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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 24, 2019


पुलवामा के जवाब में जुबानी आक्रमण के माहौल से बदला मिलेगा ?

15 फरवरी को काश्मीर में सीआरपीएफ़ के जवानो को ले जा रही बसो पर एक आत्म घाती हमलावर द्वारा विस्फोटको से भरी कार को भिड़ा कर 40 जवानो को शहीद करने की घटना के बाद देश में रोष स्वाभाविक था | क्योंकि यह एक कायरना हरकत थी | पिछले नौ दिनो में मीडिया में सैनिको के अंतिम यात्रा और ----रोष प्रदर्शन तथा – जंगजू भासण की बाढ आ गयी हैं |
जनहा देश के विभिन्न भागो के सीमा सुरक्षा बल के सैनिको के शव ले जाये गए ---वनहा गम -शोक और छोभ ही छाया रहा | अमर रहे के नारो के मध्य बदल लेकर रहेंगे – और कनही कनही तो खून का बदला खून तक के नारे लगे | परंतु जिन पूर्व सैनिको ने अपने सपूतो को इस दुर्घटना में खोया वे अपने दूसरे बेटे को भी देश की सुरक्षा में देने की बात कहते रहे | राष्ट्र सर ऐसे रण बांकुरों की कुर्बानी पर नत मस्तक हैं | देश की सभी राजनीतिक दलोने भी सरकार के साथ खड़े दिखाई दिये | लेकिन राजस्थान के टोंक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भासण--'’इस बार सबका हिसाब होगा और {{बराबर }} पूरा हिसाब होगा "” यह कथन मशहूर फिल्म शोले में गब्बर सिंह की याद दिलाता हैं | अब किसका हिसाब होगा ? पाकिस्तान का या देश के उन लोगो का जो उनके कहने और करने पर सवाल करते हैं ? जिस प्रकार बीजेपी की आज की पहचान मोदी को बना दिया गया हैं | और राष्ट्र और देश का पर्याय सरकार को बनाने की कोशिस हो रही हैं वह चिंताजनक हैं |

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड {डक } ट्रम्प के बयान "” भारत कुछ बहुत बड़ा करने वाला हैं "” के बाद तो भावुक देशवासियों को लगने लगा की अमेरिका हमारी लड़ाई में मदद करेगा ! इसका मतलब यह हुआ की "”अगर हमारी कोई तैयारी भी हैं - जो देश को नहीं पता है ----वह भी दुनिया के इस दारोगा को मालूम हैं ! जबकि ट्रम्प अमेरिकी सैनिको को वापस बुला रहे है | चाहे वह अफगानिस्तान हो या सीरिया हो अथवा नाटो देशो में तैनाती हो | इस समय तो वे चीन से अपनी व्यापारिक लड़ाई लड़ रहे हैं |

मोदी जी और ट्रम्प के बयान के बाद "”बदला लेने की कारवाई "” अब उरी के आपरेशन की भांति गोपनीय और अचानक नहीं रह पाएगी {जैसा की संबन्धित फिल्म में दिखाया गया हैं }| अचानक किए गए हमले से आधी सफलता स्वयंसिद्ध होती हैं | परंतु विगत नौ दिनो से शांति मार्च और प्रदर्शन तो सारे देश में सभी समुदायो और इलाको के लोगो ने निकाल कर सरकार के समर्थन में खड़े होने का सबूत दिया हैं | परंतु पुलवामा के एक सप्ताह बाद जब काँग्रेस ने प्रधान मंत्री के घटना के समय उत्तराखंड में जिम कार्बेट पार्क में फोटो शूट किए जाने का खुलाषा किया ---तब जरूर लगा की इतनी बड़ी घटना की सूचना उन्हे तुरंत क्यो नहीं मिली ? तब आधिकारिक [प्रधान मंत्री कार्यालय } सूत्रो ने जिम कार्बेट में फोन नेटवर्क नहीं मिलने की बात की ! जिसके कारण उन्हे नब्बे मिनट बाद दुर्घटना की जानकारी मिल पायी ! यह है हमार संचार तंत्र , वैसे अखबारो की खबर के अनुसार और काश्मीर के राज्यपाल के सलहकार के अनुसार भी शासन को यह खुफिया जानकारी मिली थी की ---की आतंकवादी कोई बड़ा हमला करने वाले हैं | परंतु आशंका के अलावा कोई "”निश्चित समय या स्थान "” का उल्लेख नहीं था ! फलस्वरूप कोई प्रभावी कारवाई नहीं की जा सकी | यह हैं हमले की अचानक कारवाई का असर ----मुट्ठी भर आतंकवादी ,भले ही वे पाकिस्तान द्वरा पोषित हों भारत की सीमा के अंदर इतनी बड़ी कारवाई कर जाते हैं !! और हम सिर्फ भड़काऊ और जंगजू बयान देकर चुनावी मिट्टी को देश भक्ति के नाम पर खोद रहे हैं !!

नवभारत टाइम्स में हमारे साथी रहे वेद प्रताप वेदिक ने तो अपने कालम में इसे भारत -पाक : दिखावटी दंगल तक लिख दिया हैं | वे राश्त्र्वादी और देशभक्त पत्रकार माने जाते रहे हैं | मोदी जी ने उन्हे जैश ए मोहम्मद के नेता मसूद अजहर से बात करने को भेजा था ! उनके अनुसार नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान -दोनों अपने नागरिकों को "”यह बताने पर आड़े हुए हैं की वे आतंक वाद को खतम कर देंगे !!! पाक का पानी रोक देने की गडकरी की घोसना की वे कहते है की हमारे पास इतनी क्षमता हो की बांध बना सके! !!
उनके इस आलेख के बाद अमरतसर के निकट बाघा बार्डर पर प्रतिदिन होने वाली कवायद जिसमें भारत का सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान की ओर से वनहा का पाक रेन्जर्स की चालीस मिनट चलने वाली रोमांचक परेड की याद दिला देता हैं | जिसमे दोनों ओर से पुरुष और महिला सैनिक तुरेदार पगड़ी पहने -माथे तक अपने कदम उठाते और --दोनों ओर से एक दूसरे को अपनी मसल्स दिखाने का रोमांचक प्रदर्शन करते हैं | बीच -बीच में दोनों ओर के परेड को संचालित करने वाले अफसर दर्शको से "”एक दूसरे को हूट करने का इशारा करते हैं " और सीढीयो पर बैठे सैकड़ो दर्शक -------जवाबी हूटिंग प्रतियोगिता करते हैं | हालांकि बाद में लाउड स्पीकर इस पूरी ड्रिल को "” फ्रेंडली कवायद "” बताती हैं | तब समझ में आता है की यह जंगी तेवर सिर्फ अपने - अपने देश के नागरिकों को "” स्वयं को सुप्रीम दिखाने की झांकी भर हैं "” कुछ ऐसा ही शायद यानहा भी हो रहा हैं ----पर पूरे देश के स्तर पर !



इसके बरक्स हमारे साथी जयराम शुक्ल अपने आलेख में लिखते हैं की ज़िंदा रहना हैं तो मरना सीखो ! भाई ज़िंदा रहने के लिए तो कोशिस की जाती है -----मरने में तो कुछ छण ही लगते हैं | गीता मे क्रष्ण का संदर्भ देते हुए कहते है की "”कापुरुष मत बनो ! जयराम ने इसे हिजड़ा बताया है | खैर वे भूल गए की यह रणभूमि मे हुआ था {{ऐतिहासिकता प्र्मणित नहीं हैं } यानहा तो अभी रणभूमि भारत ही बना हुआ हैं !! क्रष्ण भी अंत तक शांति के लिए प्रयासरत थे | इसके लिए उन्हे दुर्योधन से अपमान मिला !! हम तो शांति वार्ता से दूर ---- बहिसकार की भाषा बोल रहे हैं | फलहारी सेंधा नमक से लेकर सूखे मेवे पाकिस्तान से ही यानहा आते हैं | अफगानिस्तान से लगे प्ख़्तूनिस्तान से मेवे भी
बाघा बार्डर से ही ट्रको में आते हैं | सीमेंट - सरिया - रेडीमेड वस्त्र का आयात हम करते हैं | अभी गुरुनानक की जन्म भूमि करतारपुर साहेब के गुरुद्वारे मे जाने के लिए पाकिस्तान ने '’’कारीडोर '’ देने का फैसला किया | लेकिन हम पाकिस्तान से अजमेर में ख्वाजा की दरगाह पर आने वाले जायरिनों को वीसा नहीं देने का फैसला किया हैं !!! हमे अपने गिरेबान में भी झाकना पड़ेगा |
अमेरिका के मौजूदा शासन का गोरे लोगो के प्रति मोह वनहा हुई अनेकों घटनाओ से पता चलता हैं | राष्ट्रपति ट्रम्प ने "”दास प्रथा "” के उन्मूलन करने वाले लिंकन के विरोधियो को बढावा दिया | उन्होने नीग्रो लोगो के लिए असम्मान जनक टिप्पणिया सार्वजनिक रूप से की | क्या इस कट्टर पंथी को लोकतन्त्र मे जगह दी जा सकती हैं ? जैसा की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उसके राजनीतिक मानस पुत्र भारतीय जनता पार्टी तथा अन्य संगठन --जिस प्रकार "” हिन्दी फोबिया "” से ग्रस्त है उसके अनुसार को उनसे सहमत नहीं वह "” भारतीय नहीं "”” हालांकि वे देश को भारत ना कह कर अक्सर हिंदुस्तान का संबोधन देते हैं | देश के समाज को धर्म के आधार पर विभाजित करने की कोशिस वैसी ही हैं ----जैसी की ट्रम्प की "” काकेशियन "” मूल की | गैर सनातन धर्मी { उसमें भी वैष्णव }} और संघ समर्थित को ही देश का असली हकदार मानना | ट्रम्प अमेरिका के मूल निवासी "”रेड इंडियनों "” को असभ्य -मानते है ; अन्य प्र्वसियों को भी वे "”दख़लन्दाज़ "” ही कहते हैं | जबकि दुनिया जानती है की – अमेरिका यूरोप और अफ्रीका महाद्व्पो से आए लोगो से बसा हैं | इसी प्रकार भारत में भी विभिन्न धरम के लोग रहते हैं ---मूल रूप से वे यानही के हैं | मुहम्मद गोरी और बाबर के साथ तो मात्र कुछ तुर्की कुछ अफगान ही आए थे | आज देश के सभी मुसलमान उनके वंशज नहीं हैं | वे बंगाली हैं -मलयाली हैं - आसामिया हैं और पंजाबी भी हैं | और पाकिस्तान में भी सभी सुन्नी मुसलमान या पठान नहीं हैं | वनहा भी सिंधी और सीमा प्रांत में बसे सिख बसते हैं | हमारी लड़ाई क़ौमों की नहीं हो --वरन पड़ोसी देश की सरकार से हो | देश में चुनावी माहौल हैं ऐसे में धार्मिक उन्माद लोकतान्त्रिक चुनाव की प्रणाली को बर्बाद कर सकता हैं | आज विश्व में देशो पर आक्रमण बहुत खतरनाक विकल्प हैं | अमेरिका और उत्तर कोरिया को देखे | अथवा अमेरिका और ईरान विवाद को देखे --सब कुछ ज़बानी जमा खर्चा ही हैं | फौजी हमला भयानक हो सकता हैं | खासकर जब की दोनों राष्ट्र आण्विक हथियारो से सज्जित हो |