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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 29, 2017

कौन ना मर जाये माल्या की सादगी पर की लड़ते है मगर हाथ मे तलवार नहीं --कटोरा है -मदद का - दान का या भीख का ??
लंदन से शराब के मशहूर कारोबारी और हिंदुस्तान के तड़क -भड़क वाले विजय माल्या का की हमने तो सरकार से किंग फिशर एयर लाइन को बचाने के लिए मदद मांगी थी | क़र्ज़ नहीं ! अब कौन उनसे पूछे की जब वे बैंको मे अपनी कंपनियो की जायदाद गिरवी रख रहे थे --तब उन्हे नहीं समझ मे आया की वे उधार ले रहे है ? जिसे उन्हे ब्याज सहित चुकाना पड़ेगा ?

उन्होने कहा की वे तो बस जिस तरह से सरकार एयर इंडिया को घाटे के समय मदद करती है ,,उसी प्रकार उन्हे भी मदद दे | अब कितनी भोली बात काही है सब समझेंगे की उनकी मांग जायज है | परंतु वे भूल जाते है की एयर इंडिया भारत सरकार का सार्वजनिक उपक्रम है | किसी की जायदाद नहीं | नहीं जैसा की किंग फिशर हवाई कंपनी | जिसके लाभ - हानि किसी की या फिर कुछ लोगो की नहीं होती है | पूरे देश की होती है |
एयर इंडिया के कैलेंडर मे अधनंगी माडलो की उत्तेजक तस्वीरे होती है | जिस कैलेंडर को पाना और घर मे रखना शान मानी जाती है | एयर इंडिया के गोवा मे रिज़ॉर्ट नहीं है जनहा धन पशु सैलानी अय्याशी करने के लिए माल्या जी का आतिथ्य स्वीकार करते है | जो आसानी से नहीं मिलता | इस सरकारी कंपनी मेकाम करने वालो को वक़्त से वेतन और भत्ते मिलते है | जहाज मे किंग फिशर की भांति फ्री की शराब नहीं दी जाती है |

माल्या जी आप ने हवाई कंपनी अपने शौक के लिए चलायी की आप जनहा भी जाये अपनी कंपनी के यान से जाये | परंतु एयर इंडिया किसी के शौक के पूरे करने के लिए नहीं वरन देश के मंत्रियो और महत्वपूर्ण अतिथियों के लिए चलायी जा रही है | उसके भी लाभ - हानि के ब्योरे पर संसद मे बहस होती है | अधिकारियों को अपने फैसले पर जवाब देना पड़ता है | जो की आप की किंग फिशर मे के "”तो आला हज़रत "” आप खुद ही थे | सारा स्याह - सफ़ेद के जिम्मेदार भी आप ही थे |

क्या आप को नहीं मालूम की अर्थशास्त्र की भाषा मे "””मदद'' का मतलब क़र्ज़ ही होता है | आप मदद का मतलब कही "”दान "” तो नहीं समझ लिया की आप को दान या भीख मिलेगी | मेरे समझ से इतना भोला उद्योगपति तो कोई होगा नहीं |
कांग्रेस् के एहसान फरामोश मुख्य मंत्री - अब
अभी हाल मे ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्य मंत्री रहे और इन्दिरा जी के मंत्रिमंडल के केन्द्रीय मंत्री नारायण दत्त तिवारी ने पचास वर्षो की अपनी प्रजा समाजवादी पार्टी से शुरू होकर कांग्रेस की राजनीतिक यात्रा मे उस समय कलंक लगा लिया जब वे अपने अदालत से घोषित पुत्र शेखर के लिए बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय मे अमितशाह से मिलकर उसे पार्टी मे शामिल करा दिया | अभी 28 जनवरी को कर्नाटका के दो बार मुख्य मंत्री रहे और केंद्र मे भी मंत्री रहे एस एम कृष्ण ने दल की प्राथमिक म्सदस्यता से इस्तीफा पार्टी आद्यकश सोनिया गांधी को भेज दिया है | रविवार को वे प्रैस कोन्फ़्रेंके कर के बताएँगे की उनका मोहभंग क्यो हुआ | परंतु वे इसका ज़िक्र बिलकुल नहीं करेंगे की पार्टी ने उन्हे कितना सम्मान दिया |
उनके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा के पुत्र शेखर बहुगुणा का | जिनहोने पार्टी हाइ कमान से अनबन होने पर कांग्रेस् से इस्तीफा देकर साथियो सहित भारतीय जनता पार्टी मे आमद डाल दी | उसके कुछ दिनो बाद ही उत्तर प्रदेश की काँग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने भी पार्टी से रवानगी डाल दी और भगवे की साया मे चली गयी जिसे वे हमेशा गाली देती रही इस से यह साबित हो रहा है की अब राजनीतिक दलो के सिधान्त पत्र और उनके घोषणा भी महज एक खानपुरी ही है | वे