बलात्कारी
को फांसी --
पर
डाक्टरों को आत्महत्या करने
पर मजबूर करने वाले प्रबंधन
और रैगिंग के मामलो मे समझौता
कराने क्के जिम्मेदार लोगो
के खिलाफ भी कोई कारवाई होगी
??
या
बागपत
की जेल के अंदर ही एक डान ने
दूसरे गैंगस्टर की हत्या की,
, तो
उसे अपराध की दुनिया का कारनामा
माना गया !
परंतु
मध्य प्रदेश के मेडिकल कालेजो
मे छात्रो की रैगिंग --
और
प्रबंधन की ज्यादती से परेशान
हो कर -दो
डाक्टरों की आत्महत्या लोगो
के लिए बस एक दिन की खबर बन कर
रह गयी !!
जिस
प्रदेश मे भोपाल -मंदसौर
और सतना मे हुए बलात्कार की
घटनाओ पर जनसेवी संगठन और
राजनीतिक दल सरकार को घेरते
रहते है ------वे
भी दो डाक्टरों द्वारा परेशान
किए जाने से मौत को गले लगाने
की वारदात ने --
प्रदेश
और समाज मे कोई हलचल नहीं की
जबकि बागपत मे गोली से मौत दी
गयी --तो
यानहा प्रताड़ना से दी गयी |
परंतु
क़ैदी की मौत हंगमखेज रही तो
डाक्टरों की ख़ुदकुशी अखबार
के पन्नो मे दाब कर रह गयी |
डॉ
पाठे की मौत के दोषी छ छत्रों
मे अभी तक पाँच ही गिरफ्तार
हुए है --पर
चारो आरोपी छात्रों को भोपाल
की विशेष सत्र अदालत ने जमानत
भी दे दी !!
मात्र
कहर दिन जेल मे रहने के बाद !
जनहा
व्यापम की पीएमटी परीक्षा के
आरोपियों को ,
को
जिनमे साथ साल के डाक्टर थे
उन्हे ज़िला और हाइ कोर्ट ने
चालीस दिन जेल मे रहने के बाद
ही जमानत दी !!!|
उधर
भोपाल के सरकारी महतमा गांधी
मेडिकल कालेज के पीजी के जूनियर
छात्रो ने "”केंद्र
सरकार की एंटि रैगिंग वेब
साइट पर सीनियरों द्वरा
प्रताड़ित किए जाने की दो बार
शिकायत दर्ज़ कराई है |
शिकायत
मे कहा गया है की सीनियर छात्र
हमशे 24
घंटे
काम कराते है ,
अस्पताल
मे और छात्रावास मे हमे कमरे
मे जाने नहीं देते |
यानहा
तक की चार -
पाँच
डीनो तक नहाने भी नहीं देते
|
खाने
की भी फुर्सत नहीं देते |
कालेग
के डीन डॉ सोंगरा ने कहा की
पहले भी इन लोगो मे "””विवाद
"”
हुआ
था जिसमे बाद मे सुलह हो गयी
थी |
यह
हाल प्रबंधन का तब है जबकि
"”एंटि
रैगिंग कानून "”
है
जिसमे दोषोयों को कड़ी सज़ा
देने का प्रविधान है |
परंतु
प्रबंधन कान मे तेल डाल लेता
है ‘ और दोषोयों को सज़ा देने
के बजाय सम्झौता करता है वाह
भाई वाह !!!!
|
मंदसौर
और सतना मे नाबालिग लड़कियो
के साथ हुए बलात्कार की घटनाओ
पर सरकार और संगठनो ने काफी
रोष व्यक्त किया ,,
वनही
इंदौर के इंडेक्स मेडिकल
कालेज मे पीजी की छात्र डॉ
स्म्रती लहरपुरे तथा भोपाल
के एलएन मेडिकल कालेज के छात्र
यश पाठे द्वारा की गयी आत्महत्या
---
पर
पुलिस और सरकार की खामोशी और
निष्क्रियता अचंभित कर देती
है !
इंडेक्स
मेडिकल कालेज के संचालक भदौरिया
और निश्चेतना विभाग के प्रमुख
डॉ खान को अपनी मौत का कारण
बताते हुए छोड़े गए पत्र की
बरमदगी के बाद भी इंन्दौर
पुलिस ने इन दोनों "””प्रभावशाली
"”
लोगो
के खिलाफ रिपोर्ट तक नहीं लिखी
|
जब
म्र्त्का के पिता और परिजनो
ने प्रधान मंत्री कार्यालय
मे गुहार मचाई तब पुलिस ने
इन लोगो के वीरुध रिपोर्ट लिखी
!!
परंतु
अभी तक राज्य के प्रमुख शराब
के ठेकेदार भदौरिया की पहुँच
मौजूदा प्रदेश सरकार के लोगो
तक होने के कारण ,कोई
भी पुलिस अधिकारी इनको गिरफ्तार
कर जेल पाहुचने का साहस नहीं
कर रहे है {
खबर
लिखे जाने तक }}
| डॉ
स्म्रती लहरपुरे ने अपने
सुसाइड नोट मे लिखा है की डॉ
खान उसे अतिरिक्त धन राशि
लाने के लिए दबाव बना रहे थे
|
छत्रों
के सामने अपमानित करते थे
--फेल
कर देने की धम्की देते थे |
संचालक
भी सरकार द्वरा नियत फीस से
बहुत अधिक धनराशि जमा करने
को कहते थे |
इसी
प्रकार यश पाठे से पैसा वसूली
के लिए छात्रावास के कमरे मे
श्रुति शर्मा और अन्य लड़को
द्वरा बेल्ट से पीटे जाने के
वीडियो भी वाइरल हुए है |
जिनमे
नशीली दृग के लिए पैसा देने
के लिए कहे जाने के द्राशय है
|
श्रुति
शर्मा ने गिरफ्तारी के समय
पत्रकारो से कहा की वह नशीली
दवाए नहीं लेती है \
पुलिस
चाहे तो उसका डीएनए टेस्ट करा
सकती है |
वैसे
कहा जा रहा की स्कूल मे भी उसे
निकाला गया था की वह परिसर मे
पटाखे फोड़े र्थे |
और
मिशनरी अध्यापिकाओ को धमकाया
था |
आज
जब की देश और प्रदेश मे डाक्टरों
की भारी कमी है -ऐसे
मे डाक्टरों की असमय मौत और
मेडिकल कालेजो मे राइगिंग और
और पैसा वसूलने की सीनियर
छात्रो की हरकत की अनदेखी आने
वाले समय मे फिर किसी युवा
डाक्टर की बलि ले सकता है ,,
उस
के लिए निजी ,मेडिकल
कालेजो का धन पिपाशु प्रबंधन
और सरकारी मेडिकल कालेजो के
वरिष्ठ डाक्टर और जिम्मेदार
अधिकारियों की लापरवाही और
उनके साथ सीनियर और अनुशासनहीन
छात्रो द्वारा की जाने वाली
हरकतों के प्रति असंवेदनशील
रवैया फिर किसी युवा डाकटर
को ख़ुदकुशी करने पर मजबूर ना
कर दे |
प्रबंधन
और अधिकारियों के लिए यह एक
"”मामला
भर ही होगा पर किसी के घर का
चिराग बुझ जाएगा "”
दुख
तो इस बात का है की --बलात्कारी
को भले ही फानशी की सज़ा मिल
जाये --पर
इन शिक्षा संस्थानो मे जैसी
लूट -
खसोट
और गैर ज़िम्मेदारी बरती जा
रही है क्या उस पर भी सरकार और
समाज कोई आवाज उठाएगा ??