन  ने धार्मिक आयोजन और ""ऊपर के आदेश से "" इस कार्यक्रम को नियंत्रित नहीं किया | पंजाब में सिखो और  निरंकारियों  तथा  राम गड़िया समुदाय की बड़ी - बड़ी संगत होती है  जिनमे बीस -बीस हजार तक श्र्धलु आते हैं | परंतु आयोजक सारे बंदोबस्त रखते हैं |  परंतु यानहा तो कथा स्थल पर ना तो पेय जल की व्यापक व्यस्था  नाही नीति क्रिया के लिए कोई इंटेजम | चिकित्सा सुविधा तो नाम मात्र को नहीं |

 

 

Apr 4, 2023

 

नवमी हंगामे पर केंद्र का ममता को घेरने की नापाक कोशिस !! अबकी बार  पुलिस मुखिया की शिकायत

 

  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का अमला  गैर बीजेपी राज्यो की घटनाओ पर “” विशेस “ रूप से क्रियाशील हो जाता है | यह  हुगली जिले के रिशरा  में नवमी जुलूस को लेकर हुई पथरबाजी को लेकर हुई घटना , पर बंगाल के  बीजेपी आद्यक्ष सुकान्त मजूमदार  द्वरा  प्रदेश के पुलिस के मुखिया  मनोज मालवीय के वीरुध की गयी शिकायत से मिलती हैं | बीजेपी नेता ने इस बार मुख्य मंत्री ममता बनर्जी की स्थान पर पुलिस महानिरीक्षक  को निशाना बनाया है | गृह मंत्री को भेजी शिकायत में कहा गया है की मालविया के रहते “” राम भक्त और हिन्दू तथा बीजेपी कार्यकर्ताओ के वीरुध  कारवाई को रोका नहीं जा सकता !! यह शायद पहली बार  हुआ है की बीजेपी के किसी प्रदेशाद्यक्ष  ने नौकरशाही को निशाना बनाया है ! कारण साफ हैं की बंगाल की अफसरशाही को केंद्र की सत्ता से भयभीत  कराना हैं | पहले भी मोदी सरकार के गृह मंत्री राज्य के मुख्य सचिव के वीरुध कारवाई कर चुके है | पहले मुख्य सचिव का दिल्ली तबादला किया गया , जब उन्होने अवकाश ले लिया तब उन्हे  निलंबित किया गया |  अबकी बार निशाने पर पुलिस के मुखिया हैं | क्या इस बार भी केंद्र अखिल भारतीय सेवा के नियमो का उसी प्रकार उपयोग करेगी जैसा उसने  पहले मुख्य सचिव के मामले में किया था ?

    इस बार  सुकान्त मजूमदार  ने बीजेपी कार्यकर्ताओ  के लोकतान्त्रिक अधिकारो के हनन का मुद्दा उठाया है |  जैसे दूसरे समुदाय के लोगो के लोकतान्त्रिक अधिकार संविधान प्रदत्त नहीं है !!   केंद्र की मोदी सरकार  , केरल में भी इसी भांति  हरकत कर चुकी हैं , जब वनहा एक आरएसएस के कार्यकर्ता की रंजिश के चलते हत्या हुई थी तब भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यपाल को कारवाई करने की सलाह दी थी |  इस बार भी राज्यपाल  ने रिशरा का दौरा करके  दोषियो के खिलाफ कड़ी कारवाई करने का बयान दिया हैं | जब उप राष्ट्रपति बंगाल के राज्यपाल ते तब वे भी राज्य सरकार की आलोचना किया करते थे  और हस्तछेप  करने की कोशिस करते थे |

                 वैसे राज्यपालों की यह “”चेतना “” बीजेपी शासित राज्यो में नहीं जगती है ! गनीमत है की बिहार के राज्यपाल अथवा वनहा की बीजेपी इकाई ने अभी तक राज्य के राजनीतिक नेत्रत्व को ही निशाने पर रखा हैं | सत्तर साल के देश के इतिहास में  राजनीतिक दल  अपना विरोध  राजनीतिक स्तर पर ही करते रहे हैं , परंतु मोदी काल में सारी परंपराए दलीय स्वार्थ की गुलाम हो गयी हैं |

    जनहा राज्य की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने रिशरा में नवमी को हुए हिंसक वरदातों के लिए “”बाहरी तत्वो “” को जिम्मेदार बताया है , वनही बीजेपी  इलाके के अलपसंख्यकों  को उत्पात के लिए दोषी बता रही है | जबकि चैनलो पर दिखाये गए रील में नवमी के जुलूस में भगवा धारी युवक के हाथ में पिस्तौल सा साफ दिखयी दे रही हैं ! 

        इस विवाद में ओआईसी  के बयान , को लेकर भी विदेश मंत्रालय मैदान में उतार आया है ,| ओआईसी ने हुगली में हुई हिनशक वरदातों में अल्पसंख्यको की जान – माल को लेकर  सरकार के “”सांप्रदायिक सोच “”  से कारवाई का आरोप लगाया था | जिस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिदम बागची ने कहा की यह बयान ओआईसी के भारत विरोधी  एजेंडे को ही  साबुत करता हैं |

             बीजेपी के प्रदेश आधायक्ष मजूमदार ने  बंगाल पुलिस  पर ही आरोप लगा दिया है की “”वह हिन्दुओ और उनकी संपती की सुरक्षा नहीं कर रही , वरन परेशान कर रही है | यानि पुलिस को बीजेपी के उप्द्र्वि तत्वो के खिलाफ कारवाई नहीं करनी चाहिए | शायद यही उनके हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा  का फलित  हैं |

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 जितनी शिद्दत अमित शाह जी का मंत्रालय  बंगाल की घटनाओ को लेकर चिंतित है और उसके राज्यपाल  भी फौरन बयानबाजी करते है ---- क्या इंदौर में रामनवमी को एक गैर कानूनी मंदिर की बावड़ी धंस जाने से 36 लोगो की मौत पर  कोई कारवाई की बात अभी तक अमित शाह जी के मंत्रालय ने क्यू नहीं की ? क्या इसलिए की यानहा उनकी पार्टी की सरकार हैं ! इसलिए यानहा की सरकार और अमले के सौ खून माफ !

        अभी तक की जांच से यह सा हो चुका है की मंदिर  अतिक्रमण “” कर के बनाया गया था | हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल   पर  मंदिर पर बुल्ल्दोजर चला दिया गया है | एवं सत्ताधारी दल का पालित – पोषित संगठन बजरंग दल ने राज्य सरकार की  मंदिर को धराशायी करने की कारवाई के खिला प्रदर्शन किया था ---- परंतु उन पर न तो कोई गिरफ्तारी हुई और नाही कोई कारवाई हुई |  इंदौर नगर निगम , जिसकी ज़िम्मेदारी थी की वह “”अवैध”” कब्जो के खिलाफ कारवाई करता --- पर ऐसा कुछ नहीं हुआ | हाँ  दुर्घटना में मारे गए लोगो को राज्य सरकार और प्रधान मंत्री कोश से आर्थिक सह्यता  जरूर देने की घोसना हुई हैं | अब देखना यह होगा की यह धन राशि उनको कब मिलती है | क्यूंकी ऐसा कई मामलो में देखने को मिला है –घोसनाओ के बावजूद भी प्रभावित लोग  सहता राशि के महीनो छककर काटते रहते हैं |

 

Apr 3, 2023

राहुल की अपील बनी सत्ता के अलमबरदारों  की परेशानी

 

   सूरत की मजिस्ट्रेट अदालत के मानहानि के फैसले  में दो साल की सज़ा सुनाये जाने के बाद , संसद की  सदस्यता समापत किए जाने के उपरांत  काँग्रेस में तो कम चिंता थी | परंतु बीजेपी के खेमे में ज्यादा बेचैनी दिखाई पड़ रही थी | सोमवार  को जब राहुल गांधी तीन मुख्य मंत्रियो के लवाजमे  के साथ सेशन कोर्ट में अपील दायर करने पहुंचे  --तब दिल्ली में कानुना मंत्री  ऋजुजु समेत अनेक नेताओ ने  उनके वनहा जाने पर भी  “तकलीफ”  व्याक्त की |  उन्होने बयान दिया की  अपील  के समय उनका जाना जरूरी  नहीं होता , नाटक करने गए हैं | कुछ  नेताओ ने कहा की  वे माफी क्यू नहीं मांगते ! एक आध नेताओ ने तो याना तक कह दिया  की काँग्रेस गांधी परिवार के लिए न्यायपालिका का अनादर कर रही हैं ! उनके लिए क्या  कोई अलग कानून होगा ! आदि आदि |

                         राजनीतिक हल्कों  की जुमलेबाजी का सज्ञान  ले ---तो कयास लगाए जा रहे है , की अगर 13 अप्रैल को सेशन कोर्ट ने दो साल के कठोर कारावास की सज़ा  को--- पर मुकदमा चलने तक स्थगन दे दिया , संसद से उनकी सदस्यता और मकान खाली करने का नोटिस  देने की कारवाई “” बेअसर” ही नहीं हो जाएगी वरन लोकसभा  की कारवाई पर भी सवालिया  उंगली उठेंगी |  क्यूंकी हाल ही में लक्षद्वीप  के सांसद  को एक हत्या के मामले में  सज़ा हुई थी , तब लोकसभा ने  , उनकी सदस्यता खतम कर सीट को रिक्त घोषित कर देने की कारवाई की थी |  परंतु केरल हाइ कोर्ट द्वरा उनकी सज़ा पर अपील के चलने तक रोक लगा दी थी | परिणामस्वरूप  लोकसभा सचिवालय को अपना आदेश वापस लेना पड़ा !!  बीजेपी को लगता हैं की  अगर राहुल गांधी की अपील पर स्थगन मिल गया तो “”” उनका पिछड़े वर्गो के अपमान करने का मुद्दा  “” खतरे में पड़ जाएगा | मुद्दा तो बीजेपी जीवित रखेगी  --बाद धार बोथरी हो जाएगी |

                      मोदी सरकार को यह भी आशंका है की अगर राहुल गांधी अपनी प्रस्तावित  “”पूरब से पश्चिम की भारत यात्रा करते हैं और  इस मुद्दे को आम लोगो के बीच ले जाते हैं –तब मामला उलट सकता है ! पिछड़े वर्ग के लोगो को लगेगा की --- एक बार फिर  बीजेपी के नेताओ ने “””जुमलेबाजी “”” का सहारा लिया हैं !  क्यूंकी केरल से कश्मीर की यात्रा के दौरान  राहुल गांधी से मिलने वालो भीड़  में दलित –पिछड़े और अलपसंख्यक  वर्ग के लोग बहुतायत  में थे | अब ऐसे में या तो बीजेपी के किसी नेता या नेताओ को उनके प्रस्तावित यात्रा  के मार्ग पर निगाह रखनी होगी , जो की हमेशा ही रहती है |

      हाँ एक फायदा  मोदी सरकार को जरूर हुआ की , अदानी का मुद्दा  , थोड़ा पिछड़ गया | वैसे यात्रा के दौरान  इस मुद्दे को राहुल और भी ज्यादा विस्तार दे सकते हैं | क्यूंकी सरकार तो येन केन प्रकारेन   मीडिया और लोगो के डिमगा से अदानी के मुद्दे को दूर करना चाहती है |  लेकिन सोमवार को गोदी चैनलो  पर पहली बार सुबह से ही राहुल गांधी की गतिविधियो  पर कैमरे  की नज़र थे और  रिपोर्टर  और ऐंकार उनके घर से निकल्ने  और प्रियंका गांधी के उसे मिलने जाने तथा काफिले के हवाई अड्डे तक चैनलो ने पीछा किया |

 

          खैर  अब मामला 13 अप्रैल को फिर गरमाएगा  --- चाहे सेशन कोर्ट का फैसला कुछ भी हो |  


Apr 2, 2023

 

राजनीति की बलि चढती –जनहित  और सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

 

    

    सुप्रीम कोर्ट के बार – बार इंगित करने पर , की धरम को राजनीति से अलग रखा जाये , तभी समुदायो में तनाव खतम होगा | वोट की राजनीति के लिए धरम का इस्तेमाल देश की एकता के लिए खतरनाक है |

   परंतु भोपाल में आरएसएस के सरसंघचालक  भागवत जी ने सिंधी समुदाय के सम्मेलन मे कहा की “”अखंड भारत ‘’’ के लिए प्रयास समझआर लोग करेंगे !!!  वैसे संघ समर्थित  अनेक संगठन  अखंड  भारत की बात करते  ,है  पर वे यह नहीं साफ साफ बताते की ब्रिटिश शासन का भारत  अखंड था अथवा सम्राट अशोक  का या चोला राजा  का !!! क्यूंकी उस भारत या तो उत्तर भारत नहीं होगा या दक्षिण भारत के भाग नहीं होंगे , शायद मांग करने वाले जानबूझ कर इस मसले को साफ नहीं करना चाहते , क्यूंकी तब बहस होगी ----जो ये लोग

नहीं चाहते |

            यह सर्व विदित है की संघ भारतीय जनता पार्टी का “”” मूल या मातृ संस्था है ----याय उसके एक्छ्त्र  नेता  अखंड हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं  तब    वारिस पंजाब दे का स्वयंभू  नेता अमरत पाल सिंह  का यह कथन  वज़न रखता हैं की  वो हीनु राष्ट्र की मांग कर सकते हैं फिर सिखो के लिए अलग राष्ट्र क्यू नहीं !!!  अब इसका कोई उत्तर  तो नहीं हो सकता , क्यूंकी  दोनों ही मांगे एक ही धरातल  पर हैं |  पर सत्ता तो यही कहेगी की हिन्दू राष्ट्र सान्स्क्रतिक  संभावना है जबकि सीखिस्थान  देशद्रोह है !!!  अब कोई तार्किक और तथ्यो का सम्मान करने वाला  सत्ता के इस जवाब को सिरे से खारिज कर देगा | पर संघ के संगठन तो हिन्दू राष्ट्र के नारे के बिना  “”” निर्जीव”” हो जाएँगे |

 

 

 

  यूं तो देश में  दलीय राजनीति के अनेक विवाद  चल रहे है , और सभी पक्ष  अपने अपने तर्क सार्वजनिक  छेत्र में रख रहे है || परंतु  सरकार या सत्ता पक्ष आज  की तारीख में  तो मोदी सरकार और उसके सहयोगी संगठन आरएसएस तथा विश्व हिन्दू परिषद और  सड़क पर  हिंसक विरोध के लिए  बजरंग दल  और कर्नाटक में राम सेना आदि जैसे मैदान में है |  हाल ही में  रामनवमी  के जुलूस को लेकर  बंगाल – महाराष्ट्र –दिल्ली और  कई स्थानो  पर तनाव हुआ और  पुलिस से झड़ाप भी हुई |  जैसा की उम्मीद थी  सत्ता पक्ष ने  बंगाल में  जुलूस के दौरान हिंसा के लिए  झट से  वनहा की त्राणमूल सरकार को “  हिन्दू विरोधी “” लेबल करने में देर नहीं किया | देश की राजधानी दिल्ली में  जनहागिरपुरी  में जुलूस की नेताओ की हठधर्मिता  को बीजेपी और आरएसएस के प्रवक्ता टीवी चैनलो  पर आकार  “”सहज राम भक्ति के प्रदर्शन  को जायज बता रहे थे | जबकि पुलिस {उनकी ही }  ने जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी थी , फिर भी बालको और युवाओ की भीड़ भगवा झंडे हाथा में लिए उत्तेजक नारे लगा रहे थे –ऐसे द्राशया टीवी चैनल में दिखाई पद रहे थे |

    बंगाल के जुलूस में एक आदमी के हाथ में  पिस्तौल  थी और वह जीप पर खाड़ा  था |  बीजेपी की महिला प्रवक्ता  ने बड़ी मासूमियत के साथ  कह दिया की जिसके पास हथियार थे उनके खिलाफ पुलिस कारवाई करे !! परंतु देखा गया है की जब कारवाई होगी , तब  भारत में हिन्दुओ या सनतानियों  की श्रद्धा पर रोक के आरोप गैर बीजेपी सरकारो पर लगा दिये जाएँगे !

       बीजेपी शासित मध्यप्रदेश  में रामनवमी के दिन इंदौर  में एक  मंदिर  में बावड़ी की छ्त  धंस जाने से  31  बालक –बच्चे और युवा तथा लोग की दुखद मौत हो गयी ! तब इन धरम भीरु नेताओ  को अपने गिरेबान में झाँकने  की जरूरत नहीं हुई |  किस प्रकार मंदिर ऐसे सार्वजनिक स्थलो पर “”भक्तो”” की जान की सुरक्षा  का इंतेजाम ओन चाहिए | प्रधान मंत्री मोदी और मुख्य मंत्री चौहान  ने मारे गए लोगो के परिवारों को आर्थिक सह्यता घोषित की है , अब देखना होगा की यह राशि उनको कब मिलती है |

               संघ के एक प्रवक्ता टीवी की बहस में आकार कहते है की काँग्रेस  ने लोगो को बाँट रखा था , वे हिन्दुओ के जुलूस  को उन इलाको से नहीं निकलने देते थे , जनहा मस्जिद और मुसलमानो की आबादी होती थी | हम क्यू नहीं राम भगवान के जुलूस को आज़ादी से सदको से क्यू नहीं निकाल सकते ! अब यह बयान  यह इशारा करता हैं की --- बजरंग दल के लोगो को मस्जिद के सामने जाकर उत्तेजित नारे लगाने और  उकसावे की कारवाई करने का अवसर मिले -----क्यूंकी पुलिस तो सत्ता के अधीन हैं ही ---और विगत पाँच सालो से देखा ही जा रहा हैं  , मुसलमान जानवर के व्यापारियो को सामूहिक रूप से परेशान करने और उनकी हत्या किए जाने की घटनाए रूक नहीं रही | अभी राजस्थान  के दो मुस्लिम व्यापारियो को हरियाणा में गाड़ी के अंदर ज़िंदा जला दिया | सबसे दुखद बात तो यह हैं की दोषी लोगो के ज़ाति वालो ने गिरफ्तारी के खिलाफ  हड़ताल की और आरोपियों के समर्थन में जुलूस निकाला |

     अब इसमे   दलीय और जातीय राजनीति साफ –साफ देखि जा सकती है ---- परंतु हरियाणा पुलिस बयान बाज़ी में तो  अपने को निर्दोष बता रही है , पर दोषियो को गिरफ्तार नहीं कर पा रही |