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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 16, 2023

 

अतीक की हत्या – राजनीतिक या ठसक का परिणाम ?

 

   इलाहाबाद में  पुलिस की गिरफ्त में जिस प्रकार जय श्री राम का नारा लगाते हुए तीन हत्यारो ने आतिक और उसके भाई पर गोली बरसाई --- वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बुल्ल्डोजर  संसक्राति का ही परिणाम है |  बिना कानून के  मकानो को ढहाना और बदले की भावना से पोलिस का इस्तेमाल  भी योगी सरकार की खासियत बन चुकी है |  कितना लुंज –पुंज  है योगी का शासन  की पुलिस की हिरासत में भी हत्या हो जाती हैं | यह घटना उन 17 पुलिस कर्मियों की नालायकी ही है , जिसके लिए उनका निलंबन  कोई इलाज़ नहीं है | बिना पुलिस की मिली भगत के ऐसी वारदात  संभव ही नहीं है | एवं पुलिस  का ऐसा रुख बिना किसी प्र्शसनिक और राजनीतिक दबाव के संभव नहीं होता |

                    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बिरला मंदिर में गोली मारने वाले नाथु राम गोडसे को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गाया था | पर उसे अदालत से ही सज़ा मिली | यह था सत्तर साल का कानून का शासन | उसे किसी ने गोली से नहीं मारा !

   श्रीमति इन्दिरा गांधी की हत्या करने वाले बलबीर सिंह को भी गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया गया फिर फांसी की सज़ा हुई |  यह था काँग्रेस का न्याय ! 

  राजीव गांधी की हत्या  भी तमिल उग्रवादियो ने बम से हत्या की , उस घटना के अपराधियो को सज़ा हुई किस्सी  ने उनलोगों को गोली नहीं मारी !  अदालत में मुकदमा चला और सज़ा हुई | अभी नलिनी एक अभियुक्त को दया याचिका पर रिहाई भी हुई |

   पंजाब के मुख्या मंत्री  प्रताप सिंह कैरो के हत्यारे सुचचा सिंह  को भी नेपाल से गिरफ्तार कर भारत लाया गया , मुकदमा चला और सज़ा हुई |

    दूसरे मुख्य मंत्री बेअंत सिंह की भी हत्या हुई एवं उनके हत्यारे आज भी जेल काट रहे हैं  |

    इन घटनाओ का उल्लेख इसलिए ज़रूरी है की जब ऐसे विशिष्ट लोगो की हत्या हुई तब भी  पुलिस ने अपना “””वैधानिक काम “” किया | उन्होने  अपने – अपने नेताओ के हत्यारो को भी अदालत के द्वरा जेल के सिकचो  में या फांसी के तख्ते तक पहुंचाया |

       परंतु भगवा धारी  मुख्य मंत्री आदित्यनाथ  जी का राजनीतिक बड़बोलापन  और एक वर्ग विशेस के प्रति उनका आक्रोश  कहे या चिड़  जिसके कारण उनका बुलडोजर सिर्फ मुस्लिमो के ही मकान और दुकान पर चलता हैं  |  उत्तर प्रदेश के अवैध  कालोनाइजर जिस प्रकार ज़ामिनो पर अतिक्रमण कर  बिल्डिंग और घर तान देते है ---उनके लिए योगी के बुलडोजर के पास शायद अनुमति ही नहीं होती | जैसा की  अखिल भारतीय सेवाओ के  अफसरो के भ्रस्ताचर की जांच के लिए सरकार द्वरा  मुकदमा चलाने की अनुमति को रोक रखना | वैसे यह बीजेपी शासित राज्यो में आम रिवाज है मध्यप्रदेश में लोकयुक्त ने  23 अफसरो के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की अनुमति सालो से नहीं दी गयी है |

         आतिक  एक सजायाफ्ता  था जिसकी पुलिस की हिरासत में मौत  के जिम्मेदार पुलिस जानो के वीरुध “””हत्या के अपराध में सहयोग “”  देने का मुकदमा कानूनी तौर पर चलना चाहिए | परंतु योगी सरकार का ट्रैक रेकॉर्ड देखते हुए ऐसा होगा ----संभावना कम ही हैं | क्यूंकी गोरखपुर में कानपुर के एक व्यापारी की पुलिस द्वरा गिरफ्तार कर हत्या की गयी , उसके दोषी सब इंस्पेक्टर को निलंबित कर गिरफ्तार तो किया गया | परंतु मामले को इतना कमजोर कर दिया गया की उसके खिलाफ कोई आरोप सीध ही नहीं होगा | उधर बीजेपी के लोगो ने कानपुर  में म्र्तक व्ययपरी के परिवार को आर्थिक सहायता देकर उनको भी  माना लिया |

 

   कानून और पुलिस की कारवाई से वाकिफ लोग इस घटना को मुख्यमंत्री के उस गर्जना से भी जोड़ रहे हैं की “” प्रदेश में माफियाओ को जमीन में गाद दूंगा “” अब आतिक और अशरफ दोनों मुसलमान है ---उन्हे तो जमीन में ही दफनाया जाएगा | पर जिस तरह से उनकी हत्या को अंजाम दिया गया – उसके राजनीतिक संबंधो से  इंकार नहीं किया जा सकता |  क्यूंकी  हत्यारो द्वरा  जय श्री राम का नारा बुलंद करना और फिर सहज रूप से अपने को सरेंडर करना -----काफी अटपटा लगता है | आम तौर पर पुलिस अभिरक्षा में यदि किसी पर हमला होता हैं –तब तैनात पुलिस जन अपने हथियारो का इस्तेमाल करते है | परंतु जिस प्रकार इस हत्यकाण्ड की लाइव  स्ट्रीमिंग  हुई वह मात्र संयोग नहीं हो सकता | दूसरे  एक फोटो में पुलिस वाला जिस प्रकार  हत्यारे को पीठ से पकड़ रहा हैं -----वह साफ करता हैं की उसकी नियत  मुक़ाबला करने अथवा   रोकने की तो नहीं थी |

  सरकार द्वरा जिस प्रकार आरोपियों को अपराधी बता कर एङ्कौंटर  करती हैं ---उसकी बेईमानी हैदराबाद में तीन लोगो का इङ्कौंटर  की न्यायाइक जांच में उजागर हो चुकी है | न्यायालय ने दोषी पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था | जिसका परिणाम अज्ञात हैं !!!

उत्तरप्रदेश पुलिस धरम के आधार पर विष वामन करने वाले गेरुआ धारी कथा वाचको और  स्व्यंभू महात्माओ के वीरुध कानून की कारवाई सुप्रीम कोर्ट के बारंबार निर्देशों के बाद भी नहीं होती – क्यूंकी शायद वह सरकार को माफिक लगता हैं |

बॉक्स

एक खबर यह भी आ रही हैं की काश्मीर के पूर्व गवर्नर  सतपाल मालिक  द्वरा  कारण थापर को दिये गए इंटरव्यू में दावा किया है की --- पुलवामा कांड के लिए आतंकवादियो से ज्यड़ा केंद्र सरकार जिम्मेदार हैं | उन्होने दावा किया की उन्होने गृह मंत्री और प्रधान मंत्री से कहा था की सैनिको को इतनी दूर सड़क मार्ग से ले जाना खतरे से खाली नहीं है | अतः   सैनिको के लिए  वायु सेना के पाँच जहाज  इस काम को सुरक्शित रूप से कर सकते हैं | परंतु उन्हे केंद्र ने इस मसले पर छुपा रहने की हिदायत दी थी |

गौर तलब  है की प्रधान मंत्री  ने  पुलवामा कांड को लेकर पाकिस्तान पर आरोप लगया था –और लोकसभा चुनावो में पहली बार वोट डालने वाले युवको को शहीद सैनिको की कसं भी दिलाई थी | एक खबर यह भी है की मीडिया में कारण थापर और सतपाल मालिक  के साछटकार को जगह नहीं मिले इसकी भी कोशिस किए जाने की बात काही जा रही हैं |