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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 9, 2014

काँग्रेस पार्टी का सफर और उसमे तिलक -मालवीय - सी आर दस तथा नरेंद्रदेव का सहयोग


काँग्रेस पार्टी का सफर और उसमे तिलक -मालवीय - सी आर दस तथा नरेंद्रदेव का सहयोग

आम तौर पर विश्वास किया जाता हैं की काँग्रेस 1885 मे मिस्टर ए हयूम द्वारा स्थापित की गयी जो की आज भी चली आ रही हैं | परंतु ऐसा हैं नहीं | वर्षो मे अनेक विचार धाराओ के मनीषियों ने इस धारा मे जुड़ कर इसे संजीवनी प्रदान की हैं | समय के बहुत थपेड़े इस पार्टी के राह मे आए हैं -हम बात कर रहे हैं पार्टी के श्रुयाती डीनो की , 1906 मेन अल्ल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हुई , उसी वर्ष उसी वर्ष गोपाल कृष्ण गोखले ने कलकत्ता अधिवेशन मे ही स्वराज सेरवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की | दिसम्बर 1907 मे सूरत हुए पार्टी के अधिवेशन मे काफी हिंसा और उथल -पुथल हुई थी | उसका कारण महात्मा द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोसना की | जिसको लेकर नरम दल के नेता गोखले और उनके साथी असहमत थे | उनके अनुयायियों ने काफी तोड़ -फोड़ की | ब्रिटिश सरकार से वार्ता से समाधान चाहने वाले नाखुश हो गए ,और उनके मतभेद तोड़-फोड़ मे परिवर्तित हो गए |

28 अप्रैल 1916 मेन बल गंगाधर तिलक ने होम लीग नमक संस्था की स्थापना पूना मे की , उनकी इरादा भी आंतरिक स्वतन्त्रता की अंग्रेज़ो से मांग करना था | उन्होने इसी बैनर के तले महाराष्ट्र मे आंदोलन शुरू किया और गिरफ्तार भी हुए | उधर 25 सेप्टेम्बर को एनने बेसेंट ने भी की |उन्हे 1917 के काँग्रेस अधिवेसन का आद्यकश चुना गया | इधर 1919 मे ब्रिटिश सरकार द्वारा टर्की के खलीफा को हटा दिया गया चूंकि उन्होने प्रथम विश्व युद्ध मे अंग्रेज़ो के विरुद्ध जर्मनी का साथ दिया था | परंतु हिंदुस्तान मे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और आली बंधुओ द्वारा खिलाफत आंदोलन चलाया गया | जिसका उद्देस्य तुर्की मे खलीफा को पुनः प्रतिस्थित करना था , जिसके लिए अंग्रेज़ो पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन का सहारा लिया गया | जिसको महात्मा गांधी का समर्थन भी प्रपट था | ताज्जुब की बात यह थी की मुस्लिम लीग इस आंदोलन के बारे मे मौन रही | इसी वर्ष जालिनवाला बाघ हे जनरल डायर द्वारा 500 से अधिक निहथे लोगो की हत्या कर दी गयी थी और 1500 लोग इस कांड मे घायल हुए थे | देश मे काफी रोष था | इसलिए खिलाफत आंदोलन ध्हेमा पद गया | फिर जब कमाल पाश ने तुर्की की सत्ता सम्हाल ली और देश को धरम -निर्पेछ घोसीट किया तब यह आंदोलन समाप्त हो गया |

1920 को लोक मान्य बल गंगाधर तिलक का स्वर्गवास हो गया और नरम दल की गति धीमी पद गयी | तब इंडियन नेशनल काँग्रेस ने महात्मा गांधी के ''असहयोग आंदोलन '' के प्रस्ताव को सर्वा सम्मति से स्वीकार किया | इसी वर्ष काँग्रेस ने सूरत के मिल कामगारों के लिए नाराइन मल्हार जोशी के नेत्रत्व मे अल्ल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस का गठन किया |1922 मे काँग्रेस ने असहयोग आंदोलन की कमान महात्मा गांधी के हाथो सौप दी | देश मे आंदोलन की गति काफी अछि थी , तभी गोरखपुर मे आन्दोलंकारियों ने चौरी चौरा ठाणे मे आग लगा दे और आंदोलन हिंसक हो गया |महात्मा ने तुरंत आंदोलन को वापस लेने की घोसना की और प्रायश्चित स्वरूप उन्होने उपवास शुरू कर दिया ब्रिटिश सरकार ने पहली बार गांधी जी को गिरफ्तार किया |उन पर देश द्रोह का मुकदमा चला और 6 वर्षो की क़ैद की सज़ा सुनाई गयी |

इसी वर्ष 1922 को चितरंजन दस और मोती लाल नेहरू ने स्वराज पार्टी का गठन किया | वे महात्मा गांधी के आंदोलन की नीति से असहमत थे | उन्हे नरम दल का निरूपित किया गया | उधर बेनारस मे महामना मदन मोहन मालवीय भी काँग्रेस की नीतियो से असहमत थे | उन्होने देश के सामाजिक और धार्मिक मूल्यो पर आधारित कुछ लोगो को जोड़ कर ''इंडियन पार्टी '' बनाई | तब तक रूस मे क्रांति हो चुकी थी | वनहा की व्यसथा से काँग्रेस के कुछ नेताओ को लगा की पार्टी को समाजवादी सिद्धांतों को अपनाना चाहिए | इनमे प्रमुख थे आचार्या नरेंद्र देव | उनके साथ बिहार के बसवान सिंह भी थे इन लोगो ने काँग्रेस मे रहते हुए काँग्रेस सोसलिस्ट पार्टी की स्थापना की | काँग्रेस मे वामपंथ की यह श्रुयत थी बाद मे पार्टी की अनेक नीतियो और कार्यक्रमों इसकी झलक दिखाई पड़ी | हमारे संविधान मे अब समाजवादी गणतन्त्र को समाहित किया गया हैं | यह सब इन नेताओ की सोच और कुर्बानियों के कारण संभव हो सका | आज़ादी के बाद देश के विकास के लिए पाँच वर्षीय योजनाए भी रूस की सात वर्षीय योजनाओ की तर्ज़ पर बनी | काँग्रेस ने 1935 मे जिन परदेशो मे सरकरे बनाई वनहा भूमि सुधार का काम पार्थमिकता से किया गाय |

इस प्रकार हम देखते हैं की काँग्रेस की विचारधारा किसी एक लीक पर नहीं चली वरन उसने समय के परिवर्तनों को भी अपने मे समाहित किया > यह कोई अंग्रेज़ो द्वारा स्थापित संस्था के रूप मे किसी क्लब की भांति नहीं रही वरन सड़क पर लड़ाई लड़ कर आज़ादी हासिल की |