Bhartiyam Logo

All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 3, 2020

 

अब सत्ताधारियों के निशाने पर -फेसबूक ? राजनीतिक विचारधारा बताए ?



संसदीय समिति द्वरा फेसबूक में राजनीतिक पक्श्च्पात करने के आरोप में उसके प्रबंध निदेशक अजित मोहन पर दोनों ओर से हमला किया गया की --उनके साथ अन्याया हो रहा हैं !! इस वक़्त फेसबूक की दशा उस किसान की तरह हैं , जिसकी दो पुत्री थी | जिनमें एक का विवाह किसान से और दूसरी का कुम्हार से हुआ | बरसात के मौसम {चुनाव} में एक ने पिता से कहा की वर्षा हो तो फसल अच्छी होगी , वनही कुम्हार की पत्नी ने कहा की वर्षा को रोके , क्योंकि उसके मिट्टी के बर्तन सूखने के लिए रखे हैं | अब वह किंकर्तव्य विमुढ था | भारतीय जनता पार्टी के सांसदो का आरोप था की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भसनों के "” फ़ैक्ट चेक़ "” किए तो सोनिया गांधी के बयानो के कितने फ़ैक्ट चेक़ किए गए ? एक दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर अपनी प्रैस वार्ता में इस जांच के लिए अपने सांसदो को हमले का मसाला काफी दे चुके थे | उन्होने आरोप लगाया राश्त्र्वादी विचारधारा के पोस्ट हटाये गए | उन्होने यह भी आरोप लगाए की फेसबूक के करमचारी प्रधान मंत्री को अपशब्द कहते हैं | संसदीय समिति ने यह भी पूछा की करमचरियों की विचारधारा क्या हैं ?

फेसबूक को लेकर विवाद उस समय हुआ --जब विधान सभा चुनावो के समय और जे एन यू तथा जामिया मिलिया में हुए छात्र द्वरा नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन में पुलिस कारवाई तथा सत्ता धारी नेताओ और उनके संगठनो के भड़काऊ भासनों की पोस्ट को लेकर आपति की गयी | दिल्ली के विधान सभा चुनावो को लेकर केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के बयान टीवी पर चले समाचारो की मुख्य मुद्दे बने थे | गृह मंत्री अमित शह ने भी टकसाली बयान देकर गरिमा खोयी थी |

आभासी दुनिया अर्थात फेसबूक और व्हात्सप्प में ट्रोलिंग टोली किस संगठन की हैं ----अब यह छुपा नहीं रहा | सच को झूठ और आज के मुद्दो का जवाब देने के बजाय पंडित नेहरू और इतिहास को दोषी बताना | सरकार के फैसलो की आलोचना करने वाले "”ट्रोलिंग टोली "” द्वरा तुरंत देश द्रोही -राष्ट्र द्रोही "” “” करार दिया जाता हैं | जिनको समाज आदर देता है - ऐसे लोगो ओ "”राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताया जाता हैं ! भीमा कोरे गाव्न हो या छतीसगड में कराय कर रही डॉ सुधा हो डॉ पचपूड़े हो या आईएएस की नौकरी छोड़कर समाज सेवा में आए वे भी समाज के लिए खतरा बन गए ! जिन दो लोगो ने नागरिकता कानून का विरोध कर रही महिलाओ पर गोली चलाने वालो पर दिल्ली पुलिस ने कोई एफ आई आर दर्ज़ नहीं की | देश व्यापी हिन्दू वाद के हिमायतियों को इल्लाहबाद हाइ कोर्ट ने झटका दिया ----- जब डॉ काफिल पर राष्ट्रीय सुरक्षा लगाने के अलीगड़ जिलाधिकारी के वीरुध कड़ी टिप्पणी की | हालांकि डॉ काफिल ने रिहा होने पर आशंका जताई है की उत्तर प्रदेश सरकार उन्हे किसी अन्य मामले में फंसा सकती हैं | उधर दिल्ली हाइ कोर्ट ने भी कुमारी कालीता को जमानत दे दी हैं -हालांकि तीन अन्य मुकदमो में अभी भी वे जेल में हैं |ये सभी क्या राष्ट्र द्रोही या देश द्रोही हैं ? फिर अदालत ने क्यू जमानत दी ? क्या यह राजनीतिक विद्वेष का फैसला नहीं था जिसे पुलिस और प्रशासन ने अपने राजनीतिक आकाओ को प्राषण्ण करने के लिए किया ?

हेट स्पीच या भडकाउ भासन -क्या जय श्रीराम नहीं हैं ?

सस्न्सदीय समिति के एक सदस्य ने यह भी पूच्छा की क्या जय श्री राम कहना सांप्रदायिक हैं ? सवाल यह हैं की सनातन परंपरा में अभिवादन “”नमस्ते या प्रणाम अथवा चरण स्पर्श “” हैं | जैसे मुस्लिमो में आदाब अर्ज़ अथवा सलाम वालेकुम है अथवा ईसाइयो में गुड मॉर्निंग आदि हैं | अब अगर जय श्री राम को अभिवादन माना जाये , जो की भारत की एक रेजीमेंट का युद्धघोष {वार क्राइ } हैं | तब मुसलमान अगर अल्लाह -हु - अकबर अथवा या अली कहे अथवा ईसाई हेल मैरी “” कह सकते हैं जो --वास्तव में युद्ध घोष ही हैं | हिन्दी भाषी छेत्रों में राम -राम या गुजरात में जय श्री कृष्ण भी अभिवादन ही हैं | परंतु रामचरित मानस पर बनी टीवी सीरियल रामायण में जय श्रीराम का घोष सामने वाले दानवो को आतंकित करने हेतु ही किया गया गया हैं |इसलिए अगर गोरखा लोगो युद्ध घोष है “”आयो गुरखाली “” तथा रेजीमेंट का वाके है जय महाकाली | परंतु आपस मिलते समय वे जय महाकाली नहीं कहते हैं | 2014 के बाद देश में जिस हिन्दू राष्ट्रियता का प्रचार किया गया वह ---वह पूरी तरह गलत हैं | देश और राष्ट्र का अंतर समझने के लिए राजनीति शास्त्र के पन्ने देखने होंगे | देश की भौगोलिक सीमा होती है राष्ट्र का आधार संसक्राति और डीएचआरएम और समुदाय होते हैं | नए -नए हिन्दुओ को यह अंतर जानने के लिए वेदिक धरम में किसी भी धार्मिक कार्य को संपादित करने के लिए “”संकलप पा लिया जाता हैं ---उसमें हैं जंबू द्विपे भारत खन्डे भारत वर्षे अमुक छेत्र स्थित ................मम गोत्र उतपनने अमुक प्रयोजन हेतु ......| अब राष्ट्र में खान पान -पहरावा के साथ आस्था भी कारण हैं | बंगला देश के हिन्दू हो अथवा पाकिस्तान के सिंधी वे भी वैसा ही पहरावा पहनते हैं , जैसा उनके पड़ोसी देश --भारत में पहना जाता हैं | ढकेस्वरी देवी का ढाका में मंदिर हैं ,वनहा दुर्गा पूजा में नौ दिन देवी स्त्रोत का पाठ होता हैं | बलूचिस्तान के हिंगलज मंदिर में भी वेदिक कर्मकांड समान ही हैं | जैसे सलवार -कुर्ता पंजाबी पहनते हैं वैसा ही सटे हुए इलाके के पाकिस्तानी भी पहनते हैं | अम्रत्सर की वाघा बार्डर पर भी उनके सैनिक सलवार और कमीज़ पहने दिखते हैं | बंगला देश में आए रोहिङिया मुसलमानो की महिलाए भी बंगाली स्त्रियो की भाति साड़ी पहनती हैं | केरल का मुसलमान भी ओणम को उसी हर्ष से मानता हैं जैसे उसके हिन्दू भाई | उनका खान - पान भी एक जैसा हैं | इसलिए राष्ट्र की भौगोलिक सीमा नहीं होती | जबकि देश की होती हैं |


सवालो का जवाब देने का जिम्मेदार कौन ?

जिस तरह से रविशंकर जी अपने सहयोगीयो ---पार्टी जनो तथा नेताओ को अप शब्द कहने पर रोष जताया हैं , वह वाजिब हैं \ पर क्या उनकी “”ट्रोलिंग टोली “” जिस प्रकार राहुल गांधी को मुसलमान का पौत्र बताती है --वह असती और झूठ नहीं हैं ? क्या वे इसके लिए भी बोलेंगे | नेहरू जी देश के पहले प्रधान मंत्री रहे हैं ---उनकी इज्ज़त में कई देशो ने मूर्तिया स्थापित हैं | महात्मा गांधी को 170 देशो में मूर्तियो के अलावा सड़के -इमरते भी हैं | जब तथा कथित राष्ट्र वादी जिनकी पैरोकारी रवि शंकर कर रहे हैं -----वे अपने प्रधान मंत्री और सहयोगीयो का विरोध करने पर “””नाराज़”” हो रहे हैं | एक जुमला व्हात्सप्प पर इस “”पाखन्ड “”को उजागर करता हैं की – फिरोज गांधी --फारसी नहीं मुसलमान थे क्योंकि वे राहुल के दादा थे | तब वरुण के दादा भी तो फिरोज ही थे ----उन्हे मुसलमान की संतान क्यू नहीं कहते ? मेनका गांधी भी तो उसी परिवार से हैं ---- उनको सम्मान देने वाले सोनिया क्यू नहीं सम्मान नहीं देते , आखिर वे देश की एक बड़ी पार्टी के नेता हैं ?

महात्मा गांधी को --- गोडसे और माफ़ी मांग कर रिहा होने वाले सावरकर से तुलना और उन्हे {गांधी } हिन्दू द्रोही बताना कितना सच हैं ! भले ही कुछ लोगो की रॉय हो सकती हैं , पर दुनिया को झूठा नहीं बना सकते | मोदी की प्रतिमा गुजरात में भले ही लग जाये पर दुनिया के किसी भी देश में वे वह सम्मान नहीं प सकते जो गांधी और नेहरू को दुनिया ने दिया |

रविशंकर जी गिरेबान मे झाँके की दोषी कौन ?