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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 19, 2018


21 वी सदी मे पहला अवसर होगा जब महाराज बाली अपनी प्रजा से नहीं मिल पाएंगे ----क्योंकि इन्द्र और वरुण ने -- देवताओ के देश को जलमग्न कर दिया --- शंकराचार्य की जन्मस्थली भी डूबी --
सम्पूर्ण केरल त्रस्त पर सरकार के नियम इसे नहीं मानते
राष्ट्रिय आपदा !!! यह दैवी आपदा है या इंसानी लालच का परिणाम जिसने जंगलो को काटा और नदियो की रेत खोद डाली ! क्या अन्य राज्य इस '’आपदा'’ से सबक लेते हुए अपने यंहा के वन और नदी के संरक्षण का त्वरित उपाय करेंगे ? मध्यप्रदेश मे वन भूमि की कटाई और रेत माफिया द्वरा नदियो के तट बंधो को खोखला करते जा रहे है | क्या हम दूसरों की विपत्ति से सबक नहीं सीखेंगे ???
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ओणम देश की सुदर दक्षिण मे बसे केरल राज्य के मलयाली समुदाय का विशेस पर्व है | इस अवसर पर देश -विदेश मे बसे लाखो हिन्दू और मुस्लिम मलयाली परिवार अपने - अपने "”मुलुक '’ को जाते है {{ जैसा की बिहार के लोग छठ मे और पूर्वञ्चल के लोग दीवाली मे जाते है }}| पौराणिक आख्यान है की भगवान विष्णु ने वामन अवतार मे ही इनके राजा बाली से तीन पग भूमि का दान मांगा था , और दो पग मे सारा ब्रम्हांड नापने के बाद तीसरे पग को उठा कर --मांगा तब महराज बाली ने अपना शीश नवा कर उस पर पद रखने का आग्रह किया | विष्णु जी ने उन्हे वरदान दिया की की वे वर्ष के एक दिन अपनी प्रजा से मिल संकेंगे ------और उस दिन को मलयाली समुदाय '’ओणम '’ के रूप मे मनाते है -- जो की इस वर्ष 25 अगस्त को मनाया जाना था |

परंतु 2018 सम्पूर्ण केरल और मलयाली समुदाय की स्म्रती मे एक बुरा सपना के रूप मे रहेगा | प्रापत समाचारो के अनुसार राज्य के 14 ज़िलो की तीन करोड़ आबादी प्रभावित है | देश के इतिहास मे यह पहला मौका होगा जब सम्पूर्ण राज्य ही बाढ की चपेट मे हो !!! राजधानी समेत सभी ज़िले आपदाग्रष्त हो और सेना और नौ सेना - वायु सेना एनडीआरएफ़ को लगाए जाने के बाद भी शनिवार 18अगस्त तक लगभग 400 लोगो की मौत हो चुकी है ||
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी भी हवाई दौरा कर आए है | 800 करोड़ की मदद की घोषणा की है सभी राज्य भी आर्थिक सहायता की घोषणा कर रहे है |

परंतु यूरोप के अनेक देशो के बराबर छेत्र और जनसंख्या वाले राज्य केरल की आपदा विश्व मे सबसे भयानक त्रासदी है |इतना बड़ा छेत्रफल और इतनी आबादी तो सुनामी मे भी बेघरबार नहीं हुई थी | आज हालत यह है की केरल मे पीने का पानी और भोजन का अकाल सा हो गया है , पूना से रेल पेयजल का परिवहन कर रही है | तब पंजाब सरकार बाद मे घिरे लोगो के लिए भोजन के पैकेट रवाना कर रही है | परंतु वर्षा के अनुमान कोप देखते हुए यह नहीं लग रहा की वनहा बाद के पानी से आने वाले दस - पंद्रह दिनो मे राहत मिल सकेगी | पानी उतर जाने के बाद बादग्रस्त छेत्रों मे बीमारी का भयानक खतरा है | राज्य की नब्बे फीसदी सड़को मे इस समय नौका परिवहन हो रहा है ! बिजली सप्लाइ काट दी गयी है , बिजलीघर भी पानी से भरे हुए है |

जब खाने -पीने की सुविधा नहीं हो तब सेना द्वरा पानी से घिरे इलाको से "”कुछ'’ लोगो को हेलीकाप्टर द्वरा बचना साहसिक और वंदनीय है ----परंतु इन इक्का - दुक्का उदाहरण को सरकार की सेना की उपलब्धि तो माना जा सकता है , परंतु जन जीवन पटरी पर कब लौटेगा यह अनुमान ना तो केडरा सरकार को है -और नाही प्रदेश सरकार को | स्थिति को सामनी होने मे तो महीनो का समय लगेगा और पर्यटन छेत्र की सुविधाए तो सालो बाद ही लौट सकती है | देवताओ का स्थान कहे जाने वाले -- शंकराचार्य की जन्मभूमि और राजा महाबली का इलाका और उनकी प्रजा कब तक बाद के इस दंश को भोगेगी नहीं कहा जा सकता


देश के हर बड़े नगर -महानगर मे इंडियन काफी वर्कर कोपरेटिव सोसाइटी --- काफी हाउस चलती है | दुनिया मे इतनी बड़ी सहकारी संस्था दूसरी कोई नहीं है | वास्तव मे यह "” मिनी केरल '’ के समान है | अपने प्रदेश मे आई इस विपत्ति के मद्दे नज़र सभी ने ओणम पर आयोजित किए जाने वाले धार्मिक और सामाजिक आयोजन स्थगित कर दिये है | इस समिति की खास बात यह है की यानहा काम करने वाले सभी सदस्य ही इन काफी हाउस मे काम करते है | वेटर से भर्ती हो कर मैनेजर बनते है | सभी को नीचे से ऊपर जाना होता है | कोई सीधे भर्ती नहीं होती | यानहा काम करने वाले आम तौर पर हंसमुख और खुसमिजाज होते है | परंतु इस आपदा ने उन्हे भी चितित कर रखा है | इंटरनेट और टेलीफ़ोंन सुविधाए बंद होने से बहुत से लोग तो अपने परिजनो के हाल चाल भी नहीं जान पा रहे है |

देश के अनेक भाग बाद से प्रभावित होते रहे है , इनमे असम और उससे सटे राज्य सर्वाधिक प्रभावित होते है | उसके बाद बिहार और उत्तरप्रदेश का नंबर आता है | हाल के वर्षो मे केदारनाथ मे हुई आपदा ने लोगो को दहला दिया था ---- परंतु यंहा तो उससे भी अनेकों गुना भयावह स्थिति है | यह केंद्र और राज्य सरकारो तथा फौज के विभिन्न अंगो के लिए चुनौती है | भविष्य ही बताएगा की क्या होगा !! आप्रवासी मलयाली समुदाय ने भी यूनाइटेड अरब अमीरेट और आँय सटे इलाको से मदद पहुंचा रहे है |