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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 13, 2023

 

76 वीं आज़ादी की  वर्षगांठ पर – लालकिला से सबोधन

 

 हुजूर आज़ादी ,मिली ही ब्रिटिश दासता  से – विरासत है इतिहास है !

 

      विधि  और  न्याय व्यवस्था  के कानूनों  में  परिवर्तन  का दावा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को बताया की –मोदी जी ने विगत में  तीन प्रण लिए थे जीने एक था --- गुलामी की निशानियों को मिटा देंगे !!  फ़ौजदारी और साक्ष्य कानून में संशोधन  के विधेयक पेश करते हुए उन्होने  कहा |  अब मोदी जी और शाह साहब  के पहले के बयानो की तरह ,यह भी हकीकत से बहुत दूर है |  मोदी जी जब –जब लालकिले से कहेंगे की मई आज़ादी की  {76 वीं  } वर्षगांठ पर देश को बधाई देता हूँ , तब आखिर वे यही तो बता रहे हैं की  आज से 76 साल पूर्व  ब्रिटिश साम्राज्य  से भारत देट इज इंडिया  आज़ाद हुआ था !! आप  पंडित नेहरू को कितना भी कोसे ,परंतु   भारत के भाग्य से भावी की मुलाक़ात  तो उन्होने ही अपने साथियो समेत देखा था ! देश के प्रथम स्वतन्त्रता दिवस का संबोधन  भी उनही का था |

     चलिये  अब बात करते है  गुलामी की निशानियों को मिटाने की ---- हुजूर , ये इतिहास है , और इसे दुनिया ने देखा है , इसलिए आप गुजरे वक़्त की हक़ीक़त को ना तो बादल सकते है ना ही मिटा सकते है | आप मुगलो से बहुत नफरत  करो --- पर आप जनहा से देश को संभोधित कर रहे हो वह भी , उनही के द्वारा बनवाया गया है | विरासत  वल्दियत की तरह होती है  उसे ना तो बदला जा सकता है ,और ना ही मिटाया जा सकता है | हिटलर ने भी प्रथम विश्व युद्ध  में जर्मनी  की पराजय का बदला लेने के लिए नेशनल सोसलिस्ट  जर्मन  वर्कर्स पार्टी  बनाई | अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए  उसने देश को दांव पर लगा दिया ,और अंत में देश को तबाह कर दिया ---- और तानाशाह  हार गया !!  पर नियति नहीं बदल सका |

 

       इसके अलावा  आई पी सी ,[ इंडियन पैनल कोड या दंड संहिता ]  सीआर पी सी [ यानि की  दंड प्रक्रिया संहिता ]  और साक्ष्य अधिनियम  में आप “” संशोधन “ ही कर रहे है , कोई आमूल चूल  नया कानून तो ला नहीं रहे है ? फिर इस “” पैबंदी””  काम का इतना हल्ला क्यू ?  अरे भाई इस लोकसभा ने तो   गणतन्त्र  के संविधान में गुजरे 70 सालो में औसतन  प्रतिवर्ष एक की दर से  संशोधन  किए है ! जी हाँ  आज़ादी दिलाने वाले हमारे नेताओ ने कम ,लेकिन  उसके बाद की पीढी  ने  सत्तर से भी अधिक  बदलाव किए | यह सब तत्कालीन  सरकारो  ने वक़्त की हालत को देखते हुए किए थे |

 

      जब संसद में बैठे हुए  नेताओ ने  देश के सर्वोच्च  कानून – “ भारतीय संविधान “” में  इतने बदलाव किए , तब आप भी अपने संख्यासुर  के बल पर  मन मानी  कर लीजिये | हाँ यदि आपके इस  कदम से  देश की न्याय व्यवस्था  और अपराध नियंत्रण  में  बदलाव आए तो स्वागत  योग्य होगा ! परंतु  गुजरे 9 नौ सालो का अनुभव बताता  है की --- आप कहते तो बहुत कुछ हो – परंतु वह अर्थहीन होता  है |  कितने वादे आपने देश से किए –याद है आपको ?  कोई भी  पूरा हुआ , हाँ  एक राम मंदिर निर्माण का , जो आपको विरासत में मिला था , यह आप का  वादा नहीं है |  आप मौजूदा  समस्याओ   को हल करने में विफल रहे हैं !  असफल फिल्म निर्माता की भांति  है आप ने भी वही किया , जो एक असफल  फिल्म निर्माता करता है , एक फिल्म रिलीज करता है , दूसरी अधूरी होती है , औ उसी सामी तीसरी की घोसना  करता  है | इस प्रकार वह  वर्तमान की असफलता को ढंकने  के लिए  दोहरा बंदोबस्त करता है |  याद कीजिये , स्विट्ज़र लैंड की बंकों में जमा , देश के भ्रष्ट  नेताओ और  व्यापारियो  का काला  धन  वापस इंडिया लाने की , और सभी को 15 पंद्रह लाख रुपये देने की ----  ,बहुत बड़ा लालच था   देश की जनता के लिए | पर हुआ क्या नौ साल हो गए और अमित शाह ने उस वादे को जुमला  करार दिया !  उसके बाद तो आप ने अनेकों घोषनाए  और वादे देश से किए , पर सब झूठे निकले |

          आज देश के पूर्वोतर प्रांत में  मणिपुर में आपकी पार्टी की सरकार है – यानि  भाषणो  में आप जो कहते हो ,    “”डबल इंजन की सरकार “” वही विरेन सिंह की सरकार है , तीन माह हो गए है , वनहा पर खून की होली खेली जा रही है , सशस्त्र बालो के अस्त्रागारों से हथियार लूटे जा रहे है  पर कोई समाधान  नहीं | सरकार की नाकामी और नागरिकों और नारियो की चीख को सुन कर   सुप्रीम कोर्ट को  हालत की जांच के लिए  हाई कौर्ट  की तीन   अवकाश प्राप्त महिला न्यायधीशों की समिति को हालत और विस्थापितों को सहायता की  ज़िम्मेदारी देनी पड़ी |  मोदी जी ऐसा ना तो नेहरू जी ना इन्दिरा जी और ना राजीव जी और ना मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्री रहते  हुआ !!  इस हिंसा  के ज्वार  से घबराए  हुए आप लोग बैठे हुए है | अगर भिंडरणवाले  के डर से इन्दिरा जी आपकी तरह चुप रहती –तब क्या होता ! कभी कल्पना की है ? उन्होने हालत का मुक़ाबला किया –और फिर आतंकवादियो के साथियो की गोली का शिकार हुई !  आप होते तो अमरतसर जलता रहता | उन्होने मिजोरम की राजधानी आइजुल  पर तब बम गिराए –जब  जमीनी रास्ते से सुरक्षा बलो का पाहुचना  संभव नहीं था | क्यूंकी प्रदेश की राजधानी  पर विद्रोहियो  ने कब्जा  कर लिया था --- देश की और निर्वाचित सरकार  की प्रतिस्ठा दांव पर थी !  आप के पास तो साधन है – जाइए वनहा शांति वार्ता कीजिये | अगर आप  ईमानदारी से जातीय उन्माद का नियंत्रण चाहते है ---- और अगर आप इस अशांति को  हिन्दू और ईसाई  की समस्या के रूप में देखना चाहते है  तो जो आप कर रहे और जो आप की पारी की सरकार के मुखिया विरेन सिंह कर रहे है --- उनके अन्यायी  फैसलो को तो सुप्रीम कोर्ट नियंत्रित करेगा ही |

बॉक्स

         प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी  , आप कभी देश के प्रधान मंत्री के रूप में  इस इंडिया अथवा भारत को संभोधित  नहीं किया ! आप हरदम  अपनी पार्टी  के नेता के रूप  में ही  देश के मतदाताओ  से  मुखातिब  रहे , इसीलिए आप के पिछले संबोधानों  में भी  अपनी उपलब्धियों [ जो की है ही नहीं ]  का गुण गान  ही करते रहे |  कभी आपने देश के नागरिकों  की दशा और समस्याओ  के ज़िक्र तक नहीं किया | जब पेट्रोल के भाव दुनिया में कम हुए –तब आपने उसे अपना नसीब बताया !  जो की सच से कोसो दूर था |  आज खाने – की वस्तुओ के दाम आकाश छु रहे है --- टमाटर  200 रुपये से अधिक हो गया कोई भी सब्जी  100 रुपये किलो से कम में नहीं मिल रही | अगर इसका फाइदा  किसान यानि उत्पादक को होता तब तो ठीक भी ठा –परंतु हमेशा की तरह  बिचौलिये  माल खा रहे हैं |

 

     एक और तथ्य   रखना है की दुनिया के इतिहास में  आज तक कोई भी “” विजेता  भले ही वह विश्व विजेता ही क्यू ना हो “”  उसने नागरिकों को कष्ट और दुख तथा बरबादी ही दी है , सिकंदर से लेकर चंगेज़ खान  ,हलाकू  और सलदिन  सभी विजेता के रूप में इतिहास में दर्ज़ है | पारा उनके समय और स्थान में प्रजा  परेशान ही रही – भूख और बीमारी  से  और उजड़ी हुई  फसलों से  तबाह ही रही !!  और जिन शासको को इतिहास   जानता है वे विजय के बजाय अपने नागरिकों  क सुख –सुविदा के लिए  जाने जाते है | अशोक को महान सम्राट कहते है परंतु , बेहतर राजा के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य  को जाना जाता है |  विक्रमादित्य को  तो अच्छे राजा के रूपे में कहानिया प्रचलित है |   परंतु आप शायद अच्छे से ज्यादा  “” विजयी “” कहलाना  पसंद करते है --- इसीलिए  निर्माण के द्वरा इतिहास में अपना नाम  चाहते है ---अब यह तो भविषय  ही बताएगा की आप कितने सफल रहे या असफल !