राहुल की अपील बनी सत्ता के अलमबरदारों की परेशानी
सूरत की मजिस्ट्रेट
अदालत के मानहानि के फैसले में दो साल की सज़ा
सुनाये जाने के बाद , संसद की सदस्यता समापत किए जाने के उपरांत काँग्रेस में तो कम चिंता थी | परंतु बीजेपी के खेमे में ज्यादा बेचैनी दिखाई पड़ रही थी | सोमवार को जब राहुल गांधी तीन मुख्य
मंत्रियो के लवाजमे के साथ सेशन कोर्ट में
अपील दायर करने पहुंचे --तब दिल्ली में कानुना
मंत्री ऋजुजु समेत अनेक नेताओ ने उनके वनहा जाने पर भी “तकलीफ” व्याक्त की | उन्होने बयान दिया की अपील के
समय उनका जाना जरूरी नहीं होता , नाटक करने गए हैं | कुछ नेताओ ने कहा की वे माफी क्यू नहीं मांगते ! एक आध नेताओ ने तो याना तक कह दिया की काँग्रेस गांधी परिवार के लिए न्यायपालिका का
अनादर कर रही हैं ! उनके लिए क्या कोई अलग कानून होगा ! आदि आदि |
राजनीतिक हल्कों की जुमलेबाजी का सज्ञान ले ---तो कयास लगाए जा रहे है , की अगर 13 अप्रैल को सेशन कोर्ट ने दो साल के कठोर कारावास की सज़ा को--- पर मुकदमा चलने तक स्थगन दे दिया , संसद से उनकी सदस्यता और मकान खाली करने का नोटिस देने की कारवाई “” बेअसर” ही नहीं हो जाएगी वरन लोकसभा
की कारवाई पर भी सवालिया उंगली उठेंगी | क्यूंकी हाल ही में लक्षद्वीप के सांसद को एक हत्या के मामले में सज़ा हुई थी , तब लोकसभा ने
, उनकी सदस्यता खतम कर
सीट को रिक्त घोषित कर देने की कारवाई की थी | परंतु केरल हाइ कोर्ट द्वरा उनकी सज़ा पर अपील के
चलने तक रोक लगा दी थी | परिणामस्वरूप लोकसभा सचिवालय को अपना आदेश वापस लेना पड़ा !! बीजेपी को लगता हैं की अगर राहुल गांधी की अपील पर स्थगन मिल गया तो “””
उनका पिछड़े वर्गो के अपमान करने का मुद्दा “” खतरे में पड़ जाएगा | मुद्दा
तो बीजेपी जीवित रखेगी --बाद धार बोथरी हो
जाएगी |
मोदी सरकार को यह भी आशंका
है की अगर राहुल गांधी अपनी प्रस्तावित “”पूरब
से पश्चिम की भारत यात्रा करते हैं और इस मुद्दे
को आम लोगो के बीच ले जाते हैं –तब मामला उलट सकता है ! पिछड़े वर्ग के लोगो को लगेगा
की --- एक बार फिर बीजेपी के नेताओ ने “””जुमलेबाजी
“”” का सहारा लिया हैं ! क्यूंकी केरल से कश्मीर
की यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मिलने वालो
भीड़ में दलित –पिछड़े और अलपसंख्यक वर्ग के लोग बहुतायत में थे | अब ऐसे में या तो
बीजेपी के किसी नेता या नेताओ को उनके प्रस्तावित यात्रा के मार्ग पर निगाह रखनी होगी , जो की हमेशा ही रहती है |
हाँ एक
फायदा मोदी सरकार को जरूर हुआ की , अदानी का मुद्दा , थोड़ा पिछड़ गया | वैसे यात्रा के दौरान इस मुद्दे को राहुल और भी ज्यादा विस्तार दे सकते
हैं | क्यूंकी सरकार तो येन केन प्रकारेन मीडिया और लोगो के डिमगा से अदानी के मुद्दे को
दूर करना चाहती है |
लेकिन सोमवार को गोदी चैनलो पर पहली
बार सुबह से ही राहुल गांधी की गतिविधियो पर
कैमरे की नज़र थे और रिपोर्टर और ऐंकार उनके घर से निकल्ने और प्रियंका गांधी के उसे मिलने जाने तथा काफिले
के हवाई अड्डे तक चैनलो ने पीछा किया |
खैर
अब मामला 13 अप्रैल को फिर गरमाएगा --- चाहे सेशन कोर्ट का फैसला कुछ भी हो |
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