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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 1, 2025

 

मिस्टर ट्रम्प आप भूल गया है वियतनाम और अफगानिस्तान !

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यूक्रेन के राष्ट्रपति को अपने घर बुला कर अपने चमचों से बेइज्जत करवाने का काम जिस प्रकार अंतराष्टीय मीडिया के सामने किया उससे डोनाल्ड डक ही साबित हुए हैं ! ट्रम्प साहब यह भी भूल गए की "”अमेरिका फर्स्ट "” को वियतनाम से और फिर अफगानिस्तान से दम दबाकर भागना पड़ा था | वियतनाम और अफगानिस्तान मे ,दोनों ही स्थानों मे अमेरिकी सैनिकों के साथ यूरोपीय देशों के सैनिक कंधे से कंधा मिल कर लड़े थे | आज जो ताव ट्रम्प साहब युरोपियन देशों पर दिखा रहे हैं ----वे सभी नाटो संधि के कारण ही उसकी सनक मे साथ थे | आज अमेरिका फर्स्ट का नारा देने से वे "” विश्व गुरु "” नहीं बन जाएंगे , क्यूंकी वो तो भारत मे बाउठे है ,उनके मित्र भी हैं |

दूसरे महा युद्ध के बाद ब्रिटिश --फ्रेंच -- डच आदि साम्राज्यों ने अपने उपनिवेशों को आजाद करना शुरू कर दिया था | भारत -इंडोनेशिया और वियतनाम आदि उसी समय आजाद हुए थे | वियतनाम में फ्रांस के जाने बाद स्थानीय जनता ने चुनाव मे सरकार बनाई | परंतु वामपंथी विचारधारा के डॉ हो ची मिन्ह का प्रभाव लोगों पर अधिक था | उनकी सरल जीवन शैली और विचारों से वियतनामी प्रभावित थे | उसी प्रकार जैसे महात्मा गांधी के जीवन से भारत के लोग प्रभावित हैं | वियतनाम का दो भागों मे विभाजन हुआ | यह जेनेवा मे हुए अन्तराष्ट्रिय समझौते 1954 के मुताबिक हुआ | उत्तर विएटनाम वामपंथी और दक्षिण पंथी अमेरिका समर्थक शक्तियों को दे दिया गया | राष्ट्रपति ट्रूमन ने दक्षिणी वियतनाम पर जब उततार विएटनाम के सैनिकों ने हमला किया तब उन्होंने अपने सैनिक भेजे थे | 1955 स् 1968 तक छिटपुट और छापामार लड़ाई दोनों पक्षों मे चली बाब मे 1968 में अमेरिकी फौजों ने ने वियतनाम मे पैर रखा | राष्ट्रपति ट्रूमन से शुरू हुआ यह फौजी संघरस राष्ट्रपति आइजनहावेर से होता हुआ राष्ट्रपति कैनेडी के शासन काल तक आया | अमेरिकी सैनिकों की भारी संख्या मे मौतों से सैन्यबाल मे कमी आ गई थी | इसे देखते हुए अमेरिकी प्रशासन से देश "”” आम लामबंदी "” अर्थात सभी 18 से बीस वर्ष की आयु के नौजवानों को दो वर्ष के लिए सेना मे सेवा का करार भरना पड़ता था | राष्ट्रपति कैनेडी को इस लामबंदी का जन विरोध बहुत सहना पड़ा | उन्होंने वियतनन युद्ध को समाप्त करने का प्रयास किया , खैर उनकी इसी दौरान हत्या हो गई और उनके उतराधिकारी जानसन के समय अमेरिकी फौजों की वापसी हुई | फलस्वरूप उत्तर वियतनाम की पराजय हुई और दोनों वियतनाम का एकीकरन हुआ |


तो यह था ट्रम्प की "”शक्तिशाली अमेरिकी सेना "”” का पराक्रम !!!

दूसरा नमूना पड़ोसी देश अफगानिस्तान का हैं | जनहा ट्रम्प के अमेरिका फर्स्ट को दूम दबा कर बिना कोई तैयारी के काफी सैन्य सामान छोड़कर भागना पड|

यंहा तक की जिन अफगानियों ने अमेरिका के प्रोग्राम मे मदद की थी उन्हे भी ट्रम्प साहब सुरक्षा नहीं दे पाए | उनके दूतावासों मे काम करने वाले "”” तालिबान"” लड़कों के हाथ लग गए और उनकी हत्या हुई | अमेरिका के पहले रूस ने 1979 मे राष्ट्रपति के महल पर बम बरस केर हत्या कर दी थी | उसके बाद 1989 तक सोवियत सेनाए तालिबान लड़ाकों से जूझती रही | ओबामा से लेकर जनाब ट्रम्प के पहले शासन काल मे भी अमेरिकी और नाटो देशों के सैनिक अफगानी तालिबानी लोगों से लड़ते रहे | परंतु 31 अगस्त 2021 को काबुल से आखिरी अमेरिकी सैनिक जहाज उडा था |

इन संदर्भों मे व्यापारी कम धंधेबाज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जब देश की आजादी के लिए लड़ रहे जेलेन्सकी से दुर्व्यवहार कर रहे थे ,राष्ट्रीय मीडिया के सामने ------उन्हे कैसे एक राष्ट्रीय नेता स्वीकार किया जाए ? चुनाव मे विजयी होना तो "”” तिकड़म "” सफलता है , परंतु सभ्य समाज मे स्वीकार्यता तो व्यवहार और ज्ञान से ही आती हैं | जिसका अमेरिकी राष्ट्रपति में अभाव दिखता है "” | इतना ही कहा जा सकता है की ट्रम्प ने अफगानिस्तान में सोवियत हमले के समय बयान दिया था की "” रूस ने अफगानिस्तान पर हमला नहीं किया बल्कि वह रूस की सीमा पर आतंक मचाने वाले तालीबानों का पीछा कर रहा था "” यह बयान ट्रम्प के रूस प्रेम के कारण को स्पष्ट कर देता हैं |