कौन
ना मर जाये माल्या की सादगी
पर की लड़ते है मगर हाथ मे तलवार
नहीं --कटोरा
है -मदद
का -
दान
का या भीख का ??
लंदन
से शराब के मशहूर कारोबारी
और हिंदुस्तान के तड़क -भड़क
वाले विजय माल्या का की हमने
तो सरकार से किंग फिशर एयर
लाइन को बचाने के लिए मदद मांगी
थी |
क़र्ज़
नहीं !
अब
कौन उनसे पूछे की जब वे बैंको
मे अपनी कंपनियो की जायदाद
गिरवी रख रहे थे --तब
उन्हे नहीं समझ मे आया की वे
उधार ले रहे है ?
जिसे
उन्हे ब्याज सहित चुकाना पड़ेगा
?
उन्होने
कहा की वे तो बस जिस तरह से
सरकार एयर इंडिया को घाटे के
समय मदद करती है ,,उसी
प्रकार उन्हे भी मदद दे |
अब
कितनी भोली बात काही है सब
समझेंगे की उनकी मांग जायज
है |
परंतु
वे भूल जाते है की एयर इंडिया
भारत सरकार का सार्वजनिक
उपक्रम है |
किसी
की जायदाद नहीं |
नहीं
जैसा की किंग फिशर हवाई कंपनी
| जिसके
लाभ -
हानि
किसी की या फिर कुछ लोगो की
नहीं होती है |
पूरे
देश की होती है |
एयर
इंडिया के कैलेंडर मे अधनंगी
माडलो की उत्तेजक तस्वीरे
होती है |
जिस
कैलेंडर को पाना और घर मे रखना
शान मानी जाती है |
एयर
इंडिया के गोवा मे रिज़ॉर्ट
नहीं है जनहा धन पशु सैलानी
अय्याशी करने के लिए माल्या
जी का आतिथ्य स्वीकार करते
है | जो
आसानी से नहीं मिलता |
इस
सरकारी कंपनी मेकाम करने वालो
को वक़्त से वेतन और भत्ते मिलते
है |
जहाज
मे किंग फिशर की भांति फ्री
की शराब नहीं दी जाती है |
माल्या
जी आप ने हवाई कंपनी अपने शौक
के लिए चलायी की आप जनहा भी
जाये अपनी कंपनी के यान से
जाये |
परंतु
एयर इंडिया किसी के शौक के
पूरे करने के लिए नहीं वरन देश
के मंत्रियो और महत्वपूर्ण
अतिथियों के लिए चलायी जा रही
है |
उसके
भी लाभ -
हानि
के ब्योरे पर संसद मे बहस होती
है |
अधिकारियों
को अपने फैसले पर जवाब देना
पड़ता है |
जो
की आप की किंग फिशर मे के "”तो
आला हज़रत "”
आप
खुद ही थे |
सारा
स्याह -
सफ़ेद
के जिम्मेदार भी आप ही थे |
क्या
आप को नहीं मालूम की अर्थशास्त्र
की भाषा मे "””मदद''
का
मतलब क़र्ज़ ही होता है |
आप
मदद का मतलब कही "”दान
"”
तो
नहीं समझ लिया की आप को दान
या भीख मिलेगी |
मेरे
समझ से इतना भोला उद्योगपति
तो कोई होगा नहीं |
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