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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 6, 2012

क्या वाशिंगटन पोस्ट का अभिमत उचित हैं ?

अभी हाल में वाशिंगटन पोस्ट में प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के बारे में कमेन्ट किया गया हैं की वे "अनिर्णय'' के अवतार हैं;  इतना ही नहीं वे पार्टी के प्रेसिडेंट की कठपुतली  हैं, इतना ही नहीं उन्हे  सबसे भ्रष्ट सरकार के मुखिया हैं, जिनके आधीन  सिर्फ घोटाले ही घोटाले  निकल रहे हैं . यह  खबर  टाइम  मैं भी दूसरे ढंग  से लिखी गयी। सवाल हैं की क्या यह एक  टिपण्णी  हैं अथवा  नियोजित प्रचार का अंग ?

अगर  हम जरा अमेरिका  के  राजनितिक इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे की  अमरीकी प्रेसिडेंट निक्सन पर गलत बयानी के लिए  वाटर गेट  काण्ड मैं  महाभियोग  लगा कर उन्हें हटाया गया था , वह भी जब उन्होंने  आपने लिए क्षमादान  का बंदोबस्त  कर लिया  था। इसी प्रकार  राष्ट्रपति  बिल क्लिंटन पर जब महाभियोग  चला तब भी वे क्षमादान का कवच ले कर ही पद मुक्त  हुए थे ।

अब अमेरिकी पत्र -पत्रिकाएँ  मनमोहन सिंह के बारे में घोटाले का आरोप लगा रही हैं , जबकि हकीक़त हैं की उन पर एक भी आरोप नहीं सिद्ध हुआ हैं । वास्तव मैं अमेरिकी लाबी का आक्रोश खुदरा व्यापार और  बैंकिंग तथा बीमा छेत्र मैं विदेशी कंपनियों की भागीदारी को अनुमति  नहीं देने के कारन ही मनमोहन सिंह सरकार  को अनिर्णय और घोटालो के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं ।  हमे प्रेसिडेंट ओबामा की यात्रा  का ख्याल करना चहिये  उन्होंने हमारी सेनाओ मैं विमानों की खरीद के लिए अमेरिकी  कंपनियों की वकालत  की और भारत सरकार  से सिफारिश की और दबाव भी बनाया।

आज उन्हीं औद्योगिक घरानों के द्वारा  यह दुष्प्रचार  किया जा रहा हैं की भारत सरकार ऐसे हाथो मैं हैं जंहा  मुक्त  व्यापार  का गला घोटा जा रहा हैं  क्योंकि  भारत सरकार अपने देशवासियों का हित संरक्षण कर  रही  है, जो कि उसका  दायित्व  है।

अब अगर सरकार के दायित्व निर्वहन में विदेशी सरकार  या वहां की कंपनियों  का हित संवर्धन नहीं होता तो उनका नाराज़  होना स्वाभाविक है। और यही हो रहा है आज जब वहां के धनपतियो की आवाज वहां का मीडिया उठा रहा है और हमारे देश को बेईमान और बेईमानी का अड्डा बता रहा है। अब विचार का विषय है कि क्या हम विदेशो में अपनी इस छवि को जमने देंगे अथवा इस आरोप का खंडन करेंगे ?